वास्तु शास्त्र में यह मान्यता है कि घर का मुख्य द्वार (मेन गेट) सिर्फ अंदर आने की जगह ही नहीं बल्कि घर में ऊर्जा के प्रवाह को भी बढ़ाता है। ऐसे में घर के मेन गेट जिस तरह से डिजाइन किया जाता है, उसी के अनुरूप घर में ऊर्जा का भी प्रवाह होता है। वास्तु नियमों के आधार पर यदि घर के मुख्य द्वार को लगाया जाता है घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है तो निश्चित तौर पर इसका पॉजिटिव असर घर में रहने वाले लोगों पर भी होता है। घर का मुख्य द्वार यदि खूबसूरती से डिजाइन किया जाता है तो यह न केवल सुरक्षा की भावना देता है, बल्कि घर में शांति और खुशियां भी लेकर आता है।
मुंबई के वास्तु सलाहकार नितिन परमार का कहना है कि “मुख्य दरवाजा एक संक्रमण क्षेत्र है, जिसके माध्यम से हम बाहरी दुनिया से घर में प्रवेश करते हैं। यह वह जगह है, जहां से खुशियां और शुभ लाभ घर में प्रवेश करते हैं। वास्तु शास्त्र में घर के मुख्य प्रवेश द्वार को अत्यधिक महत्व दिया गया है, क्योंकि यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को अंदर लाता है या बाहर रोकता है, जो स्वास्थ्य, धन और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के प्रवेश द्वार के लिए सबसे उपयुक्त दिशा उत्तर-पूर्व मानी गई है। यदि उत्तर-पूर्व दिशा में दरवाजा बनाना संभव न हो, तो उत्तर और पूर्व दिशाएं ऑप्शन के रूप में ली जा सकती हैं।
घर के लिए अनुकूल वास्तु दिशाओं का ध्यान रखकर, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करे और एक संतुलित व सामंजस्यपूर्ण वातावरण बने।
जानें: मुख्य द्वार के लिए तोरण
घर के मेन गेट से जुड़ी कुछ खास वास्त जानकारी
मुख्य दरवाजे की सर्वोत्तम दिशा | उत्तर-पूर्व |
इन दिशाओं में न रखें मेन गेट | दक्षिण-पूर्व (Southeast), दक्षिण-पश्चिम (Southwest) |
मुख्य द्वार का रंग | हल्के रंग रखें या मिट्टी के शेड्स रखें |
किस चीज से बना होना चाहिए? | घर का मुख्य द्वारा लकड़ी से ही बना होना चाहिए। |
वास्तु नियमों के अनुसार घर में दरवाजों की संख्या कितनी होना चाहिए? | सम संख्या (2, 4 या 6) |
मुख्य द्वार पर नेमप्लेट कहां लगानी चाहिए? | घर के मुख्य द्वार पर नेमप्लेट बाईं ओर लगाना चाहिए। |
मेन गेट पर लगी डोर बेल की ऊंचाई कितनी होना चाहिए? | डोरबेल की ऊंचाई 5 फीट या उससे अधिक होना चाहिए। |
वास्तु के अनुसार मेन गेट की सजावट कैसी होना चाहिए? | घर के मुख्य द्वार पर शुभ चिन्ह जैसे स्वास्तिक, कलश, पौधे, मूर्तियां आदि लगाना चाहिए। लाइटिंग भी लगा सकते हैं। |
वास्तु शास्त्र में घर के मेन गेट का महत्व | घर का मुख्य द्वार तत्वों में संतुलन स्थापित करता है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। इसके अलावा संपत्ति और समृद्धि लेकर आता है। |
घर के प्रवेश के लिए वास्तु की जांच कैसे करें?
वास्तु के अनुसार घर का मुख्य दरवाजा सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि के प्रवाह को सुनिश्चित करता है। वास्तु नियमों के मुताबिक, आदर्श रूप से उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य दरवाजा शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार का वास्तु जांचने के ये काम करें –
● अपने घर के मुख्य दरवाजे पर खड़े होकर बाहर की ओर मुंह करें।
● दिशा पता करने के लिए एक कम्पास लें।
● इस बात का ध्यान रखें कि आसपास कोई धातु की वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या चुंबकीय स्रोत न हों, क्योंकि ये कम्पास की सुई को प्रभावित कर सकते हैं।
● कम्पास की सुई को धीरे-धीरे रुकने दें और एक स्थिर बिंदु पर रुकने का इंतजार करें।
● बिना कम्पास को घुमाए, खुद को इस तरह घुमाएं कि कम्पास की लाल सुई 0° या 360° के निशान के साथ पूरी तरह से संरेखित हो जाए।
जब कम्पास की सुई संरेखित हो जाए, तो कम्पास के सामने की दिशा देखें। यही घर की दिशा होगी। परिणाम कम्पास पर 0°/360° निशान और सुई के उत्तर के साथ संरेखित होने के बाद दिखाई देगा।
घर के प्रवेश के लिए वास्तु की जांच कैसे करें?
यदि वास्तु के नियमों के अनुसार, घर में मुख्य द्वार लगाया जाता तो सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है, जिससे व्यक्ति की जीवन सुख, शांति और समृद्धि आती है। आमतौर पर वास्तु शास्त्र में घर के मुख्य द्वार के लिए उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है।
इसके बावजूद यदि आप अपने घर के मुख्य द्वार के लिए वास्तु की जांच करना चाहते हैं तो हम यहां आपको एक आसान उपाय बता रहे हैं। आप अपने घर के मेन गेट पर बाहर की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। आप जिस दिशा में मुंह करके खड़े हैं, उसे खोजने के लिए एक चुम्बकीय कंपास लें। इससे आप अपने घर की सटीक दिशा जान सकते हैं। कंपास पर 0°/360° चिह्न और सुई के उत्तर को संरेखित करने के बाद परिणाम प्रदर्शित किया जाएगा।
घर के मुख्य द्वार की कौन सी दिशा किस राशि के लिए शुभ है?
राशि | वास्तु के अनुसार दिशा |
वृषभ (Taurus) | दक्षिण (South) |
मिथुन (Gemini) | पश्चिम (West) |
कर्क (Cancer) | दक्षिण (South) |
कन्या (Virgo) | उत्तर या पूर्व (North or East) |
तुला (Libra) | पश्चिम (West) |
वृश्चिक (Scorpio) | दक्षिण (South) |
धनु (Sagittarius) | दक्षिण (South) |
मकर (Aquarius) | दक्षिण-पूर्व (Southeast) |
कुंभ (Capricorn) | दक्षिण (South) |
मीन (Pisces) | दक्षिण (South) |
सिंह (Leo) | दक्षिण (South) |
मेष (Aries) | दक्षिण (South) |
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार का रंग
सुख और सौभाग्य लाने की दिशा के आधार पर मेन डोर के लिए सबसे शुभ रंग इस प्रकार हैं:
- पश्चिम: नीला और सफेद
- दक्षिण और दक्षिण-पूर्व: चांदी, नारंगी और गुलाबी
- दक्षिण-पश्चिम: पीला
- उत्तर: हरा
- उत्तर-पूर्व: क्रीम और पीला
- उत्तर-पश्चिम: सफेद और क्रीम
- पूर्व: सफेद, लकड़ी के रंग या हल्का नीला
-
- वास्तु के अनुसार, दिशा के हिसाब से दरवाजे के लिए शुभ रंग चुनने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- रंगीन मुख्य द्वार का निर्माण करके घर के लिए आकर्षक प्रवेश द्वार बनाएं। सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए आप हल्के रंगों का विकल्प चुन सकते हैं।
- इसके लिए हल्के पीले, लकड़ी के रंग या मिट्टी के रंगों का चयन करें।
- लाल या नारंगी जैसे चमकीले रंगों का इस्तेमाल नहीं करें।
- मुख्य द्वार की पेंटिंग के लिए कभी भी काले रंग का प्रयोग न करें क्योंकि गहरा रंग उदासी, अहंकार आदि जैसी नकारात्मक भावनाओं को जन्म देता है।
- सफेद रंग घर के बेडरूम के दरवाजों के लिए अच्छा विकल्प है। सफेद रंग जीवन में शांति और खुशी लाएगा।
घर के मुख्य द्वार पर तांबे के स्वास्तिक की सही दिशा
घर के मुख्य द्वार पर तांबे का स्वास्तिक लगाते समय यह ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार इसका सही स्थान और दिशा इसके लाभों को अधिकतम रूप देने में मदद करते हैं। वास्तु में इसे हमेशा मुख्य द्वार के भीतर की तरफ लगाने या रखने की सलाह दी जाती है और इसे मुख्य दरवाजे के बीच में या दरवाजे के ऊपरी हिस्से में ही लगाना चाहिए।
वास्तु के अनुसार यदि आप मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न लगाती हैं तो आपके घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है और ये घर के सदस्यों के मन मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है। और आपके घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है।
क्या दक्षिणमुखी घर अच्छा होता है?
