भगवान गणेश हिंदू धर्म के पूजनीय देवताओं में से एक हैं और उन्हें बाधाओं को दूर करने वाला और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। भगवान गणेश को घरों के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए बहुत से लोग बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए अपने घर के मेन गेट के पास गणेश जी की मूर्ति या फोटो लगाना पसंद करते हैं। वास्तु शास्त्र में गणेश जी की फोटो या मूर्ति रखने का सही तरीका बताया गया है। यदि आप भी अपने घर के मेन गेट पर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो लगाने पर विचार कर रहे हैं तो इन बारे में वास्तु दिशा-निर्देशों पर विचार जरूर करना चाहिए। इसके अलावा घर में गणेश जी की मूर्ति या फोटो रखते समय सही दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए।
घर के लिए उचित गणेश मूर्ति: जानें महत्वपूर्ण तथ्य
घर में गणेश जी की मूर्ति या फोटो को रखने की सर्वोत्तम दिशा | पश्चिम, उत्तर और पूर्वोत्तर |
इस दिशा में न रखें गणेश जी की प्रतिमा | दक्षिण दिशा |
गणेश प्रतिमा स्थापित करने के लिए सर्वोत्तम स्थान | घर का मुख्य प्रवेश द्वार, बैठक कक्ष या पूजा कक्ष |
घर में इन स्थानों पर गणेश जी प्रतिमा नहीं रखना चाहिए | शयन कक्ष, सीढ़ियों के नीचे, भंडार कक्ष या गेराज, घर के बाहर |
गणेश मूर्ति के लिए शुभ रंग | सफेद रंग, सिंदूरी रंग, सुनहरा रंग |
घर में गणेश प्रतिमा रखने के लाभ | समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति |
भगवान गणेश का सर्वोत्तम प्रसाद
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● मोदक
● चावल का छोटा कटोरा ● साटोरी, एक महाराष्ट्रीयन मीठी रोटी ● मोतीचूर लड्डू ● दुर्वा-दाल, एक प्रकार की घास |
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वास्तु के अनुसार, घर के लिए कौन सी गणेश मूर्ति सर्वोत्तम है?
घर के लिए गणेश मूर्ति की सामग्री | प्रभाव |
चांदी के गणेश | यश |
पीतल के गणेश | समृद्धि और खुशी |
लकड़ी के गणेश | अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु |
क्रिस्टल गणेश | घर का वास्तु दोष दूर होता है। |
हल्दी की मूर्ति | यह गणेश मूर्ति घर में सौभाग्य लाती है और शुभ फल देती है। |
तांबे के गणेश | परिवार शुरू करने की योजना बना रहे नवविवाहित जोड़ों के लिए तांबे के गणेश जी की प्रतिमा सौभाग्य लेकर आती है। |
आम, पीपल और नीम की गणेश प्रतिमा | ऊर्जा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। |
गाय के गोबर से बने गणेश | सौभाग्य और अच्छी ऊर्जा को आकर्षित करता है और जीवन से दुखों का नाश होता है। |
प्राकृतिक पत्थर से बनी गणेश प्रतिमा | जीवन में बार-बार आ रही बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है और धन प्राप्ति के साथ कार्य में सफलता मिलती है। |
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घर के मेन गेट पर कौन-सी गणेश प्रतिमा शुभ मानी जाती है?
घर के मेन गेट पर दृष्टि गणेश की प्रतिमा लगाना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य को दूर करने में सहायक होती है, जिससे घर में सकारात्मकता और समृद्धि का वास होता है। दृष्टि गणपति की मूर्ति या तस्वीर मेन गेट के ठीक सामने वाली दीवार पर लटकाना चाहिए। आप चाहें तो दो गणपति मूर्तियां भी स्थापित कर सकते हैं। इन्हें पीठ से पीठ सटाकर इस तरह रखें कि एक मूर्ति घर के अंदर की ओर और दूसरी बाहर की ओर देखती हो।
मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति लगाने से जुड़े वास्तु टिप्स
- जब आप घर के मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति रखें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनका मुख द्वार की ओर हो। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में शुभ ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
- घर के लिए पीतल की गणेश मूर्ति शुभ मानी जाती है। यह धातु ऊर्जा संचार के लिए उत्तम होती है और पॉजिटिव वाइब्रेशन फैलाती है।
- अगर आपके घर का मेन गेट दक्षिण दिशा में है तो वहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित न करें। यह दिशा आर्थिक बाधाएं पैदा कर सकती है।
- गणेश जी की मूर्ति कभी भी दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर न रखें। यह वास्तु दोष पैदा कर सकती है।
- घर के प्रवेश स्थान को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें। जूते-चप्पल की रैक जैसी चीजें इस जगह पर रखने से बचना चाहिए।
- सफेद रंग की गणेश मूर्ति शांति और शुद्धता की प्रतीक मानी जाती है। यह घर में मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखती है।
- गणेश जी की मूर्ति के पीछे कोई खाली रास्ता या गैलरी नहीं होना चाहिए। मान्यता है कि गणेश जी अपनी पीठ पर दरिद्रता का भार उठाते हैं, इसलिए अगर अकेली मूर्ति लगाई जा रही है तो ध्यान दें कि उनकी पीठ घर के अंदर की ओर न हो।
घर के लिए किस रंग की गणेश मूर्ति शुभ होती है ?
