किसी व्यक्ति के जीवन में जमीन का एक हिस्सा या प्लॉट खरीदना और घर बनवाना बेहद खास होता है। भारत में यह एक आम मान्यता है कि जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ईश्वर का आशीर्वाद लेने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। भारत में कई लोग वास्तु शास्त्र और भूमि पूजन की रस्म को बहुत महत्व देते हैं, जिसे भूमि पूजन या नींव पूजन के नाम से भी जाना जाता है। भूमि पूजन निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्व कोने में किया जाता है।
भूमि पूजन अनुष्ठानों में देवी पृथ्वी (भूमि) और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। परंपराओं के अनुसार, भूमि पूजन के दौरान एक ईंट या आधारशिला रख कर पूजन किया जाता है। भारत में भूमि पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चलन में है। दरअसल भारत में भूमि को खोदना या खनन करना दोष माना जाता था, इस दोष को दूर करने के लिए देवी पृथ्वी, सप्त समुद्र (सात महासागर) और अन्य देवताओं की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई। भूमि पूजन करना शुभ माना जाता है और भूमि को खोदने और जोतने के लिए दैवीय अनुमति लेने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि भूमि पूजन करने से जीवन में खुशियां आती है और भू-संपत्ति के रहने वाले लोगों की भलाई सुनिश्चित होती है।
साल 2025 में यदि आप घर बनाने का विचार कर रहे हैं तो वास्तु के अनुसार, वैशाख (बैसाख), फाल्गुन, कार्तिक, माघ, भाद्रपद, पौष, अग्रहायण और श्रावण सबसे शुभ महीने माने जाते हैं। इन महीनों में कुछ तिथियाां हैं, जिन्हें भूमि पूजन के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। शुभ महीने और तिथियों के अलावा, शुभ मुहूर्त, तिथि और नक्षत्र भी देखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार पहली बार नए घर में गृह प्रवेश के लिये वास्तु शास्त्र शुभ दिन पर गृह प्रवेश करने की सलाह देता है। गृह प्रवेश 2025 में गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त के लिये हिंदी कैलेंडर या वास्तु एक्सपर्ट या फिर ज्योतिष विशेषज्ञ की मदद से शुभ तिथियों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
भूमि पूजा तिथियां 2025
गृह प्रवेश के लिए शुभ महीने | वैशाख (बैसाख), फाल्गुन, कार्तिक, माघ, भाद्रपद, पौष, अग्रहायण और श्रावण |
इन महीनों में गृह प्रवेश न करें | चैत्र, ज्येष्ठ, आषाढ़ और आश्विन |
गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र | उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, शतभिषा, स्वाति, धनिष्ठा, हस्त और पुष्य |
भूमि पूजा के लिए शुभ तिथियां | द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा |
भूमि पूजा के लिए सप्ताह के सर्वोत्तम दिन | सोमवार और गुरुवार |
सप्ताह के ये दिन घर न बदलें | शनिवार, रविवार और मंगलवार |
भूमि पूजा का महत्व | वास्तु दोषों और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है, पृथ्वी देवी का आशीर्वाद पाने के लिए |
2025 में वास्तु के अनुसार घर बनाने के लिए सबसे अच्छा महीना कौन-सा है?
हिंदू महीने | जॉर्जियाई कैलेंडर में के माह | वास्तु के अनुसार लाभ |
वैशाख | अप्रैल और मई | धन और समृद्धि लाता है |
फाल्गुन | मार्च और अप्रैल | स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को फायदा |
कार्तिक | अक्टूबर और नवंबर | इन महीनों में घर बनाने से गृहस्वामी को खुशी और आनंद मिलता है। |
माघ | जनवरी और फरवरी | जीवन के सभी पहलुओं में सफलता और उपलब्धि सुनिश्चित करता है। |
भाद्रपद | अगस्त से सितम्बर | शुभ |
पौष | दिसंबर से जनवरी | शुभ |
अग्रहायण | नवंबर से दिसंबर | शुभ |
श्रावण माह | जुलाई से अगस्त | शुभ |
नए घर के निर्माण के लिए शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस बारे में कई अलग-अलग विचार हैं। आमतौर यह माना जाता है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के दौरान घर का निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से 4 माह के लिए शयन मुद्रा में रहते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक जागते हैं। इन महीनों के दौरान श्रद्धालु आमतौर पर विवाह, घर का निर्माण या यहां तक कि कोई नया व्यवसाय शुरू करने जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं।