अधिकांश लोग जब अपना घर बनाते हैं या नया घर खरीदते हैं तो पूर्वमुखी घर उनकी पहली प्राथमिकता होती है। वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है। वास्तु दिशा-निर्देशों के अनुसार, दक्षिण मुखी घर से बचना चाहिए क्योंकि दक्षिणमुखी घर को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि दक्षिण दिशा पर मृत्यु के देवता यम का शासन होता है।
हालांकि, कुछ एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि एक दिशा को अच्छा या बुरा नहीं माना जा सकता है। दक्षिणमुखी घर को भी अगर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार डिजाइन किया गया हो तो यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकता है और घर में रहने वाले लोग के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकता है। वास्तु दोषों को दूर करने के लिए वास्तु एक्सपर्ट से सलाह लेना चाहिए।
वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर दीपक का महत्व
वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने का विशेष महत्व है। माना जाता है मुख्य द्वार पर शाम के समय दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और किसी भी प्रकार के नकारात्मक ऊर्जा और दुस्प्रभाव को घर में प्रवेश से रोका जा सकता है। इसलिए हमें अपने घर के मुख्य द्वार पर संध्यकाल के समय मुख्य द्वार की सफाई करके दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
घर के मुख्य द्वार पर लगाएं देवी लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर देवी लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह या तो गेरू से बनाएं या फिर आप मार्केट से खरीदकर भी ला सकते हैं, और फिर उसे मुख्य द्वार पर लगाएं
माना जाता है देवी लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में घर में सौभाग्य और समृद्धि के साथ- साथ धन की कभी कमी नहीं होती है। और घर में हमेशा सुख- शांति के साथ ही साथ सकरात्मकता का प्रवाह भी बना रहता है।
घर का मुख्य द्वार और वास्तु: मुख्य द्वार के सामने क्या रखना चाहिए?
- नेमप्लेट: हर घर के मुख्य द्वार के सामने नेमप्लेट लगानी चाहिए। धातु नेमप्लेट उत्तर-पश्चिम मुख्य प्रवेश द्वार के लिए आदर्श है, जबकि प्रवेश द्वार के सामने लकड़ी की नेमप्लेट लगाई जा सकती है। वैसी नेमप्लेट चुनें जिन पर देवी-देवता बने हुए हों।
- शुभ चिन्ह: मुख्य द्वार को दिव्य प्रतीकों जैसे ॐ, स्वास्तिक, क्रॉस आदि से सजाएं और फर्श पर रंगोली बनाएं, क्योंकि उन्हें शुभ माना जाता है और वे सौभाग्य को आकर्षित करते हैं।
- देवताओं की मूर्तियाँ: आप मुख्य प्रवेश क्षेत्र को गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों से भी सजा सकते हैं, जो परिवार के लिए सौभाग्य, धन और समृद्धि को आकर्षित करेगा।
- सजावट: उरली या पानी और फूलों की पंखुड़ियों से भरा कांच का बर्तन रखकर घर के प्रवेश द्वार को सजाएं।
- लकड़ी की सजावट: नक्काशी वाला लकड़ी का दरवाजा घर के एंट्रेंस के लिए आदर्श होता है क्योंकि वास्तु के अनुसार, लकड़ी को शुभ तत्व माना जाता है। आप एंट्रेंस एरिया में लकड़ी की दीवारों और सीलिंग को भी शामिल कर सकते हैं।
- लाइटिंग: सुनिश्चित करें कि मुख्य प्रवेश द्वार के आसपास का क्षेत्र अच्छी तरह से प्रकाशित हो। उचित रोशनी का प्रबंध करें। पीली रोशनी के लिए जाएं, जो सूरज की रोशनी की तरह दिखती है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
- घोड़े की नाल: घर के एंट्रेंस के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार, बुरी चीजों को दूर रखने और नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए प्रवेश द्वार पर काले घोड़े का नाल भी लटकाया जा सकता है।
- थ्रेशहोल्ड: घर के मुख्य दरवाजे में हमेशा एक दहलीज (संगमरमर या लकड़ी) होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है और केवल सकारात्मक ऊर्जा को ही आने देता है।
- डोरमैट्स: डोरमैट भी लगाएं, जो गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकेंगे क्योंकि लोग घर में प्रवेश करने से पहले अपने जूते साफ करने के लिए डोरमैट का इस्तेमाल करेंगे।
- पौधे: घर के मुख्य द्वार के पास शुभ पौधे लगाएं, जैसे मनी प्लांट या तुलसी का पौधा। मनी प्लांट को दीवार के बेस पर लगाएं और इसे पूरी दीवार को कवर करने के लिए सपोर्ट दें।
मुख्य द्वार के सामने इन चीजों से बचें
- साफ घर, खास तौर से मुख्य प्रवेश द्वार, सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। जूते के रैक, पुराने फर्नीचर, कूड़ेदान, टूटी कुर्सियों या स्टूल को मुख्य दरवाजे के पास रखने से बचें।
- मुख्य द्वार के सामने कभी भी शीशा न लगाएं। यह उन ऊर्जाओं को प्रतिबिंबित करेगा जो घर में प्रवेश कर सकती हैं।
- मुख्य द्वार पर ऐसी कोई पेंटिंग या कलाकृति न लगाएं, जिसमें काले रंग हों।
- मुख्य प्रवेश द्वार के लिए लाइट लगवाते समय लाल रंग का इस्तेमाल नहीं करें।
- मुख्य प्रवेश द्वार के लिए लाइट लगाते समय लाल रंग की रोशनी का इस्तेमाल करने से बचें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा मे होना चाहिए और इसका महत्व
हम सभी जब अपने घर का निर्माणकरवाते हैं तो इसका मुख्य द्वार सही दिशा में लगवाने का विशेष ध्यान रखते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार सिर्फ आपके लिए प्रवेश द्वार नहीं बल्कि आपके निवास में भी सभी सकारात्मक अच्छी ऊर्जाओं का भी प्रवेश द्वार होता है। यह संक्रमण क्षेत्र है जो घर के अंदर और बाहर को जोड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की दिशा इंगित करती है कि यही से सौभाग्य और खुशियों निवास में प्रवेश करती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की दिशा हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर, पूर्व या पश्चिम की ओर होनी चाहिए क्योंकि यह दिशाएं शुभ मानी जाती हैं।
घर के अलग–अलग कमरों के लिए सही दिशाएं:-
- लिविंग रूम: पूर्व-मुखी ( नार्थ-ईस्ट ) घर के लिए द्वार नार्थ-ईस्ट दिशा में होना चाहिए। प्रवेश द्वार पश्चिममुखी ( वेस्ट साइड ) घर के उत्तर-पश्चिम दिशा ( साउथ ईस्ट ) दिशा में होना चाहिए, जबकि दक्षिणमुखी घर का द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- डाइनिंग रूम: किचन और डाइनिंग रूम एरिया को घर के दक्षिण-पूर्व या साउथ ईस्ट कार्नर में डिजाइन करें। किचन को दक्षिण दिशा में बनाने से बचें। वास्तु के अनुसार डाइनिंग रूम पश्चिम यानी वेस्ट कार्नर में होना चाहिए।
- बच्चों का बेडरूम: घर में बच्चों का रूम डिज़ाइन करते समय आप पश्चिम(वेस्ट), उत्तर(नार्थ), दक्षिण(साउथ) या पूर्व(ईस्ट) दिशा चुन सकते हैं। हालांकि, अगर इन दिशाओं में कोई जगह खली नहीं है, तो दक्षिण-पूर्व(साउथ ईस्ट) या उत्तर-पश्चिम(नार्थवेस्ट) दिशा भी चुनी जा सकती है।
- बाथरूम: बाथरूम के लिए घर में नार्थ और नार्थवेस्ट की ओर जगह चुने।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा मे होना चाहिए और इसका महत्व
हम सभी जब अपने घर का निर्माणकरवाते हैं तो इसका मुख्य द्वार सही दिशा में लगवाने का विशेष ध्यान रखते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार सिर्फ आपके लिए प्रवेश द्वार नहीं बल्कि आपके निवास में भी सभी सकारात्मक अच्छी ऊर्जाओं का भी प्रवेश द्वार होता है। यह संक्रमण क्षेत्र है जो घर के अंदर और बाहर को जोड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की दिशा इंगित करती है कि यही से सौभाग्य और खुशियों निवास में प्रवेश करती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की दिशा हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर, पूर्व या पश्चिम की ओर होनी चाहिए क्योंकि यह दिशाएं शुभ मानी जाती हैं।
घर के अलग–अलग कमरों के लिए सही दिशाएं:-