रंग | महत्व |
सफेद रंग | शांति और समृद्धि |
सिंदूरी रंग | आत्म-विकास और सफलता |
सुनहरा रंग | शुभता |
नारंगी रंग | संतुलन और सकारात्मकता |
पीला या नारंगी रंग | पवित्रता, ज्ञान |
हरा रंग | सुरक्षा |
नीला रंग | सद्भाव और शांति |
चांदी जैसा रंग | यश और ख्याति |
गणेश जी की मूर्तियां कई रंगों में उपलब्ध होती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर रंग की गणेश मूर्ति का अलग-अलग प्रतीकात्मक महत्व होता है। अक्सर भगवान गणेश को लाल, पीले या सुनहरे वस्त्रों में दर्शाया जाता है, क्योंकि ये रंग शुभ माने जाते हैं। सिंदूरी रंग की गणेश मूर्ति आत्म विकास और सफलता का प्रतीक होती है, जबकि चांदी की गणेश प्रतिमा यश और ख्याति दिलाती है। व्यक्ति अपनी इच्छा की सफलता और उद्देश्य के अनुसार विशेष रंग की गणेश मूर्ति का चयन कर सकता है।
ब्लू गणेश महत्व
ब्लू गोल्ड स्टोन से बनी गणेश प्रतिमा को चुना जा सकता है, जो एक लोकप्रिय पत्थर है और ऐसा माना जाता है कि यह सौभाग्य और भावनात्मक संतुलन को बढ़ाता है। नीला रंग खुद शांति और सौहार्द का प्रतीक होता है। जब यह रंग भगवान गणेश की मूर्ति से जुड़ता है तो यह सकारात्मक ऊर्जा और शुभ प्रभावों को कई गुना बढ़ा सकता है।
ऑरेंज गणेश का महत्व
वास्तु के अनुसार, नारंगी रंग को भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यह तेजस्विता, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। नारंगी रंग की गणेश प्रतिमा आपके पूजा घर या ड्राइंग रूम के लिए एक आदर्श ऑप्शन हो सकती है। यह आध्यात्मिक उन्नति, बुद्धि और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देती है, साथ ही अपने गर्म और संतुलित स्पंदनों से पूरे वातावरण को सकारात्मक बनाती है।
सिंदूरी गणेश
हिंदू परंपराओं में सिंदूरी रंग को शक्ति, ऊर्जा और पवित्रता से जोड़ा जाता है। सिंदूरी रंग की गणेश प्रतिमा बहुत दुर्लभ होती है, लेकिन यदि इसे घर में रखा जाए तो यह व्यक्ति में आत्मबल, साहस और मानसिक दृढ़ता को बढ़ावा दे सकती है।
घर के लिए गणेश मूर्ति चुनते समय ध्यान देने योग्य बातें
मूर्ति की मुद्रा
- जब आप घर के लिए गणेश जी की मूर्ति ला रहे हों तो उनकी मुद्रा पर विशेष ध्यान दें। ललितासन में गणेश जी की मूर्ति को सबसे शुभ माना जाता है। इसे ‘बैठे हुए गणेश’ भी कहा जाता है और यह मूर्ति शांति और स्थिरता का प्रतीक होती है।
- शय्या पर लेटे हुए गणपति की तस्वीरें या मूर्तियां भी अत्यंत शुभ मानी जाती हैं, क्योंकि ये ऐश्वर्य, सुख-सुविधा और समृद्धि का प्रतीक होती हैं।
- नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति आमतौर पर सौंदर्य और सजावट के लिए रखी जाती है।
- मोदक लिए हुए गणेश जी की छवि बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि यह आनंद और पूर्णता का प्रतीक मानी जाती है।
- खड़े हुए गणेश की मूर्ति सफलता और समृद्धि आकर्षित करती है। यह भक्ति, स्थिरता, सौभाग्य और विघ्नों को दूर करने का संकेत मानी जाती है।
सूंड की दिशा
- बाईं ओर सूंड वाले गणेश जी: वास्तु के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति की सूंड बाईं ओर झुकी होनी चाहिए। यह दिशा समृद्धि, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। बाईं सूंड चंद्र नाड़ी या इड़ा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है, जो शीतलता, शांति और सौम्यता की ऊर्जा लाती है। इस प्रकार की गणेश मूर्ति को ‘वाममुखी गणेश’ कहा जाता है। इसे घर या व्यापारिक स्थल पर स्थापित करने से व्यवसाय में उन्नति, धन-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी: ऐसी मान्यता है कि दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी अपेक्षाकृत कठोर और अनुशासनप्रिय ऊर्जा के प्रतीक होते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यह सूंड सूर्य की ऊर्जा से जुड़ी पिंगला नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है। दाहिनी ओर सूंड मोक्ष की राह का प्रतीक है। यह सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति और आत्मज्ञान की ओर संकेत करती है। इस प्रकार के गणेश जी की पूजा विशेष नियमों और विधियों से करनी चाहिए और पूजा के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि इनकी ऊर्जा तीव्र और शीघ्र प्रसन्न न होने वाली मानी जाती है।
