हिन्दू परंपराओं के अनुसार, नए घर या संपत्ति में प्रवेश करने के लिए शुभ दिन और समय का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे गृह प्रवेश मुहूर्त कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह शुभ मुहूर्त घर के निवासियों के लिए सौभाग्य, सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि लेकर आता है।
यह शुभ मुहूर्त हिन्दू पंचांग और वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर तय किया जाता है, जिसमें विभिन्न ज्योतिषीय पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, वही दिन गृह प्रवेश के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, जब शुभ शक्तियां अपने चरम पर होती हैं, अर्थात जब तिथि, नक्षत्र और वार सभी अनुकूल हों।
गृह प्रवेश से पहले एक विशेष पूजा और विधि-विधान के साथ यह समारोह किया जाता है ताकि नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और नकारात्मक शक्तियां दूर रहें। इसके लिए हिन्दू पंचांग या चंद्र कैलेंडर में सबसे उपयुक्त दिन और समय को देखकर गृह प्रवेश पूजा सम्पन्न की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ तिथि पर घर का निर्माण किया जाना चाहिए। 2025 में घर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त जानने के लिए क्लिक करें।
2025 में गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त
अप्रैल 30 | बुधवार | सुबह 5:41 से दोपहर 2:12 |
मई 1 | गुरुवार | सुबह 11:23 से दोपहर 2:21 |
मई 7 | बुधवार | शाम 6:17 से सुबह 5:35 (मई 8) |
मई 8 | गुरुवार | सुबह 5:35 से दोपहर 12:29 |
मई 9 | शुक्रवार | रात 12:09 से सुबह 5:33 (मई 10) |
मई 10 | शनिवार | सुबह 5:33 से शाम 5:29 |
मई 14 | बुधवार | सुबह 5:31 से दोपहर 11:47 |
मई 17 | शनिवार | शाम 5:44 से सुबह 5:29 (मई 18) |
मई 22 | गुरुवार | शाम 5:47 से सुबह 5:26 (मई 23) |
मई 23 | शुक्रवार | सुबह 5:26 से रात 10:29 |
मई 28 | बुधवार | सुबह 5:25 से रात 12:29 (मई 29) |
जून 4 | बुधवार | रात 11:54 से सुबह 3:35 (जून 5) |
जून 6 | शुक्रवार | सुबह 6:34 से रात 4:47 (जून 7) |
अक्टूबर 23 | गुरुवार | सुबह 4:51 से सुबह 6:28 (अक्टूबर 24) |
अक्टूबर 24 | शुक्रवार | सुबह 6:28 से दोपहर 1:19 (अक्टूबर 25) |
अक्टूबर 29 | बुधवार | सुबह 6:31 से सुबह 9:23 |
नवंबर 3 | सोमवार | सुबह 6:34 से दोपहर 2:05 (नवंबर 4) |
नवंबर 6 | गुरुवार | रात 3:28 से सुबह 6:37 (नवंबर 7) |
नवंबर 7 | शुक्रवार | सुबह 6:37 से सुबह 6:38 (नवंबर 8) |
नवंबर 8 | शनिवार | सुबह 6:38 से सुबह 7:32 |
नवंबर 14 | शुक्रवार | रात 9:20 से सुबह 6:44 (नवंबर 15) |
नवंबर 15 | शनिवार | सुबह 6:44 से रात 11:34 |
नवंबर 24 | सोमवार | रात 9:53 से सुबह 6:52 (नवंबर 25) |
नवंबर 30 | शनिवार | रात 2:22 से सुबह 6:56 (दिसंबर 1) |
दिसंबर 1 | सोमवार | सुबह 6:56 से शाम 7:01 |
दिसंबर 5 | शुक्रवार | सुबह 6:59 से सुबह 7:00 (दिसंबर 6) |
दिसंबर 6 | शनिवार | सुबह 7:00 से सुबह 8:48 |
गृह प्रवेश पूजा का महत्व
हिंदू परंपराओं के अनुसार, नए घर में प्रवेश करने से पहले गृह प्रवेश पूजा की जाती है। ‘गृह प्रवेश’ दो शब्दों से बना है – ‘गृह’ जिसका अर्थ है घर और ‘प्रवेश’ जिसका अर्थ है भीतर आना।
- वास्तु शास्त्र की मान्यता: वास्तु के अनुसार, शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश पूजा करने से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होते हैं और स्थान शुद्ध हो जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा केवल एक बार की जाती है।
- पांच तत्वों का संतुलन: वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह पूजा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – इन 5 प्राकृतिक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने के लिए की जाती है। इससे घर में एक सुखद वातावरण बनता है, जो परिवार के सुख-समृद्धि के लिए आवश्यक होता है।
- नए घर की सुरक्षा और मान्यता: पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, घर को सिर्फ एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि एक जीवंत इकाई माना जाता है। गृह प्रवेश पूजा के माध्यम से नए घर को परिवार में शामिल किया जाता है, जिससे सुरक्षा और खुशहाली सुनिश्चित होती है।
- नई शुरुआत का प्रतीक: शुभ दिन पर नए घर में प्रवेश करना और गृह प्रवेश पूजा करना जीवन में सकारात्मक और नई शुरुआत लाने में सहायक होता है। यह परिवार के लिए धन, स्वास्थ्य और खुशहाली सुनिश्चित करता है।
- नकारात्मक ऊर्जाओं का शुद्धिकरण: गृह प्रवेश पूजा को आध्यात्मिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना जाता है। मंत्रोच्चार, कपूर व धूप जलाना, पवित्र जल से घर का शुद्धिकरण आदि विधियां पिछले निवासियों और निर्माण कार्यों की नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने में मदद करती हैं।
- दैवीय शक्तियों से जुड़ाव: गृह प्रवेश एक नई यात्रा का प्रतीक भी है, जो परिवार के लिए नई शुरुआत और आपसी संबंधों को मजबूत करने का संकेत देता है। यह घर को अच्छे संस्कारों, प्रेम और शांति से भरने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- ज्योतिषीय महत्व: शुभ मुहूर्त और ग्रहों की अनुकूल स्थिति के अनुसार गृह प्रवेश पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का संचार होता है।
- शुभ नक्षत्र का महत्व: एक्सपर्ट के अनुसार, ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो और सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर हो, तभी गृह प्रवेश करना चाहिए। नए घर में प्रवेश तभी शुभ माना जाता है, जब नक्षत्र की स्थिति अनुकूल हो। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिन्हें शुभ नक्षत्र या चंद्रमास के तारामंडल कहा जाता है। चंद्रमा हर एक नक्षत्र में लगभग एक दिन तक निवास करता है। पंचांग यानी हिंदू कैलेंडर में नक्षत्र एक महत्वपूर्ण पार्ट होते हैं, क्योंकि इन्हीं की स्थिति के आधार पर शुभ मुहूर्त की गणना की जाती है।
गृह प्रवेश के समर्पण का प्रतीकात्मक महत्व
वास्तु के अनुसार, गृह प्रवेश पूजा के दौरान देवी-देवताओं को कुछ विशेष भेंट चढ़ाई जाती हैं, जिनका विशेष महत्व होता है।
- नारियल: पूजा के समय नारियल को पवित्रता, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। घर के प्रवेश द्वार पर नारियल फोड़ने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- चावल और अनाज: चावल गृह प्रवेश पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो घर में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य के प्रवाह को दर्शाता है।
- पवित्र नदी का जल: पूजा के दौरान गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी का जल पूरे घर में छिड़का जाता है, जिससे घर की शुद्धि होती है।