- लिविंग रूम: पूर्व-मुखी ( नार्थ-ईस्ट ) घर के लिए द्वार नार्थ-ईस्ट दिशा में होना चाहिए। प्रवेश द्वार पश्चिममुखी ( वेस्ट साइड ) घर के उत्तर-पश्चिम दिशा ( साउथ ईस्ट ) दिशा में होना चाहिए, जबकि दक्षिणमुखी घर का द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- डाइनिंग रूम: किचन और डाइनिंग रूम एरिया को घर के दक्षिण-पूर्व या साउथ ईस्ट कार्नर में डिजाइन करें। किचन को दक्षिण दिशा में बनाने से बचें। वास्तु के अनुसार डाइनिंग रूम पश्चिम यानी वेस्ट कार्नर में होना चाहिए।
- बच्चों का बेडरूम: घर में बच्चों का रूम डिज़ाइन करते समय आप पश्चिम(वेस्ट), उत्तर(नार्थ), दक्षिण(साउथ) या पूर्व(ईस्ट) दिशा चुन सकते हैं। हालांकि, अगर इन दिशाओं में कोई जगह खली नहीं है, तो दक्षिण-पूर्व(साउथ ईस्ट) या उत्तर-पश्चिम(नार्थवेस्ट) दिशा भी चुनी जा सकती है।
- बाथरूम: बाथरूम के लिए घर में नार्थ और नार्थवेस्ट की ओर जगह चुने।
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वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की पोजीशन
अपना मुख्य दरवाजा लगाने की सबसे अच्छी दिशा के लिए ऊपर की तस्वीर देखें। 1 सर्वश्रेष्ठ स्थान दर्शाता है और अन्य को आंकड़े में लगातार चिह्नित किया गया है।
कुछ दिशाएँ अन्य की तुलना में बेहतर क्यों हैं:
- उत्तर-पूर्व: जैसा कि चित्र से पता चलता है, जब वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के स्थान की बात आती है तो उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ होता है। यह एक ऐसी दिशा भी है जो सुबह सूरज के संपर्क में आने से काफी ऊर्जा प्राप्त करती है। यह घर और उसके निवासियों में जीवन शक्ति और ऊर्जा लाता है।
- उत्तर: ऐसा माना जाता है कि यह स्थान परिवार में धन और भाग्य ला सकता है और इसलिए, यह आपके घर का मुख्य द्वार या प्रवेश द्वार लगाने के लिए दूसरी सबसे अच्छी दिशा है।
- पूरब: यह बहुत आदर्श लोकेशन नहीं है लेकिन पूरब दिशा आपकी शक्ति को बढ़ाने वाली दिशा मानी जाती है। यह उत्सव में और भी उत्साह लाता है।
पूरबमुखी घर के लिए मुख्य द्वार वास्तु के बारे में और पढ़ें
- दक्षिण-पूर्व: दक्षिण पश्चिम प्रवेश द्वार के लिए कभी भी समझौता न करें। यदि कोई अन्य विकल्प नहीं है तो आपको दक्षिण पूर्व का प्रवेश द्वार चुनना चाहिए, जैसा कि वास्तु में सुझाया गया है।
- उत्तर-पश्चिम: यदि कोई अन्य विकल्प नहीं है और आपका प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में ही होना चाहिए, तो सुनिश्चित करें कि यह उत्तर पश्चिम प्रवेश दिशा है। वास्तु के अनुसार शाम के सूरज और समृद्धि के लाभों का स्वागत इस तरह किया जा सकता है।
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घर का मुख्य दरवाजा हमेशा उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं शुभ मानी जाती हैं। दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम (उत्तर दिशा) या दक्षिण-पूर्व (पूर्व दिशा) में मुख्य दरवाजा बनाने से बचें। मुख्य दरवाजे को हमेशा घड़ी की दिशा में खुलने वाला होना चाहिए।
परमाशायिका मंडल प्रणाली के अनुसार, वास्तु पुरुष मंडल के बाहरी घेरे में 32 अलग-अलग देवता या ऊर्जा क्षेत्र होते हैं। मुख्य दरवाजा किसी ऊर्जा क्षेत्र पर होने से उस देवता की विशेषताओं के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है।
घर में प्रवेश की दिशाएं और देवता
घर के प्रवेश की दिशा | देवता का शासन |
उत्तर | कुबेर, भाग्य के देवता |
पूर्व | इन्द्र, स्वर्ग के स्वामी और देवताओं के राजा |
दक्षिण | यम, न्याय और मृत्यु के देवता |
पश्चिम | वरुण, समुद्र, महासागर और वर्षा के देवता |
ईशान कोण | ईशान, जन्म, मृत्यु, पुनरुत्थान और समय के देवता |
दक्षिण-पूर्व | अग्नि, अग्नि के देवता |
उत्तरपश्चिम | वायु, हवाओं के देवता |
दक्षिण पश्चिम | निररुति, मृत्यु, दुःख और क्षय के देवता |
मुख्य द्वार वास्तु: किन दिशाओं से बचना चाहिए
- दक्षिण: दक्षिण दिशा, जो अग्नि तत्व से जुड़ी होती है, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के लिए अशुभ मानी जाती है।
- दक्षिण-पश्चिम: मुख्य द्वार को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से बचना चाहिए क्योंकि इसे वास्तु में अशुभ दिशा माना गया है। यह दिशा धन से जुड़ी होती है, लेकिन मुख्य द्वार यहां रखने से दुर्भाग्य का संकेत मिलता है। आदर्श दिशा इसके विपरीत, यानी उत्तर-पूर्व दिशा मानी जाती है।
- दक्षिण-पूर्व: यह दिशा भी अशुभ मानी जाती है क्योंकि यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी होती है। यहां मुख्य द्वार होने से बीमारियां, गुस्सा और पारिवारिक झगड़े हो सकते हैं।
दक्षिण मुखी घर के प्रवेश द्वार के लिए वास्तु
ज्यादातर लोग पूर्व मुखी घरों में जाना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें शुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा पर मृत्यु के देवता यम का होता है और इस वजह से शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए वास्तु नियमों के अनुसार दक्षिण मुखी घरों से बचना चाहिए।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि किसी दिशा को अच्छा या बुरा नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा, अगर एक घर को वास्तु सिद्धांतों के अनुसार डिजाइन किया गया है, तो यह सकारात्मक ऊर्जा सुनिश्चित कर सकता है और इसमें रहने वालों के लिए सौभाग्य, खुशी और समृद्धि ला सकता है।
दक्षिण मुखी प्रवेश द्वार के लिए यहां कुछ उपयोगी वास्तु टिप्स दिए गए हैं।
मुख्य एंट्रेंस दोष सुधारें: घर का दक्षिण भाग बनाएं। इसे दक्षिण-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर नौ बराबर भागों (पदों) में विभाजित करें। दक्षिण मुखी घर का मुख्य द्वार चौथे पद में होना चाहिए और मुख उत्तर या पूर्व की ओर होना चाहिए। इसके अलावा आप तीसरा, दूसरा या पहला पद चुन सकते है। प्रवेश द्वार के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचें।
किचन: दक्षिण मुखी घर के लिए वास्तु के अनुसार, किचन को घर के उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इससे उस क्षेत्र में सुबह की पर्याप्त धूप आएगी। इसके अलावा, दक्षिण-पूर्व अग्नि के देवता की दिशा है और जरूरी वेंटिलेशन सुनिश्चित करते हुए किचन के लिए आदर्श जगह है।
बेडरूम: घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में मास्टर बेडरूम को दक्षिण मुखी प्रवेश द्वार वाले घर में डिजाइन करें। अगर घर में कई मंजिलें हैं, तो मास्टर बेडरूम के लिए सबसे ऊपरी मंजिल चुनें। अन्य कमरों के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सही है।
रंग: एंट्रेंस एरिया और लिविंग रूम के पर्दों के लिए लाल रंग के हल्के शेड चुनें। लाल मंगल ग्रह का रंग है, जो ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करता है।
दक्षिण मुखी प्लॉट के घर का नक्शा आयताकार या चौकोर होना चाहिए। दक्षिण और पश्चिम की दीवारें दूसरी तरफ की दीवारों की तुलना में मजबूत और ऊंची होनी चाहिए। दक्षिण-पश्चिम में पानी के पंप, कार पोर्शे, सेप्टिक टैंक या बगीचे नहीं होना चाहिए। नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए उत्तर-पश्चिम कोने में अधिक पेड़ लगाएं या पौधे और गमले रखें।
दक्षिणमुखी घर का एंट्रेंस: फायदे
दक्षिणमुखी घर व्यवसाय करने वालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालाँकि, सेवाएँ देने वालों को ऐसी प्रॉपर्टी की सलाह दी जाती है। अगर दक्षिण मुखी बिल्डिंग को औद्योगिक कार्यालय या कार्यस्थल माना जाए तो यह सफलता और समृद्धि सुनिश्चित करता है।
पारंपरिक रूप से सजाया गया मुख्य प्रवेश द्वार वास्तु के हिसाब से डिजाइन घर के लिए एक अच्छा आईडिया है। एरिया को अच्छी तरह से रोशन रखें। दरवाजे को फीके रंगों से पेंट नहीं करें। आप फूलों की माला से भी सजावट कर सकते हैं।
वास्तु में अंदर से क्लॉकवाइज खुलने वाले दो शटर वाले मुख्य दरवाजे की राय दी जाती है।
दक्षिण-पूरब मुखी घर शुभ है या अशुभ ?
