Site icon Housing News

निर्माणाधीन संपत्तियों पर GST के नए नियम: यहां जानें हर प्रमुख जानकारी

निर्माणाधीन परियोजना में निवेश करते समय कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में घर खरीदार को प्रापर्टी पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (GST) के बारे में भी जानकारी जरूर होना चाहिए। यह एक ऐसा टैक्स है, जिसे घर खरीदार को देना होता है, इसलिए उसे इस बात की पूरी जानकारी जरूर होनी चाहिए कि उसे कितनी राशि का टैक्स भुगतान करना होगा। इस आर्टिकल में हम निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर लगने वाले GST, देय कर राशि और GST भुगतान को प्रबंधित करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

 

निर्माणाधीन संपत्तियों पर GST क्या है?

2017 में लागू किया गया गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) ने भारत में कर ढांचे को काफी ज्यादा सरल बना दिया है। पहले लोगों को कई अप्रत्यक्ष कर चुकाने पड़ते थे, जो देश के हर राज्य में अलग-अलग होते थे, लेकिन अब उनकी जगह GST ने ले ली है जिसे केंद्र और राज्य, दोनों ही स्तरों पर लगाया जाता है। घर खरीदने वालों को इस बात का भी ध्यान में रखना चाहिए कि रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टीज या ऐसी प्रॉपर्टी, जिन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र मिल चुका है, उन पर GST नहीं लगता।

शुरुआत में सरकार ने निर्माणाधीन फ्लैट्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया था, जिसमें से लगभग 2/3 यानी लगभग 12 फीसदी खरीदारों को चुकाना पड़ता था। इसमें से करीब 6 फीसदी और घटा दिया गया क्योंकि यह उस जमीन की कीमत मानी गई थी, जो ट्रांसफर की जा रही थी। इसके बाद एक अदालती सुनवाई में कहा गया कि संपत्ति की बिक्री मूल्य से जमीन की कीमत घटाने के बाद ही जीएसटी की गणना की जानी चाहिए। चूंकि जमीन संपत्ति मूल्य का एक बड़ा हिस्सा होती है, इसलिए इसे जीएसटी से अलग करने से खरीदार को बचत होती है।

आखिरकार जीएसटी काउंसिल द्वारा किए गए 33 वें संशोधन के बाद निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया। हालांकि, यह आईटीसी के बिना है। साथ ही सरकार ने किफायती घरों यानी 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले मकानों पर जीएसटी को घटाकर 1 फीसदी कर दिया है।

 

निर्माणाधीन संपत्तियों पर GST कैसे गणना करें?

निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी की गणना करने का सूत्र है- भूमि मूल्य को घटाकर जीएसटी दर लागू करना।

सस्ते आवास के लिए GST गणना का उदाहरण

नियमित आवासीय घर के लिए GST गणना का उदाहरण

निर्माणाधीन संपत्तियों पर GST के वित्तीय प्रभाव

 

निर्माणाधीन संपत्ति पर जीएसटी के बारे में जानकारी, जो घर खरीदारों को जरूर होना चाहिए

निर्माणाधीन संपत्ति खरीदने से पहले घर खरीदार को इन बिंदुओं की जानकारी जरूर होना चाहिए –

 

निर्माणाधीन संपत्ति पर समय पर जीएसटी भुगतान के टिप्स

निर्माणाधीन संपत्ति पर जीएसटी का भुगतान हर बार तब करना होता है, जब बिल्डर आपको चालान भेजता है, जो उसके द्वारा पूरी की गई निर्माण कार्य की स्थिति पर निर्भर करता है।

 

क्या निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी के लिए कोई छूट दी जाती है?

निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी के लिए ऐसी कोई छूट नहीं दी जाती है, सिवाय इसके कि किफायती आवास खंड को केवल 1 फीसदी जीएसटी चुकाने का लाभ प्राप्त होता है। हालांकि, इसमें आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ नहीं होता। इसी तरह सरकारी आवास योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना आदि के तहत खरीदी गई संपत्तियों पर कुछ छूट होती है, क्योंकि इसका उद्देश्य ईडब्ल्यूएस और एलआईजी श्रेणी पर कम वित्तीय बोझ डालना है।

 

निर्माणाधीन संपत्तियों के जीएसटी डॉक्युमेंटेशन के लिए जरूरी दस्तावेज

जीएसटी दाखिल करने के लिए इन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है –

  1. बिक्री अनुबंध: खरीदार और डेवलपर के बीच बिक्री अनुबंध की प्रति आवश्यक है, क्योंकि यह लेन-देन का प्रमाण है।
  2. जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र: घर खरीदारों और बिल्डर के पास जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र होना चाहिए, जो आयकर रिटर्न दाखिल करने और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
  3. बिल्डर द्वारा दिया गया जीएसटी चालान: इसमें संपत्ति की कीमत, लागू जीएसटी दर और कुल राशि शामिल होनी चाहिए, जो भुगतान की जानी है।
  4. भुगतान रसीदें: सभी संपत्ति रसीदें, जिनमें बुकिंग राशि, अंशदान आदि शामिल हैं।
  5. PAN कार्ड
  6. बैंक विवरण पत्र

 

Housing.com का पक्ष

निर्माणाधीन संपत्ति में निवेश करने से पहले जीएसटी नियमों को जानना महत्वपूर्ण है। जीएसटी की गणना सहित विवरण जानकर, गृह-खरीदार अपनी संपत्ति निवेश के लिए बेहतर वित्तीय योजना बना सकता है। खरीदारों को संपत्ति लेनदेन और जीएसटी भुगतान से संबंधित सभी रसीदों को संभाल कर रखना चाहिए, क्योंकि भविष्य में किसी भी विसंगति या विवाद की स्थिति में इन रसीदों को प्रमाण के रूप में पेश किया जा सके।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें
Was this article useful?
  • ? (0)
  • ? (0)
  • ? (0)
Exit mobile version