- दीये और कपूर: दीये जलाना अंधकार और अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है, जबकि कपूर जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।
- फूल: फूल घर में ताजगी लाते हैं और देवताओं की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
- दूध और शहद: दूध को शहद के साथ उबालना मिठास, एकता और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक माना जाता है।
गृह प्रवेश के दौरान शुभ मुहूर्त व नक्षत्रों का महत्व
जब भी नया घर लें, तो उसमें प्रवेश करने के लिए सही समय चुनना बहुत जरूरी होता है। वास्तु और ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि नए घर में तभी प्रवेश करना चाहिए, जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो और सकारात्मक ऊर्जा अपने शिखर पर हो। ऐसे समय को पहचानने के लिए पंचांग या किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना फायदेमंद होता है।
जानकारों के अनुसार, खरमास, श्राद्ध और चातुर्मास जैसे समय गृह प्रवेश के लिए अशुभ माने जाते हैं। साथ ही, हर क्षेत्र का पंचांग भी थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय परंपरा का भी ध्यान रखना चाहिए।
इसके अलावा, शुभ नक्षत्रों के समय घर में प्रवेश करना और भी अधिक फलदायक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जो चंद्रमा की स्थिति को दर्शाते हैं। चंद्रमा हर नक्षत्र में एक दिन तक रहता है। यही नक्षत्र पंचांग का अहम हिस्सा होते हैं और इन्हीं की मदद से शुभ मुहूर्त निकाले जाते हैं।
जुलाई 2025 में गृह प्रवेश मुहूर्त
जुलाई 2025 में गृह प्रवेश के लिए कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है।
अगस्त 2025 में गृह प्रवेश मुहूर्त
अगस्त 2025 में भी गृह प्रवेश के लिए कोई भी शुभ तिथि उपलब्ध नहीं है।
सितंबर 2025 में गृह प्रवेश मुहूर्त
सितंबर 2025 में भी गृह प्रवेश के लिए कोई शुभ दिन नहीं है।
इन महीनों में शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त के अभाव का कारण ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति है। इसके साथ ही यह समय चातुर्मास के अंतर्गत आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह चार महीनों का पवित्र काल होता है, जिसे शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। यह अवधि साधना, तप और आत्मचिंतन के लिए होती है, न कि नए कार्यों की शुरुआत, मकान खरीदने या गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्यों के लिए।
गृह प्रवेश मुहूर्त जून 2025
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
4 जून | बुधवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी | रात 11:54 से 5 जून को सुबह 3:35 बजे तक |
6 जून | शुक्रवार | एकादशी | चित्रा | 07 जून, सुबह 6:34 से 4:47 बजे तक |
2025 में जुलाई, अगस्त और सितंबर में कोई शुभ तिथि उपलब्ध नहीं है।
गृह प्रवेश मुहूर्त अक्टूबर 2025
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
23 अक्टूबर, 2025 | गुरुवार | तृतीया | अनुराधा | सुबह 4:51 से 24 अक्टूबर को सुबह 6:28 तक |
24 अक्टूबर, 2025 | शुक्रवार | तृतीया | अनुराधा | 6:28 पूर्वाह्न से 25 अक्टूबर को 1:19 अपराह्न तक |
29 अक्टूबर, 2025 | बुधवार | सप्तमी | उत्तरा आषाढ़ | सुबह 6:31 से 9:23 तक |
नवंबर 2025 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
03 नवंबर, 2025 | सोमवार | त्रयोदशी | उत्तराभाद्रपद, रेवती | 6:34 पूर्वाह्न से 4 नवंबर को 2:05 अपराह्न तक |
06 नवंबर, 2025 | गुरुवार | द्वितीय | रोहिणी | सुबह 3:28 से 7 नवंबर को सुबह 6:37 बजे तक |
07 नवंबर, 2025 | शुक्रवार | द्वितीया, तृतीया | रोहिणी, मृगशीर्ष | सुबह 6:37 से 8 नवंबर को सुबह 6:38 बजे तक |
08 नवंबर, 2025 | शनिवार | चतुर्थी, तृतीया | मृगशीर्ष | 6:38 से 7:32 पूर्वाह्न |
14 नवंबर, 2025 | शुक्रवार | दशमी, एकादशी | उत्तरा फाल्गुनी | रात 9:20 से 14 नवंबर को सुबह 6:44 बजे तक |
15 नवंबर, 2025 | शनिवार | एकादशी | उत्तरा फाल्गुनी | सुबह 6:44 से रात 11:34 तक |
24 नवंबर, 2025 | सोमवार | पंचमी | उत्तरा आषाढ़ | रात 9:53 से 25 नवंबर को सुबह 6:52 बजे तक |
03 नवंबर, 2025 | शनिवार | दशमी | उत्तराभाद्रपद | सुबह 2:22 से 30 नवंबर को सुबह 6:56 तक |
दिसंबर 2025 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त |
1 दिसंबर, 2025 | सोमवार | एकादशी | रेवती | सुबह 6:56 से शाम 7:01 तक |
5 दिसंबर, 2025 | शुक्रवार | प्रतिपदा, द्वितीया | रोहिणी, मृगशीर्ष | सुबह 6:59 बजे से 6 दिसंबर को सुबह 7 बजे तक |
6 दिसंबर, 2025 | शनिवार | द्वितीय | मृगशीर्ष | सुबह 7:00 बजे से 8:48 बजे तक |
नोट: आधी रात के बाद के घंटे अगले दिन की तारीख के साथ लिखे जाते हैं। वहीं दूसरी ओर पंचांग के अनुसार, दिन की शुरुआत और समाप्ति सूर्योदय से होती है।
इन तारीखों के अलावा कुछ शुभ तिथियां भी होती हैं, जो व्यक्ति की राशि और नक्षत्र के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। इनका सही परामर्श किसी अनुभवी ज्योतिषी से लेना बेहतर होता है।
इन तय तारीखों के अलावा कुछ शुभ तिथियां ऐसी भी होती हैं जो स्थान, व्यक्ति की राशि और नक्षत्र के आधार पर तय की जाती हैं। इनका सही निर्धारण एक अनुभवी ज्योतिषी ही कर सकता है।
इसके अलावा, जब गृह प्रवेश के लिए मुहूर्त की तलाश की जाती है, तो यह समझना बहुत जरूरी है कि शुभ तिथियां और समय अलग-अलग पंचांगों में भिन्न हो सकते हैं। जैसे कि तेलुगु पंचांग या तमिल कैलेंडर में बताए गए गृह प्रवेश के दिन, हिंदू चंद्र पंचांग में दिए गए मुहूर्त से अलग हो सकते हैं।
जनवरी 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, जनवरी 2026 में कोई शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त नहीं है। स्थान और कुंडली के आधार पर व्यक्तिगत गृह प्रवेश मुहूर्त जानने के लिए आप किसी ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं।
फरवरी 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त |
6 फरवरी, 2026 | शुक्रवार | षष्ठी, पंचमी | चित्रा, हस्ता | 12:23 सुबह से 7 फरवरी को सुबह 01:18 बजे तक |
11 फरवरी, 2026 | बुधवार | दशमी, नवमी | ज्येष्ठा, अनुराधा | 09:58 पूर्वाह्न से 10:53 पूर्वाह्न तक |
19 फरवरी, 2026 | गुरुवार | तृतीया | उत्तरा भाद्रपद | रात 08:52 से 20 फरवरी को सुबह 06:55 तक |
20 फरवरी, 2026 | शुक्रवार | तृतीया | उत्तरा भाद्रपद | 06:55 पूर्वाह्न से 02:38 अपराह्न तक
|
21 फरवरी, 2026 | शनिवार | पंचमी | रेवती | दोपहर 01:00 बजे से शाम 07:07 बजे तक |
25 फरवरी, 2026 | बुधवार | दशमी | मृगशिरा | सुबह 02:40 से 26 फरवरी को सुबह 06:49 बजे तक |
26 फरवरी, 2026 | गुरुवार | दशमी | मृगशिरा | 06:49 पूर्वाह्न से 12:11 अपराह्न तक |
मार्च 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहूर्त |