घर में प्रवेश के लिए वास्तु के दिशा-निर्देशों के अनुसार, दक्षिण-पूरब मुखी मुख्य द्वार से बचना बेहतर है। यदि दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में एक दरवाजा है, तो सीसा धातु पिरामिड और सीसा हेलिक्स का इस्तेमाल करके दोष को ठीक किया जा सकता है।
- यदि दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में एक दरवाजा है, तो सीसा धातु पिरामिड और सीसा हेलिक्स का उपयोग करके दोष को ठीक किया जा सकता है।
- वास्तु दोष के कारण होने वाली नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए तांबे या चांदी से बने शुभ प्रतीकों जैसे ॐ या स्वास्तिक प्रतीकों को रखें। यह सौभाग्य को भी आकर्षित करेगा।
- आप तीन वास्तु पिरामिड भी रख सकते हैं। घर के एंट्रेंस के मुख्य द्वार के ऊपर एक पिरामिड रखें। अन्य वास्तु पिरामिड को दरवाजे के दोनों ओर रखें।
वास्तु दोष को दूर करने के लिए दक्षिण पूर्वी घर के प्रवेश द्वार के चारों ओर भूरे या गहरे लाल रंग के पर्दे लगाएं। - दक्षिण पूर्वी घर के प्रवेश द्वार के लिए एक और वास्तु दोष उपाय है 9 लाल कारेलियन रत्न दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुख किए रखना।
- साउथ-ईस्ट मुखी घर के प्रवेश द्वार को चमकीले रंग जैसे नारंगी और लाल से रंगें, क्यूंकि यह रंग अग्नि तत्त्व को दर्शातें हैं।
दक्षिण-पूर्वी घर के प्रवेश क्षेत्र में वास्तु दोष के होने से घर की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही, यह रिश्तों में टकराव या गलतफहमियों का कारण बन सकता है और लोगों को चिड़चिड़े स्वभाव का बना सकता है। ऊपर बताए गए उपायों का पालन करने से इन वास्तु दोषों को खत्म करने और घर में पॉज़िटिव माहौल बनाने में मदद मिल सकती है।
पूर्वमुखी घर का मुख्य द्वार और वास्तु
पूर्व दिशा उगते सूरज की दिशा है और इसे घर के प्रवेश द्वार के लिए शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, पूर्वमुखी संपत्तियां बहुमंजिला अपार्टमेंट के लिए आदर्श होती हैं। पूर्वमुखी घरों में मुख्य द्वार के लिए जयंत और इंद्र पद सबसे उपयुक्त माने गए हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि पूर्वमुखी प्लॉट उत्तर-दक्षिण दिशा में सही तरीके से संरेखित नहीं है, तो घर दक्षिण-पूर्व की ओर हो सकता है, जिसे अशुभ माना जाता है। ऐसी स्थिति में उस प्लॉट से बचें या वास्तु उपायों का सहारा लें ताकि नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।
उत्तरपूर्व दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है। इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होना बहुत शुभ माना जाता है। यह दिशा घर के निवासियों के लिए सौभाग्य और नई संभावनाएं लेकर आती है। वास्तु के अनुसार, इस दिशा पर दिति देवी का शासन है, जिन्हें बहुत दयालु माना गया है।
पश्चिमोत्तर दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिमोत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार उन लोगों के लिए आदर्श है जो सफलता, धन, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। हालांकि, ऐसे घरों का एक प्रभाव यह हो सकता है कि परिवार का पुरुष सदस्य घर से दूर समय बिता सकता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
दक्षिण-पश्चिम दिशा पर राहु ग्रह का प्रभाव माना जाता है, जो बेहद उग्र और अशुभ ग्रहों में से एक है। इसे आमतौर पर बुराई की दिशा माना जाता है। घर के मुख्य द्वार के लिए किसी शुभ दिशा, जैसे कि पश्चिमोत्तर दिशा (जो धन के देवता कुबेर से जुड़ी है), को चुनना बेहतर होता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार धन ला सकता है, लेकिन यह दुर्भाग्य भी साथ ला सकता है।
वास्तु के अनुसार पश्चिममुखी मुख्य द्वार की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम दिशा में मुख वाला मुख्य द्वार परिवार की महिला सदस्यों के लिए अनुकूल नहीं हो सकता। लेकिन यह घर परिवार के युवा सदस्यों के लिए उपयुक्त हो सकता है।
पश्चिममुखी मुख्य द्वार के लिए वास्तु में शुभ पद सुग्रीव, पुष्पदंत और वरुण माने गए हैं। वहीं, दुवारिक, असुर, शोषा और पाप्यक्षमा पद को पश्चिममुखी घरों के मुख्य द्वार के लिए टालना चाहिए।
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार का आकार
वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार का आकार घर में बाकी दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। यह वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह परिवार के लिए सौभाग्य, भाग्य और स्वास्थ्य लाएगा।
यह एक बड़ी यूनिट के बजाय दो भागों में हो तो बेहतर है। सुनिश्चित करें कि डोरवे संकीर्ण न हो और कोनों से दूर हो।
घर का मुख्य द्वार और वास्तु: क्या करें और क्या न करें
मुख्य प्रवेश द्वार पर धूप और पर्याप्त रोशनी
जो मुख्य द्वार सुबह के समय पर्याप्त धूप देता है, उसे शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के प्रवेश द्वार के लिए उत्तर-पूर्व दिशा आदर्श है। घर के मुख्य द्वार को पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए। यदि यह संभव नहीं है, तो आप उस क्षेत्र में पीली रोशनी का उपयोग कर सकते हैं जो सूर्य के प्रकाश की सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रवेश द्वार पर हमेशा तेज रोशनी होनी चाहिए लेकिन लाल रंग की रोशनी से बचें। फ्लैट और आधुनिक घरों के लिए वास्तु नियमों के अनुसार शाम के समय प्रवेश द्वार पर अच्छी रोशनी होनी चाहिए।
घर का में द्वारा कोने में क्यों नहीं होना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का में दरवाजा कभी भी कोने में होना शुभ नहीं माना जाता। घर का मुख्य द्वार हमेशा सही दिशा में ही लगवाना वास्तु शास्त्र के अनुसार और हिंदू धर्म में भी तभी अच्छा माना जाता है जब वह उचित दिशा में लगा हो. तभी घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और घर से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं बाहर जाती हैं। किंतु यदि हम अपने घर का मुख्य द्वार ही उचित दिशा में नहीं लगवाते हैं तो घर का वातावरण सही शुद्ध नहीं रहता। यदि हमारे घर की मुख्य दिशा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर -पश्चिम (उत्तर दिशा या दक्षिण पूर्व दिशा मैं रखने से बचें। यह दिशाएं वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं मानी जाती. इन दिशाओं में मुख्य द्वार होने से घर में सभी नेगेटिव एनर्जी प्रवेश करती हैं इसलिए इन दिशाओं में ना घर का मुख्य द्वार रखें और ना घर का मुख्य द्वार कोने में रखें या वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जाता।
समृद्धि और वैभव के लिए
मेन डोर के पास पानी से भरा एक कांच का घड़ा रखें, जिसमें फूलों की पत्तियां हों. चूंकि पानी नकारात्मक ऊर्जा का कुचालक है, यह आपके घर और परिवार के सदस्यों को स्वस्थ रखने में आपकी मदद करेगा. आप लक्ष्मी के पैर भी घर की एंट्रेंस पर चिपका सकते हैं.