- सीधी सूंड वाले गणेश जी: गणेश जी की ऐसी मूर्ति बहुत दुर्लभ होती है, जिसमें सूंड बिल्कुल सामने की ओर हो। यह मूर्ति एक दिव्य स्थिति की प्राप्ति को दर्शाती है, जहां व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से पूर्णतः संतुलित होता है और सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठ चुका होता है। सीधी सूंड का संबंध सुषुम्ना नाड़ी से माना जाता है, जो मेरुदंड के बीच से होकर गुजरती है। ऐसी मूर्ति को घर में स्थापित करने से पूरे परिवार का स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित होता है।
- गणेश जी की सूंड ऊपर की ओर: गणेश जी का एक दुर्लभ रूप वह है, जिसमें उनकी सूंड हवा में ऊपर की दिशा में उठी हुई होती है।
पूजा कक्ष में गणेश जी की सूंड की दिशा: जब पूजा घर के लिए गणेश प्रतिमा का सिलेक्शन करें तो ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हो। यह सुख-शांति, संतोष और सफलता का प्रतीक मानी जाती है। गणेश प्रतिमा स्थापित करते समय विधिपूर्वक पूजन करना आवश्यक है। प्रतिमा को हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में स्थापित करना चाहिए। ध्यान रखें कि गणेश जी का मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।
गणेश मूर्ति का रंग और सामग्री
गणेश जी की मूर्तियां अलग-अलग रंगों में मिलती हैं, लेकिन कुछ रंग विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। उनमें से एक है सिंदूरी रंग की गणेश मूर्ति, जो आत्म-विकास की चाह रखने वालों के लिए उत्तम मानी जाती है। इसके अलावा शांति और समृद्धि के लिए सफेद रंग की मूर्ति या सुरक्षा के लिए हरे रंग की मूर्ति का चयन किया जा सकता है। उसी तरह चांदी या पीतल जैसी धातुएं भी गणेश मूर्ति के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
मोदक/लड्डू और चूहा
गणेशजी की मूर्ति के साथ में मोदक और चूहे का होना बेहद जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि चूहा गणेशजी का वाहन माना जाता है और मोदक भगवान गणेश की प्रिय मिठाई है। ऐसी मूर्ति घर के प्रवेश द्वार के लिए आदर्श मानी जाती है।
इसके अलावा चूहा भौतिक इच्छाओं और हमारे मन का प्रतीक होता है, जो हमेशा इच्छाओं से भरा रहता है। चूहा भले ही छोटा हो और उसके दांत नन्हे हों, लेकिन वह लगातार कुतर-कुतर कर अनाज से भरे गोदाम को खाली कर सकता है। इसी तरह हर इंसान के भीतर भी एक ‘चूहा’ है – हमारी इच्छाएं। ये इच्छाएं हमारे भीतर की अच्छाई का बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे खत्म कर सकती हैं।
चूहे के छोटे-छोटे तेज दांत जैसी उन रस्सियों को काट सकते हैं, जो हमें बांधकर रखती हैं। इसी प्रकार चूहा मंत्र का प्रतीक भी है, जो अज्ञानता की परतों को काटकर हमें ज्ञान और सत्य तक पहुंचाता है, जिसे भगवान गणेश के साथ दर्शाया गया है।
भगवान गणेश के हाथ में जो मोदक है, वह भौतिक समृद्धि, बल और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए जब भी घर के लिए गणेशजी की मूर्ति का चयन करें तो इस बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
उद्देश्य
आप जिस गणेश मूर्ति को घर ला रहे हैं तो उसके बारे में यह विचार जरूर कर लें कि वह पूजा के लिए है या केवल घर में रक्षा के उद्देश्य से । वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति तभी खरीदनी चाहिए, जब आप नियमित रूप से बिना किसी विघ्न के उनकी पूजा कर सकें।
गणेश प्रतिमा खरीदने के अन्य वास्तु नियम
- गणपति की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उसकी ऊंचाई 18 सेंटीमीटर से ज्यादा न हो।
- गणेश प्रतिमा को स्थापित करने का सबसे शुभ दिन रविवार माना गया है, विशेष रूप से तब जब सूर्य की नवमांश स्थिति में चित्रा या ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव हो।
क्या पंचमुखी गणेश की मूर्ति घर में रख सकते हैं?
पंचमुखी गणेश (जहां ‘पंच’ का अर्थ है पांच और ‘मुख’ का अर्थ है चेहरा) भगवान गणेश का एक ऐसा स्वरूप है, जिसमें उनके पांच मुख होते हैं और ये पांचों दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। ये पांच चेहरे प्रकृति के पांच तत्वों का प्रतीक माने जाते हैं। हिंदू धर्म और वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में पंचमुखी गणेश की प्रतिमा रखने से सौभाग्य, सफलता और पारिवारिक सामंजस्य की प्राप्ति होती है।
क्या बिना मुकुट वाली गणपति मूर्ति रख सकते हैं?
कुछ गणेश प्रतिमाएं ऐसी होती हैं, जिनमें भगवान के पारंपरिक मुकुट यानी शिरोभूषण का अभाव होता है। यह केवल एक कलात्मक शैली है और इसका कोई विशेष धार्मिक या वास्तु महत्व नहीं माना गया है। गणेश प्रतिमा चुनते समय व्यक्ति को मूर्ति की सूंड की दिशा, भगवान गणेश की मुद्रा, उनके हाथों में मोदक और वाहन के रूप में चूहे जैसे महत्वपूर्ण प्रतीकों पर ध्यान जरूर देना चाहिए।
गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में होनी चाहिए?
