कोरोना वायरस महामारी ने लोगों को अपनी सुरक्षा को लेकर खास तवज्जो देने पर मजबूर कर दिया है. कोरोना वायरस महामारी के बाद घर की ओनरशिप ज्यादा मशहूर हो सकती है. ग्राहकों की संपत्ति की प्राथमिकताओं का आकलन करने के लिए कई सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है.
हाउसिंग डॉट कॉम और NAREDCO के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक, 35 प्रतिशत प्रतिभागियों ने रियल एस्टेट को अपना पसंदीदा वर्ग बताया. नतीजतन, घर के स्वामित्व के लिए बढ़ती प्राथमिकता के बीच भारत के प्रमुख बाजारों में किराए में गिरावट की संभावना है. यह ट्रेंड पीजी आवासों के किरायों को भी प्रभावित कर सकती है.
पीजी की मांग पर COVID-19 का प्रभाव:
कोरोना महामारी के बाद, जो लोग पीजी को चुन रहे हैं, वे यकीनन हायजीन, मेंटेनेंस, सेफ्टी और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चिंता में होंगे.
जबकि को-लिविंग ऑपरेटर पहले से ही पहले दो फैक्टर्स पर बहुत ध्यान देते हैं. लेकिन पीजी ऑपरेटर्स इन्हीं स्टैंडर्ड्स पर मात खा जाते हैं. इसी धारणा के आधार पर कुछ का मत है कि कोरोना वायरस महामारी के बाद को-लिविंग सेगमेंट पीजी के खर्च में फायदा पहुंचा सकता है.
गुरुग्राम के प्रॉपर्टी एडवाइजर रतन भल्ला ने कहा, ‘अगर कोरोना वायरस महामारी से पहले पीजी कामकाजी पेशेवरों के लिए एक विकल्प था तो अपने मूल्य निर्धारण फायदे के कारण अब यह संभावना बदल जाएगी. ऑर्गनाइज्ड को-लिविंग प्लेयर्स डिमांड को बढ़ता हुआ देख सकते हैं क्योंकि पर्सनल सेफ्टी अब मुख्य विषय बन गया है. यह निश्चित रूप से पीजी और व्यवसाय की मांग पर प्रभाव डालेगा, जब तक कि पीजी ऑपरेटर इस अवसर पर आगे नहीं आएंगे और हायजीन और डिस्टेंसिंग मानदंडों को शामिल करने के लिए आवश्यक बदलाव करेंगे.’
पीजी के किराये पर केविड-19 का प्रभाव:
सबसे बड़ा कारण, जिसके आधार पर भारत में गैर-संगठित पीजी जारी रहेंगे वो है मूल्य निर्धारण लाभ. ईस्ट दिल्ली के एक रियल एस्टेट ब्रोकर सनोज कुमार कहते हैं, ‘बिना ज्यादा मासिक किराया दिए एक छात्र अच्छे एरिया में रह सकता है. दिल्ली जैसे शहर में उदाहरण के तौर पर, जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग पढ़ने आते हैं, उन्हें 5 हजार प्रति महीने में भी पीजी मिल जाते हैं. अगर वे ज्यादा महंगे पीजी भी चुनते हैं तो किराया 12 हजार से 15 हजार महीना से ज्यादा नहीं होगा. इस पॉइंट पर, पीजी को-वर्किंग प्लेस से आगे ही ठहरेगा, कम से कम छात्रों की आबादी के लिए. ‘
नॉर्थ दिल्ली (वो हिस्सा जो दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास है और एक बड़ा पीजी मार्केट है) में सक्रिय रियल एस्टेट ब्रोकर विजय मल्होत्रा ने कहा, ‘अब पीजी में एक खास स्तर पर सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग देनी होगी. वे इन लागतों को कवर करने के लिए मासिक किराया बढ़ाएंगे.’
पूछे जाने वाले सवाल
दिल्ली में पीजी का औसतन किराया कितना होता है?
एरिया और दी गईं सुविधाओं के आधार पर पीजी का किराया 5 हजार से 15 हजार प्रति माह हो सकता है.
भारत में पीजी और फ्लैट आधारित किराया सिस्टम के बीच फर्क क्या है?
किराये के घर में, किरायेदार पूरी यूनिट के लिए किराए का भुगतान करता है, जबकि पीजी के मामले में वे आवास के एक निश्चित हिस्से का उपयोग करने के लिए भुगतान करते हैं. बाद में, मकान मालिक आम तौर पर आपके साथ रहेगा और आपको अन्य लोगों के साथ परिसर साझा करना होगा. किराए के घर के मामले में ऐसा नहीं होता.
कोविड-19 के कारण क्या पीजी के किराये कम होंगे?
कोविड-19 के बाद पीजी ऑपरेटर्स किरायेदारों को आकर्षित करने के लिए किरायों में कटौती कर सकते हैं. दूसरी ओर जो ऑपरेटर्स बेहतर हायजीन और सोशल डिस्टेंसिंग मुहैया कराएंगे, वे इन सुविधाओं के लिए उसी अनुसार पैसे भी वसूलेंगे.