शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे: नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे से जुड़ी हर जरूरी जानकारी

यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के 12 जिलों और गोवा के 1 जिले से होकर गुजरता है और इसे नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे के नाम से भी जाना जाता है।

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के तीसरे सबसे बड़े शहर नागपुर को गोवा से जोड़ने वाला 802 किलोमीटर लंबा स्वीकृत एक्सप्रेसवे है। इसे नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे के नाम से भी जाना जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण अनुमानित 86,300 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। इसके निर्मित हो जाने के बाद यह महाराष्ट्र का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा। इस एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण पर 20,787 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिसकी घोषणा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 24 जून 2025 को की। इस आर्टिकल में हम इस एक्सप्रेसवे के मार्ग, यात्रा समय और दूरी की विस्तृत जानकारी शेयर कर रहे हैं। 

नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे को शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे क्यों कहा जाता है?

इस एक्सप्रेसवे को ‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका मार्ग तीन प्रमुख शक्तिपीठों महालक्ष्मी, तुलजाभवानी और पात्रादेवी से होकर गुजरता है। साथ ही, यह एक्सप्रेसवे 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो औंध नागनाथ और परली वैजनाथ के पास से भी होकर निकलेगा।

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे: नागपुर गोवा एक्सप्रेसवे की प्रमुख जानकारी

काम करने वाली एजेंसी महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी)
अनुमानित लागत 83,600 करोड़ रुपए 
इन राज्यों से गुजरेगा  महाराष्ट्र, गोवा 
स्थिति निर्माणाधीन
लंबाई  802 किमी

 

अपेक्षित परिचालन 2028 या 2029
प्रस्थान बिंदु वर्धा, महाराष्ट्र
अंतिम बिंदु पात्रादेवी, उत्तरी गोवा
यात्रा का समय घटाकर 7 से 8 घंटे
स्पीड  120 किमी प्रति घंटा
लेन की संख्या 6 लेन 

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे रूट के बारे में विस्तृत जानकारी

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे एक 6 लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है, जिसे विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र से होकर गुजरने के लिए तैयार किया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे वर्धा जिले के पावनार से शुरू होकर उत्तर गोवा के पत्रादेवी शक्तिपीठ तक जाएगा। 

  • वर्धा
  • यवतमाल
  • हिंगोली
  • नांदेड़
  • परभणी
  • लातूर
  • बीड
  • उस्मानाबाद
  • सोलापुर
  • सांगली
  • कोल्हापुर
  • सिंधुदुर्ग
  • पत्रादेवी, उत्तर गोवा

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे की परियोजना लागत

सितंबर 2022 में घोषित इस प्रोजेक्ट को 75,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाने की योजना थी। मार्च 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने इसे मंजूरी दी गई और तब तक इसकी निर्माण लागत बढ़कर 83,600 करोड़ रुपए हो गई थी। इसे 2028 या 2029 तक यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। इस परियोजना को महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इसमें लगभग 7,500 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) से 12,000 करोड़ रुपए का ऋण शामिल है। 

दो स्थानों के बीच यात्रा समय

इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद दोनों शहरों के बीच की यात्रा का समय मौजूदा 18-19 घंटे से घटकर लगभग 7-8 घंटे रह जाएगा। 

शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे पर गति सीमा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे पर वाहन चलाने की अधिकतम गति सीमा लगभग 120 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है।

फिलहाल यात्री शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे की जगह कौन सा रास्ता अपनाते हैं?

चूंकि अभी शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) अभी तैयार की जा रही है, इसलिए लोग नागपुर से गोवा जाने के लिए पुराने रास्तों का ही सहारा ले रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और राष्ट्रीय राजमार्ग-52 शामिल हैं, जो बेलगाम होते हुए गोवा पहुंचाते हैं।

एक अन्य मार्ग नागपुर से गुलबर्ग, फिर विजयपुरा, बेलगाम और अंत में गोवा तक जाता है। यह मार्ग लगभग 1,136 किलोमीटर लंबा है और इसे तय करने में लगभग 23 घंटे का समय लगता है।

तीसरा ऑप्शन नागपुर से लातूर, फिर सोलापुर, विजयपुरा, बेलगाम होते हुए गोवा का है। यह रास्ता करीब 1,044 किलोमीटर लंबा है और इसकी यात्रा में भी लगभग 23 घंटे का समय लगता है।

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का रियल एस्टेट पर प्रभाव

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के पूरा होते ही इस क्षेत्र में जमीन और प्रॉपर्टी की कीमतों में जबरदस्त उछाल आने की उम्मीद है। यह एक्सप्रेसवे जिस रूट से गुजरेगा, वह एक औद्योगिक कॉरिडोर में तब्दील होगा, जो इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह एक ऐसा पहलू है, जिसकी इस बेल्ट को लंबे समय से जरूरत थी।

फिलहाल, लोग बेंगलुरू और विजयवाड़ा के बीच सफर करने के लिए NH44 और NH52 का उपयोग करते हैं। हालांकि ये हाईवे अच्छी कनेक्टिविटी देते हैं, लेकिन इन दो शहरों के बीच यात्रा का समय करीब 23 घंटे का है, जो काफी ज्यादा है। इन पुराने रास्तों पर कई शहरों और कस्बों से होकर जाना पड़ता है और कई जगहों पर ट्रैफिक जाम, क्रॉसिंग्स, बहुत अधिक सिग्नल्स और सड़क की चौड़ाई सीमित होने के कारण यात्रा में काफी ज्यादा समय लग जाता है।

इसके मुकाबले में शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे पर एंट्री और इंटरसेक्शन कम होंगे, जिससे सफर ज्यादा सुगम और तेज हो जाएगा। इस नए एक्सप्रेसवे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे, जो कि मौजूदा रूट्स पर औसतन तय गति से कहीं अधिक है। इसका नतीजा यह होगा कि वाहन नागपुर-गोवा एक्सप्रेसवे की तर्ज पर लगातार तेज रफ्तार से चल सकेंगे, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।

Housing.com का पक्ष

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे एक सुव्यवस्थित मार्ग होगा, जो दो राज्यों के बीच यात्रा के समय को 9 घंटे तक कम कर देगा। यह एक्सप्रेसवे न केवल दो बड़े शहरों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय लिंक है, बल्कि यह 12 जिलों और 1 उप-जिले से होकर गुजरते हुए कई शहरों को भी आपस में जोड़ेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, व्यापार को गति मिलेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क, किन-किन वाहनों को अनुमति मिलेगी आदि बातें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार और एमएसआरडीसी द्वारा निर्मित यह एक्सप्रेसवे पश्चिम भारत में इस क्षेत्र को कनेक्टिविटी के लिहाज से एक नया रूप देने वाला है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे में कुल कितनी लेन होंगी?

शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे 6 लेन वाला राजमार्ग होगा।

नागपुर छोर से शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे की शुरुआत कहां से होगी?

नागपुर की ओर से यह एक्सप्रेसवे वर्धा जिले से शुरू होगा।

शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे पर अधिकतम गति सीमा क्या होगी?

इस एक्सप्रेसवे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे।

शक्ति पीठ एक्सप्रेसवे परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी कौन है?

इस परियोजना को महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) द्वारा लागू किया जा रहा है।

(हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें।)

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