4 मार्च, 2026 | बुधवार | प्रतिपदा, द्वितीया | उत्तरा फाल्गुनी | 07:39 पूर्वाह्न से 06:42 पूर्वाह्न, मार्च 05 |
5 मार्च, 2026 | गुरुवार | द्वितीय | उत्तरा फाल्गुनी | 06:42 पूर्वाह्न से 08:17 पूर्वाह्न तक |
6 मार्च, 2026 | शुक्रवार | तृतीया | चित्रा | 09:29 पूर्वाह्न से 05:53 अपराह्न तक |
अप्रैल 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
20 अप्रैल, 2026 | सोमवार | तृतीया | रोहिणी | 05:57 पूर्वाह्न से 07:27 पूर्वाह्न तक |
मई 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
4 मई, 2026 | सोमवार | तृतीया | अनुराधा | 05:49 पूर्वाह्न से 09:58 पूर्वाह्न तक |
8 मई, 2026 | शुक्रवार | सप्तमी | उत्तरा आषाढ़ | दोपहर 12:21 बजे से रात 09:20 बजे तक |
13 मई, 2026 | बुधवार | एकादशी | उत्तरा भाद्रपद | 05:45 पूर्वाह्न से 01:29 अपराह्न तक |
जून 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
24 जून 2026 | बुधवार | दशमी | चित्रा | 05:44 पूर्वाह्न से 01:59 अपराह्न तक |
26 जून, 2026 | शुक्रवार | त्रयोदशी | अनुराधा | रात 10:22 से 27 जून को सुबह 05:44 बजे तक |
27 जून 2026 | शनिवार | त्रयोदशी | अनुराधा | 05:44 पूर्वाह्न से 10:11 अपराह्न तक |
गृह प्रवेश मुहूर्त जुलाई 2026
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
1 जुलाई, 2026 | बुधवार | द्वितीय | उत्तरा आषाढ़ | 06:51 पूर्वाह्न से 2 जुलाई को 05:46 पूर्वाह्न तक |
2 जुलाई, 2026 | गुरुवार | द्वितीय | उत्तरा आषाढ़ | 05:46 पूर्वाह्न से 09:27 पूर्वाह्न तक |
6 जुलाई, 2026 | सोमवार | सप्तमी | उत्तरा भाद्रपद | 7 जुलाई को 04:07 अपराह्न से 7 जुलाई को 05:47 पूर्वाह्न तक |
अगस्त 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
अगस्त 2026 में कोई शुभ गृह प्रवेश तिथि उपलब्ध नहीं है।
सितंबर 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
सितंबर 2026 में कोई शुभ गृह प्रवेश तिथि उपलब्ध नहीं है।
अक्टूबर 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
अक्टूबर 2026 में कोई शुभ गृह प्रवेश तिथि उपलब्ध नहीं है।
नवंबर 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
11 नवंबर, 2026 | बुधवार | द्वितीय | अनुराधा | 06:19 पूर्वाह्न से 11:38 पूर्वाह्न तक |
14 नवंबर, 2026 | शनिवार | पंचमी | उत्तरा आषाढ़ | 08:24 अपराह्न से 11:23 अपराह्न तक |
20 नवंबर, 2026 | शुक्रवार | एकादशी | उत्तरा भाद्रपद | 06:56 पूर्वाह्न से 21 नवंबर तक 06:24 पूर्वाह्न तक |
21 नवंबर, 2026 | शनिवार | द्वादशी, एकादशी | रेवती, उत्तरा भाद्रपद | 06:24 पूर्वाह्न से 06:31 पूर्वाह्न तक |
25 नवंबर, 2026 | बुधवार | प्रतिपदा, द्वितीया | रोहिणी, मृगशिरा | 06:27 पूर्वाह्न से 26 नवम्बर को 06:27 पूर्वाह्न तक |
26 नवंबर, 2026 | गुरुवार | द्वितीया, तृतीया | मृगशिरा | 06:27 पूर्वाह्न से 05:47 अपराह्न तक |
दिसंबर 2026 में गृह प्रवेश मुहूर्त
तारीख | दिन | तिथि | नक्षत्र | मुहुर्त |
2 दिसंबर, 2026 | बुधवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी | शाम 10:51 से 3 दिसंबर को सुबह 06:31 तक |
3 दिसंबर, 2026 | गुरुवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी | 06:31 पूर्वाह्न से 09:23 पूर्वाह्न तक |
4 दिसंबर, 2026 | शुक्रवार | एकादशी | चित्रा | 10:22 पूर्वाह्न से 11:44 अपराह्न तक |
11 दिसंबर, 2026 | शुक्रवार | तृतीया | उत्तरा आषाढ़ | सुबह 03:04 से 12 दिसंबर को सुबह 06:37 तक |
12 दिसंबर, 2026 | शनिवार | तृतीया | उत्तरा आषाढ़ | 06:37 पूर्वाह्न से 02:06 अपराह्न तक |
18 दिसंबर, 2026 | शुक्रवार | दशमी | रेवती | शाम 11:14 से 19 दिसंब को सुबह 06:40 तक |
19 दिसंबर, 2026 | शनिवार | दशमी | रेवती | 06:40 पूर्वाह्न से 03:58 अपराह्न तक |
30 दिसंबर, 2026 | बुधवार | सप्तमी | उत्तरा फाल्गुनी | 06:46 पूर्वाह्न से 12:36 अपराह्न तक |
2025 में गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र
- रोहिणी – यह शुभ नक्षत्र समृद्धि और वृद्धि का प्रतीक है, नए कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल है।
- मृगशिरा – यह नक्षत्र घर में शांति और सौहार्द लाने वाला माना जाता है।
- उत्तर फाल्गुनी – यह नक्षत्र स्थिरता और सौभाग्य प्रदान करता है।
- चित्रा – यह नक्षत्र रचनात्मकता, धन और समृद्धि आकर्षित करता है।
- रेवती – यह नक्षत्र खुशी, संपन्नता और समग्र कल्याण लाने वाला होता है।
- उत्तराषाढ़ा – यह नक्षत्र सफलता, धन और दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करता है।
- अनुराधा – यह नक्षत्र लंबे समय तक चलने वाले संबंधों और घरेलू सफलता को बढ़ावा देता है।
गृह प्रवेश तभी शुभ माना जाता है, जब नक्षत्र अनुकूल हों। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जो चंद्रमा की विभिन्न राशियों में स्थित होते हैं। चंद्रमा प्रत्येक नक्षत्र में एक दिन व्यतीत करता है। पंचांग और हिंदू कैलेंडर में नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है क्योंकि ये शुभ मुहूर्त निकालने में सहायक होते हैं।
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार, गृह प्रवेश और पूजा तभी करनी चाहिए जब नक्षत्र अनुकूल हों, जिससे सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
गृह प्रवेश के शुभ महीने
- माघ (जनवरी – फरवरी): धन लाभ दिलाता है
- फाल्गुन (फरवरी – मार्च): धन और संतान के लिए लाभकारी।
- बैशाख (अप्रैल – मई): समृद्धि और धन वृद्धि में सहायक।
- ज्येष्ठ (मई – जून): पशुधन के लिए शुभ।
गृह प्रवेश के लिए अशुभ महीने
- आषाढ़
- श्रावण
- भाद्रपद
- आश्विन
- पौष
2025 में वास्तु शांति मुहूर्त
तारीख | नक्षत्र | तिथि | मुहूर्त |
23 जनवरी, 2025 | मृगशिरा | सप्तमी | सुबह 7:44 से 10:05 तक |
1-2 मार्च, 2025 | उत्तरा भाद्रपद | द्वितीया, तृतीया | सुबह 11:22 से 6:45 तक |
3 अप्रैल, 2025 | उत्तरा आषाढ़ | पंचमी | सुबह 6:32 से रात 11:42 तक |
3-4 सितंबर, 2025 | उत्तरा आषाढ़ | एकादशी | रात्रि 11:08 बजे से प्रातः 4:22 बजे तक |
2-3 अक्टूबर, 2025 | उत्तरा फाल्गुनी | दशमी | शाम 5:15 से सुबह 6:43 तक |
वास्तु शांति मुहूर्त चुनने के टिप्स
वास्तु के अनुसार, गृह प्रवेश के दौरान वास्तु शांति पूजा करने से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है। वास्तु शांति मुहूर्त चुनने के लिए कुछ शुभ ग्रह स्थितियां इस प्रकार हैं –
- शुभ योग: यह ग्रह स्थिति समृद्धि को बढ़ावा देती है।
- अमृत सिद्धि योग: यह योग सफलता और शांति लाता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: इसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए काफी ज्यादा शुभ माना जाता है।
स्थान और जन्म कुंडली के आधार पर सही वास्तु शांति मुहूर्त जानने के लिए किसी वास्तु विशेषज्ञ और ज्योतिषी से परामर्श करें।
गृह शांति पूजा क्या है?
