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समझौता विलेख को एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

30 अप्रैल, 2024: कर्नाटक उच्च न्यायालय (एचसी) ने फैसला सुनाया है कि किसी पंजीकृत निपटान विलेख को किसी पक्ष की इच्छा पर रद्द नहीं किया जा सकता है, साथ ही कहा कि इस तरह के विलेख को रद्द करने के लिए कोई भी नागरिक सिविल अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

न्यायमूर्ति एच.पी. संदेश ने 19 अप्रैल, 2024 के आदेश में कहा, "केवल न्यायालय ही धारा 31 और विशिष्ट राहत अधिनियम के अन्य प्रावधानों में उल्लिखित परिस्थितियों के तहत विधिवत निष्पादित विलेख को रद्द कर सकता है।"

जो लोग इस बारे में नहीं जानते, उनके लिए सेटलमेंट डीड एक कानूनी साधन है, जिसका उपयोग करके परिवार के सदस्य अक्सर संपत्ति के विवादों को सुलझाते हैं, चाहे वे मौजूदा हों या संभावित। सेटलमेंट डीड का उपयोग करके, परिवार के सदस्य आपस में किसी संपत्ति को स्पष्ट रूप से विभाजित कर सकते हैं, जिससे स्वामित्व को लेकर किसी तरह की उलझन की गुंजाइश नहीं रहती। सेटलमेंट डीड का उपयोग परिवार के किसी गैर-सदस्य को संपत्ति में अपना हिस्सा उपहार में देने के लिए भी किया जा सकता है।

"विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 31 में यह स्पष्ट है कि व्यक्ति को उक्त दस्तावेज को रद्द करने के लिए सक्षम सिविल न्यायालय में जाने का विवेकाधिकार है… कानून में ऐसे दस्तावेजों को रद्द करने का प्रावधान है और इसे एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता है तथा निपटान विलेख को रद्द करना बिना किसी अधिकार के है," उच्च न्यायालय ने दुग्गट्टी मटाडा नागराज बनाम दानप्पा एवं अन्य मामले में अपना आदेश सुनाते हुए कहा।

हमारे लेख पर कोई सवाल या राय है? हमें आपकी प्रतिक्रिया सुनना अच्छा लगेगा। हमारे प्रधान संपादक झुमुर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें।
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