इस अवधि के दौरान, माँ दुर्गा की उनके सभी दिव्य रूपों सहित पूजा की जाती है जैसे कि: देवी दुर्गा, देवी काली, देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी।
नवरात्रि, दक्षिणी भारत के लोगों के लिए अपने दोस्तों, परिवारों और पड़ोसियों के साथ कोलू देखने का समय है, जो विभिन्न प्रकार की गुड़िया और मूर्तियों की प्रदर्शनी होती है।
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नवरात्रि का त्योहार साल मे दो बार आता है। एक बार होली के महीने में जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है और दूसरी बार दशहरे के दौरन जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनो ही बार 9 दिन मां के नौ रुपों की पूजा की जाती है। आठवें दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन भी होता है।
विजय की देवी दुर्गा की नौ रूपों में पूजा की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन इनमें से किसी एक रूप की पूजा के लिए समर्पित है।
नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा के लिए दुर्गा मां के नौ रूप
दिन 1 शिलापुत्री
दिन 2 – ब्रह्मचारिणी
दिन 3 – चंद्रघंटा
दिन 4 – कूष्मांडा
दिन 5 – स्कंदमाता
दिन 6 – कात्यायनी
दिन 7 – कालरात्रि
दिन 8 – महागौरी
दिन 9 – सिद्धिदात्री
नवरात्रि पूजा की पूर्ण एवं सरल विधि
हम सभी जानते हैं कि हमारा विश्व ब्रह्मांड का निर्माण पंच तत्वों से हुआ है। जल , थल, वायु ,आकाश, और अग्नि। हमारा शरीर भी इन्हीं पंच तत्वों से निर्मित है। इन्हीं तत्वों को हम पूरे वर्ष हर शुभ कार्यों में, पूजन में, व्रत विधान में, संतुलन बनाए रखने का और शक्ति समागम का निरंतर प्रयास करते रहते हैं, वरना हमारा जीवन शक्तिहीन होकर बिखर जाएगा। कलश स्थापन संपूर्ण ब्रह्मांड का सूक्ष्म स्वरूप के रूप में स्थापित किया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों की साधना से 9 सूक्ष्म शक्तियों का आत्मिक और शारीरिक संपन्नता से हम भरपूर हो जाते हैं।
कलश स्थापना
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सबसे पहले थोड़ी सी रेत को एक जगह रख लें। उस पर कुछ जौं डाल दें। जौं पर शुद्ध जल का छिड़काव करें। इसके उपर कलश रख दें। कलश में आम के पत्ते रखें और फिर नारियल को मौली बांध कर कलश पर रख दें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और फिर उसमें गंगा जल डाल दें। कलश को शुद्ध जल से भर दें। कलश में सुपारी, सिक्का और फूल डालें। कलश के उपर आम के पत्ते रखे दें और फिर उसके उपर नारियल। उपर चावल से ढंक दें। ध्यान रहे जो कलश आप स्थापित कर रहे है वह मिट्टी, तांबा, पीतल , सोना या चांदी का होना चाहिए। भूल से भी लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग नहीं करे।
माता की चौकी की स्थापना एवं पूर्ण पूजा विधि
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सबसे पेहले लकड़ी की एक साफ सुधरी चौकी रखें और गंगाजल छिड़क कर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसे कलश के दाहिने तरफ रखें। और अब इसपर मां की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। माता की चौकी के सामने धूप और दीप जलाएं। एक ज्योत ऐसी भी रखें जो कि नौ दिन तक अखण्ड जलती रहे। फिर मां को फल, फूल अर्पित करें। चुनरी चढ़ाएं और सिन्दूर व चूडियों से श्रृंगार करें।
नौ दिन तक रोज सुबह शाम दिन मे दो बार धूप या दीत जलाकर दुर्गा मां की आरती गाकर पूजा और अराधना करें। अधिकतर लोग नौ दिन तक व्रत रखते हैं तो उन्हें नौ दिन ही पूजा पाठ करना जरूरी है। ध्यान रहे कि वो अन्न ना खाएं। सिर्फ फलाहार ही लें।
कोशिश करें की रोज मां के मंदिर जाएं। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा कवच का पाठ अवश्य करें। और दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन जरूर करें और उसके बाद खुद भी फलाहार ग्रहण करें।।
नवरात्र के नौ दिन माता रानी की आरती की आरती के साथ साथ देवी वन्दना का जाप भी जरूर करें
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता|
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:||