कर्मचारी को कंपनी के दिए घर पर कैसे लगेगा टैक्स, जानिए

यह असामान्य नहीं है कि नियोक्ता (कंपनी) अपने कर्मचारियों को मुफ्त या मामूली दर पर घर मुहैया कराती है. उनके मूल्यांकन के आधार पर ऐसी सुविधाओं पर आयकर कानूनों के तहत टैक्स लगता है. आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे.

आवास की खासियत और प्रतिभाशाली लोगों को लुभाने के लिए कंपनियां अपने कर्मचारियों को मुफ्त या मामूली दर पर घर उपलब्ध कराती हैं. यह सच है कि अगर कंपनी किसी वीरान इलाके में स्थित है, तो वहां कोई शख्स घर मिले बिना जाएगा नहीं. कर्मचारी को जो आवास मुहैया कराया जाता है, वहां कंपनी कई बार माली, स्वीपर इत्यादि की सुविधाएं भी मुहैया कराती है. नियोक्ता जो सुविधाएं मुहैया कराता है, वह कर्मचारी के लिए टैक्स फ्री नहीं होतीं. टैक्स कानूनों में ऐसी सुविधाओं को अहमियत देने के प्रावधान हैं, जिन्हें इनकम टैक्स की भाषा में ‘अनुलाभ’ के रूप में जाना जाता है. आइए आपको बताते हैं कि यह कैसे होता है.

कब कर्मचारियों को मुहैया कराए जाने वाली सुविधाओं पर टैक्स लगता है?

यह दिलचस्प है कि ये सुविधाएं उस वक्त टैक्सेबल नहीं होतीं, जब ये कर्मचारियों को दी जाती हैं बल्कि जब यह कर्मचारी के घर के किसी सदस्य को दी जाती हैं तब उन पर टैक्स लगता है. आवास के प्रावधान पर टैक्स में घर के सदस्यों में पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता के अलावा बच्चों के पति/पत्नी, नौकर और आश्रित भी शामिल हैं. इसलिए अगर किसी कर्मचारी के माता-पिता को मुफ्त आवास दिया गया है, चाहे वहां कर्मचारी काम भी न कर रहा हो तो वह अनुलाभ माना जाएगा और उस पर टैक्स लगेगा. आवास में सिर्फ रिहायशी घर ही नहीं बल्कि फार्म हाउस, होटल, सर्विस अपार्टमेंट्स और गेस्ट हाउस शामिल होंगे. गौरतलब है कि ऐसी सुविधाएं तब टैक्सेबल होती हैं जब कंपनी सीधे तौर पर कर्मचारी को उन्हें मुहैया कराती हैं या परोक्ष रूप से कर्मचारी को नौकरी के कारण दी जाती है.

केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं

इसके लिए टैक्स कानून अलग-अलग बर्ताव करेगा. यह निर्भर करता है कि कर्मचारी सरकारी है या नहीं. यह इस पर भी निर्भर करता है कि वह केंद्र का कर्मचारी है या राज्य का. अगर कर्मचारी को आवास मुफ्त में दिया गया है तो सरकारी कर्मचारियों के लिए इस तरह के अनुलाभ की वैल्यू लाइसेंस फ्री होगी, जैसे कि संबंधित सरकारों ने ऐसे आवास के लिए पहले से तय किया हुआ है. लेकिन, अगर सरकार कर्मचारी से कोई किराया वसूल करती है तो वसूल किए जाने वाले किराए की सीमा तक टैक्स कम हो जाएगा. चाहे आवास कंपनी का हो या किसी थर्ड पार्टी से किराये पर लिया गया हो, लागू यही होगा.

ये नियम उन कर्मचारियों पर लागू होंगे, जो किसी सरकारी विभाग में काम करते हैं. ऐसे कर्मचारी जो किसी ऐसे संस्थान के लिए काम करते हैं, जिसकी मालिकाना हक सरकार के पास है, उन्हें इस काम के लिए सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाएगा. लिहाजा पब्लिक सेक्टर बैंक या किसी अन्य सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों के साथ अलग-अलग तरह से बर्ताव किया जाएगा. जो आवास मुहैया कराया गया है, अगर वह फर्नीश्ड है तो टैक्सेबल अनुलाभ ऐसे फर्नीचर का 10 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा, जिसमें रेफ्रिजेरेटर की वैल्यू, अन्य अप्लाइंसेज और एयर कंडीश्नर इत्यादि शामिल हैं. लेकिन अगर ये चीजें किराये पर ली गई हैं तो कंपनी द्वारा भुगतान किए गए वास्तविक भाड़े के प्रभार के रूप में ऐसी चीजों के लिए चार्ज लिया जाएगा.

गैर-सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं

गैर सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को मिलने वाले आवास इस पर निर्भर करते हैं कि वह कंपनी की है या किराये पर ली गई है. अगर आवास किराये पर लिया गया है तो उसके लिए कंपनी द्वारा वहन की गई असली लागत किराए के रूप में कम से कम 15% सैलरी के अधीन होगी. अगर ऐसा कुछ पाया जाता है तो यह अनुलाभ की वैल्यू के तौर पर माना जाएगा. लेकिन अगर आवास कंपनी का है तो 2001 की जनगणना और कर्मचारी की सैलरी के आधार पर अनुलाभ आवास की जगह की आबादी पर निर्भर करेगा.

अगर आवास ऐसी जगह पर स्थित है, जहां की आबादी 25 लाख से ज्यादा है तो वैल्यू कर्मचारी की सैलरी का 15 प्रतिशत होगी. अगर शहर की आबादी 10 लाख से 25 लाख तक है तो वैल्यू सैलरी के 10 प्रतिशत तक हो जाएगी. बाकी जगहों के लिए यह सैलरी का 7.50 प्रतिशत होगा.

इस मकसद के लिए वेतन महंगाई भत्ते को छोड़कर, सभी मासिक भुगतान शामिल होंगे, जब तक कि एक ही फॉर्म पेंशन गणना का हिस्सा नहीं होगा.

अन्य प्रावधान

अगर किसी कर्मचारी को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाता है और उसे दोनों जगह आवास मुहैया कराया जाता है तो एक जगह का अनुलाभ पहले 90 दिनों का ही लिया जाएगा. अगर कर्मचारी दोनों जगहों के आवास को अपने पास रखता है तो दोनों जगहों के अनुलाभ पर टैक्स लगेगा.

अगर कर्मचारी का ट्रांसफर एक जगह से दूसरी जगह किया गया है तो अधिकतम 15 दिनों के लिए होटल में मुहैया कराए गए आवास का अनुलाभ शून्य होगा. लेकिन अन्य मामलों में अनुलाभ का मूल्य कर्मचारी के वेतन के 24% के निचले हिस्से के रूप में लिया जाएगा या फिर रहने की अवधि के लिए होटल को चुकाए गए वास्तविक किराए के रूप में.

गैर-सरकारी कर्मचारियों को मुहैया कराए जाने वाले बिना साजो-सामान वाले आवास की गणना के नियम वही हैं, जो सरकारी कर्मचारियों पर लागू होते हैं. इसके बारे में ऊपर बताया गया है. स्वीपर, वॉचमैन, माली या निजी सहयोगी की सुविधा के लिए इन लोगों को दी जाने वाली वास्तविक सैलरी सरकारी कर्मचारियों और गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए अनुलाभ का मूल्य होगा.

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