भूमि पूजन मुहूर्त जनवरी 2025
तारीख | मुहूर्त |
जनवरी 15, 2025, बुधवार | सुबह 7:15 से 10:28 बजे तक |
जनवरी 22, 2025, बुधवार | सुबह 7:14 बजे से दोपहर 3:18 बजे तक |
जनवरी 24, 2025, शुक्रवार | 25 जनवरी, प्रातः 5:08 से प्रातः 6:36, सायं 7:25 से प्रातः 4:20 तक |
जनवरी 30, 2025, बृहस्पतिवार | 31 जनवरी, प्रातः 6:33 बजे से प्रातः 7:10 बजे तक |
जनवरी 31, 2025, बृहस्पतिवार | 7:10 पूर्वाह्न से 4:14 पूर्वाह्न तक, 1 फरवरी |
भूमि पूजन मुहूर्त फरवरी 2025
तारीख | मुहूर्त |
फरवरी 10, 2025, सोमवार | सुबह 6:01 बजे से शाम 6:58 बजे तक |
फरवरी 19, 2025, बुधवार | प्रातः 6:56 बजे से प्रातः 7:32 बजे तक |
फरवरी 20, 2025, बृहस्पतिवार | 21 फरवरी, दोपहर 3:09 बजे से सुबह 6:54 बजे तक |
फरवरी 21, 2025, शुक्रवार | प्रातः 6:54 बजे से प्रातः 11:58 बजे तक |
भूमि पूजन मुहूर्त मार्च 2025
तारीख | मुहूर्त |
मार्च 1, 2025, शनिवार | 2 मार्च प्रातः 11:22 से प्रातः 6:45 तक |
मार्च 7, 2025, शुक्रवार | 00:05 पूर्वाह्न से 9:09 पूर्वाह्न तक |
मार्च 10, 2025, सोमवार | प्रातः 7:45 बजे से प्रातः 00:51 बजे तक |
भूमि पूजन मुहूर्त अप्रैल 2025
तारीख | मुहूर्त |
अप्रैल 14, 2025, सोमवार | प्रातः 5:57 बजे से प्रातः 00:13 बजे तक |
अप्रैल 21, 2025, सोमवार | प्रातः 5:50 से प्रातः 6:29 तक |
अप्रैल 23, 2025, बुधवार | 24 अप्रैल, शाम 4:44 बजे से सुबह 5:47 बजे तक |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:01 बजे तक |
अप्रैल 30, 2025, बुधवार | 5:41 AM to 12:01 PM |
भूमि पूजन मुहूर्त, मई 2025
तारीख | शुभ मुहूर्त |
1 मई, 2025, गुरुवार | 11:24 पूर्वाह्न से 2:21 अपराह्न तक |
7 मई, 2025, बुधवार | शाम 6:17 से रात 11:22 तक |
8 मई, 2025, गुरुवार | दोपहर 12:30 बजे से रात 9:06 बजे तक |
28 मई, 2025, बुधवार | 5:25 AM से 00:29 AM, मई 29 |
भूमि पूजन मुहूर्त जून 2025
तारीख | मुहूर्त |
12 जून 2025, गुरुवार | 5:24 AM से 13 जून को सुबह 5:23 बजे तक |
13 जून 2025, शुक्रवार | सुबह 5:24 से रात 11:21 तक |
19 जून 2025, गुरुवार | 11:16 PM से जून 20 को सुबह 5:24 बजे तक |
20 जून 2025, शुक्रवार | सुबह 5:25 से रात 9:45 तक |
29 जून 2025, रविवार | 10:30 पूर्वाह्न – 12:00 अपराह्न |
भूमि पूजन मुहूर्त जुलाई 2025
तारीख | मुहूर्त |
17 जुलाई 2025, गुरुवार | 8:08 AM से 18 जुलाई को सुबह 2:51 बजे तक |
21 जुलाई 2025, सोमवार | 5:37 पूर्वाह्न से 22 जुलाई को सुबह 5:37 बजे तक |
31 जुलाई 2025, गुरुवार | 00:42 AM से 1 अगस्त को के सुबह 04:59 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त अगस्त 2025
तारीख | मुहूर्त |
1 अगस्त 2025, शुक्रवार | 6:11 PM से 2 अगस्त से सुबह 3:40 बजे तक |
25 अगस्त 2025, सोमवार | 5:56 AM से 26 अगस्त के सुबह 3:50 बजे तक |
28 अगस्त 2025, गुरुवार | 8:43 पूर्वाह्न से 11:48 पूर्वाह्न तक |
30 अगस्त 2025, शनिवार | दोपहर 2:37 से 3:09 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त सितंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
3 सितंबर, 2025, बुधवार | 4:22 पूर्वाह्न से 4 सितंबर को सुबह 6:01 बजे तक |
4 सितंबर, 2025, गुरुवार | सुबह 6:01 से रात 11:44 तक |
5 सितंबर, 2025, शुक्रवार | 11:38 PM से 6 सितंबर को 4:13 बजे तक |
13 सितंबर, 2025, शनिवार | 6:12 PM से 14 सितंबर को सुबह 6:06 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त अक्टूबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
22 अक्टूबर 2025, बुधवार | 8:17 से 23 अक्टूबर को 1:52 पूर्वाह्न तक |
23 अक्टूबर 2025, गुरुवार | 4:51 सुबह से 24 अक्टूबर को सुबह 6:28 बजे तक |
24 अक्टूबर 2025, शुक्रवार | 06:28 से 25 अक्टूबर को सुबह 1:20 बजे तक |
भूमिपूजन मुहूर्त नवंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
3 नवंबर, 2025, सोमवार | 3:06 PM से 4 नवंबर को सुबह 2:06 बजे तक |
7 नवंबर, 2025, शुक्रवार | दोपहर 2:48 से रात 9:16 तक |
10 नवंबर 2025, सोमवार | 6:48 PM से 11 नवंबर को देर रात 00:08 बजे तक |
17 नवंबर 2025, सोमवार | 5:01 AM से 18 नवंबर को सुबह 6:46 बजे तक |
