Site icon Housing News

क्या होता है कच्चा घर या, कच्चा हाउस?

What is a kutcha house?

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा  कच्चे घर पाये जाते हैं। कच्चा घर, जिसे कच्चा हाउस भी कहते हैं, वह अस्थायी या अस्थायी आवास के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि ये कम पैसों में आसानी से बन जाने वाले घर होते हैं। कच्चे घर आमतौर पर आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों या संसाधन सीमाओं का सामना करने वाले समुदायों द्वारा बनाए जाते हैं। कच्चे घर अक्सर कच्ची ईटों, बांस, कास, मूँज, खपरैल, कच्ची मिट्टी, तिरपाल, तमाम तरह की लकड़ियों को मिलाकर बना होता है। पहले के समय में कच्चे ही घर होते थे, आपको कहीं रेयर में ही पक्के घर देखने को मिलते खासकर गाँव में, गाँव में लोग हमेशा कच्चे ही घर को बनाते थे। 


कच्चे घर (कच्चा हाउस)कितने प्रकार के होते हैं 

कच्चे घर अक्सर कई प्रकार से बने होते हैं। जैसे पहला मिट्टी से,दूसरा घाँस फूस से बने हुए घर, बांस से बने घर, खपरैल से बने घर, कच्चे ईंटों और मिट्टी से बने घर,आप अक्सर इन्ही  प्रकारों के घर देखने को पाएंगे।

 

कच्चे घर की विशेषताएं और निर्माण

कच्चे घरों का निर्माण आमतौर पर सरल और अल्पविकसित होता है। उनमें अक्सर उचित नींव, मजबूत दीवारों और टिकाऊ छतों का अभाव होता है। कई जगहों पर दीवारें मिट्टी या घास-फूस से बनी होती हैं और मौसम के हिसाब से थोड़ा इन्सुलेशन और सुरक्षा भी प्रदान करती हैं।लेकिन अगर छतें फूस की हैं या तिरपाल से ढकी हुई हैं, तो इससे उन्हें भारी बारिश के दौरान नुकसान होने का खतरा रहता भी बना रहता है।

 

कच्चे घर के महत्व और चुनौतियाँ

ग्रामीण क्षेत्रों और अनौपचारिक बस्तियों में कच्चे मकान प्रचलित हैं। वे गरीबी, बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच की कमी और अनिश्चित जीवन स्थितियों से जुड़े हैं। कच्चे घरों के निवासियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता, अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं और सीमित सुरक्षा शामिल हैं। इन संरचनाओं की क्षणिक प्रकृति भी उनमें गिरावट और निरंतर मरम्मत का खतरा पैदा करती है।

 

कच्चे घर कैसे बनाये जाते हैं

कच्चे घर मिट्टी, बांस , घास, पत्तियों, कच्ची ईंटों, नरकट या छप्पर से बनी दीवारों और छतों वाला होता है। ये मुख्य रूप से अस्थायी घर होता हैं तथा इन्हें लंबे समय तक टिके रहने के लिये बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है ।हम अक्सर देखते हैं की ग्रामीण क्षेत्रों में ही ये घर ज्यादा पाये जाते हैं। क्योंकि वे अस्थायी सामग्रियों से बने होते हैं इसलिए वे बहुत मजबूत नहीं होते हैं। कच्चे घर की ताकत बहुत ज्यादा नहीं होती। क्योंकि इन घरों के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्रियां बहुत कमजोर हैं। कच्चे घर को मजबूत करने का एक ही तरीका है। प्राकृतिक सामग्री के अलावा, उन्हें मिट्टी के गारे से भी जोड़ने की जरूरत है ।वावजूद इसके भी यह उन्हें इतना मजबूत भी नहीं बनाता है।

 

कच्चे घर में प्रयोग होने वाली सामाग्री

कच्चे घर को बनाने में जिन सामाग्रियों का प्रयोग होता है वे ये हैं जैसे छप्पर वाले घरों में बांस, गन्ने की पत्तियाँ, रस्सी, कास, मूज, लोहे की कील आदि तथा खपरैल वाले घरों में खपरैल, नरखट, मिट्टी, गोबर, भूसा, कच्ची इंटे आदि इस घर को बनाने के लिये सबसे पहले एक गढ्ढा बनाकर उसमें चिकनी मिट्टी को भिगोते हैं तथा उसके बाद इसे पैर से अच्छे से मसल- मसल कर इस मिट्टी का गारा तैयार करते हैं, उसके बाद इस तैयार गारे से कच्ची ईंटों को जोड़कर दीवार तैयार करने में इस्तेमाल करते हैं । हालाकिं इसमें बहुत ही कम लागत लगती है इसलिए ये बहुत आसान होता है उनके लिये जिनके पास पैसों का अभाव होता है।

कच्चे घर के फायदे

अगर हम बात करें कच्चे घरों के फायदे की तो कच्चे घरों के भी अपने अनेक फायदे हैं। जैसे अगर आप कच्चे घरों के रख- रखाव की बात करें तो इनका रख- रखाव बहुत ही आसान होता है। क्योंकि इसकी मेंटिनेंस में लगने वाली सारी सामाग्री प्राकृतिक होती है इसलिए इसकी देखभाल में भी आसानी होती है। और साथ ही कच्चे घर हमें गर्मी में गर्मी से राहत प्रदान करते हैं साथ ही इन घरों ठण्ड में ज्यादा ठण्ड भी नहीं लगती है। तो इस हिसाब से भी इन घरों के अलग फायदे हैं। और अगर आप कहीं भी कुछ समय के लिये रहना चाह रहें हैं और अपना घर बना कर उसमें रहना चाह रहे हैं तो आप कम लागत में इस घर का निर्माण भी अस्थायी रूप से कर सकते हैं और आराम से रह सकते हैं। कच्चे घरों में रहने की अनुभूति भी अलग ही होती है।