घर का मेन दरवाजा पर डेकोरेशन
घर के एंट्रेंस को हरे पौधों से सजाएं. मेन डोर पर आप तोरण भी लगा सकते हैं. मेन डोर के पास जानवरों की मूर्तियां और अन्य आकृतियां, फव्वारा या फिर पानी के तत्व न रखें. घर के मुख्य द्वार के सामने कभी शीशा न रखें। अगर जगह है तो एंट्रेंस को हरे पौधों से सजाएं।
यह भी देखें: घर के एंट्रेंस के लिए कौन सा पौधा अच्छा है
सजावटी हैंगिंग बेल्स भी सकारात्मक ऊर्जा को आपके घर का पता बताती हैं. मेन डोर पर रंगोली न केवल देवी लक्ष्मी और घर पर मेहमानों का स्वागत करती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी देती है, खुशियां बिखेरती है और बुराई को दूर करती है. रंगोली को रंगीन पाउडर, हल्दी पाउडर, चूना पत्थर पाउडर, गेरू (भूरी मिट्टी पाउडर) फूलों की पंखुड़ियों, या चावल के आटे का उपयोग करके डिजाइन किया जा सकता है.
घर का मेन दरवाजा की पोजिशन
वास्तु सिद्धांतों के अनुसार हमेशा एंट्री गेट और मेन गेट एक ही तरफ रखें. घर का मुख्य द्वार 90 डिग्री में खुलना चाहिए, वो भी बिना किसी रुकावट के. दरवाजा हमेशा घड़ी के घूमने (Clockwise) की दिशा में खुलना चाहिए. दरवाजों के कब्जों में नियमित तौर पर तेल डालें और दरवाजों के सामान पर पॉलिश करें। एंट्रेंस में किसी भी तरह की टूट-फूट और चटकी हुई लकड़ी नहीं होनी चाहिए, न ही कोई पेच निकला होना चाहिए।
मुख्य द्वार को घर के किसी कोने में नहीं लगाना चाहिए। निवासियों की भलाई के लिए घर के कोने खाली छोड़े जाने चाहिए। सुनिश्चित करें कि मुख्य प्रवेश द्वार के सामने कोई पुरानी और अनुपयोगी स्ट्रक्चर या जर्जर इमारत नहीं हो। घर के प्रवेश द्वार को कभी भी सीधे पड़ोसी के घर के प्रवेश द्वार के सामने नहीं होना चाहिए।
नेम प्लेट और वास्तु
हमेशा नेम प्लेट लगाएं। अगर घर का दरवाजा उत्तर और पश्चिम दिशा की ओर है तो धातु की नेम प्लेट लगाने की हमेशा सलाह दी जाती है। अगर दक्षिण या पूर्व में है तो लकड़ी की नेम प्लेट लगाएं। इसे मुख्य द्वार के बाईं ओर रखें, क्योंकि इसे अन्य पक्षों की तुलना में अधिक शुभ बताया जाता है।
पश्चिम मुखी घरों पर हमारे लेख में पश्चिम प्रवेश वास्तु के बारे में और अधिक जानें।
मेन डोर के लिए घंटी
दरवाजे के बाहर लगाई जाने वाली घंटी को कम से कम 5 फुट या उससे ऊपर लगवाएं. झकझोरने वाली, पीतल की या ज्यादा आवाज वाली घंटियां ना लगवाएं. ऐसी डोर बेल चुनें, जिसकी आवाज मधुर और सुकून देने वाली हो ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़े.
मुख्य द्वार के लिए उपयोग की जाने वाली लकड़ी की क्वॉलिटी
घरों के निर्माण के दौरान मुख्य द्वार के लिए उपयोग की जाने वाली लकड़ी के चुनाव में भी काफी सावधानी बरतें। घर के मुख्य द्वार के लिए उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी का ही उपयोग करें। इसके लिए आप सागौन की लकड़ी या होन्ने वुड का इस्तेमाल कर सकते हैं। घर के दरवाजे के लिए कभी भी नारियल या पीपल के पेड़ों की लकड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि आप घर के प्रवेश द्वार के लिए शटर लगाना चाहते हैं तो अच्छी गुणवत्ता वाले स्टील का उपयोग कर सकते हैं।
- रोज़वुड: घर के मुख्य द्वार के लिए यदि इस लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो इसे शुभ माना जाता है। रोजवुड को प्रचुरता और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
- सागौन की लकड़ी: घर के मुख्यद्वार के लिए अधिकांश लोग सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं। यह जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देती है।
- महोगनी के पेड़ की लकड़ी: यह लकड़ी भी शुभ होती है। यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, प्रचुरता और सुरक्षा को आकर्षित करती है।
- ओक की लकड़ी: ओक के पेड़ की लकड़ी से यदि घर का मुख्य द्वार बनाया जाता है तो घर में धैर्य, लचीलापन और स्थिरता बनी रहती है।
- चंदन की लकड़ी: हिंदू धर्म में चंदन की लकड़ी को काफी शुभ माना जाता है। घर का मुख्य द्वार यदि चंदन की लकड़ी से तैयार किया जाता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार में शांति बनी रहती है।
मेन डोर में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी की क्वॉलिटी
फ्लैट जैसे घर बनाने के लिए मुख्य द्वार वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, यह आवश्यक है कि आप सही सामग्री चुनें। बेहतर क्वालिटी वाली लकड़ी का ही प्रयोग करें और ध्यान दें कि इस दरवाजे की ऊंचाई आपके घर के दूसरे दरवाजों से अधिक होनी चाहिए।
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मेन डोर और बाथरूम
मेन डोर के करीब बाथरूम नहीं होना चाहिए. पीले, बेज या लकड़ी जैसे रंगों को चुनें. लाल और संतरी जैसे गहरे रंगों से बचें.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार का रंग
सुख और सौभाग्य लाने की दिशा के आधार पर मेन डोर के लिए सबसे शुभ रंग इस प्रकार हैं:
- पश्चिम: नीला और सफेद
- दक्षिण और दक्षिण-पूर्व: चांदी, नारंगी और गुलाबी
- दक्षिण-पश्चिम: पीला
- उत्तर: हरा
- उत्तर-पूर्व: क्रीम और पीला
- उत्तर-पश्चिम: सफेद और क्रीम
- पूर्व: सफेद, लकड़ी के रंग या हल्का नीला
काले रंग से मेन डोर न रंगें.
यह भी देखें: वास्तु के आधार पर आपके घर के लिए सही रंग
मेन डोर के पास ईश्वर की मूर्तियां
एंट्रेंस पर देवताओं और देवियों की मूर्ति और तस्वीरें लगाना शुभ माना जाता है. वास्तु के मुताबिक, आप घर की एंट्रेंस पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां और तस्वीरें रख सकते हैं. इससे वैभव, अच्छा भाग्य और समृद्धि आती है.
अपने प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की मूर्तियों और चित्रों को रखना शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, सौभाग्य, धन और समृद्धि का स्वागत करने के लिए आप अपने घर के प्रवेश द्वार पर गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियाँ और तस्वीरें रख सकते हैं। घर का मेन दरवाजा शुभ प्रतीकों से अलंकृत होना चाहिए जैसे नारियल के साथ कलश और स्वास्तिक, जो गणेश भगवान का प्रतीक है।
कदमों का ध्यान रखें
अगर एंट्रेंस पर सीढ़ियां हैं तो ऐसा माना जाता है कि विषम संख्या वाली सीढ़ियों से सौभाग्य आता है.