28 नवंबर 2025, शुक्रवार | 12:28 अपराह्न से 29 नवंबर को 00:16 पूर्वाह्न तक |
29 नवंबर, 2025, शनिवार | 2:22 अपराह्न से 30 नवम्बर को सुबह 6:56 प्रातः |
भूमिपूजन मुहूर्त दिसंबर 2025
तारीख | मुहूर्त |
4 दिसंबर, 2025, गुरुवार | 5 दिसंबर, शाम 6:41 बजे से सुबह 6:00 बजे तक |
5 दिसंबर, 2025, शुक्रवार | 7:00 AM से 6 दिसंबर को सुबह 7:00 बजे तक |
6 दिसंबर, 2025, शनिवार | सुबह 7:00 बजे से 8:08 बजे तक |
यह भी देखें: नए घर के लिए गृह प्रवेश पूजा युक्तियाँ
भूमिपूजन को तमिल में गृहारंभ मुहूर्त या वास्तु नाल (वास्तु दिवस) जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा, शुभ मुहूर्त की तारीखें अलग-अलग कैलेंडर जैसे विक्रम संवत, तमिल कैलेंडर आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
भूमिपूजन को तमिल में गृहारंभ मुहूर्त या वास्तु नाल (वास्तु दिवस) जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा भूमि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त की तारीखें अलग-अलग कैलेंडर जैसे विक्रम संवत, तमिल कैलेंडर आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
सूर्य की राशि के अनुसार 2025 में भूमि पूजन के शुभ मुहूर्त
ज्योतिष विशेषज्ञों का सुझाव है कि विभिन्न राशियों के माध्यम से सूर्य की चाल के आधार पर चुने गए शुभ मुहूर्त पर घर का निर्माण शुरू करें।
राशि चक्र में सूर्य की स्थिति | प्रभाव |
वृषभ | धन और वित्तीय लाभ |
मिथुन | घर के मालिक के लिए समस्या |
कर्क | धन में बढ़ोतरी |
सिंह | शोहरत और नौकरों की खुशी |
कन्या | बीमारियां |
तुला | सकारात्मक प्रभाव |
वृश्चिक | वित्तीय लाभ |
धनु | काफी नुकसान और बर्बादी |
मकर | संपत्ति में बढ़ोतरी और धन लाभ |
कुंभ | रत्न और धातु की प्राप्ति |
मीन | नुकसान |
2025 में भूमि पूजन के लिए अशुभ समय: इन दिनों से बचें
- चैत्र: यह मार्च से अप्रैल तक का समय है। इस समय घर के मालिक के लिए मुश्किलें लेकर आता है, इसलिए इस समय घर में काम करने से बचना चाहिए।
- ज्येष्ठ: यह जून का महीना है और ग्रह अनुकूल स्थिति में नहीं हैं।
- आषाढ़: जुलाई माह में शिलान्यास न करें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस माह में व्यापार में हानि होती है।
- श्रावण: यह महीना जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह से शुरू होता है और यह समय अनुकूल नहीं है क्योंकि यह वित्तीय नुकसान ला सकता है।
- भाद्रपद: सितंबर में अपने नए घर की नींव खोदने से बचें, क्योंकि इससे घर में झगड़े और तनाव हो सकता है।
- आश्विन: वास्तु नियमों के मुताबिक, अक्टूबर में पड़ने वाले इस महीने में अपने नए घर की नींव रखने से बचें।
- माघ: यह हिंदू कैलेंडर का 11वां महीना है, जो 18 जनवरी से शुरू होकर 16 फरवरी को खत्म होगा। इस महीने में भूमि पूजन करना या नींव रखना शुभ नहीं होगा। हालांकि कोई पूर्व या पश्चिम मुखी घर बनाने पर विचार कर सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें
- उपरोक्त बताए गए महीनों में घर निर्माण के लिए समय अनुकूल नहीं हो सकता है, लेकिन व्यक्ति की कुंडली और अन्य कारकों के आधार पर कुछ विशेष अवधि को नए घर निर्माण के लिए शुभ माना जा सकता है।
- वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, फाल्गुन माह में होलाष्टक के बाद शुभ भूमि पूजन मुहूर्त तिथियां होती हैं। होली के त्योहार से पहले के आठ दिनों की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है।
- इसके अलावा, विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि चैत्र माह में हिंदू नववर्ष जिसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा कहा जाता है, के आसपास नए घर निर्माण के लिए अच्छे मुहूर्त हो सकते हैं।
दशहरा का त्योहार अश्विन माह में पड़ता है। यह कुंडली, स्थान और अन्य कारकों के आधार पर नए घर निर्माण की शुरुआत के लिए अनुकूल नींव पूजन या भूमि पूजन की तिथियां प्रदान कर सकता है।
भूमि पूजन के लिए किन पक्षों से बचना चाहिए?
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, पक्ष का अर्थ है एक महीने में एक पखवाड़े या चंद्र चरण। भूमि पूजन करने के लिए दिवास्करमा, श्राद्ध और हडपक्षे से बचें।
किन तिथियों पर भूमि पूजन करने से बचें?