 

कच्चे घर के नुकसान

साथ ही अगर हम कच्चे घरों के नुकसान की बात करें तो वो भी बहुत ज्यादा होते हैं। क्योंकि एक तो ये घर अस्थाई होते हैं। और इसमें तमाम तरह का नुकसान भी होता है। क्योंकि
भारी बारिश, तूफान, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से ये घर आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं या टूट भी सकते हैं। और साथ ही अगर इनके रख – रखाव की बात करें तो कच्चे घर खराब गुणवत्ता वाली सामग्री से बने होते हैं और पक्के घरों की तुलना में कई बार इन्हें मरम्मत की भी आवश्यकता होती है।

 

कच्चे घरों में सुविधाएं

कच्चे घरों में अक्सर सुविधाओं की कमी देखी जाती है। इन घरों में न तो लाइट होती है, न ही पानी होता है बहुत से लोग तो अपने घरों में नल लगवा लेते हैं लेकिन बहुत सी जगहों पर सभी को अभी दूर जाकर किसी बावड़ी या कुएं से पानी लाना पड़ता है। इसके साथ ही कच्चे घरों में न तो पंखे होते हैं और न ही कोई अन्य सुविधाएं। जैसे कच्चे घरों में न तो गैस होती है और न टॉयलेट होते हैं, कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाना पड़ता है और टॉयलेट के लिये बाहर खेतों में जाना पड़ता है।
कच्चे घर और पक्के घर में अंतर

कच्चे घर अस्थाई घर होते हैं।   पक्के घर स्थाई होते हैं।
कच्चा घर, बांस, पुआल, रस्सी, खपरैल, कास, मूज इन सभी चीजों से मिलकर बना होता है। पक्के घर पक्की ईंट, सीमेंट, सरिया, लोहे की छड़ें, मोरंग, बालू आदि सामाग्री  से मिलकर बने होते हैं।
कच्चे घरों में सुविधाओं की कमी होती है।
पक्के घरों में सारी तरीके की सुविधाएं होती हैं।

 

कच्चे घर मजबूत व टिकाउं नहीं होते हैं।   पक्के घर मजबूत व टिकाउं होते हैं।

 

 

कच्चे घरों के प्रकार

कच्चे घर लकड़ी, मिट्टी, पुआल और सूखे पत्तों से बने होते हैं। एक झोपड़ी एक कच्चा घर है।कुछ लोग एक स्थान पर बहुत कम समय के लिए रहते हैं। इसीलिए वह ऐसे घर बनाते हैं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। ऐसे घरों को अस्थायी घर कहा जाता है। अस्थाई घर के कुछ और भी तरीके होते हैं जिनका प्रयोग लोग ट्रैवल के टाइम पर करते हैं।
तंबू 

कपड़े से बना घर तंबू होता है। तंबू में  सैनिक भी रहते हैं और जो लोग ट्रैवल करते हैं वे लोग भी तंबू का इस्तेमाल करते हैं।
कारवां

जिप्सी पहियों से बने घरों में रहते हैं जिन्हें कारवां कहा जाता है।
हाउसबोट

हाउसबोट एक अस्थाई घर होता है जिसे तैरने वाला घर कहते हैं। कुछ शौकीन लोंगो को पानी में रहना पसंद होता है तो वे लोग इस घर का निर्माण करके उसमें कुछ समय तक रहकर सुकून भरे पल बिताते हैं।

बजट 2024 में पक्का घर

बजट 2024 में, यह घोषणा की गई थी कि सरकार PMAY के तहत 3 करोड़ किफायती आवास का निर्माण करेगी। इनमें से एक करोड़ परिवारों की आवास जरूरतों को पीएमएवाई शहरी 2.0 के तहत पूरा किया जाएगा, जिसके लिए 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें 5 वर्षों के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता भी शामिल होगी।विभिन्न राज्यों के हाउसिंग बोर्ड लॉटरी के तहत पीएमएवाय के अंतर्गत घर प्रदान करते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या PMAY ग्रामीण आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को कुछ लाभ मिलता है?

हाँ, PMAY के तहत सरकार द्वारा गाँव में बहुत से घरों का निर्माण कराया गया है। और इससे अभी तक 90% गांव के लोगों को इस सुविधा का फायदा मिला है और अब उनके पास भी पक्के घर हैं.

कच्चे घरों में आमतौर पर कौन से लोग रहते हैं?

कच्चे घरों में अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रहते हैं क्योंकि उनके पास पैसों का अभाव होता है। इसलिए वे लोग अस्थाई घर बनाकर अपना गुजारा करते हैं.

कच्चे घर लम्बे समय तक क्यों नहीं चलते हैं?

कच्चे घर अक्सर मिट्टी, बांस, पुआल, खपरैल आदि से बने होते हैं। इसलिए ये ज्यादा समय तक नहीं चलते हैं.

क्या कच्चे घर शहरों में भी पाये जाते हैं?

हाँ, शहरों में भी कच्चे घर पाये जाते हैं। जो शहर से थोड़े दूर होते हैं यानि जिनका घर ग्रामीण क्षेत्र में है उन सभी के पास भी कच्चे घर होते हैं.

Was this article useful?
  • ? (13)
  • ? (2)
  • ? (1)
Exit mobile version