नोएडा एक्सटेंशन के प्रॉपर्टी बाजार का नक्शा बदल देगी मेट्रो, फ्लैट्स की कीमतों पर पड़ेगा यह प्रभाव

आज हम बात करेंगे कि नोएडा एक्सटेंशन में कैसे मेट्रो रेल कनेक्टिविटी से इलाके के रियल एस्टेट पर प्रभाव पड़ेगा और क्या इससे किफायती आवास की डिमांड बढ़ेगी.
देश में जब रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज नहीं बिकतीं तो उसके लिए ओवर सप्लाई को जिम्मेदार ठहराया जाता है. लेकिन जिसे ओवर सप्लाई कहा जाता है, वह असल में इसका कारण डिमांड और सप्लाई के बीच असंतुलन है. लेकिन कोलकाता के राजरहट न्यू टाउन या ग्रेटर नोएडा वेस्ट (नोएडा एक्सटेंशन) का माहौल समझाने में यह पूरी तरह विफल नजर आता है, जहां किफायती आवास का ढेर है. इस विरोधाभास का जवाब है इन्फ्रास्ट्रक्चर या फिर उसका आभाव. किफायती आवास मार्केट जैसे ग्रेटर नोएडा वेस्ट में शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का आभाव है, जो प्रॉपर्टी की अधिकता का कारण है.
नोएडा एक्सटेंशन मेट्रो: फेज 2 का रूट और कैसे प्रॉपर्टी खरीददारों को इससे फायदा होगा?
नोएडा एक्सटेंशन तक मेट्रो का विस्तार प्रॉपर्टी मार्केट के लिए वरदान बनकर आया है. ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (GNIDA) ने फेज 2 को मंजूरी देते हुए नोएडा सेक्टर 71 से ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क 5 मेट्रो को हरी झंडी दे दी. इस कॉरिडोर पर 9 स्टेशन होंगे, जिन्हें बनाने में 2,602 करो़ड़ रुपये की लागत आएगी. प्रोजेक्ट के पहले फेज में 5 स्टेशन होंगे. इसकी शुरुआत नोएडा सेक्टर 71 से होगी और यह सेक्टर 122, सेक्टर 123, सेक्टर 4 से होते हुए ग्रेटर नोएडा वेस्ट के इकोसिटी 12 तक पहुंचकर ग्रेटर नोएडा सेक्टर 2 पर खत्म हो जाएगी.  यह प्रोजेक्ट साल 2019 में शुरू होगा.
यह नोएडा एक्सटेंशन में प्रॉपर्टी खरीदने वाले आईटी प्रोफेशनल शुभेक कुमार जैसों के लिए शानदार खबर है, जिन्होंने यहां फ्लैट लिया है. फिलहाल कुमार घर की ईएमआई दे रहे हैं. वह रेंट पर ईस्ट दिल्ली में रह रहे हैं क्योंकि यह जगह बाकी शहरों से अच्छी तरह कनेक्ट नहीं है और पीक आवर्स में ट्रैफिक चरम पर होता है. उनके मुताबिक मेट्रो का विस्तार इस प्रॉपर्टी मार्केट को बसने लायक बनाएगा. उन्होंने कहा, ”मैं इस जगह को छोड़ने के बारे में सोचता था लेकिन खरीदने वाला कोई शख्स था ही नहीं. मैं ऐसी जगह कैसे रह सकता हूं, जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कनेक्ट ही नहीं है? पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने के कारण ज्यादातर प्राइवेट कार चलती हैं, जिससे ऑफिस आवर्स में ट्रैफिक बढ़ता है. अब मुझे लगता है कि मेट्रो इस समस्या और मूल्य प्रशंसा को हल करेगी.”
प्रॉपर्टी की कीमतों और किफायती आवास पर नोएडा एक्सटेंशन मेट्रो का क्या प्रभाव पड़ेगा?
ज्यादातर नोएडा एक्सटेंशन के डिवेलपर और प्रॉपर्टी समीक्षकों की सोच शुभेक कुमार जैसी ही है. यानी अगर इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर होती है तो प्रॉपर्टी की खरीद में तेजी आएगी और यह किफायती बाजार बन जाएगा. हवेलिया ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर निखिल हवेलिया, जिनके मार्केट में कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, ने कहा कि शॉर्ट टर्म में कीमतें 10-20 प्रतिशत तक बढ़ेगीं और अगर लंबित पड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी पूरे हो जाएं तो मीडियम और लॉन्ग टर्म में इसमें 25-35 प्रतिशत का इजाफा होगा.
हवेलिया ने कहा, ”हम (डिवेलपर्स) सरकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान्स पर निर्भर हैं. लेकिन ग्राहक सोचते हैं कि बिल्डर्स ने उन्हें बेवकूफ बनाया. लेकिन तथ्य यह है कि हमें अब तक अंधेरे में रखा गया. हम किफायती आवास प्रोजेक्ट लॉन्च कर हर तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों से जूझ रहे हैं.” शुक्र है कि मेट्रो बाजार को उसकी क्षमता तक ले जाएगी”.
ग्रेटर नोएडा प्रॉपर्टी मार्केट में हर वो चीज है जो एक ग्राहक ढूंढता है– क्वॉलिटी कंस्ट्रक्शन, सुविधाएं और आकर्षक कीमतें. यह शायद इकलौता मार्केट है, जहां हर पैकेज में किफायती आवास मिलता है और ग्राहक 3000 प्रति स्क्वेयर फुट से भी कम में अपार्टमेंट ढूंढ सकते हैं. जबकि किफायती लग्जरी आवास भी 4 हजार प्रति स्क्वेयर फुट में उपलब्ध है. लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी इसे देश में सबसे किफायती आवास बाजार बनने की राह में रोड़ा बनी हुई है. लेकिन मेट्रो रेल ग्रेटर नोएडा वेस्ट में इन्फ्रास्ट्रक्चर की रुकी हुई गाड़ी को धक्का मारकर आगे ले जाएगी.

ग्रेटर नोएडा के लिए मेट्रो का क्या हैं मायने?

*ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लिए मेट्रो का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था, जिसे आखिरकार मंजूरी दे दी गई है.
*अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे सुलझ जाएं तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट किफायती आवास के लिए बेहतरीन लोकेशन है.
*समीक्षकों का कहना है कि इससे शॉर्ट टर्म में प्रॉपर्टी की कीमतों में 10-12 प्रतिशत और मी़डियम व लॉन्ग टर्म में 25-35 प्रतिशत का इजाफा होगा.
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