दरवाजों की संख्या
ध्यान दें कि आपके घर में दरवाजों की संख्या सम (इवन) हो। वास्तु के अनुसार, आपके घर के उत्तर और पूर्व भाग में दक्षिण और पश्चिम के कोनों से अधिक दरवाजे होने चाहिए।
हालांकि, दरवाजे दस या आठ के गुणकों में नहीं होने चाहिए। दरवाजों की गिनती करते समय नियमों की जानकारी होनी चाहिए। घर के मुख्य गेट या आउटहाउस के दरवाजों को कुल दरवाजों की संख्या में नहीं गिना जाना चाहिए। इसके अलावा, दो पल्लों वाले दरवाजों को एक ही दरवाजा माना जाता है।
घर का प्रवेश द्वार बिना दरवाजे का हो सकता है। अगर एरिया ऊपर से कवर है और एक ढका हुआ रास्ता बना रहा है, तो ऐसे क्षेत्र को दरवाजे के रूप में गिना जाता है। जो दरवाजे घर के अंदर के हिस्सों को विभाजित करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन छत से नहीं जुड़े हैं, उन्हें दरवाजों की कुल संख्या में नहीं गिना जाता है।
कुछ घरों में एक से अधिक मुख्य प्रवेश द्वार होते हैं। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि एक ही प्रवेश द्वार होने से अधिक धन की प्राप्ति होती है। घर के प्रवेश द्वार में दो दरवाजे से घर वालों को आरामदायक जीवन मिलता हैं, जबकि मुख्य द्वार के समानांतर एक लाइन में तीन दरवाजे नकारात्मक माने जाते हैं और इससे बचना चाहिए। इसी तरह मुख्य द्वार पर भी तीन से ज्यादा दरवाजे नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे परेशानी होती है।
दरवाजों की संख्या और उसका महत्व
दो दरवाजे | शुभ |
तीन दरवाजे | दुश्मनी करवाते हैं |
चार दरवाजे | लंबा जीवन जीने में मदद करते हैं |
पांच द्वार | रोग |
छह द्वार | अच्छा संतान |
सात द्वार | मृत्यु |
आठ द्वार | धन बढ़ना |
नौ द्वार | रोग |
दस द्वार | डकैती |
ग्यारह द्वार | अच्छाई का नाश |
बारह द्वार | व्यापार बढ़ना |
तेरह द्वार | आयु को घटाता है |
चौदह द्वार | धन बढ़ना |
पन्द्रह द्वार | अच्छाई का नाश |
मुख्य द्वार के लाइन में कोई अन्य द्वार नहीं
घर के प्रवेश द्वार को अन्य दरवाजों जैसे घर के मुख्य द्वार के साथ एक लाइन में नहीं होना चाहिए। घर के प्रवेश द्वार पर किसी भी परछाई को पड़ने से बचाने के लिए यह जरूरी है। साथ ही इससे नकारात्मक ऊर्जा और धूल भी घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
खिड़की
घर के मुख्य दरवाजे के सामने खिड़की लगाई जा सकती है।
शू रैक
कई लोग अपने घर के मेन डोर पर ही शू रैक रख देते हैं. घर लौटने के बाद उन्हें जूते वहां रखने में आसानी होती है. यह आसान भी है लेकिन इससे बचना चाहिए. यही बात कूड़ेदान और टूटे हुए फर्नीचर पर भी लागू होती है. मुख्य दरवाजे के पीछे चीजों को लटकाने से बचें.
कूड़ेदान दूर रखें
घर के प्रवेश द्वार के पास कूड़ेदान रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति और समृद्धि पर भी असर पड़ेगा। सुनिश्चित करें कि द्वार अव्यवस्थित नहीं हो और इस क्षेत्र के आसपास कूड़ेदान न रखें।
प्रॉपर्टी का लेआउट चेक करें
बड़े शहरों में, घर के लेआउट पर आपका ज्यादा जोर नहीं चलेगा. लेकिन अगर आप प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो आपके घर का मेन डोर किसी दूसरे के घर के मेन डोर के सामने नहीं होना चाहिए. इससे समस्याएं आएंगी. किसी अन्य व्यक्ति के मेन डोर या फिर एक पौधे द्वारा डाली गई छाया भी आपके घर के लिए अच्छी नहीं है.
दरवाजों के प्रकार और प्रकृति
अगर आप खूबसूरती से डिजाइन किए गए दरवाजों का चुनाव करते हैं तो आपके घर के प्रवेश द्वार की सजावट काफी बढ़ जाती है। घर की एंट्रेंस पर स्लाइडिंग डोर नहीं होना चाहिए. यहां तक कि सर्कुलर शेप वाले दरवाजों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. वे फैशनेबल लग सकते हैं लेकिन ये वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं करते. एंट्रेंस के लिए हमेशा सिंपल और अच्छी क्वॉलिटी के दरवाजों का ही इस्तेमाल करें. लकड़ी एक अच्छी चॉइस है और यह दोषों को सुधारती है.
दहलीज का महत्व
यह भी सलाह दी जाती है कि मेन डोर पर एक दहलीज हो. सुनिश्चित करें कि घर जमीन के समान स्तर पर न हो. यह घर के अंदर सकारात्मक वातावरण को दर्शाता है, जो कि बाहर की नकारात्मक ऊर्जा के खिलाफ है. दहलीज बुरी शक्तियों के खिलाफ रोड़े का काम करता है और पैसे को बर्बाद होने से बचाता है. अगर सीढ़ियां हैं तो वे ऑड नंबर्स में होनी चाहिए. आप दहलीज को कंक्रीट और लकड़ी के कॉम्बिनेशन से बना सकते हैं। आप स्टोन स्टडेड थ्रेसहोल्ड एरिया बना सकते हैं जो आपके पैसे बचाएगा।
एक डोरमैट लगाएं
इसी तरह डोरमैट भी जरूरी है. जब आप डोरमैट पर अपने जूतों को साफ करते हैं तो आप सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों को घर के बाहर ही छोड़ देते हैं.
सेप्टिक टैंक की प्लेसमेंट
घर के मेन डोर पर कभी भी सेप्टिक टैंक नहीं रखवाना चाहिए.
मेन डोर के पास लाइटिंग
इसकी सलाह हमेशा दी जाती है कि आपके घर के मेन जोर पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए ताकि आपका मूड फ्रेश हो जाए. हल्की लाइट्स का ही इस्तेमाल करें और डार्क लाइट्स को नजरअंदाज करें. यह दोनों अनिष्ट हैं. मेन डोर पर दाग और स्क्रैच को चेक करें, क्योंकि ये नहीं होने चाहिए. टूटे दरवाजे होने से सम्मान का भी नुकसान होता है.
फ़ोयर स्पेस
फोयर वास्तु का एक अहम हिस्सा है. अच्छे से सजा हुआ फोयर स्पेस, हमारी फिलॉसफी के मुताबिक घर में रहने वालों के लिए चमत्कार कर सकता है. दुर्भाग्यवश, शहरी इलाकों में हर कोई जगह की कमी के कारण ऐसे घर अफोर्ड नहीं कर सकता. लेकिन अगर आप अफोर्ड कर सकते हैं तो ऐसा घर देखें, जहां की ओर रास्ता छोटे से बड़े स्थान की ओर जाए.
ख़राब दरवाजों को हटा दें
मुख्य द्वार पर डेंट या खरोंच चेक करें, क्योंकि यह ठीक नहीं है। टूटे दरवाज़े से मान-सम्मान घट सकता है। अगर घर का प्रवेश द्वार डैमेज हो गया है या उसमें दरारें हैं, तो आप इसे तुरंत एक जरूर बदल दें। टूटे या क्रैक हुए दरवाजों को वास्तु दोष माना जाता है, जो परिवार के सदस्यों के वित्त और सम्पूर्ण खैरियत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
एक दूसरे को काटने वाली सड़कों से बचें
चौराहे वाली सड़कें विचारों के टकराव को दर्शाती हैं, जो अराजकता का कारण बन सकती हैं। इसलिए वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, मुख्य द्वार को कभी भी चौराहे वाली सड़कों के सामने नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। इसके अलावा, प्रवेश द्वार सड़क की तुलना में ऊपर या कम से कम समान स्तर पर बनाए जाने चाहिए।
शीशा
जब घर के एंट्रेंस की सजावट की बात आती है, तो आइना लगाना आम बात है। हालांकि, एंट्रेंस हॉल में शीशा या कुछ ऐसी चीजें रखते समय वास्तु शास्त्र के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना जरूरी है। कभी भी मुख्य द्वार के सामने शीशा न लगाएं।
यह भी देखें: घर की सजावट में शीशे का इस्तेमाल कैसे करें
मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु और उसकी दृश्यता
दोनों वास्तु और फेंगशुई सलाह देते हैं कि मेन डोर दिखाई देने और आसानी से पहचान योग्य होना चाहिए. अपने घर का नंबर या फिर अपना नाम मेन गेट पर लगाने से भी अलग छाप पड़ती है. नाम को गुदवाने की बजाय दरवाजे पर एक सरल नेमप्लेट लगाना बेहतर है.

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ध्यान दें कि मेन डोर कम से कम 7 फुट ऊंचा और 3 फीट चौड़ा होना चाहिए. बड़े दरवाजे होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा आती है. इसलिए छोटे दरवाजे न लगवाएं. इसके अलावा बाकी के दरवाजे हाइट में छोटे होने चाहिए. मेन डोर के रूप में मालिकों को पीछे के दरवाजे का उपयोग नहीं करना चाहिए. इसका उपयोग आपके घरेलू सहायकों या अन्य कर्मचारियों द्वारा किया जा सकता है.
यह भी देखें: घर के मंदिर के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स
वास्तु के मुताबिक घर का मेन दरवाजा के लिए सबसे अच्छा मटीरियल कौन सा है?
