टैक्स में छूट पाने और घर को बेचने से पहले इनकम टैक्स के कानूनों के तहत प्रॉपर्टी का न्यूनतम होल्डिंग पीरियड (जितने समय के लिए प्रॉपर्टी किसी के पास रहती है) होना चाहिए. आइए इनकम टैक्स कानूनों के विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा करते हैं ताकि आप समझ पाएं कि होल्डिंग पीरियड से पहले किसी घर को बेचने में किन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट और रियायती दर
अगर आप सबसे ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं तो रिहायशी घर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स 20 प्रतिशत होगा, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स में 30 प्रतिशत. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट का फायदा या तो किसी अन्य रिहायशी घर में निवेश करके लिया जा सकता है या फिर किसी खास कंपनियों के कैपिटल गेन्स बॉन्ड्स में निवेश करके. यह फायदा उठाने के लिए आपके घर का होल्डिंग पीरियड 24 महीने से ज्यादा होना चाहिए. इसके अलावा, अगर होल्डिंग पीरियड 24 महीने से कम है तो कैपिटल गेन्स इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में टैक्स छूट का फायदा उठाने के लिए नए घर का होल्डिंग पीरियड
अगर तय समय सीमा में आप दूसरा घर खरीदते हैं या बनवाते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है. रिहायशी आवास पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए आपको कैपिटल गेन्स में निवेश करना होगा लेकिन अन्य संपत्तियों में पूरी बिक्री पर. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में छूट निवेश की गई राशि के अनुपात पर उपलब्ध होगी.
जिस घर को छूट का दावा करने के लिए खरीदा गया है, वह अधिग्रहण की तारीख से लेकर न्यूनतम तीन वर्ष तक आपके पास होना चाहिए. अगर नया घर तीन साल के भीतर ही बेच दिया तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की राशि, जिसके लिए छूट का दावा पहले किया गया था, उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा और आप पर लागू होने वाली स्लैब दर से टैक्स लगाया जाएगा.
होम लोन से खरीदी गई प्रॉपर्टी
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत एक शख्स होम लोन चुकाने में 1.5 लाख रुपये तक की छूट पा सकता है. इसमें निवेश और खर्च जैसे इंश्योरेंस प्रीमियम, स्कूल फीस, पीपीएफ, ईएलएसएस, ईपीएफ, एनएससी इत्यादि शामिल हैं. आप तय सीमा के भीतर रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टैंप ड्यूटी की राशि को क्लेम कर सकते हैं. यह फायदा तभी मिलेगा, जब होम लोन आपने बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, सेंट्रल या राज्य सरकार इत्यादि से लिया हो.
यह किसी भी रीपेमेंट पर लागू है, जिसमें ईएमआई और एकमुश्त पार्ट प्रीपेमेंट्स शामिल है.
अगर मकानमालिक किसी आवासीय संपत्ति को ट्रांसफर करता है, जो हाउसिंग लोन के जरिए हासिल की गई है. तो जिस वित्त वर्ष में पोजेशन लिया गया था, उसके 5 साल के भीतर किए गए पुनर्भुगतान के लिए वह किसी भी छूट का दावा नहीं कर सकता. इसके अलावा, ऐसी प्रॉपर्टीज के लिए बीते हफ्तों में हाउसिंग लोन रीपेमेंट, स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज को लेकर मिली कटौतियों को उस साल के इनकम में माना जाएगा, जिसमें आपने प्रॉपर्टी ट्रांसफर की थी. ध्यान रहे कि सेक्शन 24 (बी) के तहत अगर पांच साल की अवधि से पहले ही आपने हाउसिंग लोन चुका दिया है तो फायदों को उलट देने के लिए कोई समान प्रावधान नहीं है और न ही फायदों को उलट देने के दावे के समान प्रावधान का.