गृह शांति संस्कृत शब्द है, जहां ‘गृह’ का अर्थ गृह (प्लैनेट) और ‘शांति’ का अर्थ शांति होता है। यह पूजा गृह प्रवेश के समय की जाती है ताकि नवग्रहों (नौ ग्रहों) को शांत किया जा सके। इस पूजा को वास्तु शांति पूजा के साथ किया जाता है, जिससे घर में सकारात्मकता आती है, ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गृह शांति पूजा का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, ग्रहों का मनुष्य के जीवन पर प्रभाव पड़ता है, और गृह प्रवेश एवं वास्तु शांति पूजा के लिए शुभ मुहूर्त तय करने में इनकी सही स्थिति महत्वपूर्ण होती है।
- बृहस्पति (Jupiter) – यह ग्रह समृद्धि और विकास का प्रतीक है। गृह प्रवेश के समय बृहस्पति वक्री (retrograde) या अशुभ ग्रहों से पीड़ित नहीं होना चाहिए।
- बुध (Mercury) – बुध ग्रह की अच्छी स्थिति घर में संचार और सौहार्द बनाए रखने के लिए जरूरी होती है।
- मंगल (Mars) – मंगल ग्रह का संबंध भूमि और निर्माण से होता है, इसलिए ग्रह शांति पूजा के लिए मुहूर्त तय करते समय इसकी शुभ स्थिति आवश्यक होती है, ताकि घर में स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।
गृह प्रवेश मुहूर्त कैसे निकाला जाता है?
गृह प्रवेश मुहूर्त कई महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखकर तय किया जाता है, जैसे कि –
- तारों और नक्षत्रों का संयोग: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुछ नक्षत्र जैसे रोहिणी और उत्तराफाल्गुनी आदि के आधार पर शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है। इन नक्षत्र की ऊर्जा घर की ऊर्जा के लिए सकारात्मक होती है और घर में संतुलन स्थापित करने में सहायक होती है।
- ग्रहों की स्थिति: शुभ मुहूर्त तय करते समय नौ ग्रहों में शामिल प्रमुख ग्रहों जैसे गुरु और शुक्र की स्थिति देखी जाती है। साथ ही इन ग्रहों के अस्त होने की स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है।
- शुभ लग्न: गृह प्रवेश की शुभ तिथि चुनते समय परिवार के सदस्यों की कुंडली का लग्न घर के वास्तु के साथ मेल खाता हो, इसका बात का भी ध्यान रखा जाता है ताकि ऊर्जा का प्रवाह सुगम हो।
- सूर्योदय और सूर्यास्त का समय: गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त का चयन सूर्योदय के 4 घंटे बाद या सूर्यास्त से 4 घंटे पहले की अवधि में किया जाता है।
- सूर्य और चंद्रमा की स्थिति: सूर्य और चंद्रमा की स्थिति भी शुभ मुहूर्त तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- व्यक्ति की कुंडली: कई ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन कर शुभ मुहूर्त का चयन करते हैं। साथ ही घर के रहने वाले अन्य लोगों की कुंडली भी मिलान की जाती है।
- चंद्र कैलेंडर: आमतौर पर गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए चंद्र कैलेंडर का उपयोग किया जाता है। कैलेंडर के आधार पर तिथियां बदल सकती हैं।
- अधिक मास: कैलेंडर में जुड़े अतिरिक्त महीने (अधिक मास) को भी शुभ मुहूर्त चुनते समय ध्यान में रखा जाता है।
- अधिक मास: यह वह अतिरिक्त महीना होता है, जो पंचांग में जोड़ा जाता है और जिसे शुभ मुहूर्त चुनते समय भी ध्यान में रखा जाता है।
- जब भी कोई अनुकूल मुहूर्त चुना जाए, तो उन तिथियों या समय से बचना चाहिए, जिन्हें अशुभ माना गया है, जैसे – राहुकाल, अमावस्या, भद्रा या ग्रहण का समय।
चौघड़िया का महत्व
चौघड़िया एक वैदिक समय-सारणी होती है, जिसका उपयोग शुभ मुहूर्त देखने के लिए किया जाता है। इसमें दिन को 7 भागों में बांटा गया है और हर भाग का अपना अलग महत्व होता है। कुछ समय बेहद शुभ माने जाते हैं, तो कुछ अशुभ। ये 7 प्रकार के चौघड़िए होते हैं –
- शुभ
- लाभ (लाभ)
- अमृत (सर्वश्रेष्ठ)
- चाल (तटस्थ)
- उद्वेग (अशुभ)
- काल (अशुभ)
- रोग (अशुभ)
चौघड़िया का महत्व
चौघड़िया एक वैदिक तालिका है, जिसका उपयोग शुभ समय जानने के लिए किया जाता है। इसमें दिन को 7 भागों में बांटा जाता है, जिनका शुभ-अशुभ प्रभाव अलग-अलग होता है। ये 7 भाग इस प्रकार हैं:
- शुभ (शुभकारी): इस समय शुरू किए गए कार्य अच्छे परिणाम देते हैं।
- लाभ (लाभदायक): यह समय लाभ का प्रतीक है और नए कार्यों जैसे गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त होता है।
- अमृत (सबसे श्रेष्ठ): यह सबसे अनुकूल समय होता है, जो सफलता, शांति और सौभाग्य लाता है।
- चल (सामान्य): जब अन्य शुभ समय उपलब्ध हो, तब यह गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त माना जाता है।
- उद्वेग (अशुभ): इस दौरान गृह प्रवेश करने से मानसिक तनाव और चिंता बढ़ सकती है।
- काल (अशुभ): यह समय गृह प्रवेश के लिए ठीक नहीं माना जाता, क्योंकि यह रुकावटें ला सकता है।
रोग (अशुभ): इस समय गृह प्रवेश पूजा करने से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शुभ गृह प्रवेश मुहूर्त कैसे चुनें?