किसी भी दिशा के लिए लकड़ी का दरवाजा सबसे अच्छा माना जाता है. हालांकि अगर आपका मेन डोर दक्षिण दिशा में है तो दरवाजा लकड़ी और लोहे का मिश्रण होना चाहिए. इसी तरह, अगर दरवाजा पश्चिम में हैं तो उस पर लोहे का काम होना चाहिए. उत्तर दिशा में मेन डोर है तो सिल्वर कलर ज्यादा होना चाहिए और अगर ईस्ट में मेन डोर है तो यह लकड़ी से बना होना चाहिए और सीमित धातु के सामान से सजाया जाना चाहिए.

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लकड़ी की नक्काशी के साथ बने दरवाज़े
नक्काशी के साथ एक आकर्षक ट्रेडिशनल लकड़ी के दरवाज़े को चुनें। साथ ही आप अपने घर के मुख्य द्वार को शुभ प्रतीकों, फर्श पर रंगोली, चौखट पर डिजाइन आदि से भी सजा सकते हैं।
लकड़ी का धनुषाकार दरवाज़ा
अपने घर के प्रवेश दरवाज़े के लिए एक धनुषाकार लकड़ी के दरवाज़े को चुनें। प्रवेश दरवाज़े को साफ और धुप या गन्दगी से मुक्त रखें। आकर्षक रूप देने के लिए आप सजावटी फूलों के गमलों और मूर्तियों को भी मुख्य दरवाज़े पर रख सकते हैं।
पीतल के दरवाज़े के हैंडल
वास्तु के अनुसार दक्षिण मुखी मुख्य प्रवेश द्वार के लिए लकड़ी के दरवाजे पर पीतल का हैंडल एक अच्छा कॉम्बिनेशन है।
मेटल के तत्व
अगर आपका मुख्य द्वार उत्तर की ओर है तो चांदी के रंग के दरवाजों की राय दी जाती है। पश्चिम की ओर मुख वाले मुख्य दरवाजों पर किसी भी धातु के काम के लिए जाएं। पूर्व मुखी दरवाजे में छोटे धातु के सामान के साथ लकड़ी के दरवाजे का चयन करें।
मुख्य द्वार क्षेत्र को सजाने के लिए वास्तु टिप्स
- सफाई, खासतौर पर मुख्य द्वार के आसपास, घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
- शुभ प्रतीकों को लगाना घर की सजावट का एक आईडिया है जिसे आप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए अपना सकते हैं।
- मुख्य द्वार को ॐ, स्वास्तिक, क्रॉस आदि जैसे दिव्य चिन्हों से सजाएं और फर्श पर रंगोली बनाएं, क्योंकि ये शुभ माने जाते हैं और सौभाग्य लाते हैं।
- फेंग शुई के अनुसार, दरवाजे के हैंडल पर लाल रिबन से बंधे हुए 3 पुराने चीनी सिक्के सौभाग्य लाने के लिए अंदर से लटकाएं। यह घर में संपत्ति को दर्शाता है।
- घर के प्रवेश द्वार पर बुद्ध की मूर्ति लगाएं जो परिवार के सदस्यों के लिए सौभाग्य, सुख और समृद्धि को आकर्षित करेगी।
- फूलों की पंखुड़ियों के साथ पानी का एक कटोरा रखकर मुख्य द्वार क्षेत्र को सजाएं, इससे घर में शुद्धता और सकारात्मकता आएगी माहौल अच्छा बनेगा।
- लिविंग रूम में प्रवेश द्वार के पास शुभ चित्रों को लगाएं। आप फूल, सुंदर दृश्य, झरना, या सूर्योदय जैसी पेंटिंग लगा सकते हैं।
- घर में सौभाग्य और समृद्धि को लाने के लिए विंड चाइम्स लगाएं।
घर के मेन गेट पर एक चौखट (मार्बल या लकड़ी) होनी चाहिए. क्योंकि एेसा माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को समाहित कर सकारात्मक ऊर्जा को आगे बढ़ाता है. वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर कुलदेवता की तस्वीर लगाना शुभ होता है. इसके अलावा, पारंपरिक गार्ड छवियों को उकेरा जा सकता है. इसके अलावा, शंख और पद्मनिधि (कुबेर), सिक्के देते हुए, हाथियों के साथ कमल पर विराजमान लक्ष्मी, धात्री (द्वारफिश नर्स), बछड़े के साथ गाय, तोते, मोर या हंसों की छवियों जैसे पक्षी दरवाजे पर इस्तेमाल होने पर फायदेमंद होते हैं.
मुख्य दरवाजे के लिए तोरण
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर तोरण लगाना शुभ होता है और यह सौभाग्य को आकर्षित करता है। तोरण संस्कृत शब्द ‘तोरण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘पास’। मुख्य द्वार तोरण घर की एनर्जी को संतुलित करने और घर के अंदर नेगेटिव एनर्जी को नहीं आने देने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- धन और शांति को आकर्षित करने के लिए मुख्य द्वार के लिए आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से हैंग तोरण बनाया जाता है। पत्ते और फूल सूख जाने पर इसे बदल दें।
- 108 पंचमुखी रुद्राक्ष की माला से डिजाइन किया गया तोरण आध्यात्मिक के साथ-साथ भौतिक सफलता में भी मदद करता है।
- अशोक के पत्तों से बना तोरण नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है।
- वास्तु दोष को दूर करने और सौभाग्य लाने के लिए मुख्य द्वार को सीपियों से बने तोरण से भी सजाया जा सकता है।
आजकल आपको कपड़े, रत्न, मोती, शुभ लाभ तोरण, छोटी घंटियों, कलश और स्वस्तिक डिजाइन आदि से बने फैंसी तोरण और बंधनवार मिल जाएंगे। पीले, नारंगी, लाल और हरे जैसे शुभ रंगों में तोरण चुनें।
आर्च्ड मेन डोर
आर्च्ड मेन डोर आपके घर को क्लासिक रूप देता है। आप लकड़ी से बने आर्च्ड दरवाजा चुन सकते हैं। सामने के दरवाजे के क्षेत्र को शुभ प्रतीकों, पौधों और उपयुक्त लाइटिंग से सजाएं।
आकर्षक डोर हैंडल के साथ मुख्य द्वार
आजकल कई तरह के दरवाज़े के हैंडल उपलब्ध हैं। आप या तो समकालीन डोर हैंडल डिज़ाइन के लिए जा सकते हैं या प्राचीन डोर हैंडल का विकल्प चुन सकते हैं।
दक्षिणमुखी घर के वास्तु नियमों के अनुसार, लकड़ी के दरवाजों के लिए पीतल के हैंडल दक्षिणमुखी प्रवेश द्वार के लिए मुख्य दरवाजे के लिए एक आदर्श विकल्प है। अगर मुख्य दरवाजा पश्चिम की ओर है, तो धातु के दरवाज़े के हैंडल का उपयोग करें। पूर्व की ओर मुख किए हुए घर के प्रवेश के लिए वास्तु के अनुसार लकड़ी और धातु के संयोजन की सलाह दी जाती है, जबकि उत्तर दिशा के दरवाजों के लिए चांदी का सुझाव दिया जाता है।
लकड़ी के दरवाजे की नक्काशी
लकड़ी के दरवाजे की नक्काशी एक प्राचीन परंपरा है। आप देवी-देवताओं की लकड़ी की नक्काशी के साथ अपने मुख्य दरवाजे को एक समकालीन लुक दे सकते हैं। आप ॐ, स्वास्तिक और क्रॉस जैसे डिजाइन भी चुन सकते हैं। मेन डोर वास्तु के अनुसार, यह घर में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगा।
घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए: दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम मुख्य द्वार के दोष के लिए वास्तु उपाय
वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार को वास्तु दोष माना जाता है। यहां कुछ सरल उपाय दिए गए हैं लेकिन हमेशा बेहतर होता है कि किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लें और मुख्य द्वार वास्तु दोष के लिए सलाह लें।
गहरे लाल या भूरे रंग के पर्दे घर के दक्षिण-पूर्वी द्वार की ओर टांगें। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुख वाले द्वार पर 9 लाल कारेलियन रत्न रखने से संपत्ति में दोष को दूर करने में मदद मिलती है जिससे दक्षिण-पूर्व प्रवेश घरों के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। एक वास्तु पिरामिड को मुख्य प्रवेश द्वार के केंद्र के शीर्ष पर रखें, अन्य दो पिरामिड दरवाजे के दोनों ओर रखें।
दक्षिण-पश्चिम प्रवेश घरों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए, मुख्य दरवाजे के किनारों और शीर्ष पर ओम, त्रिशूल और स्वस्तिक प्रतीकों के स्टॉकर पेंट या रखें। सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए मुख्य द्वार के चारों ओर पौधे लगाएं और विंड चाइम लगाएं। इसके अलावा, कोई गायत्री मंत्र को पेंट कर सकता है या मुख्य द्वार पर मंत्र का एक छोटा स्टिकर चिपका सकता है। पंचमुखी हनुमानजी (खड़े मुद्रा) को उनके हथियार (गदा) के साथ बाएं हाथ में मुख्य द्वार के मध्य शीर्ष पर रखें।