गणपति की मूर्तियां या तस्वीरों को उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इनमें भी उत्तर दिशा को सर्वोत्तम माना गया है।
उत्तर दिशा
गणेश जी की मूर्ति उत्तर दिशा की ओर मुख करके रखनी चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि उनके पिता भगवान शिव इसी दिशा में निवास करते हैं। जब आप घर के मंदिर या किसी अन्य पवित्र स्थान पर गणपति की स्थापना करें तो ध्यान रखें कि मूर्ति स्पष्ट रूप से दिखाई दें। पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर मुख न करें, क्योंकि वास्तु के अनुसार यह शुभ नहीं माना गया है।
गणेश जी की मूर्ति मेन गेट पर भी लगाई जा सकती है, लेकिन इसका मुख घर के अंदर की ओर होना चाहिए। यदि आप गणपति जी की तस्वीर लगाना चाहते हैं तो उसका मुख भी घर के मेन गेट की ओर होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान गणेश की मूर्ति की पीठ घर के बाहर की ओर होनी चाहिए।
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा को सूर्योदय और शुभारंग की दिशा मानी जाती है। यह दिशा भगवान गणेश जैसे देवताओं की मूर्तियों की स्थापना के लिए आदर्श मानी जाती है।
उत्तर-पूर्व दिशा
उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है। वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा को पवित्रतम स्थान माना गया है। यही कारण है कि पूजा कक्ष के लिए यह दिशा सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिशा में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।
पश्चिम दिशा
यदि घर में पूजा कक्ष के लिए अन्य दिशाएं उपलब्ध न हों, तो पश्चिम दिशा में भी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जा सकती है। यह दिशा भगवान विष्णु से संबंधित मानी जाती है और इसे भौतिक सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
घर में गणेश मूर्ति का वास्तु महत्व
बड़ा सिर | बड़ा सोचना |
बड़े कान | ध्यानपूर्वक सुनना |
छोटी आंखें | ध्यान केंद्रित करने के लिए |
छोटा मुंह | कम बोलना |
एक दांत | अच्छाई बनाए रखने के लिए (टूटा हुआ दांत इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति द्वैत से परे है) |
बड़ा पेट | अच्छे और बुरे को पचाने के लिए |
लंबी सूंड | अनुकूलनीय बने रहने के लिए, शक्ति का प्रतीक बनें |
आशीर्वाद मुद्रा | आशीर्वाद देना और जीवन में सुरक्षा देना |
चार बाहें | चार गुण – मन, बुद्धि, अहंकार और विवेक |
एक पैर ऊपर उठा हुआ तथा दूसरा धरातल पर | यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों दुनियाओं में शामिल होना चाहिए। |
वास्तु दोष दूर करने के लिए गणेश जी की फोटो और मूर्ति
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणेश जी की तस्वीरें या मूर्तियां रखने से वास्तु दोषों के कारण पैदा नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब वास्तु पुरुष ने प्रार्थना की, तब ब्रह्मा जी ने वास्तु शास्त्र के नियम बनाए। भगवान गणेश की पूजा करने से वास्तु देवता प्रसन्न होते हैं। वास्तु के अनुसार बना हुआ घर सुख, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक बनता है।
यदि घर के मेन गेट पर एकदंत गणेश की मूर्ति या चित्र लगाया जाए तो उसी स्थान के दूसरी ओर, ठीक पीछे भी ऐसी ही गणेश प्रतिमा इस तरह लगानी चाहिए कि दोनों गणेश जी की पीठ आपस में मिलती रहे। ऐसा करने से घर में मौजूद वास्तु दोषों का असर कम होता है।
इसके अलावा, वास्तु शास्त्र के अनुसार, सफेद रंग के गणेश जी को घर में रखना और सिंदूरी रंग के गणेश जी की नियमित पूजा करना भी वास्तु दोषों को दूर करने में सहायक माना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि गणेश प्रतिमा में उनके प्रिय मोदक या लड्डू और उनका वाहन मूषक जरूर होना चाहिए, तभी वह वास्तु दोषों को शुद्ध करने के लिए संपूर्ण मानी जाती है।
घर में क्रिस्टल (स्फटिक) के गणेश जी रखना भी वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। इससे घर का वातावरण शांत और सकारात्मक बना रहता है।
वहीं ऑफिस या कार्यस्थल पर खड़े हुए गणेश जी की तस्वीर, चित्र या मूर्ति लगाने से वहां के वास्तु दोष दूर होते हैं और कार्य में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
गणेश स्थापना के लिए वास्तु टिप्स
- वेदी या चौकी चुनें: भगवान गणेश की मूर्ति को एक ऊंचे स्थान पर रखें, जैसे लकड़ी की वेदी या चौकी, जो आंखों के स्तर पर हो।
- गणेश जी को सबसे आगे रखें: गणपति को शुभारंभ का प्रतीक माना जाता है, इसलिए मंदिर में उन्हें अन्य देवताओं से पहले स्थान देना चाहिए।
- विधिपूर्वक पूजा करें: गणेश मूर्ति की स्थापना करते समय शुद्ध भावना और उचित पूजा विधियों का पालन अवश्य जरूर करना चाहिए।
- स्वच्छता बनाए रखें: मूर्ति के चारों ओर का स्थान साफ और व्यवस्थित रखें, वहां किसी भी प्रकार की गंदगी या अव्यवस्था न हो।
- श्रद्धा और सकारात्मकता रखें: मूर्ति को स्थापित करते समय मन में श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा होनी चाहिए।
- पूजा सामग्री पास रखें: गणेश जी के पास फूल, धूपबत्ती, दीपक, कपूर जैसी आवश्यक पूजा वस्तुएं रखें।
घर में गणेश जी की मूर्ति कहां रखें?