चौथी, नौवीं और चौदहवीं तिथि से बचें क्योंकि ये गृह निर्माण या भूमि पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती हैं।
चंद्र नक्षत्रों का प्रभाव
यदि चंद्र दिवस महीने की पहली और सातवीं या 19 और 28 तारीख के बीच पड़ता है तो भूमि पूजन करने से बचें क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। 8 से 18 तारीख के बीच पड़ने वाले किसी भी चंद्र दिवस को भूमि पूजन के लिए शुभ माना जाता है।
भूमि पूजन या गृह निर्माण पूजन के लाभ
सकारात्मक ऊर्जा: ऐसा माना जाता है कि भूमि पूजन करने से वह स्थान शुद्ध हो जाता है और नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धरती माता व अन्य देवताओं को प्रसन्न करना: भूमि पूजन का अनुष्ठान धरती माता और वास्तु पुरुष जैसे कई देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जो दिशाओं के देवता माने जाते हैं। वहीं भूमि पूजन धरती माता का आभार व्यक्त करने का एक तरीका है, जिन्होंने निर्माण के लिए आवश्यक भूमि संसाधन हमें दिए हैं। भूमि पूजन पंच तत्वों पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश और जल की भी आराधना की जाती है।
आध्यात्मिक महत्व: भूमि पूजन एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान है, जो नए घर के मालिक को आध्यात्मिक आशीर्वाद और दिव्य कृपा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भूमि पूजन से निर्माण कार्य के दौरान अनजाने में हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए भूमिगत निवासियों से क्षमा प्रार्थना भी की जाती है।
विघ्न और नकारात्मकता का निराकरण: भूमि पूजन के अनुष्ठान वास्तु दोष और स्थान में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। इस पूजन को करने से संपत्ति और इसके निवासियों को दुर्घटनाओं या अन्य असामयिक घटनाओं से सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
फसल की पैदावार में बढ़ोतरी: यदि आप कृषि भूमि पर भूमि पूजन करते हैं तो यह भूमि मालिक को उच्च फसल उत्पादन दिलाने में मदद करता है।
भूमि पूजन 2025: नींव पूजन की तैयारी कैसे करें?
- भूमि पूजन की प्रक्रिया प्लॉट के चारों कोनों और बीच में गड्ढा खोदने से शुरू होती है। नींव के लिए भी एक गड्ढा खोदें।
- गड्ढों पर पानी छिड़कें और आसन बिछाएं। भूमि पूजन की रस्मों के लिए परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ होना चाहिए।
- गृह निर्माण पूजा शुरू करने से पहले परिवार के सदस्यों को ‘हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे’ का जाप करना चाहिए।
- जल, मिट्टी, औषधि बांटकर कलश में रखें।
- कलश को फूलों की माला से सजाएं और उस पर ‘श्री’ लिखें। अगरबत्ती जलाएं।
- सिंदूर से पांच पत्थरों पर ‘श्री’ लिखें। पूर्वोत्तर कोने में आसन बिछाएं।
- खूँटे और पत्थर पाँचों गड्ढों में डालें।
- हरेक कलश पर बैल, घोड़े, आदमी, हाथी और सांप की मूर्ति स्थापित करें और पूजा शुरू करें। सभी कलशों की पूजा की जाती है।
भूमि पूजन विधि क्या है?
पहली बार घर खरीदने वाले अधिकतर लोग अक्सर भूमि पूजा अनुष्ठानों से जुड़ी पेचीदगियों का सामना करते हैं और उन्हें माता-पिता से और ज्योतिषों से मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। हमारा सुझाव है कि आप ऐसा करना जारी रखें लेकिन कुछ अहम बातें भी याद रखें।
विस्तृत विधि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होती है। विधि में निम्नलिखित चरण होते हैं:
- भूमि पूजन के लिए स्थान की पहचान। नहाने के बाद उस जगह को साफ करना चाहिए। गंगाजल का उपयोग स्थान को साफ करने और शुद्ध करने के लिए किया जाता है।
- एक योग्य पुजारी को अनुष्ठान करना चाहिए और वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए उसकी उपस्थिति अनिवार्य है। पुजारी आमतौर पर उत्तर दिशा का सामना करते हैं जबकि पूजा का आयोजन करने वाले व्यक्ति का मुंह पूर्व की ओर होता है।
- भूमि पूजन करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पुजारी का मुख आमतौर पर उत्तर दिशा की ओर होता है जबकि पूजा का आयोजन करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।
- भूमि पूजन की शुरुआत बाधाओं को दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा से होती है। किसी भी बाधा से बचने के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगा जाता है जो परियोजना की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- तेल या घी का दीपक जलाया जाता है; भगवान गणेश की प्रार्थना के बाद नाग देवता की मूर्ति और कलश की पूजा की जाती है। चांदी के सांप की पूजा के पीछे तर्क यह है कि शेषनाग पृथ्वी पर शासन करता है और भगवान विष्णु का सेवक है। इसलिए, आप उनका आशीर्वाद मांग रहे होंगे, उनसे अपने घर की रक्षा करने के लिए कह रहे होंगे। दूसरी ओर कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। एक कलश में पानी भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते उलटे नारियल के साथ रखे जाते हैं। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कलश में एक सिक्का और सुपारी रखा जाता है। कलश पूजा दैवीय ऊर्जा को प्रसारित करने और विशेष भूमि पर समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करने के लिए की जाती है। सर्प भगवान (जो पाताल लोक में रहते हैं) का आशीर्वाद लेने के लिए, निर्माण कार्यों को शुरू करने के लिए उनकी स्वीकृति लेनी होती है।