- पंचांग शुद्धि और हिंदू कैलेंडर का उपयोग करें। साल 2024 में शुभ वास्तु शांति मुहूर्त जानने के लिए पंचांग की जांच करें और हिंदू कैलेंडर का सहारा लें।
- अपनी कुंडली और स्थान के आधार पर सही गृह प्रवेश मुहूर्त जानने के लिए वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लें।
व्यक्तिगत गृह प्रवेश मुहूर्त
व्यक्तिगत गृह प्रवेश मुहूर्त को जन्म कुंडली के अनुसार सही समय देखकर तय किया जाता है। यह मुहूर्त निम्नलिखित आधार पर गणना किया जाता है:
- जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति
- व्यक्ति का नक्षत्र (या जन्म तारा)
शनि और राहु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करना, जो कुंडली में घर, धन और संबंधों से जुड़े महत्वपूर्ण भावों को प्रभावित कर सकते हैं।
व्यक्तिगत गृह प्रवेश मुहूर्त कैसे निकाला जाता है
आपके लिए एक व्यक्तिगत गृह प्रवेश मुहूर्त निकाला जाता है, जो आपकी जन्म कुंडली के अनुसार, पूरी तरह से सटीक समय पर आधारित होता है। यह शुभ मुहूर्त इन बातों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा:
- आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति
- आपका नक्षत्र यानी जन्म तारा
शनि और राहु जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करना, जो कुंडली में घर, धन और संबंधों से जुड़े महत्वपूर्ण भावों को प्रभावित कर सकते हैं।
2025 में गृह प्रवेश के लिए वर्जित दिन
- सूर्य या चंद्र ग्रहण – ग्रहण को अशुभ माना जाता है और इस दौरान गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हिंदू परंपराओं के अनुसार, इस समय उपवास रखने और प्रार्थना करने की सलाह दी जाती है।
- आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और पौष माह – इन महीनों को गृह प्रवेश के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है, इसलिए इस दौरान गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए।
- शुक्र तारा अस्त और गुरु तारा अस्त – जब ये ग्रह सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं तो इनकी शक्ति कम हो जाती है। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष रूप से गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- राहु काल – राहु ग्रह के प्रभाव से यह समय नकारात्मकता, भ्रम और बाधाओं से जुड़ा होता है, इसलिए इस अवधि में गृह प्रवेश करना अशुभ माना जाता है।
- अमावस्या: पंचांग के मुताबिक, यह समय अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा होता है, इसलिए गृह प्रवेश के लिए इस तिथि को टालना चाहिए।
- कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का घटता हुआ चरण): इस समय चंद्रमा की रोशनी कम होती जाती है, जो अंधकार और ऊर्जा में कमी का प्रतीक है, इसलिए गृह प्रवेश के लिए यह समय शुभ नहीं माना जाता।
- अधिक मास और चंद्रवर्ष: इसे अतिरिक्त मास भी कहा जाता है। इस दौरान असंतुलन या परिवर्तन का समय होता है, इसलिए गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
- परिवार की कुछ परिस्थितियां: यदि परिवार में हाल ही में किसी का निधन हुआ हो या किसी महिला सदस्य का गर्भधारण हुआ हो तो गृह प्रवेश पूजा नहीं करनी चाहिए। हालांकि, यदि नए घर में जाना अनिवार्य हो तो किसी ज्योतिषी या वास्तु विशेषज्ञ से शुभ मुहूर्त की जानकारी लेनी चाहिए।
नोट: गृह प्रवेश के शुभ दिन और समय स्थान के अनुसार (सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर) तय होते हैं। इसलिए, समारोह से पहले किसी स्थानीय पंडित से सलाह अवश्य लें। विशेषज्ञ बताते हैं कि खरमास, श्राद्ध, चातुर्मास आदि समय को अशुभ माना जाता है। पंचांग क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकता है।
घर शिफ्ट करने के लिए सबसे शुभ दिन
- सोमवार: हफ्ते के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। यह दिन चंद्रमा ग्रह से जुड़ा है, जो शांति, स्थिरता और संपूर्ण सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन घर बदलना घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
- बुधवार: यह दिन बुध ग्रह का होता है, जो मधुर रिश्ते और सहज संवाद का संकेत देता है। बुधवार को गृह प्रवेश करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- गुरुवार: गुरु ग्रह यानी बृहस्पति से जुड़ा यह दिन ज्ञान, धन और दीर्घकालिक सफलता का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार को गृह प्रवेश करना घर में लक्ष्मी और बुद्धि दोनों का वास कराता है।
- शुक्रवार: शुक्र ग्रह से जुड़ा यह दिन प्रेम, सौंदर्य और सुख-शांति का प्रतीक है। शुक्रवार को नए घर में प्रवेश करने से दांपत्य जीवन मधुर रहता है और घर में खुशहाली बनी रहती है।
- रविवार: यह दिन सूर्य देव से जुड़ा है, जो आत्मबल, यश और सफलता का प्रतीक है। रविवार को गृह प्रवेश करने से घर में सकारात्मकता और सौभाग्य का आगमन होता है।
घर शिफ्टिंग के लिए किन दिनों से बचें
- मंगलवार: यह दिन मंगल ग्रह की तेज ऊर्जा से जुड़ा होता है। इस दिन गृह प्रवेश करना शुभ नहीं माना जाता क्योंकि इससे तनाव और कलह की स्थिति बन सकती है।
शनिवार: यह दिन शनि ग्रह से जुड़ा होता है। शनिवार को घर बदलना या गृह प्रवेश करना अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे कामों में देरी और रुकावटें आ सकती हैं।
घर शिफ्ट करने के लिए अशुभ समय
दिन | राहू काल |
सोमवार | 7:30 से 9 AM |
मंगलवार | 3 से 4:30 PM |
बुधवार | 12 से 1:30 PM |
गुरुवार | 1:30 से 3:00 PM |
शुक्रवार | 10:30 से 12 PM |
शनिवार | 9:00 से 10:30 PM |
रविवार | 4:30 से 6:00 PM |
वास्तु और ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, राहु कालम किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है। इसलिए, इस समय गृह प्रवेश पूजा या नए अथवा पुराने घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
गृह प्रवेश मुहूर्त 2024: शुभ त्योहार
तिथि | दिवस | महोत्सव |
14 फरवरी 2024 | बुधवार | बसंत पंचमी 2024 |
10 मई 2024 | शुक्रवार | अक्षय तृतीया 2024 |
12 अक्टूबर 2024 | शनिवार | दशहरा 2024
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29 अक्टूबर 2023 | मंगलवार | धनतेरस 2024
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गृह प्रवेश मुहूर्त 2025: शुभ त्योहार
तारीख | दिन | त्योहार |
2 फरवरी, 2025 | रविवार | बसंत पंचमी |
30 अप्रैल, 2025 | बुधवार | अक्षय तृतीया |
2 अक्टूबर, 2025 | गुरुवार | दशहरा |
18 अक्टूबर, 2025 | शनिवार | धनतेरस |
21 अक्टूबर, 2025 | मंगलवार | दीपावली |
इन त्योहारों पर गृह प्रवेश करने से बचें
तारीख | दिन | त्योहार |
14 जनवरी, 2025 | मंगलवार | मकर संक्रांति |
14 मार्च, 2025 | शुक्रवार | होली (होलाष्टक सहित) |
गृह प्रवेश के लिए शुभ लग्न
स्थिर लग्न | वृषभ
सिंह वृश्चिक कुंभ |
द्विस्वभाव लग्न | मिथुन
कन्या धनु मीन |
गृह प्रवेश के लिए शुभ चंद्र तिथियां
2 | 3 | 5 | 7 | 10 | 11 | 13 |
वर्ष 2025 में वास्तु शांति के लिए मुहूर्त की तिथियां (शुक्ल पक्ष) में ऊपर दी गई हैं। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य में चंद्रमा की स्थिति का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यदि चंद्रमा का गोचर जातक की कुंडली के चौथे, छठे, आठवें, या बारहवें घर में हो, तो नए घर में प्रवेश करने से बचना चाहिए।