- मेन गेट : घर के मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति रखना सबसे शुभ माना जाता है। यह घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है और सुख-शांति का प्रवेश कराती है।
- ड्रॉइंग रूम (बैठक): ड्रॉइंग रूम वह जगह होती है, जहां पूरा परिवार समय बिताता है और मेलजोल करता है। यहां गणपति जी की मूर्ति या फोटो लगाने से घर में सकारात्मक विचारों और आपसी सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
- पूजा घर: गणेश जी की मूर्ति पूजा घर में रखना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह स्थान आध्यात्मिक और पवित्रता से जुड़ा होता है। यहां नियमित पूजा करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।
- वर्क डेस्क या स्टडी टेबल: आप अपनी कार्यस्थली या स्टडी टेबल पर एक छोटी गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं। यह करियर में नए अवसर लाने में सहायक होती है और छात्रों की एकाग्रता शक्ति को बढ़ाती है।
गणेश जी की मूर्ति कहां नहीं रखनी चाहिए
- सीढ़ियों के नीचे गणेश जी की मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है, इसलिए इससे बचना चाहिए।
- बेडरूम में भी गणेश प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए।
- स्टोररूम या गैरेज जैसे खाली पड़े स्थानों में गणेश जी की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
- लॉन्ड्री रूम या यूटिलिटी एरिया में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से बचना चाहिए।
- बाथरूम में या बाथरूम की ओर मुख करके गणेश प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए।
इन सभी स्थानों को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, इसलिए इन जगहों पर किसी भी देवी-देवता की मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है।
गणेश प्रतिमा स्थापना के दौरान इन दिशाओं से बचें
- दक्षिण दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है और यह देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना के लिए शुभ नहीं मानी जाती, इसलिए गणपति बप्पा की प्रतिमा को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए।
- आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व): यह दिशा भी अग्नि तत्व से संबंधित मानी जाती है। यदि गणेश प्रतिमा को यहां रखा जाए तो अग्नि की ऊर्जा उस शांति और सकारात्मकता को बाधित कर सकती है, जो भगवान की उपस्थिति से उत्पन्न होती है। अतः इस दिशा से भी बचना चाहिए।
- नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम): नैऋत्य दिशा स्थायित्व से जुड़ी मानी जाती है और अन्य दिशाओं की तुलना में यहां मूर्ति रखने का कोई विशेष दोष नहीं होता। फिर भी गणेश प्रतिमा को इस दिशा में रखने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि यह दिशा आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रसार में बाधा बन सकती है।
वास्तु के अनुसार, गणेश जी की तस्वीर कहां लगानी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश की फोटो या पेंटिंग को पूर्वोत्तर (ईशान कोण), उत्तर या पश्चिम दिशा की दीवार पर लगाना शुभ माना जाता है। यह स्थान लिविंग रूम या मुख्य प्रवेश द्वार के पास हो सकता है। ध्यान रखें कि यह दीवार बाथरूम, रसोई, सीढ़ियों या स्टोर रूम की साझा दीवार नहीं होनी चाहिए।
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कौन सी गणेश मूर्ति व्यापार के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है?
भगवान गणेश समृद्धि के प्रतीक हैं, यही कारण है कि कई लोग अपने कार्यालयों और व्यावसायिक संस्थानों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। गणेश जी विघ्नहर्ता और शुभ आरंभ के देवता माने जाते हैं, इसलिए किसी भी नए कार्य या व्यापार की शुरुआत से पहले उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जब व्यापार के लिए गणेश मूर्ति का चयन करें, तो मूर्ति की बनावट, मुद्रा और सामग्री पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सामग्री का चयन
- पीतल की गणेश मूर्ति: पीतल एक मजबूत और आकर्षक धातु मानी जाती है। ऑफिस के वेलकम रूम में पीतल की गणेश मूर्ति स्थापित करने से धन, समृद्धि और शुभ ऊर्जा का आगमन होता है।
- संगमरमर की गणेश मूर्ति: संगमरमर को शुद्धता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसी कारण मंदिरों में इसका उपयोग अधिक होता है। ऑफिस या दुकान पर संगमरमर की गणेश मूर्ति लगाने से शांति और आकर्षण का वातावरण बनता है।
- मिट्टी की गणेश मूर्ति: मिट्टी एक प्राकृतिक और पारंपरिक सामग्री है, जिससे सुंदर और पर्यावरण के अनुकूल गणेश मूर्तियां बनती हैं। व्यापारिक स्थानों के लिए यह एक इको-फ्रेंडली ऑप्शन है, जो प्रकृति और आध्यात्म का संतुलन बनाकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
आकृति और आसन
- बैठी हुई मुद्रा (सुखासन): भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति जिसमें वे सुखासन में बैठे हों, स्थिरता, ज्ञान और सफलता का प्रतीक मानी जाती है। ऐसी मूर्ति को घर या कार्यस्थल में रखने से समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।
- खड़ी हुई मुद्रा (अभंग): यदि गणपति की मूर्ति खड़े हुए स्वरूप में हो, तो वह सक्रियता, आत्मविश्वास और नेतृत्व की भावना को दर्शाती है, इसलिए जो व्यवसाय नवाचार और विस्तार की दिशा में बढ़ रहे हों, उनके लिए यह स्वरूप शुभ माना जाता है।
- नृत्य करती हुई मुद्रा (नृत्य गणपति): भगवान गणेश की नृत्यमुद्रा वाली मूर्ति रचनात्मकता और उल्लास का प्रतीक होती है। जिन ऑफिस में ऊर्जा से भरपूर और पॉजिटिव वर्क कल्चर अपनाया जाता है, वहां इस प्रकार के गणेशजी को सजावट के लिए रखा जा सकता है।
तत्व
परंपरागत तत्वों जैसे मोदक और मूषक के अलावा ऑफिस और व्यापारिक स्थानों में स्थापित गणेश मूर्तियों में निम्नलिखित तत्व भी शामिल किए जा सकते हैं, ताकि पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे और मूर्ति विशेष व्यवसायिक लक्ष्यों के अनुरूप हो –
- व्यवसायिक प्रतीक: गणेश मूर्ति को उस विशेष उद्योग से जुड़े व्यवसायिक प्रतीकों या लोगो से सजाया जा सकता है, ताकि वह आपके प्रोफेशन की पहचान से मेल खाए।
- मंत्र या सकारात्मक कथन: मूर्ति के आधार या पीछे गणेश मंत्र या प्रेरणादायक वाक्य अंकित किए जा सकते हैं, जो माहौल में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देंगे।
- विशेष सजावट: मूर्ति को आकर्षक गहनों या अनुकूल रंगों से सजाया जा सकता है, जिससे वह और भी सुंदर और प्रभावशाली लगे।
घर में कितनी गणेश मूर्तियां रखनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक कमरे में केवल एक ही गणेश मूर्ति रखना शुभ माना जाता है। यदि एक से अधिक गणेश प्रतिमाएं एक साथ रखी जाती हैं, तो वह सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकती हैं। इससे भगवान गणेश की पत्नियां रिद्धि और सिद्धि के संतुलन में बाधा पैदा हो सकती है और घर के वातावरण में अशांति आने की आशंका बढ़ जाती है।
धन के लिए कौन-सी गणेश मूर्ति शुभ मानी जाती है?