- कलश पूजा: दूसरी ओर कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है। एक कलश में पानी भरा जाता है और उसके ऊपर आम या पान के पत्ते उल्टे नारियल के साथ रखे जाते हैं। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए कलश में एक सिक्का और सुपारी रखा जाता है। कलश पूजा दिव्य ऊर्जा को सही दिशा देने और उस भूमि पर समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करने के लिए की जाती है।
- भूमि पूजा: शुभ मुहूर्त पर गणेश पूजा सहित मुख्य अनुष्ठान किया जाता है, और उसके बाद हवन किया जाता है।
शेषनाग का आह्वान आमतौर पर मंत्रों का जाप करके और दूध, दही और घी डालकर किया जाता है। आप यह भी देखेंगे कि पुजारी कलश में एक सुपारी और एक सिक्का डालते हैं ताकि देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। जैसे-जैसे पूजा आगे बढ़ती है, दिशाओं के देवता, दिक्पाल, नाग देवता या नाग और कुलदेवता के रूप में जाने जाने वाले कुल देवता की पूजा की जाती है। जब जमीन खोदी जाती है तो नाग मंत्र का जाप करके ऐसा किया जाता है। भूमि पूजा के लिए एकत्रित लोगों के बीच मिठाई या फल भी बांटना अच्छा है।
जमीन की खुदाई: जमीन के एक छोटे से हिस्से को खोदकर नींव का पत्थर या ईंट रखी जाती है।
पुजारी की दक्षिणा: भूमि पूजा और पुजारी द्वारा मंत्र जाप के दौरान, फूल, अगरबत्ती, कलावा, कच्चे चावल, चंदन, हल्दी, सिंदूर (रोली), सुपारी, फल और मिठाई सहित वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए।
भूमि पूजन मुहूर्त: सामग्री सूची
- देवताओं की मूर्तियाँ: भगवान् गणेश, माता लक्ष्मी, नाग देवता और अन्य देवी देवता मूर्तियाँ।
- पवित्र जल या फिर गंगाजल: पूजा स्थान को शुद्ध करने के लिये।
- कलश: पानी से भरा हुआ लोटा जिसके ऊपर आम का पल्लव व उसके ऊपर नारियल रखें।
- हवन कुंड: हवन कुंड एक पवित्र अग्नि कुंड जिसमें हवन किया जाता है।
भूमि पूजन के लिये अन्य सामाग्री
- चावल
- नारियल
- सुपारी
- फूल गुच्छा
- फल
- प्रसाद
- कपूर
- अगरबत्ती
- आरती के लिए कपास
- तेल या घी
- दीप या दीया
- पानी
- हल्दी पाउडर
- कुमकुम
- पेपर टॉवल
- कुल्हाड़ी
- क्वार्टर सिक्के
- नवरत्न
- पंचधातु
आजकल लोग भूमि पूजन सामग्री किट ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं.
नए घर में मुख्य दरवाजे की चौखट लगाने से पहले इन चीजों को कंक्रीट स्लैब पर रखा जाता है:
- मूल नवरत्न जिसमें मूल रत्न शामिल हैं।
- शुद्ध धातुओं से बनाया गया मूल पंचलोहा
- पीतल से बना वास्तु विग्रह
- पीतल से बना वास्तु यंत्र
- मरकरी बीड
- तांबे का सिक्का
- तांबे की कील
इन वस्तुओं को रखने से पृथ्वी की ऊर्जा को नए घर में ट्रासंफर करने में मदद मिलती है।
भूमिपूजा मंत्र
बहुत से मंत्र जाप देवी देवताओं के आशीर्वाद और अच्छी ऊर्जा के लिए किये जाते हैं. “ओम वसुंधराया विद माहे भूताधात्राया धीमा ही तनु भूमि प्रचोदयात” एक प्रसिद्ध मंत्र है जो भूमि पूजन में की जाती है. का मतलब है भूमि देवी का मंत्र जाप करना जो सर्वोपरि है, आशीर्वाद दे और अच्छी किस्मत बनाएँ. अन्य मंत्र भी पड़ जाते हैं जैसे की गणेश मंत्र और गायत्री मंत्र. यह मंत्र बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर करते हैं एवं खुशी लाते हैं.
यह भी देखें: वास्तु के अनुसार पूजा रूम कैसे सेट करें
भूमि पूजन करते समय इन बातों की रखें सावधानी
- भूमि पूजन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जिस स्थान पर पूजन किया जाना है, वह स्थान पूरी तरह से साफ हो।
- पूजन स्थल से कांटेदार पेड़-पौधों को हटा दें। उस स्थान पर कांटेदार पेड़ या पौधे जीवित न हों।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि संपत्ति का अधिकार लेने के बाद भी भू-स्वामी को उस जमीन पर खेती करना चाहिए और पौधे लगाना चाहिए।
- भूमि पूजन के लिए हिंदू पंचांग देखकर शुभ शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
- भूमि-पूजन के दौरान गाय या बछड़े की पूजा भी करना चाहिए। इस दौरान गाय को हरी घास खिलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- भूमि-पूजन के दौरान मंत्रों का ठीक से उच्चारण करें।
- भूमि पूजन से पहले ही उस जमीन का पिछला रिकॉर्ड भी चेक कर लें। सबसे उपजाऊ मिट्टी वाले प्लॉट का चयन करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि जमीन पथरीली न हो।
- ऐसी भूमि का चयन करें, जो पूरी तरह से समतल हो।
- वास्तु नियमों के अनुसार, ऐसी प्लॉट का चयन करना चाहिए, जिसके पूर्वी हिस्से, उत्तरी हिस्से या उत्तर-पूर्वी हिस्से की ओर से सड़क आ रही हो।
- भूमि पूजन के लिए धार्मिक पुस्तकों और पवित्र सामग्रियों का उपयोग करें। अनुचित या अशुद्ध वस्तुओं से बचें।
- भूमि पूजन करते समय प्राकृतिक परिवेश का भी ध्यान रखें। प्लॉट के आसपास हरियाली हो और सेहत का लाभ पहुंचाने वाले पेड़ पौधे लगे हों।
- यदि किसी कारण से जमीन खरीदने के बाद निर्माण शुरू नहीं कर पा रहे हैं, तो प्लॉट के मध्य भाग को साफ रखना चाहिए। इस बारे में वास्तु शास्त्र के जानकार और ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
