फ्लैट्स और अॉफिस को कैपिटल असेट मानने पर ये हैं इनकम टैक्स के झोल

2018-2019 के बजट में स्टॉक्स इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील करने पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है। आज हम बता रहे हैं कि अचल संपत्तियों खासकर निर्मित और बिल्डरों के पास पड़ी बिना बिकी इन्वेंट्री पर क्या असर पड़ेगा।

आपके द्वारा की गई गतिविधियों के मुताबिक आय के विभिन्न स्रोत्रों पर टैक्स लगाया जाता है। एक खास आय पर प्रॉफिट एंड गेन्स अॉफ बिजनेस एंड प्रोफेशन या मुख्य कैपिटल गेन्स के तहत टैक्स लगाया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप नियमित तौर पर असेट में व्यापार करते हैं या किसी असेट में इन्वेस्टर हैं। इस दौरान आप अपना कैपिटल असेट बिजनेस असेट या बिजनेस असेट को कैपिटल असेट में तब्दील करने की सोच सकते हैं। एक श्रेणी के असेट को दूसरी में तब्दील करने के दौरान कई टैक्स उलझनों का सामना करना पड़ता है। 2018 के बजट में कई प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं, जो उस वक्त लागू होंगे जब आप अपना बिजनेस असेट कैपिटल असेट में तब्दील करेंगे। आइए मौजूदा और एेसे ही प्रावधानों की उलझनों पर बात करते हैं, जो कैपिटल असेट को बिजनेस असेट में कन्वर्ट करने पर लागू होंगे।

कैपिटल असेट को बिजनेस असेट में कन्वर्ट करने के मौजूदा प्रावधान: फिलहाल जो इनकम टैक्स प्रावधान हैं, उनके मुताबिक जब कैपिटल असेट को बिजनेस असेट में तब्दील किया जाता है तो कन्वर्जन के दिन कैपिटल असेट की मार्केट वैल्यू कैपिटल गेन्स की गणना के मकसद के लिए मूल्य के रूप में लिया जाता है। लेकिन एेसे कन्वर्जन्स पर आपको उस साल में टैक्स नहीं चुकाना पड़ता, जिस साल यह होता है। इस तरह के कन्वर्जन्स के मुनाफे पर टैक्स उस वक्त तक नहीं लगाया जाता, जब तक कि कैपिटल असेट इतने कन्वर्ट न हो जाएं कि उन्हें बेचा जा सके। इसलिए, इस तरह की संपत्ति की बिक्री की तारीख पर प्रॉफिट को दो हिस्सों में बांटा जाता है।

-कन्वर्जन के दिन लागत और सही बाजार मूल्य के अंतर को कैपिटल गेन्स टैक्स माना जाता है और इस पर शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म गेन्स के तहत टैक्स लगाया जाता है। यह निर्भर करता है कि कन्वर्जन के दिन असेट कितने वक्त के लिए आपके पास रहा।

-कन्वर्जन के दिन बेची जाने वाली कीमत और उचित बाजार मूल्य में फर्क को आपका बिजनेस प्रॉफिट माना जाता है और इसपर प्रॉफिट एंड गेन्स अॉफ बिजनेस या प्रोफेशन के तहत टैक्स लगाया जाता है|

एेसा तब भी हो सकता है, जब एक बिल्डर जमीन को, जो उसकी निजी संपत्ति है या व्यापार में किया गया निवेश हो, बिजनेस असेट में तब्दील कर देता है। कन्वर्जन के दिन जमीन की जो कीमत होगी, वह बिल्डर के बिजनेस प्रॉफिट की गणना करने के मकसद से जमीन की कीमत होगी। जब बिल्डर द्वारा बनाई गई बिल्डिंग बिक जाती है तो दो स्रोतों के तहत मुनाफा टैक्स के दायरे में आ जाता है।

बजट 2018 में स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील करने के प्रस्तावित प्रावधान: अगर स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट माना जाता है तो मौजूदा आयकर कानूनों में उससे निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। इसलिए 2018-19 के बजट में प्रस्तावित किया गया कि जिस तारीख को स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील किया जाएगा तो एेसे स्टॉक्स इन ट्रेड की मार्केट वैल्यू और लागत के बीच के फर्क को उस साल टैक्सेबल माना जाएगा, जिसमें कन्वर्जन हुआ है। इसलिए अगर आपको एेसे कन्वर्जन्स पर कोई पैसा हासिल न हुआ तो, तब भी आपको खरीद / निर्माण/ निर्माण की लागत और कैपिटल असेट में कन्वर्जन की तारीख पर उचित बाजार मूल्य के बीच के अंतर पर टैक्स का भुगतान करना होगा। कन्वर्जन के वर्ष में टैक्सपेयर्स को टैक्स चुकाने को बाध्य करने वाला यह प्रावधान स्टॉक इन ट्रेड में कैपिटल असेट के कन्वर्जन के मौजूदा प्रावधानों से उलट है।

इस प्रस्तावित प्रावधान से डिवेलपर्स को तगड़ा झटका लगेगा क्योंकि जब वह बिना बिके फ्लैट्स और निर्मित अॉफिसों को किराये पर देंगे तो इसे स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील माना जाएगा। लेकिन वह क्या स्थिति होगी जब बिना बिके फ्लैट्स को तब्दील या कैपिटा असेट माना जाएगा, यह हर मामले पर निर्भर करेगा। उदाहरण के तौर पर अगर कोई बिल्डर बिना बिके अॉफिस या बिल्डिंग के फ्लैट को तीन वर्ष के लिए किराये पर देता है, वह भी बिना किसी किरायेदारी अग्रीमेंट के, तो लंबे समय के लिए अॉफिस को किराये पर देना स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील करने की मंशा दिखाती है। लेकिन अगर एेसा शॉर्ट टर्म के लिए किया जाता है, जिसमें बिल्डर शॉर्ट नोटिस में किरायेदार को निकाल सकता है तो यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील कर दिया गया है। चूंकि कैपिटल असेट में ट्रेड इन स्टॉक का फैसला आचरण के आधार पर लिया जाता है, लिहाजा बिल्डरों के लिए जरूरी है कि वे संपत्ति बहुत लंबे समय तक किराये पर न छोड़ें। बिल्डर को यह सुनिश्चित करना चाहिेए कि किरायेदारी अग्रीमेंट उन्हें इस बात का अधिकार दे कि वे शॉर्ट नोटिस पर भी किरायेदार को निकाल सकें। स्टॉक इन ट्रेड को कैपिटल असेट में तब्दील करने की मंशा साफ पर तौर पर तब नजर आती है, जब बिल्डर बिल्डिंग के अॉफिस को अपने और फ्लैट्स को रहने के लिए इस्तेमाल करता है।

जब बिल्डर संपत्ति को बेचता है जिसे कैपिटल असेट के रूप में माना जाता है, तो इस तरह के कन्वर्जन और वास्तविक बिक्री की तारीख के बीच अभिमूल्यन पर कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना होगा। कैपिटल गेन्स की गणना करने के लिए कन्वर्जन की तारीख पर उचित मार्केट वैल्यू को कॉस्ट माना जाएगा। अगर कन्वर्जन के दो साल के बाद भी प्रॉपर्टी डिवेलपर के पास रहती है तो एेसी बिक्री पर हुए फायदे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहा जाएगा और इस पर 20.80 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा। हालांकि डिवेलपर इंडेक्सेशन के फायदों का हकदार होगा, जो उस तारीख से उपलब्ध होगा जिस पर फ्लैट कैपिटल असेट में तब्दील हो जाता है।

 

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