भगवान गणेश को धन और समृद्धि के लिए पूजनीय माना जाता है। धन प्राप्ति के लिए कुछ विशेष प्रकार की गणेश मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं, जैसे –
- बैठे हुए गणेश
- नृत्य करते गणेश
- पंचमुखी गणेश (पांच मुख वाले गणेश)
- लक्ष्मी-गणेश की युगल मूर्ति
- रिद्धि-सिद्धि सहित गणेशजी की प्रतिमा
क्या वास्तु के अनुसार घर में नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति रखी जा सकती है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, आप घर में नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति भी रख सकते हैं, जिसे ‘नृत्य गणपति’ भी कहा जाता है। इसे विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने की सलाह दी जाती है। यह स्वरूप आनंद और उत्सव का प्रतीक माना जाता है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली लाता है। नृत्य गणपति का पूजन आर्थिक समृद्धि बढ़ाने, कर्ज की परेशानियों को दूर करने और रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए भी शुभ माना गया है। हालांकि, पूजा स्थान में नृत्य या खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति रखना उचित नहीं माना जाता, क्योंकि मान्यता है कि पूजन के लिए बैठे हुए गणेश जी अधिक शुभ होते हैं। कुछ परंपराएं खड़े या नृत्यरत गणपति को पूजा कक्ष में रखना वर्जित मानती हैं।
गणेश चतुर्थी के लिए कौन-सी गणेश प्रतिमा शुभ मानी जाती है?
गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्वेत रंग की गणेश प्रतिमा को शुभ माना जाता है, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक होती है। मूर्ति बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए, जिसे ‘ललितासन’ कहा जाता है। इसके साथ ही सूंड़ बाईं ओर मुड़ी हुई होनी चाहिए, जो घर में सुख-शांति और धन की वृद्धि के लिए उत्तम मानी जाती है। त्योहार के अनुसार यह मूर्ति डेढ़ दिन, 3 दिन या 10 दिन तक घर में रखी जाती है और फिर विसर्जन किया जाता है। आजकल प्राकृतिक मिट्टी, जैविक रंग, बीज और इको-फ्रेंडली सामग्री से बनी गणेश प्रतिमाएं भी पर्यावरण के लिहाज से बेहतरीन ऑप्शन हैं।
छात्रों के लिए कौन-सी गणेश प्रतिमा उचित होती है?
भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए छात्रों के लिए ऐसी गणेश प्रतिमा शुभ मानी जाती है, जिसमें भगवान गणेश पुस्तकों और लेखन सामग्री के साथ दिखाए गए हों। इस प्रकार की मूर्ति को स्टडी टेबल या किताबों की अलमारी पर, वास्तु के अनुसार उचित दिशा में, रखा जा सकता है। छात्र अपनी पढ़ाई और करियर में सफलता पाने के लिए खड़े हुए गणपति की मूर्ति भी टेबल पर रख सकते हैं।
कार में कौन से रंग की गणेश प्रतिमा शुभ मानी जाती है?
कई लोग अपने वाहन में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सुरक्षा के लिए भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं। आप भी अपने कार के डैशबोर्ड पर एक छोटी गणेश प्रतिमा रख सकते हैं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। मूर्ति चुनते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना जरूरी है। हाथ में मोदक लिए हुए गणेशजी, नृत्य करते हुए गणपति या दृष्टि गणेश जैसी प्रतिमाएं लोकप्रिय और शुभ मानी जाती हैं।
क्या घर के बाहर गणेश जी की मूर्ति रखी जा सकती है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर शुभ चिह्न या देवी-देवताओं की तस्वीर लगाना सकारात्मकता को आमंत्रित करता है। अक्सर लोग दरवाजे के ऊपर भगवान की तस्वीर लगाते हैं, जिससे सौभाग्य बना रहता है। लेकिन ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर या दरवाजे के ऊपर गणेश जी की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश जी की पीठ घर की ओर हो जाती है, जो कि अपशकुन माना जाता है। अगर विशेष कारणवश बाहर मूर्ति रखनी ही पड़े तो दरवाजे के अंदर की ओर भी एक और गणेश प्रतिमा जरूर रखें, ताकि ऊर्जा का संतुलन बना रहे।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने गणेश जी को पहरेदारी के लिए कहा था, जब वह स्नान कर रही थीं। गणेश जी ने अपने पिता भगवान शिव को अंदर नहीं जाने दिया। इससे क्रोधित होकर शिव ने उनका सिर काट दिया। इसी कथा के कारण कुछ मान्यताओं में यह विश्वास है कि द्वार पर गणेश की मूर्ति रखने से टकराव या बाधाएं पैदा होती है, इसलिए गणेश जी की प्रतिमा को घर के अंदर ही रखें और वह भी वास्तु के अनुसार सही दिशा में।
गणपति मूर्ति के प्रकार
बाल गणेश (बालक रूप) | विघ्न गणपति (बाधाओं के स्वामी) | एकाक्षर गणपति (एकल अक्षर रूप) | ऋणमोचन गणपति (ऋण से मुक्ति दिलाने वाले) |
तरुण गणपति (युवा रूप) | क्षिप्र गणपति (गणेशजी, जिन्हें प्रसन्न करना आसान है) | वर/वरदा गणपति (वरदान दाता) | धुंढि गणपति (मांगे हुए) |