- घर का निर्माण शुरू करने से पहले कंपाउंड की दीवार बनानी चाहिए। दीवार के दक्षिण-पश्चिम भाग की ऊंचाई अन्य दीवारों की तुलना में अधिक हो। पूर्व और उत्तर की दीवारें दक्षिण और पश्चिम की दीवारों से छोटी हो सकती हैं। कंपाउंड की दीवार बनाने से पहले भूमि पूजन करने की आवश्यकता नहीं होती है।
भारत में घर निर्माण शुरू करने के लिए 2025 में सबसे अच्छे महीने
घर निर्माण शुरू करने के लिए सबसे अच्छा समय
मौसम के अनुसार निर्माण कार्य की गति बदलती है। आपने कई ठेकेदारों को शरद ऋतु (सितंबर के अंत से नवंबर तक) में घर बनाने की सिफारिश करते देखा होगा। इसका कारण यह है कि इस समय मिट्टी न तो सर्दियों में जमती है और न ही गर्मियों में इतनी गर्म होती है कि निर्माण सामग्री को नुकसान पहुंचे। शरद ऋतु का मौसम घर निर्माण शुरू करने और बाहरी काम को पूरा करने के लिए सबसे अनुकूल होता है। इसके बाद ठेकेदार धीरे-धीरे इंटीरियर के काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
घर के नवीनीकरण का सही समय
अगर आपका मुख्य ध्यान इंटीरियर पर है जैसे नवीनीकरण या रिमॉडलिंग तो सर्दियों का समय बुरा नहीं होता है। सर्दियों में मजदूरों के लिए काम करना आसान होता है क्योंकि गर्मियों में 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच जाता है। हालांकि, इस दौरान यह सुनिश्चित करें कि बजट न बढ़े। अगर आपके क्षेत्र में सर्दियों में प्रदूषण अधिक होता है तो यह समय उपयुक्त नहीं हो सकता।
बसंत ऋतु में निर्माण कार्य शुरू करना
अगर मिट्टी गीली या जमी नहीं है तो वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) भी अच्छा समय हो सकता है। भारत में ठेकेदार इस समय इंटीरियर का काम करना पसंद करते हैं। हालांकि अगर आपका घर बनाने का प्रोजेक्ट लंबे समय तक चलेगा तो बसंत के मौसम का पूरा उपयोग किया जा सकता है।
गर्मियों में घर निर्माण करना
यदि आपको घर निर्माण में देरी की संभावना है तो गर्मियों में शुरुआत करना सही हो सकता है। गर्मियों में दिन लंबे होते हैं, जिससे मजदूर दिन के समय का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, इस समय निर्माण सामग्री की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि कई लोग गर्मियों की शुरुआत में निर्माण कार्य करते हैं।
मानसून के बाद का समय: सबसे अच्छा निर्माण मौसम
भारत में मानसून के बाद का समय (सितंबर से मार्च) घर निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बारिश निर्माण कार्य में रुकावट डालती है और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। इस मौसम में आरसीसी, चिनाई, फर्श और प्लास्टर जैसे कार्य अपनी पूरी सेवा अवधि तक टिकाऊ रहते हैं। इस समय का तापमान (24±5 डिग्री सेल्सियस) सीमेंट के हाइड्रेशन के लिए आदर्श माना जाता है।
सर्दियों में घर निर्माण: सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से मार्च के बीच का शुष्क मौसम नए घर निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त होता है। सर्दियों में कम तापमान कंक्रीट में सीमेंट के हाइड्रेशन को बनाए रखता है। इसके अलावा इस दौरान बारिश की संभावना न के बराबर होती है, जिससे निर्माण गुणवत्ता बेहतर और टिकाऊ होती है।
भूमि पूजन के दौरान किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है
देवता | लाभ |
देवी पृथ्वी | दिव्य ऊर्जा का आह्वान करना और बाधाओं को दूर करना |
वास्तु पुरुष | सद्भाव लाना |
गणेश भगवान | शुभ शुरुआत |
नाग देवता | सुरक्षा |
प्रकृति के पांच तत्व | सकारात्मक ऊर्जा |
भूमि पूजन निमंत्रण कार्ड के सैम्पल्स
अगर आप नए घर का निर्माण शुरू करने के दिन भूमि पूजा के अवसर पर अपने मित्रों और परिवार को आमंत्रित करने की योजना बना रहे हैं, तो आप ऑनलाइन निमंत्रण कार्ड भेज सकते हैं। इस सिंपल भूमि पूजन मुहूर्त निमंत्रण कार्ड सैम्पल देखें।
निर्माण के लिए किस दिशा में मुख वाला प्लॉट अच्छा है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर मुखी प्लॉट नए घर के निर्माण के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। अन्य शुभ प्लॉट पूरब मुखी और पश्चिम मुखी हैं। दक्षिण मुखी प्लॉट से बचना चाहिए क्योंकि वे अशुभ माने जाते हैं। प्लॉट का मुख्य द्वार उत्तर या पूरब दिशा में होना चाहिए।
भूमि पूजन 2025 इन्विटेशन कार्ड
आप कस्टमाइज्ड निमंत्रण भेजकर अपने दोस्तों और परिवार को भूमि पूजन समारोह में बुला सकते हैं। आपको भूमि पूजन के बारे में सारी जरूरी जानकारियां देनी चाहिए जैसे तिथि, स्थान, समय आदि। वास्तु पूजा निमंत्रण का यह नमूना देखें।
स्रोत: Behance (Pinterest)
इन संदेशों के साथ अपनों को निमंत्रण पत्र भेजें
भूमि पूजन के शुभ अवसर पर हम आपको और आपके परिवार को सादर आमंत्रित करते हैं। (स्थान विवरण), (पंचांग के अनुसार तिथि व तारीख, समय)।
हमें आप बताते हुए यह अत्यंत खुशी हो रही है कि हमारे नए घर के निर्माण कार्य का शुभारंभ जल्द ही होने वाला है। इस अवसर पर भूमि पूजन के कार्यक्रम में हम आपको आमंत्रित करते हैं। (स्थान विवरण), (पंचांग के अनुसार तिथि व तारीख, समय)।
यह भी पढ़ें: आपके नए घर के गृह प्रवेश के लिए आमंत्रण के आईडिया
नए घर में प्रवेश करने के लिए 2025 में कौन सा दिन शुभ है?
