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3900 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है बेंगलुरु के विधानसौदा की कीमत

Bengaluru’s Vidhana Soudha could be worth over Rs 3,900 crores

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के बीचोबीच संपांगी रामा नगर के अंबेडकर भीढी में स्थित आलीशान विधान सौदा, वो जगह है जहां सारे विधायक बैठते है. इसका निर्माण साल 1956 में करीब 15 करोड़ रुपये में किया गया था. इसका स्वामित्व कर्नाटक सरकार के पास है और यह संस्थान और स्मारक करीब 46 मीटर ऊंचा है और 60 एकड़ में फैला हुआ है. इसे अक्सर मजबूत मैसूर डिजाइनों से प्रभावित माना जाता है और वास्तुशैली पर नियो-द्रविड़ियन का ठप्पा है.

बेंगलुरु स्थित विधान सौदा की अनुमानित कीमत करीब 3920 करोड़ 40 लाख है. 60 एकड़ का एरिया या फिर 26,13,600 स्क्वेयर फीट के आधार पर इसकी कैलकुलेशन की गई है. साथ ही इलाके की जमीनी दरों को भी ध्यान में रखा गया है, जो करीब 6000 से लेकर 18000 प्रति स्क्वेयर फीट के बीच है. अगर 15000 प्रति स्क्वेयर फीट को औसत कीमत माने तो आप इस चौंकाने वाले आंकड़े तक पहुंच सकते हैं. हालांकि इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसकी असली कीमत इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. लेकिन फिर भी बेंगलुरु विधान सौदा की असली कीमत मालूम करना मुश्किल है. यह एक मजबूत प्रतीकात्मक संरचना है, जिसके शानदार गलियारे और भव्य मेहराब हैं.

कर्नाटक विधानसौदा का निर्माण

कर्नाटक विधान सौदा का निर्माण और संकल्पना को केंगल हनुमंथैया की उपलब्धि के रूप में याद किया जाता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केसी रेड्डी के साथ 13 जुलाई 1951 को इसकी आधारशिला रखी थी और इसका निर्माण 1956 में पूरा हुआ था.

केंगल हनुमंथैया इसकी संरचना ऐसी चाहते थे, जो अत्तारा कचेरी या हाई कोर्ट की बिल्डिंग को भी फेल कर दे, जिसे अंग्रेजी हुकूमत ने बनवाया था. उस वक्त इस इमारत के निर्माण पर इतना ज्यादा पैसा खर्च करने के लिए उनकी काफी आलोचना की गई थी. लेकिन आज पर्यटकों के लिए विधान सौदा बेंगलुरु के सबसे बड़े स्थलों में से एक है. साथ ही यहां से कर्नाटक की विधानसभा भी चलती है.

ग्रेनाइट से बना यह राजसी ढांचा अपने आप में आज के आधुनिक स्मारक से कहीं ज्यादा है. उस दौर में नए आजाद हुए देश में राष्ट्रवादी भावनाएं हिलोरे मार रही थीं, यही इसके पीछे का आइडिया था. केसी रेड्डी के शासनकाल में प्रशासनिक दफ्तर अत्तारा कचेरी में हुआ करते थे और तब विधान सौदा बनाने का प्रस्ताव रखा गया. केंगल हनुमंथैया ने हालांकि इस संरचना को हाई कोर्ट की इमारत के विपरीत दिशा में बनाना शुरू किया था वो भी थोड़ी ऊंचाई पर. इसके निर्माण में चीफ आर्किटेक्ट बीआर मनिकम थे और उनकी सहायता हनुमानथिया राव नायडू ने की थी, जिन्होंने लंदन आर्किटेक्चरल एसोसिएशन से ग्रेजुएशन की थी. इसमें नियो-द्रविड़ियन स्टाइल के साथ-साथ इंडो सारासेनिक और यूरोपियन डिजाइन के स्टाइल भी जोड़े गए थे. इसकी केंद्रीय गुंबद जमीन से 55 मीटर ऊंची है और सचिवालय व विधानसभा करीब 5,50,505 स्क्वेयर फीट में फैले हुए हैं.

‘भारत में आधुनिक वास्तुकला का संक्षिप्त इतिहास’ में जोन लैंग ने विधानसौदा के बारे में बात की है. उन्होंने इसे उस विशेष युग की इमारतों के लिए पुनरुत्थानवादी डिजाइन बताया है. साथ ही छज्जों, कैपिटल्स, ब्रैकेट्स और कॉलम्स में मौजूद मंदिर की वास्तु संबंधी बारीकियों को उजागर भी किया.