भक्ति गणेश (भक्त रूप) | हेरम्ब गणपति (मां का प्रिय पुत्र) | त्र्यक्षरा गणपति (तीन अक्षरों का रूप) | द्विमुख गणपति (दो सिर वाला एक रूप) |
वीरा गणपति (बहादुर गणपति) | लक्ष्मी गणपति (भाग्यशाली, देवी लक्ष्मी के समान) | क्षिप्र प्रसाद गणपति (शीघ्र फल देने वाले) | त्रिमुख गणपति (गणपति का तीन मुख वाला रूप) |
शक्ति गणपति (शक्तिशाली रूप) | महा गणपति (महान गणपति) | हरिद्रा गणपति (कुमकुमा रंग के गणपति) | सिंह गणपति (निडर सिंह रूप) |
द्विज गणपति (दो बार जन्म लेने वाले गणपति) | विजय गणपति (विजयी) | एकदंत गणपति (गणपति का एकल दांत वाला रूप) | योग गणपति (तपस्वी रूप/योग मुद्रा में) |
सिद्धि गणपति (गणेश का सिद्ध रूप) | नृत्य गणपति (नर्तक रूप) | सृष्टि गणपति (सृष्टिकर्ता रूप) | दुर्गा गणपति (अजेय, देवी दुर्गा के समान) |
उच्छिष्ट गणपति (आशीर्वादित प्रसाद के स्वामी) | उर्ध्व गणपति (गणपति का उन्नत रूप) | उद्दंड गणपति (धर्म और न्याय के प्रवर्तक) | संकट हर गणपति (संकट दूर करने वाले) |
हिन्दू देवता गणेश जी को शुभारंभ का देवता माना जाता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उन्हें 32 विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। भारत में आपको गणपति की कई मूर्तियां इन रूपों में देखने को मिल जाएंगी। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश ने ये रूप अपने भक्तों को जीवन की विभिन्न समस्याओं से बचाने के लिए धारण किए थे।
घर के लिए आप गणेश जी के निम्नलिखित प्रसिद्ध रूपों को चुन सकते हैं –
- बाल गणेश: इस रूप में गणेश जी एक बच्चे के रूप में होते हैं और उनके हाथ में मोदक होता है। यह रूप शुभता का प्रतीक माना जाता है और घर में समृद्धि व धन को आकर्षित करता है।
- शक्ति गणपति: इस रूप में गणेश जी अभय मुद्रा में विराजमान होते हैं और उनकी गोद में उनकी शक्ति यानी पत्नी विराजती हैं। यह रूप इंद्रियों पर नियंत्रण देता करता है और नकारात्मक ऊर्जा और काले जादू के प्रभाव को खत्म करता है।
- नृत्य गणेश: इसे ‘डांसिंग गणेश’ भी कहा जाता है। इस रूप में गणेश जी आनंदमय मुद्रा में नृत्य करते हैं। यह रूप नौकरी और सफलता पाने की दिशा में प्रेरणा देता है।
- द्विमुख गणेश: इस रूप में गणेश जी के दो मुख (चेहरे) और चार भुजाएं होती हैं। वे ललितासन में बैठे होते हैं और अपने भक्तों को बुद्धि व सुरक्षा देते हैं।
- सिद्धि गणेश: इस रूप में गणेश जी विश्राम की मुद्रा में बैठे होते हैं और उनके हाथ में गन्ना होता है। वे अपने भक्तों को सिद्धि और सफलता का आशीर्वाद देते हैं। इस रूप की पूजा अष्ट सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए की जाती है।
- लक्ष्मी गणेश: यह रूप अत्यंत लोकप्रिय है, जिसमें भगवान गणेश माता लक्ष्मी के साथ पूजित होते हैं। यह जोड़ी भक्तों को धन, वैभव और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
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Housing.com का पक्ष
घर में गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करने से कई लाभ मिलते हैं। भगवान गणेश अपने भक्तों को सौभाग्य, शुभता और बाधाओं से सुरक्षा देते हैं। अगर आप घर में भगवान गणेश की मूर्ति लाने की योजना बना रहे हैं तो वास्तु नियमों का पालन जरूर करना चाहिए ताकि इसका अधिकतम लाभ मिल सके। गणेश प्रतिमा चुनते समय सामग्री, स्वरूप, भगवान गणेश की स्थिति, सूंड की दिशा और मूर्ति के रंग जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। मूर्ति को वास्तु के अनुसार सही दिशा में रखें और पूजा की प्रक्रिया का पालन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
मैं मुख्य द्वार पर गणपति कैसे रख सकता हूं?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मुख्य द्वार पर किस प्रकार की गणेश मूर्ति/तस्वीर लगा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।
गणेश जी का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
गणपति की मूर्तियों या तस्वीरों को आदर्श रूप से उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, मुख्यत: उत्तर की ओर।
कौन सी गणेश मूर्ति वर्क डेस्क के लिए सबसे अच्छी है?
वर्क डेस्क पर गणेश जी की खड़ी मूर्ति काम करने में उत्साह लाती है और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।
दूर्वा क्या है और इसे गणेश जी को क्यों चढ़ाया जाता है?
दूर्वा घास, जिसमें विषम संख्या में ब्लेड होते हैं, शरीर पर शीतल करने वाली प्रभाव डालती है और कहा जाता है कि इसमें उपचार वाले गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा में भगवान गणेश की ऊर्जा को आकर्षित करने की शक्ति है और इस प्रकार, भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।
गणेश जी का पसंदीदा फूल कौन सा है?