पूर्वी कोने की दीवारों को गहरे रंग से रंगना वास्तु दोष को दूर करने का एक आसान उपाय है। यह वित्तीय समस्याओं, स्वास्थ्य की समस्याओं, पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के असंतुलन को हल करने में मदद करेगा। परिवार की खोई हुई स्थिरता को वापस लाने के लिए गहरे लाल रंगों के लिए जाएं।
घर के प्रवेश द्वार के लिए वास्तु: मुख्य द्वार के दोष के उपाय
घड़ी की सुई के चलने की दिशा के विपरीत दरवाज़ा खुलना एक वास्तु दोष है। दोष को ठीक करने के लिए प्रवेश द्वार पर तीन तांबे के पिरामिड तीर घड़ी की सुई के चलने की दिशा में रखें।
वास्तु कहता है कि दो घरों के मुख्य प्रवेश द्वार एक दूसरे के सामने नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार पर लाल कुमकुम से बना स्वास्तिक घर से इस वास्तु दोष को समाप्त करता है।
वास्तु के अनुसार किचन का मुख घर के मुख्य दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए। वास्तु दोष को कम करने के लिए मुख्य दरवाजे और रसोई के दरवाजे के बीच एक छोटा सा क्रिस्टल बॉल लटकाएं।
मुख्य द्वार के वास्तु दोषों को दूर करने वाली चीजें
हम ऐसी चीजों की सूची दे रहे हैं जो आपके घर के मुख्य द्वार से वास्तु दोष को खत्म करने में मदद करती हैं।
सौभाग्य के लिए पिरामिड
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पिरामिड नकारात्मकता को दूर करके और सकारात्मक माहौल बनाकर ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
क्रिस्टल बॉल्स
अगर आप पिरामिड नहीं रखना चाहते हैं, तो क्रिस्टल बॉल को एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, क्रिस्टल बॉल्स ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए रखे जा सकते हैं। इनको साफ और अस्त-व्यस्त से रहित क्षेत्र में रखें।
ताले और चाबियों के लिए मुख्य द्वार का वास्तु
घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का प्रवेश द्वार सकारात्मक ऊर्जा, धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। सुनिश्चित करें कि मुख्य दरवाजे का ताला अच्छे से काम करे।
अगर मुख्य द्वार पूरब की ओर है तो तांबे के ताले का प्रयोग करें। पश्चिममुखी मुख्य द्वार के लिए लोहे के ताले सबसे अच्छे होते हैं क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं। उत्तर दिशा में पीतल के ताले का प्रयोग करें। यदि मुख्य द्वार दक्षिण में है तो पांच धातुओं यानी ‘पंच धातु’ से बना ताला चुनें।
जंग लगे या टूटे हुए ताले और चाबियों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें तुरंत फेंक देना चाहिए। चूंकि लकड़ी की चाबियों के लिए ऊर्जा को संतुलित करने के लिए चाबियाँ धातु से बनी होती हैं, खोपड़ी, पिस्तौल, चाकू, कैंची आदि आकार की चेन से बचें। सूरज, कछुआ, फूल, हाथी की मूर्तियों आदि जैसे शुभ प्रतीक चुनें। की-होल्डर को एक सुरक्षित स्थान पर, आदर्श रूप से मास्टर बेडरूम में कमरे के उत्तर या पूरब कोने में रखना चाहिए। चाबियों को हमेशा कुंजी स्टैंड में रखें। इसे खाने की मेज पर या जूते के रैक के ऊपर नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
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अपने घर का रेनोवेशन करते समय वास्तु के साथ तालमेल बिठाने के सरल तरीके
अब तक आपको यह स्पष्ट हो गया होगा कि मेन डोर और उसका वास्तु के सिद्धांतों के तहत उसके अनुपालन की क्या अहमियत है. अगर आप सीमित बजट में अपना घर रेनोवेट करना चाहते हैं तो इन बातों का रखें ध्यान:
- सुनिश्चित करें कि घर का मेन डोर स्वागत योग्य हो. वास्तु के अनुरूप रंगों से ही इस पर पुताई करें.
- सुनिश्चित करें कि मेन डोर कोई नेगेटिव जोन ना हो.
- सुनिश्चित करें कि दरवाजे के कब्जे चिकने हैं. मेन डोर जर्जर होने पर परिवार के सदस्यों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं.
- मुख्य दरवाजे पर कभी भी जंग लगे तालों का इस्तेमाल न करें, जिससे आवाज आती हो. या तो ऐसे तालों को बदलें या उनमें नियमित रूप से तेल लगाएं.
- वास्तु शास्त्र का मुख्य मकसद घर के अंदर ऊर्जा को बढ़ावा देना है. इसलिए, धनुषाकार मुख्य द्वार से बचना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को बदल सकता है.
- ऐसे दरवाजे ना चुनें जो खुद ब खुद बंद हो जाते हैं.
- अगर घर में एक से ज्यादा मंजिलें हैं तो प्रत्येक मंजिल पर दरवाजे एक के ऊपर एक नहीं होने चाहिए.
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वास्तु के अनुसार कौनसा लकड़ी घर का मेन दरवाजा बनाने के लिए बेस्ट है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार लकड़ी घर का मेन डोर बनाने के लिए वेस्ट मटीरियल है. मीनू हमेशा अच्छी क्वालिटी की होनी चाहिए. कई तरह की लकड़ियां जैसे की होन और टीक का इस्तेमाल किया जा सकता है. नारियल पीपल पेड़ की लकड़ियां इस्तेमाल न करें.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
हाउस एंट्रेंस के लिए कौन सी दिशा अच्छी है?
मेन डोर/एंट्रेंस हमेशा नॉर्थ, नॉर्थ ईस्ट, ईस्ट या वेस्ट में होनी चाहिए क्योंकि ये दिशाएं शुभ मानी गई हैं. साउथ, साउथ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट (नॉर्थ साइड) या साउथ-ईस्ट (ईस्ट साइड) में मेन डोर नहीं होना चाहिए.
क्या लाफिंग बुद्धा को मेन डोर पर रखा जा सकता है?
लाफिंग बुद्धा को घर के अंदर की ओर, तिरछे विपरीत या मेन डोर की ओर रखें. मेन डोर से घर में एंट्री करने वाली ऊर्जा का लाफिंग बुद्धा से स्वागत किया जाता है और अवांछित ऊर्जा को शुद्ध किया जाता है.
कौनसा रंग फ्रंट डोर के लिए लकी है?
फ्रंट डोर का रंग उसकी दिशा के अनुसार निश्चित करना चाहिए.
क्या मेन डोर के सामने दीवार बना सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार मेन डोर के सामने कोई दीवार नहीं होनी चाहिए. लेकिन अन्य रूम का दरवाजा सामने हो सकता है.
मुख्य द्वार के पास डोरमैट क्यों रखना चाहिए?
वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के पास एक डोरमैट जूतों से धूल और गंदगी को हटाता है; यह घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को भी सोख लेता है। डोरमैट के लिए प्राकृतिक कपड़े का विकल्प चुनें और इसे नियमित रूप से साफ करें। मुख्य दरवाजे के उपयोग के लिए, आयत के आकार का डोरमैट क्योंकि यह पूरे दरवाजे की जगह को कवर करता है।
क्या दक्षिण-पूरब मुखी घर अच्छा है?
घर के प्रवेश द्वार का मुख दक्षिण-पूरब दिशा की ओर रखना वास्तु दोष है।
घर के किस हिस्से में शुभ लाभ को लगाना चाहिए?
शुभ लाभ एक शुभ प्रतीक है जो आपको कई घरों में मुख्य दरवाज़े के बाहर लगा मिल जाएगा। ‘शुभ’ का अर्थ है अच्छाई और ‘लाभ’ का अर्थ है फ़ायदा। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य दरवाज़े के दोनों ओर शुभ लाभ का सिंबल लगाना चाहिए, जो सौभाग्य और सफलता को आकर्षित करता है और नेगेटिव एनर्जी को हटाता है।
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