गृह प्रवेश कार्यक्रम के दौरान क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- आम के पत्तों से पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें ताकि घर शुद्ध हो जाए।
- घर में प्रवेश से पहले नारियल फोड़ें, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नारियल बाधाओं को दूर करता है और नए जीवन की शुभ शुरुआत का प्रतीक होता है।
- घर में प्रवेश करते समय दायां पैर पहले रखें। यह शुभ संकेत माना जाता है।
- जल से भरे कलश में एक नारियल और आठ आम के पत्ते रखकर घर में प्रवेश करें।
- देवी-देवताओं की मूर्तियां उत्तर-पूर्व दिशा में इस तरह रखें कि उनका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
- गृह प्रवेश पूजा सभी परिवारजनों की उपस्थिति में करें, जब सभी स्वस्थ और प्रसन्न हों। किसी प्रकार की नकारात्मक भावना को दूर रखें।
- पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराएं।
- नए घर में पहले दिन रसोई में हरी पत्तेदार सब्जियां और गुड़ जरूर रखें।
क्या न करें
- मंगलवार को गृह प्रवेश की पूजा न करें। विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार को भी यह पूजा वर्जित मानी जाती है।
पूजा के दौरान बातचीत न करें। पूजा पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से करें।
गृह प्रवेश के लिए वास्तु के अनुसार शुभ महीने
महीना | महत्व |
माघ (जनवरी – फरवरी) | धन लाभ का कारक |
फाल्गुन (फरवरी – मार्च) | धन और संतान के लिए लाभकारी |
वैशाख (अप्रैल – मई) | समृद्धि और धन वृद्धि में सहायक |
ज्येष्ठ (मई – जून) | पशुधन के लिए लाभकारी |
क्या आपको किराए के घर के लिए गृह प्रवेश करना चाहिए?
वास्तु के अनुसार किराए के घर के लिए भी गृह प्रवेश पूजा करनी चाहिए. यह शुभ माना जाता है और शांति सुनिश्चित करते हुए नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने में मदद करता है. घर की ऊर्जा को सक्रिय और बनाए रखने के लिए हवन करें। विस्तृत पूजा के स्थान पर, आप एक छोटा पूजा समारोह कर सकते हैं।
नए घर में दूध उबालने का शुभ समय क्या होता है?
परंपरागत रूप से नए घर में दूध को इतने समय तक उबालना चाहिए कि वह बर्तन से छलक न जाए। दूध उबालने के दौरान बर्तन से छलकना शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, सौभाग्य और घर में बरकत का प्रतीक होता है। आमतौर पर, गृह प्रवेश समारोह के दौरान दूध उबालना, पूजा या हवन जैसे कर्मकांड भी किए जाते हैं। ये सभी क्रियाएं पंचांग के अनुसार चुने गए शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दूध उबालने का सबसे उपयुक्त समय वही होता है, जब गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त हो और यह सामान्यतः सुबह के समय आता है।
अशुभ गृह प्रवेश मुहूर्त के उपाय
- गणेश पूजा: अगर तय मुहूर्त पर नए घर में प्रवेश करने में देरी हो जाए या अशुभ दिन प्रवेश करना पड़े, तो भगवान गणेश की पूजा करके नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है। गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं।
- गृह शांति पूजा: गृह प्रवेश के दौरान नवग्रहों की पूजा करने से अशुभ मुहूर्त की नकारात्मक ऊर्जा को शांत किया जा सकता है।
- वास्तु यंत्र: घर के उत्तर-पूर्व कोने में वास्तु यंत्र रखने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं। इसके साथ ही ऊर्जा संतुलन के लिए वास्तु पुरुष की पूजा भी करनी चाहिए।
- हवन: गृह प्रवेश के समय हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है, देवी-देवताओं की कृपा मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सौभाग्य बढ़ता है।
गृह प्रवेश के लिए घर कैसे तैयार करें?
- भूमि पूजन करें: घर के निर्माण से पहले भूमि पूजन करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर भूमि की शुद्धि करता है और समृद्धि, वृद्धि और शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है।
- घर की सफाई करें: गृह प्रवेश पूजा से पहले पूरे घर की अच्छी तरह सफाई और अव्यवस्था दूर करें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
- शुभ मुहूर्त चुनें: गृह प्रवेश पूजा के लिए हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त का चयन करें।
- मुख्य द्वार सजाएं: दरवाजे पर गेंदे के फूल या आम के पत्तों की तोरण लगाएं। दरवाजे पर ओम या स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। साथ ही पानी और आम के पत्तों से भरा सजा हुआ कलश प्रवेश द्वार पर रखें।
- घर को रोशनी से सजाएं: घर के हर कोने में दीपक या तेल के दिए जलाएं, ताकि अंधकार और नकारात्मकता दूर हो।
- पहली बार घर में प्रवेश: परिवार के सभी सदस्य घर में दाएं पैर से प्रवेश करें। यह शुभ माना जाता है।
- गृह प्रवेश पूजा करें: गृह प्रवेश पूजा के नियमों का पालन करें। सबसे पहले गणेश पूजा करें, जो नए आरंभ के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले हैं। इसके बाद नवग्रह पूजा करें, जिसमें नवग्रहों की आराधना की जाती है। फिर हवन किया जाता है, जिससे घर की शुद्धि होती है।
- नारियल घुमाने की विधि: इस अनुष्ठान में प्रत्येक कमरे की जमीन पर नारियल घुमाया जाता है। यह बाधाओं को दूर करने और सौभाग्य आकर्षित करने का प्रतीक है।
- दूध उबालने की रस्म: परंपरा के अनुसार, एक नए बर्तन में दूध उबालना चाहिए, जब तक कि वह उफान पर न आ जाए। यह अनुष्ठान घर में समृद्धि और खुशहाली का संकेत देता है।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद पंडितों और अतिथियों को भोजन और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
गृह प्रवेश पूजा के बाद अपनाएं ये वास्तु टिप्स
गृह प्रवेश पूजा के बाद घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए वास्तु विशेषज्ञ कुछ खास नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। नियमित रूप से ग्रह शांति और गणेश पूजा कराते रहना शुभता को बनाए रखता है और नए घर में समरसता लाता है।
गृह प्रवेश के बाद किए जाने वाले कुछ प्रमुख कार्य –
- प्रसाद वितरण करना और भोज का आयोजन करना।
- घर के सभी दरवाजों पर तिलक लगाना।
- तुलसी का पौधा लगाना और नारियल फोड़ना।
- सुबह सत्यनारायण व्रत का आयोजन करना।
- कम से कम एक रात नए घर में रहना।
- कम से कम तीन दिन तक घर को खाली न छोड़ना।
गृह प्रवेश पूजा: रोचक तथ्य
प्राचीन वैदिक मूल
गृह प्रवेश पूजा की परंपरा वैदिक युग से चली आ रही है। हिंदू मान्यता के अनुसार, शुभ दिन पर नए घर में पहली बार प्रवेश करना और देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा करना शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इसे ‘गृह आरंभ विधि’ कहा जाता था, जो घर को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के अनुरूप बनाने के लिए की जाती थी।
दूध उबालने की रस्म
वास्तु के अनुसार, दूध को तब तक उबालना जब तक वह उफान न मार दे। यह समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह लाभदायक है क्योंकि दूध उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं, जिससे वह पीने योग्य और सुरक्षित बन जाता है।
कितने प्रकार की होती हैं गृह प्रवेश पूजा
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक गृह प्रवेश पूजा तीन प्रकार की होती हैं-
- अपूर्वा: अगर आप नए घर में प्रवेश कर रहे हैं तो इसे अपूर्वा गृह प्रवेश कहा जाएगा.