लाल हिबिस्कस गणेश जी का पसंदीदा फूल है और उन्हें प्रसन्न करने और समृद्धि एवं सफलता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है।
क्या कोई ऐसा कमरा है जिसमें हमें गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर नहीं लगानी चाहिए?
यह सलाह दी जाती है कि गणेश जी की मूर्ति को कभी भी बेडरूम, बाथरूम या यहां तक कि बाथरूम से जुड़ी दीवार पर न लगाएं। गणेश जी की मूर्तियों के लिए सबसे अच्छी जगह आपके घर का प्रवेश द्वार है।
क्या हम घर में गणेश जी की दो मूर्तियां रख सकते हैं?
आप घर में दो अलग-अलग जगहों पर गणेश जी की दो तस्वीरें या मूर्तियां रख सकते हैं। एक से अधिक मूर्ति रखने से बचना चाहिए।
क्या काले गणपति रखना ठीक है?
सफलता, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए आप अपने घर में काले गणपति की मूर्ति रख सकते हैं। काले रंग की गणेश जी की मूर्ति उनकी दिव्यता, शक्ति और श्रेष्ठता का प्रतीक है।
मैं अपने घर से मूर्तियां कैसे हटाऊं?
वास्तु के अनुसार, घर में टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। लोग आमतौर पर मूर्तियों को पीपल के पेड़ के नीचे रखते हैं। टूटी हुई मूर्तियों को नदी या समुद्र जैसे बहते पानी में विसर्जित कर देना चाहिए। हालांकि, जल प्रदूषण से बचने के लिए, मूर्तियों को पानी की बाल्टी में विसर्जित किया जा सकता है।
घर में नाचते हुए गणेश जी रखना अच्छा होता या बुरा?
वास्तु के अनुसार, आप दक्षिण-पूर्व दिशा में नाचते हुए गणेश की मूर्ति रख सकते हैं, जिससे घर में सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती है। माना जाता है कि घर में नाचते हुए गणेश की मूर्ति रखना रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी होता है। हालांकि, पूजा कक्ष में नाचते हुए गणेश जी की कोई पेंटिंग या मूर्ति रखने से बचना चाहिए।
क्या हम भगवान गणेश की मूर्ति उपहार में दे सकते हैं?
आप गृह प्रवेश और अन्य शुभ अवसरों पर भगवान गणेश की मूर्तियां उपहार में दे सकते हैं।
क्या हम कार में दो गणेश मूर्तियां रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कार में गणेश जी की एक ही मूर्ति रखनी चाहिए।
क्या हम घर में दाहिनी सूंड वाले गणपति रख सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में दाहिनी सूंड वाली गणेश प्रतिमा रखने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दाहिनी सूंड वाले गणेश को प्रसन्न करना बेहद कठिन होता है और उन्हें सामान्य पूजा से प्रसन्न नहीं किया जा सकता है। दाहिनी सूंड वाली गणेश प्रतिमा आमतौर पर मंदिरों में देखने को मिलती है। दाहिनी सूंड वाले गणेश जी की पूजा अवश्य करना चाहिए। उन्हें सिद्धि विनायक या वरदान देने वाला कहा जाता है।
कौन सी गणेश मूर्ति धन पाने के लिए अच्छी है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सफेद गणपति की तस्वीर या मूर्ति रखने से परिवार में धन और समृद्धि आती है। हालांकि, गणेश देवता को स्थापित करते समय सभी वास्तु दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, गणेश जी की पीठ घर के बाहर की ओर होनी चाहिए।
क्या देवी लक्ष्मी को गणेश के बायीं ओर या दायीं ओर रखा जाता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, देवी लक्ष्मी की मूर्ति को भगवान गणेश के दाहिनी ओर बैठनी चाहिए।
क्या हम घर के प्रवेश द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं?
आप घर के मेन गेट पर गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं। हालांकि, इस बात की सावधानी रखना चाहिए कि भगवान गणेश की पीठ घर के अंदर की ओर न हो। यदि यह संभव न हो तो दूसरी तरफ गणेश जी की एक और मूर्ति रखें, जिसमें मूर्ति की पीठ मूर्ति की ओर हो। गणेश जी की दो मूर्तियां रखने से घर में धन और समृद्धि आती है।
भगवान गणेश का पसंदीदा रंग कौन सा है?
भगवान गणेश को शुभ रंग लाल से जोड़ा जाता है, जो शक्ति और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए भगवान को लाल फूलों और कपड़ों से सजाया जाना चाहिए।
घर के प्रवेश द्वार के लिए किस रंग की गणेश प्रतिमा शुभ रहती है?
घर के प्रवेश द्वार के लिए सफेद रंग की गणेश प्रतिमा चुनना चाहिए, जो शुभ मानी जाती है।
पीले रंग के गणेश जी क्या दर्शाते हैं?
पीले रंग की भगवान गणेश की मूर्ति शुभ मानी जाती है क्योंकि यह पवित्रता, शांति और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करती है।
क्या गणेश मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में रखा जा सकता है?
घर में गणेश जी की मूर्ति रखते समय ध्यान रखें कि उसका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
घर में गणेश जी की मूर्ति कब लाना चाहिए?
गणेश चतुर्थी त्यौहार पर पूजा से एक दिन पहले या गणेश चतुर्थी के शुभ दिन पर गणेश की मूर्ति घर लानी चाहिए। हालांकि, लोग त्यौहार से एक, तीन, सात या 10 दिन पहले भी गणेश की मूर्ति घर लाते हैं।
(सुरभि गुप्ता, पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा और अरुणा राठौड़ के इनपुट्स के साथ)
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