नए घर में प्रवेश के लिए सप्ताह के शुभ दिन सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार हैं। हालाँकि, गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त की गणना हिंदू कैलेंडर और वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर की जाती है।
भूमि पूजन मुहूर्त कैसे चुनें?
भूमि पूजन मुहूर्त और गृह प्रवेश जैसे कार्यक्रम करने के लिए सबसे शुभ समय को मुहूर्त कहते हैं। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार, मुहूर्त का चयन हिंदू कैलेंडर (पंचांग) और अन्य ज्योतिषीय कारकों जैसे तिथि और नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। मुहूर्त चुनने के लिए आप किसी पंडित से भी संपर्क कर सकते हैं।
Housing.com News दृष्टिकोण
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
कौन सा दिन भूमि पूजा के लिए अच्छा होता है?
सोमवार और गुरुवार भूमि पूजा के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं.
भूमि पूजा के दौरान किन-किन की पूजा होती है?
भूमि पूजा के दौरान वास्तु पुरुष, धरती माता, नाग देवता और प्रकृति के पांच तत्वों की पूजा की जाती है.
वस्तु पुरुष कौन हैं?
वास्तुपुरुष धरती और दिशा के भगवान हैं. बिल्डिंग बनाने की कला और पर्यावरण से शांति बनाए रखने को वास्तु कहते हैं. वास्तुपुरुष ऊर्जा ताकत और आत्मा का प्रतीक है.
भूमि पूजन के बादे बाद क्या करना चाहिए?
वास्तु के अनुसार पानी शुभ है. कंस्ट्रक्शन के पहले पानी कहाँ से आता है और उसे कहाँ स्टोर किया जाए वह महत्वपूर्ण है. वास्तु के मुताबिक वॉटर टैंक या कुआं उत्तर या उत्तर पूर्वी दिशा में खोदा जाना चाहिए. दक्षिण दिशा को नज़रअन्दाज़ करें.
भूमि पूजा करने की लागत क्या है?
भूमि पूजन आयोजित करने की लागत 3,000 रुपये से 10,000 रुपये तक हो सकती है। हालाँकि, कुल लागत कई कारणों पर निर्भर करती है।
भवन निर्माण के लिए कौन सा मौसम सबसे अच्छा है?
भारत में गर्मी का मौसम और मानसून के बाद का मौसम घर निर्माण के लिए आदर्श समय माना जाता है।
संकुस्थापना मुहूर्त क्या है?
संकुस्थापना एक खाली प्लॉट में आधारशिला रखने की प्रक्रिया है, यानी कि भूमि पूजन है। इसे देश में विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे कि तालमेल समारोह, ग्राउंडवर्क उत्सव और बेडरॉक समारोह।
गृह निर्माण शुरू करने की तिथि 2025 कैसे चुनें?
कई लोग अपनी जन्म की तिथि, समय और स्थान के बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे मामलों में, पुजारी राशि नाम के अनुसार घर का निर्माण शुरू करने के लिए शुभ तारीख तय कर सकता है। तिथि, नक्षत्र आदि के आधार पर भी शुभ मुहूर्त तय किया जा सकता है। इन दिनों आप अनुभवी ज्योतिषियों से ऑनलाइन भी सलाह ले सकते हैं।
छत निर्माण के लिए सबसे अच्छा दिन कौन सा है?
ऐसा दिन चुनें जब मौसम सुहावना, सूखा और हल्के बादल वाला हो। निर्माण शुरू करने से पहले आप हिंदू कैलेंडर के आधार पर 2025 में शुभ भूमि पूजा तिथियां देख लें।
क्या हम गर्भावस्था के दौरान भूमि पूजा कर सकते हैं?
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, यदि घर में कोई गर्भवती महिला हो तो भूमि पूजन समारोह करने से बचना चाहिए.
क्या भूमि पूजन के लिए आज का दिन शुभ है?
नए घर के निर्माण के लिए सोमवार और गुरुवार को शुभ दिन माना जाता है। भूमि पूजन की शुभ तिथियां और मुहूर्त जानने के लिए हिंदू कैलेंडर या पंचांग देखें।
भूमि पूजा के लिए कौन सी तिथि अच्छी होती है?