- सपूर्वा: अगर आप लंबे समय के बाद अपने घर में फिर से प्रवेश कर रहे हैं तो इसे सपूर्वा गृह प्रवेश कहते हैं.
- द्वांधव: अगर आपने किसी प्राकृतिक आपदा के कारण घर छोड़ दिया है और लंबे समय के बाद घर में पुन: प्रवेश कर रहे हैं तो आपको गृह प्रवेश की पूजा विधि करनी होगी. इसे द्वांधव गृह प्रवेश भी कहा जाता है.
यह भी देखें: वास्तु के अनुसार घर में मंदिर की दिशा के बारे में सब कुछ
गृह प्रवेश पूजा में नए ट्रेंड
हममें से कई लोगों आजकल काफी भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहे हैं और ऐसे में सभी के लिए एक साथ मिलकर पूजा करना संभव नहीं हो पाता है। हालांकि तकनीक और स्मार्टफोन के उपयोग के कारण गृह प्रवेश पूजा और कई धार्मिक समारोहों को ऑनलाइन आयोजित करना अब काफी ज्यादा आसान हो गया है। ऐसे में कोई व्यक्ति किसी शुभ दिन पर यदि गृह प्रवेश पूजा करता है तो परिवार और दोस्त दुनिया भर में कहीं से भी ऑनलाइन पूजा में शामिल हो सकते हैं, वहीं पुजारी भी ऑनलाइन पूजा अनुष्ठान करने में मार्गदर्शन दे देते हैं।
अब कोई भी व्यक्ति किसी विशिष्ट भाषा के जानकार पंडित को ऑनलाइन बुक कर सकता है, जिस तरह की पूजा करने के लिए उसे जरूरत होती है। इसके अलावा पूरी पूजा सामग्री ऑनलाइन मंगवाई जा सकती है। आजकल घर के मालिक खुद ही गृह प्रवेश पूजा करने का ऑप्शन चुन रहे हैं, जिसमें एक पंडित उन्हें वीडियो कॉल के जरिए वर्चुअली गाइड करता है और स्मार्टफोन या लैपटॉप के जरिए मंत्रों का जाप करता है।
गृह प्रवेश पूजा के लिए एक और ट्रेंड आजकल देखने को मिल रहा है कि इसे अंग्रेजी में आयोजित किया जा रहा है, क्योंकि विदेश में रहने वाले एनआरआई अंग्रेजी में गृह प्रवेश की रस्में सुनाना पसंद करते हैं। ऐसे में पुजारी श्लोकों का अर्थ अंग्रेजी में समझाते हैं। इसके अलावा, महिला पुजारी भी इस पुरुष-प्रधान पेशे में आगे आ रही है और विवाह और गृह प्रवेश पूजाएं संपन्न कर रही है।
पर्यावरण के अनुकूल उपाय
आजकल लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो गए हैं और गृह प्रवेश पूजा के दौरान सजावट के लिए ताजी पत्तियां, फूल और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं। यह एक अच्छी पहल है और हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने में मदद करती है।
त्योहारों के दौरान देशभर में गृह प्रवेश
हिंदू परंपराओं के अनुसार, जब कोई नए घर में प्रवेश करता है तो गृह प्रवेश पूजा की जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में इस पूजा से जुड़े अनोखे रीति-रिवाज होते हैं। यहां भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित गृह प्रवेश पूजा के अनूठे रिवाज बताए गए हैं –
उत्तर भारत
- पंजाब (दूध और दही के रिवाज): पंजाब में नए घर में प्रवेश के समय ढोल और भांगड़ा के साथ उल्लासपूर्वक जश्न मनाया जाता है। यह खुशी और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। परिवार के सदस्य घर के मुख्य द्वार पर दूध या दही डालते हैं और घर के अंदर पवित्र जल का छिड़काव करते हैं ताकि स्थान शुद्ध हो और समृद्धि आकर्षित हो।
- राजस्थान (पुराने घर की अग्नि लाना): राजस्थान में कई परिवार पुराने घर से जलती हुई चिंगारी या दीपक लाकर नए घर में जलाते हैं। यह परंपरा निरंतर समृद्धि और शुभता के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।
अनुकूल गृह प्रवेश तिथियां
दिनांक और दिन | नक्षत्र | तिथि | मूहूर्त |
3 अप्रैल, 2025, गुरुवार | उत्तरा आषाढ़ | पंचमी | 06:32 पूर्वाह्न से 11:42 अपराह्न तक |
2 अक्टूबर 2025, गुरुवार | उत्तरा फाल्गुनी | दशमी | शाम 05:15 से 3 अक्टूबर को सुबह 06:43 बजे तक |
पश्चिम भारत
- महाराष्ट्र (गणपति होमम): महाराष्ट्र में पारंपरिक गृह प्रवेश समारोह के अनुसार, लक्ष्मी पूजा और पट्ट पूजा (घर की नींव की पूजा) का आयोजन किया जाता है ताकि देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो। महाराष्ट्रीयन लोग भगवान गणेश की विशेष रूप से पूजा करते हैं और गृह प्रवेश के दौरान मुख्य रूप से गणपति होमम करते हैं, जिससे घर में आने वाली बाधाएं दूर हों और शांति बनी रहे।
अनुकूल गृह प्रवेश तिथियां
दिनांक और दिन | नक्षत्र | तिथि | मुहूर्त |
3 सितंबर, 2025, बुधवार | उत्तरा आषाढ़ | एकादशी | रात 11:08 बजे से 4 सितंबर को सुबह 04:22 बजे तक |
5 नवंबर, 2025, बुधवार | अनुराधा | चतुर्थी | 09:15 पूर्वाह्न से 01:45 अपराह्न तक |
दक्षिण भारत
- दक्षिण भारत (कोलम और नीम के पत्ते): दक्षिण भारतीय राज्यों में घर को नकारात्मक शक्तियों से बचाने के लिए अग्नि देव की पूजा की जाती है। तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्रों में लोग घर के प्रवेश द्वार पर चावल के आटे से कोलम (रंगोली) बनाते हैं। बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए नीम और आम के पत्तों की तोरण भी लगाई जाती है।
- केरल (विष्णु पूजा और नारियल अर्पण): केरल में नए घर में प्रवेश के समय विष्णु पूजा का आयोजन किया जाता है। शुभ शुरुआत और घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए नारियल और केले के पत्ते अर्पित किए जाते हैं।
अनुकूल गृह प्रवेश तिथियां
दिनांक और दिन | नक्षत्र | तिथि | मुहूर्त |
15 जुलाई 2025, मंगलवार | हस्त | नवमी | सुबह 10:30 से दोपहर 01:20 तक |
24 नवंबर 2025, सोमवार | रेवती | एकादशी | सुबह 10:30 से दोपहर 01:20 तक |
पूर्वी भारत
- बंगाली गृह प्रवेश (अल्पना कला): बंगाली परंपरा के अनुसार, ‘गृह प्रवेश अंजलि’ नामक अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें परिवार का मुखिया देवताओं को धन्यवाद स्वरूप प्रार्थना करता है और नए घर में थोड़ा सा चावल अर्पित करता है। महिलाएं घर के प्रवेश द्वार और अन्य स्थानों पर चावल के घोल से अल्पना (पारंपरिक भूमि कला) बनाती हैं। माना जाता है कि इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
- असम (आरती और बिहू लोकगीत): असम में लोग पारंपरिक आरती के साथ बिहू लोकगीत गाकर पूजा समारोह को संगीतमय रूप देते हैं।
अनुकूल गृह प्रवेश तिथियां
दिनांक और दिन | नक्षत्र | तिथि | मुहूर्त |
20 मार्च, 2025, गुरुवार | धनिष्ठा | पंचमी | सुबह 07:30 से दोपहर 12:00 बजे तक |
