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रोहिणी स्कीम 1981 के नियमों में डीडीए बरतेगा ढील, घर खरीददारों को होगा बड़ा फायदा

DDA proposes to relax norms for Rohini Scheme 1981
दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी यानी डीडीए की रोहिणी स्कीम 1981 के आवेदकों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि प्राधिकरण ने 20 नवंबर 2017 को आवेदकों के लिए आवंटन के नियमों में नरमी बरतने का प्रस्ताव दिया है। यह उनके स्वामित्व वाले फ्लैट के आकार और प्रकृति पर निर्भर करेगा। यह फैसला डीडीए के चेयरमैन अनिल बैजल की अगुआई वाली बैठक में लिया गया। यह प्रस्ताव शहरी विकास मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
रिहायशी प्लॉट्स को आवंटित करने की यह स्कीम 9 फरवरी 1981 को लॉन्च की गई थी। प्लॉट्स का अलॉटमेंट पांच वर्षों में चरणों के तहत किया जाना था। आवेदन की अंतिम तिथि से ही इसकी शुरुआत होनी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर यह फैसला मंजूर हो जाता है तो यह उन आवेदकों को फायदा पहुंचाएगा, जिनका अलॉटमेंट प्लॉट्स का आकार मैच न कर पाने के कारण रद्द कर दिए गए थे। अतीत में रद्द किए गए मामलों को कवर करने के लिए नियमों में छूट पूर्वव्यापी ढंग से दी जाएगी। हालांकि इन मामलों को एक विकासशील क्षेत्र में ड्रॉ के जरिए पूर्व निर्धारित दरों पर भूखंडों के आवंटन के लिए विचार किया जाएगा।
डीडीए के मुताबिक रोहिणी स्कीम के लिए योग्यता का मापदंड यह भी था कि अगर किसी आवेदक के पास खुद का घर है या उसे डीडीए ने 65 स्क्वेयर मीटर से भी छोटा प्लॉट अलॉट किया है तो वह अलॉटमेंट के योग्य नहीं है। प्राधिकरण ने इस बात पर भी चर्चा की कि विभिन्न कारणों से पांच साल (1981-86) की समय सीमा का पालन नहीं किया जा सका। एक बयान में डीडीए ने कहा, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए किसी भी पंजीयकों, जिसने स्कीम बंद होने की तारीख के पांच साल बाद भी कोई संपत्ति खरीदी थी, उसे प्लॉट की अलॉटमेंट से बाहर नहीं किया जाएगा, भले ही प्लॉट/फ्लैट का साइज उसके या उसके आश्रितों के नाम पर हो गया हो। लेकिन जिन लोगों ने खुद की मर्जी से स्कीम से नाम वापस लिया है, उनके नाम पर फिर से विचार नहीं किया जाएगा।
डीडीए के एक वरिष्ठ अफसर के मुताबिक इस स्कीम के तहत 80,240 फ्लैट्स आवंटित किए जाने हैं। कई ड्रॉ के जरिए फ्लैट्स अलॉट हो चुके हैं। हालांकि कुछ मामलों में अब तक पोजेशन नहीं दिया गया है। जिन पंजीयकों के आवेदन पुराने मानकों के कारण रद्द कर दिए गए थे, वे अब अलॉटमेंट के योग्य हैं। इसलिए इन मामलों के लिए ताजा ड्रॉ कराना होगा।
रोहणी स्कीम 1981 में एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी कैटिगरी के फ्लैट्स हैं। डीडीए ने कहा कि सभी कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया जाएगा। बयान के मुताबिक केवल असली आवेदक या उनके वसीयतदार को ही पोजेशन सौंपी जाएगी और असलियत आधार नंबर से लिंक बायोमीट्रिक से पता की जाएगी।
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