भूमि पूजा के लिए सबसे अच्छी तिथियां में द्वितीया तृतीया पंचमी सप्तमी दशमी एकादशी त्रयोदशी और पूर्णिमा ये सारी शुभ तिथियां मानी जाती हैं।
गृह प्रवेश के लिए कौन-कौन से महीने अच्छे माने जाते हैं?
वैशाख ,श्रावण, फाल्गुन, माघ और भाद्रपद गृह प्रवेश के लिए ये शुभ महीने माने जाते हैं।
भूमि पूजा क्यों की जाती है?
भूमि पूजन या भूमि पूजा धरती माता का आशीर्वाद लेने और प्रकृति के पांच तत्वों अर्थात जल, पृथ्वी, आकाश, वायु और अग्नि को प्रसन्न करने के लिए की जाती है।
मुख्य रूप से भूमि पूजन किसे करना चाहिए?
परिवार के मुखिया को अपनी पत्नी के साथ भूमि पूजन करना चाहिए।
भूमि पूजन के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है?
भूमि पूजन के लिए मुख्य आवश्यक वस्तुएं हैं ,गंगाजल नारियल, कलश, आम के पत्ते, दूध, पान के पत्ते, फल ,कपूर चावल, रोली ,सुपारी, सिक्के ,अगरबत्ती ,इलायची ,हल्दी पाउडर, फूल के अलावा, लाल सूती कपड़ा, देसी घी, दूर्वा लौंग आदि।
क्या हम बगैर पंडित के भी भूमि पूजन कर सकते हैं?
वास्तु के अनुसार, भूमि पूजन एक योग्य पंडित की उपस्थिति में ही कराना चाहिए। पंडित ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी देंगे। शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन करने से भूमि दोष दूर होता है और नकारात्मक ऊर्जा का भी नाश होता है।
घर के नवनिर्माण के दौरान कौन-कौन से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं?
भूमि पूजन के दौरान सबसे पहले नींव रखने का अनुष्ठान होता है। इसके बाद कुएं या जल स्रोत की खुदाई के दौरान पूजा की जाती है। इसके बाद घर के मुख्य द्वार को लगाना एक प्रमुख अनुष्ठान हैं।
जमीन खरीदने के लिए कौन सा दिन अच्छा माना जाता है?
जमीन खरीदने के लिए गुरुवार और शुक्रवार का दिन वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है।
भूमि पूजन कहां किया जाना चाहिए?
प्लॉट के उत्तर-पूर्वी कोने में भूमि पूजन करना शुभ माना जाता है। इस दिशा में खुदाई कार्य सबसे पहले शुरू किया जाना चाहिए। यह स्थान प्लॉट के शेष स्थानों की तुलना में थोड़ा नीचा होना चाहिए। खुदाई से उत्तर-पूर्वी भाग नीचा और दक्षिण-पूर्वी भाग ऊंचा हो जाएगा, जो वास्तु के अनुसार अच्छे परिणाम की प्राप्ति होती है।
घर बनाने में न्यूनतम कितना समय लगता है?
एक छोटे से मध्यम आकार के घर को बनाने में करीब 6 माह से 12 माह तक का समय लग सकता है। वहीं बड़े आधुनिक घर बनाने में और भी अधिक समय लग सकता है।
क्या घर के भूमि पूजन का समय बेहद खास होता है?
हां, जिस तरह से दिन और तिथि महत्वपूर्ण होते हैं, उसी तरह भूमि पूजन का समय भी बेहद खास होता है। यही कारण है कि भूमि पूजन के लिए घर के बड़े-बुजुर्ग पंडितों और ज्योतिषियों से सलाह लेते हैं।
नींव पत्थर रखने का सबसे अच्छा समय क्या है?
घर की नींव पत्थर रखने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है। घर की नींव का पत्थर कभी भी शाम को या रात के समय नहीं रखना चाहिए।
2025 में घर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तिथि कैसे चुनें?
यदि किसी व्यक्ति को अपनी जन्म तिथि और समय की जानकारी उपलब्ध नहीं है, तो ज्योतिष के जानकार, पंचांग में ग्रह नक्षत्रों की स्थित और राशि के आधार पर शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त निकाल सकते हैं। इसके लिए आप अनुभवी ज्योतिषियों से ऑनलाइन सलाह भी ले सकते हैं।
भूमि पूजन कौन कर सकता है?
गृह निर्माण या भूमि पूजन विधि परिवार के मुखिया और उनकी पत्नी द्वारा की जानी चाहिए। भूमि पूजन किसी जानकार पंडित की उपस्थिति में ही कराना चाहिए। पंडित पूजा को सफलतापूर्वक संपन्न करने में मार्गदर्शन करेंगे। यदि घर की महिला गर्भवती हो तो नए घर का भूमि पूजन करने से बचना चाहिए।
सामान्यत: भूमि पूजन कैसे कर सकते हैं?
घर के निर्माण स्थल के उत्तर-पूर्वी कोने का चयन करें। इस क्षेत्र की पहले अच्छे से सफाई करें और भगवान गणेश, नाग देवता और अन्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उसके बाद किसी अनुभवी पंडित की उपस्थिति में अन्य देवताओं का पूजन करें। हवन और अन्य अनुष्ठान से पहले कलश पूजा और भूमि पूजन करना चाहिए।
(स्नेहा शेरोन मममेन और पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा के अतिरिक्त इनपुट्स के साथ)
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