10 जून 2025, मंगलवार | स्वाति | एकादशी | 10:45 पूर्वाह्न से 01:15 अपराह्न तक |
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार | उत्तरा फाल्गुनी | दशमी | 08:15 पूर्वाह्न से 11:00 पूर्वाह्न तक |
गृह प्रवेश के दौरान होने वाली इन गलतियों से बचें
- शुभ मुहूर्त न निकालना – नए घर में प्रवेश और पूजा अनुष्ठान हमेशा शुभ मुहूर्त में करें। मुहूर्त की अनदेखी करने से अनिष्टकारी परिणाम हो सकते हैं।
- वास्तु नियमों की अनदेखी – घर का मुख्य द्वार, फर्नीचर और सजावट वास्तु नियमों के अनुसार होनी चाहिए। वास्तु के विपरीत कार्य करने से सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
- अधूरी सफाई – घर के किसी भी हिस्से को गंदा न छोड़ें। यह न केवल लापरवाही दर्शाता है बल्कि गृह प्रवेश की शुभता को भी बाधित कर सकता है।
- रसोई के अनुष्ठानों की उपेक्षा – कुछ परंपराओं में रसोई में दूध उबालने की रस्म अनिवार्य मानी जाती है। इसे परंपरा को नहीं करना अशुभ माना जाता है।
- अव्यवस्थित पूजा – पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों को पहले से तैयार रखें। यदि पूजा विधि और सामग्री में कोई कमी रह गई तो गृह प्रवेश का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाएगा।
- समारोह से पहले फर्नीचर शिफ्ट करना – गृह प्रवेश से पहले भारी फर्नीचर घर में लाना अशुभ माना जाता है। इसे टालें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
क्या बसंत पंचमी गृह प्रवेश के लिए शुभ होती है?
बसंत पंचमी एक हिंदू त्योहार है, जो मां सरस्वती को समर्पित होता है और बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है, जिसमें गृह प्रवेश पूजा भी शामिल है। सही मुहूर्त जानने के लिए ज्योतिष या वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित रहेगा, जो कुंडली, स्थान और अन्य कारकों के आधार पर शुभ समय बता सकते हैं।
क्या गृह प्रवेश के लिए गणेश चतुर्थी अच्छा है?
भगवान गणेश को नई शुरुआत और सकारात्मकता के देवता और घरों के रक्षक के रूप में माना जाता है। ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन नई प्रॉपर्टी खरीदना शुभ माना जाता है। गृह प्रवेश के अवसर पर विघ्नहर्ता माने जाने वाले गणेश भगवान की पूजा करने से नए घर में सुख और समृद्धि आती है। गृह प्रवेश के रीति-रिवाजों के अनुसार, नए घर में गणेश भगवान की फोटो या मूर्ति लेकर कदम रखना चाहिए। गणेश भगवान को पूर्वोत्तर कोने में रखना चाहिए। ग्रह प्रवेश का शुभ समय जानने के लिए ज्योतिष और विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
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क्या गृह प्रवेश के लिए अक्षय तृतीया शुभ है?
अक्षय तृतीया को संपत्ति खरीदने और गृह प्रवेश पूजा करने के लिए भी शुभ दिन माना जाता है। इसे वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन नई संपत्ति या अन्य महंगी चीजें खरीदने और गृह प्रवेश करने से घर में समृद्धि आती है। 2024 में अक्षय तृतीया 10 मई, शुक्रवार को है।
क्या हम दिवाली पर गृह प्रवेश पूजा आयोजित कर सकते हैं?
दिवाली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है और कई लोग इस दिन गृह प्रवेश करना पसंद करते हैं। प्रकृति के पांच तत्व – पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और आकाश इस दिन संतुलन में रहते हैं और महावास्तु योग बनाते हैं। इसलिए यह एक शुभ दिन माना जाता है और आप इस दिन घर में प्रवेश कर सकते हैं।
Housing.com का पक्ष
वास्तु शास्त्र में गृह प्रवेश पूजा शुभ मुहूर्त के दौरान करने का विशेष महत्व होता है ताकि नए घर में रहने वालों के लिए सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति हो सके। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि स्थान के आधार पर हर नए घर की गृह प्रवेश पूजन का शुभ मुहूर्त अलग-अलग हो सकता है, इसलिए, ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना फायदेमंद होता है। इसके अलावा, गृह प्रवेश समारोह करते समय पूजा और हवन के लिए सही दिशा का चयन करना चाहिए। वास्तु के अनुसार, गृह प्रवेश पूजा करने से बुरे प्रभाव और वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या गृह प्रवेश से पहले घर का सामान शिफ्ट कर सकते हैं?
नहीं, गृह प्रवेश से पहले गैस सिलेंडर को छोड़कर कोई भी सामान नए घर में नहीं ले जाना चाहिए। यह परंपराओं के अनुसार अशुभ माना जाता है।
नए घर में दूध क्यों उबाला जाता है?
हिंदू परंपराओं के अनुसार, नए घर में दूध उबालना समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है। यह इस बात का संकेत है कि घर में धन-धान्य बढ़ेगा और खुशहाली आएगी।
क्या गृह प्रवेश पूजा में हवन आवश्यक होता है?
हां, हवन से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध व सकारात्मक बनता है। इसलिए गृह प्रवेश पूजा के दौरान हवन को विशेष महत्व दिया जाता है।
क्या शनिवार को गृह प्रवेश किया जा सकता है?
हां, यदि पंचांग के अनुसार शनिवार को शुभ मुहूर्त हो, तो उस दिन भी गृह प्रवेश किया जा सकता है। जरूरी है कि तिथि और समय शुभ हों।
अभिजीत मुहूर्त क्या होता है और इसे ऐसा क्यों कहते हैं?
ज्योतिष के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय के आधार पर तय किया जाता है, इसलिए यह स्थान के अनुसार बदलता रहता है। 'अभिजीत' का अर्थ होता है - विजयी। यह ऐसा समय होता है, जब कोई कार्य शुरू करने से सफलता की संभावना अधिक होती है। हालांकि, यह विवाह या उपनयन जैसे कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।
क्या बिना गृह प्रवेश पूजा के नए घर में रह सकते हैं?
नहीं, नए घर में स्थायी रूप से रहने से पहले गृह प्रवेश पूजा करना आवश्यक होता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-शांति का वातावरण बनता है।
तमिल कैलेंडर के कौन से महीने गृह प्रवेश के लिए अशुभ माने जाते हैं?
तमिल पंचांग के अनुसार आणी, आदि, पुरटासी, मार्गजी और पंगुनी महीने गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते।
(पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा के इनपुट्स के साथ)
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