HRA पर ऐसे ले सकते हैं Income Tax में छूट, होगी अच्छी-खासी बचत

चुकाए गए किराये पर टैक्स छूट अलग-अलग होती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप नौकरीपेशा इंसान है, जिसे नियोक्ता से एचआरए मिलता है या अगर आप किराया नहीं चुकाते तो आपको एचआरए नहीं मिलेगा।
शहरों में रहने की लागत को पूरा करने के लिए नियोक्ता अपने कर्मचारियों को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का भुगतान करते हैं। भारत में इनकम टैक्स कानून बिना एचआरए हासिल किए बिना उन लोगों को फायदे पहुंचाते हैं जिनका खुद का घर नहीं है और वे किराये पर रहते हैं। लेकिन हर मामले में टैक्स फायदे अलग-अलग होते हैं।

नौकरीपेशा लोगों को अपने नियोक्ता से मिलता है एचआरए, जानिए क्या हैं उसके लिए टैक्स छूट:

आपको कुछ सीमाओं और शर्तों के साथ मिले एचआरए पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13ए) के तहत टैक्स में छूट मिलती है। पहली शर्त है कि आप जिस घर में रह रहे हैं उसका आप वाकई किराया चुका रहे हैं। इसका मतलब है कि जहां आप काम कर रहे हैं, आवास भी वहीं है। इसके अलावा जिसका आप किराया चुका रहे हैं, आप उसके मालिक या सह-मालिक नहीं होने चाहिए। एेसी स्थिति तब आती है, जब टैक्सपेयर प्रॉपर्टी के जॉइंट ओनर को किराया देता है या फिर अगर टैक्सपेयर के स्वामित्व वाली प्रॉपर्टी एक समझौते के तहत नियोक्ता को लीज पर दी जाती है, जिसमें नियोक्ता उसे किराए पर कर्मचारी को दे देता है।

कटौती की मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि कर्मचारी कहां रहता है। एचआरए छूट की राशि इनमें से निम्न होगी:

  • वास्तविक एचआरए
  • सैलरी का 50 प्रतिशत (मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई में रहने वाले कर्मचारी) या सैलरी का 40 प्रतिशत (अन्य जगह रहने वाले कर्मचारी)
  • सैलरी के 10 प्रतिशत से ज्यादा किराया
उपरोक्त उद्देश्य के लिए वेतन में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और किसी टर्नओवर के निश्चित कमीशन का प्रतिशत शामिल होता है। बाकी अन्य अलाउंस को शामिल नहीं किया जाएगा। छूट की गणना करने के लिए उस अवधि की सैलरी पर ही विचार किया जाएगा, जिसका आपने किराया दिया है। नतीजन, अगर आपके द्वारा भुगतान किया गया किराया एक निश्चित अवधि में सैलरी के 10 प्रतिशत को पार नहीं करता तो कोई एचआरए कर लाभ उपलब्ध नहीं होगा।

जिन लोगों को एचआरए नहीं मिलता, उसके द्वारा चुकाया गया किराया:

आयकर अधिनियम की धारा 80 जीजी भी किसी शख्स द्वारा चुकाए गए किराए पर कटौती की अनुमति देता है। इस पर स्वयं रोजगार और वह कर्मचारी भी दावा कर सकते हैं, जिन्हें अपने ऩियोक्ता से एचआरए नहीं मिलता। किसी की कुल आय से कटौती के रूप में फायदे दिया जाता है। लेकिन कटौती कुल आय के 25 प्रतिशत तक सीमित होती है या फिर अगर कुल आय के 10 प्रतिशत से ज्यादा किराया वाकई में चुकाया जाता है। इसके अलावा सालाना 60 हजार और मासिक 5 हजार रुपये की अधिकतम कटौती का दावा किया जा सकता है।
यह कटौती उस अवधि के आधार पर नहीं होती, जिस दौरान आप किराये के घर में रहे हैं। इसलिए अगर आप किराये के घर में एक महीना भी रहे हैं तो पूरी कटौती पर दावा कर सकते हैं। लेकिन यह फायदा उस वक्त नहीं उठाया जा सकता, अगर आप, आपकी पत्नी/पति या नाबालिग बच्चा उसी क्षेत्र में किसी आवासीय संपत्ति के मालिक हैं। इसके अलावा दावा उस वक्त भी नहीं किया जा सकता, अगर आप किसी एचयूएफ (गैर-विभाजित हिंदू परिवार) के सदस्य हैं, जिसका उसी जगह पर घर है, जहां आप रहते हैं। इसलिए अगर इन लोगों के स्वामित्व वाली संपत्ति किराये पर दी जाती है, तब भी आप सेक्शन 80जीजी के तहत आप किराये के फायदों का लाभ नहीं ले सकते। अगर आपकी संपत्ति किसी और जगह पर है, जो किराये पर नहीं है और उसमें आप खुद रह रहे हैं। एेसे में भी इस कटौती का फायदा नहीं मिलेगा।
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