विधान सौदा के निर्माण के लिए सक्षम राजमिस्त्री तिरुचिरापल्ली और कराईकल (पुडुचेरी) से काम पर रखे गए थे और उन्होंने एक ऐसी संरचना पूरी की, जो लैंग के अनुसार दोहराना असंभव है.

अधिकांश मजदूर 1953 और 1956 की अवधि के बीच सेंट्रल जेल से आए थे. इनकी निगरानी के लिए एक चीफ वॉर्डन और उनकी 10 जेल वॉर्डन की टीम थी. रिपोर्टों के अनुसार, 1,500 मूर्तिकारों और 5,000 मजदूरों ने संरचना के निर्माण पर काम किया.

विधानसौदा से जुड़े अहम तथ्य

-विधानसौदा में दो मंजिलें हैं, जिनमें से एक जमीन के नीचे है, सभी में कुल क्षेत्रफल 700 से 350 मीटर है.

-विधानसभाओं में यह सबसे बड़ी भारतीय इमारत है.

-इसमें 12 ग्रेनाइट के कॉलम हैं, जो 12 मीटर ऊंचे हैं. इसके अलावा साथ में बरामदा भी है.

-मुख्य उपकक्ष तक जाने के लिए 45 सीढ़ियां हैं, जो 61 मीटर चौड़ी हैं.

-केंद्रीय गुंबद का व्यास 18 मीटर है और इसके ऊपर भारत का राष्ट्रीय चिह्न है.

-विधानसौदा के आगे लिखा है- सरकार का काम भगवान का काम होता है. इसे कन्नड़ में कहा जाता है- सरकारदा केलसा देवारा केलासा.

-ओहियो से अमेरिकी राज्य के गवर्नर जॉर्ज वोनोविच, जो 1996 में आए थे, और वे ओहियो स्टेटहाउस के लिए एक नारे ‘ईश्वर के साथ, सभी चीजें संभव हैं’ से प्रेरित थे, हालांकि इसे कभी लागू नहीं किया गया और एक बड़ा मुकदमा चला.

-बिल्डिंग और परिसर की सालाना रखरखाव की लागत करीब 2 करोड़ रुपये है, जिसमें पेटिंग्स, रिपेयरिंग और अन्य विविध लागत शामिल हैं.

-यह इमारत सार्वजनिक अवकाश और संडे को बंद रहती है.

-विधानसौदा के आसपास कई बेलबूटे हैं. पंडित नेहरू ने इसे ‘राष्ट्र को समर्पित मंदिर कहा था’. वहीं केंगल हनुमंथैया ने खुद इसे लोगों की जगह का दर्जा किया था. कवि साहित्यकार कुवेम्पु ने इसे ‘पत्थर में कविता’ के रूप में संदर्भित किया.

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH बेंगलुरु) के वास्तुकार और पूर्व-संयोजक, सत्यप्रकाश वाराणसी ने, संक्षेप में पहले कहा था कि ऐतिहासिक इमारत विधान सौदा को सिर्फ एक वास्तु के नजरिए से ही नहीं बल्कि अत्यधिक लोकतांत्रिक दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

उन्होंने इस बात की चर्चा की कि कैसे इमारत को राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करने और बढ़ाने के लिए बनाया गया था.

हालांकि आज की तारीख तक विधानसौदा के जैसी बहुत कम या समानांतर संरचनाएं देश में हैं. अतीत की किसी भी शैली की यह नकल नहीं है. यह बेंगलुरू में प्रेरणा के एक प्रतीक के रूप में खड़ा है. यह न केवल डिजाइन और वास्तुकला की भव्यता के लिए बल्कि लोगों को इसके अव्यक्त प्रतीकवाद, सांस्कृतिक इतिहास और बेजोड़ लालित्य की ओर भी खींचता है.

पूछे जाने वाले सवाल

विधान सौदा की आधारशिला कब रखी गई थी?

विधान सौदा की आधारशिला 1951 में रखी गई थी.

विधानसौदा का निर्माण कब पूरा हुआ था?

विधान सौदा का निर्माण 1956 में पूरा हुआ था.

विधानसौदा किस जगह पर स्थित है?

कर्नाटक के बेंगलुरु के संपांगी रामा नगर के अंबेडकर भीढी में विधानसौदा स्थित है.

विधान सौदा को बनाने और संकल्पना करने का श्रेय किसे दिया जाता है?

केंगल हनुमंथैया को इसके निर्माण के साथ-साथ विधान सौदा की अवधारणा का श्रेय दिया जाता है.

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