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घर की सुख समृद्धि के लिए पूजा स्थान पर भूलकर भी न करें इन रंगों का इस्तेमाल

वास्तुशास्त्र को ऊर्जा का विज्ञान माना जाता है और यह विभिन्न प्रकार के तत्वों का उपयोग करके आपके घर की ऊर्जा को ऊपर उठाकर काम करता है। घर में किसी भी स्थान के लिए रंग मुख्य कारकों में से एक है, जो वास्तु के अनुसार भी घर की उन्नति के लिए जिम्मेदार है। वास्तव में कुछ स्थान सिर्फ रंगों के सही चुनाव से खिल उठते हैं, तो वहीं किसी स्थान पर गलत रंग का चुनाव आपको परेशानी में भी डाल सकता है। मुख्य रूप से जब बात आपके घर के सभी स्थानों में किसी विशेष रंग का चुनाव करने की होती है तब उनका वास्तु के अनुसार होना बहुत ज्यादा मायने रखता है।

 

 

खासतौर पर घर में पूजा का स्थान कुछ विशेष रंगों से सजा होना चाहिए और उस स्थान पर कुछ अन्य रंगों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। आइए जानें कि घर के पूजा स्थान पर किन रंगों का इस्तेमाल करना वास्तु के अनुसार सही होता है, जिससे घर में खुशहाली बनी रहे।

 

पूजा स्थान पर करें इन रंगों का इस्तेमाल

 

पीला रंग

पीला रंग सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का संकेत देता है और अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि ज्योतिष की बात भी की जाए तब भी पीला रंग किसी भी शुभ काम में इस्तेमाल में लाया जाता है। वास्तु के हिसाब से पूजा स्थल पर पीले रंग का इस्तेमाल करने से किसी भी कार्य में सफलता मिलती है क्योंकि इसे सफलता का रंग माना जाता है। एक ‘सूर्य रंग’ के रूप में, पीला खुशी, आशावाद और आत्म-परिभाषा का प्रचार करता है। इसलिए सदियों से, पीले रंग को एक पवित्र स्थान का रंग माना जाता रहा है और इसका आध्यात्मिक महत्व भी है, जो पूजा कक्ष में ध्यान बनाए रखने के लिए आदर्श रंग होता है।

 

लाल रंग

पूजा के स्थान की बात की जाए तो उस स्थान पर लाल रंग भी अत्यंत शुभ रंग माना जाता है। वास्‍तु बताता है कि लाल रंग चीजों को बढ़ाने का रंग होता है। इसका मतलब ये है कि इस रंग का इस्तेमाल करने से घर में बरकत बनी रहती है और आर्थिक लाभ भी होते हैं। इसके साथ आप पूजा स्थान पर नारंगी रंग का इस्तेमाल भी कर सकते हैं क्योंकि ये रंग साहस का प्रतीक माना जाता है। शुभता की दृष्टि से नारंगी और सिंदूरी रंग पूजा की भावना जगाते हैं और ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।

 

सफ़ेद रंग

पूजा कक्ष में वास्तु के अनुसार सफेद रंग चुनना काफी अच्छा माना जाता है। यह रंग आराम करने और एक उच्च व्यक्ति के साथ जुड़ने के लिए एक सकारात्मक स्थान बनाने की दिशा की तरफ बढ़ावा देता है। सफेद रंग शुद्धता और स्वच्छता का प्रतीक है और दोनों महत्वपूर्ण कारक पूजा स्थान की आध्यात्मिक जगह के रूप में कार्य करते हैं। यदि आपका पूजा स्थान संगमरमर का है तो यह भी आपके घर की उन्नति के लिए अच्छे संकेत देता है।

 

हरा रंग

पूजा स्थान के लिए वास्तु के हिसाब से हरा रंग पूजा के लिए मुख्य माना जाता है। हरा रंग जीवन और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। इंद्रियों को तुरंत शांत करने और अपने घर के अंदर सकारात्मकता लाने के लिए, हरे रंग को पूजा स्थान के रंगों में जरूर शामिल करें। हरा रंग जीवन, प्रकृति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है जो घर में सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। यह रंग सही मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता है, इसलिए पूजा स्थान पर इस रंग को जरूर शामिल करें।

 

सुनहरा रंग

वास्तु की मानें तो घर के पूजा स्थान पर सुनहरा रंग भी आपके घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। सुनहरा रंग भी पीले रंग की तरह, एक गर्म रंग है जो आपके पूजा स्थान में फैली ऊर्जा को शुद्ध करने में मदद करता है।

 

पूजा स्थान पर करें इन रंगों का इस्तेमाल

 

काला रंग

वास्तु बताता है कि काले रंग का इस्तेमाल कभी भी पूजा स्थान पर नहीं करना चाहिए। काला रंग वास्तु में एक विघटनकारी रंग है और यह आपके पूजा कक्ष से बहने वाली सकारात्मक और सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा को कमजोर कर सकता है। वास्तुशास्त्र हमेशा पूजा स्थान पर डार्क रंगों के इस्तेमाल से बचने की सलाह देता है क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करते हैं।

 

स्लेटी और भूरा रंग

पूजा स्थान पर जब भी आप रंग करते हैं तब आपको स्लेटी और भूरे रंग से भी बचना चाहिए क्योंकि ये डार्कर एनर्जी बनाते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनती है। इन रंगों के इस्तेमाल से घर में व्यर्थ के लड़ाई झगड़े होने लगते हैं और आर्थिक स्थिति भी खराब होने लगती है।

यदि आप पूजा स्थान पर यहां बताए रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो ये आपके घर में खुशहाली लाने का काम करता है और झगड़ों से मुक्ति दिलाता है।

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