बाथरूम और शौचालय हर घर का अहम हिस्सा होते हैं। घर बनाते समय, इन जगहों को वास्तु के अनुसार डिजाइन करना बहुत जरूरी है। कुछ खास जगहें जैसे कि उत्तर-पूर्व दिशा और घर के केंद्र स्थान पर बाथरूम या शौचालय बनाने से बचना चाहिए क्योंकि इन स्थानों को देवताओं का स्थान माना जाता है और इन स्थानों पर बाथरूम या शौचालय बनाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
अगर बाथरूम या शौचालय वास्तु के अनुकूल नहीं है तो इससे आर्थिक समस्याएं, धन हानि, परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, तनाव, या छोटे-मोटे हादसे हो सकते हैं। यदि आप अपने बाथरूम का निर्माण, मरम्मत या वास्तु दोष सुधारने की सोच रहे हैं तो इन टिप्स को जरूर अपनाएं।
बाथरूम के वास्तु से जुड़ी गाइडलाइन्स
बाथरूम के विशेषता |
चीजों के लिए सही दिशा |
बाथरूम और शौचालय | घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। |
शौचालय सीट | उत्तर या दक्षिण दिशा में मुख करके बैठना चाहिए |
वॉश बेसिन और शावर | पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व |
बाथरूम में बिजली की फिटिंग (हेयर ड्रायर, पंखा, गीजर) | दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। |
बाथटब की स्थिति | उत्तर, पूर्व, पश्चिम या उत्तर-पूर्व |
वॉशिंग मशीन | दक्षिण-पश्चिम दिशा या उत्तर-पश्चिम दिशा |
बाथ में दर्पण दर्पण की स्थिति | उत्तर या पूर्व की दीवार की ओर लगाना चाहिए। |
बाथरूम का दरवाजा | उत्तर या पूर्व दिशा |
बेडरूम से जुड़ा हुआ बाथरूम या शौचालय | उत्तर-पश्चिम या दक्षिण दिशा |
ज्वाइंट बाथरूम में छोटी खिड़की | पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार की ओर |
शौचालय का फ्लश | दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम |
जल निकासी, पानी के निकास और ढलान | उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व |
अपशिष्ट का प्रवाह | पश्चिम दिशा |
ओवरहेड टैंक | दक्षिण-पश्चिम दिशा |
बाथरूम और टॉयलेट वास्तु-अनुसार क्यों होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट किसी भी घर का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, लेकिन ये नकारात्मक ऊर्जाओं के स्रोत भी होते हैं। पुराने समय में बाथरूम घर के बाहर बनाए जाते थे। हालांकि, समय के साथ आधुनिक घरों की प्लानिंग में बाथरूम को घर के अंदर शामिल कर लिया गया है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि बाथरूम के विभिन्न तत्वों का सही स्थान सुनिश्चित किया जाए ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे और घर में नकारात्मक ऊर्जा सीमित मात्रा में ही रहे। बाथरूम और टॉयलेट को वास्तु नियमों के अनुसार बताई गई दिशाओं जैसे उत्तर-पश्चिम में बनाना चाहिए। वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके बाथरूम और टॉयलेट का ऐसा स्थान और डिजाइन सुनिश्चित किया जा सकता है , जो सकारात्मक वातावरण बनाए रखने में मदद करें और किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचाए।
बाथरूम, शौचालयों के गलत स्थान का प्रभाव
दिशा | प्रभाव | वास्तु उपाय |
उत्तर | व्यवसाय विकास, धन और नए अवसरों में बाधाएं। यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। | गड्ढे को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें और दीवारों को काले रंग से रंगें। उत्तर दिशा की ओर धातु के फूलदान में सफेद रंग के फूल रखने से भी नकारात्मक प्रभाव को खत्म करने में मदद मिलती है। |
ईशान कोण | परिवार के सदस्यों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं | घर के उत्तर-पूर्व दिशा में उत्तर-पूर्व यंत्र रखें। शौचालय के अंदर कपूर या सुगंधित मोमबत्तियां जलाएं और घर के अंदर मनी प्लांट या स्पाइडर प्लांट जैसे पौधे लगाएं, जो नकारात्मकता को सोख लेंगे। समुद्री नमक भी नकारात्मकता को सोख लेता है और शौचालय में इसका एक कटोरा रखना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नमक हर सप्ताह बदल दिया गया हो। |
पूर्व | पाचन तंत्र और यकृत को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं | छत पर बांस का उपयोग करें। भूरे और हरे रंग के हल्के मिट्टी के रंगों का उपयोग करना चाहिए। |
दक्षिण-पूर्व | वित्तीय समस्याएं या विवाह या संतानोत्पत्ति से संबंधित समस्याएं | बाहर की दीवारों के दक्षिण और पूर्व दिशा में वास्तु पिरामिड रखें। तांबे के कटोरे में वास्तु नमक रखें और हर सप्ताह में एक बार इसे बदल दें। हल्के रंग चुनें। |
दक्षिण | कानूनी मुद्दे या व्यवसाय में प्रतिष्ठा की हानि | शौचालय की स्थिति दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के बीच रखें। यदि बाथरूम क्षेत्र है, तो लाल, गुलाबी, नारंगी, बैंगनी और वायलेट जैसे हल्के रंगों का चयन करें और यदि क्षेत्र बड़ा है तो डार्क कलर का चयन करना चाहिए। |
दक्षिण पश्चिम | रिश्ते, स्वास्थ्य या करियर से संबंधित समस्याएं | दक्षिण-पश्चिम शौचालय के लिए बाहरी दीवार पर वास्तु पिरामिड रखें। कमरे के लिए हल्के रंगों का चयन करें। |
पश्चिम | संपत्ति से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और सपने पूरे नहीं हो सकते | पश्चिम दिशा की दीवारों को सफेद रंग से रंगें तथा वहां लोहे से बनी कोई चीज जैसे दरवाजा लगवाएं। |
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उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम क्यों नहीं होना चाहिए?
वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम या शौचालय बनाना नकारात्मक प्रभाव डालता है, जैसे –
- ऊर्जा प्रवाह में बाधा: उत्तर-पूर्व को पवित्र क्षेत्र माना जाता है, जो शांति, आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में शौचालय बनाने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है।
- आर्थिक समस्याएं: वास्तु में जल और धन का घनिष्ठ संबंध माना गया है। साथ ही उत्तर-पूर्व दिशा आर्थिक सुख-समृद्धि का कारक है। इस दिशा में शौचालय होने से अनचाहे खर्चे, धन संचय में कठिनाई या करियर में रुकावट आ सकती है।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां: उत्तर-पूर्व दिशा में शौचालय होने से परिवार में स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। घर के सदस्यों को सांस संबंधी दिक्कतें, नींद की समस्या या पुरानी बीमारियां हो सकती हैं।
- रिश्तों में तनाव: उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित शौचालय से पैदा नकारात्मक ऊर्जा घर के समग्र ऊर्जा संतुलन को प्रभावित कर सकती है, जिससे पारिवारिक सदस्यों के बीच गलतफहमी और संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
- एकाग्रता में कमी: उत्तर-पूर्व क्षेत्र में शौचालय का होना बच्चों में एकाग्रता की कमी ला सकता है और उनकी पढ़ाई पर बुरा असर डाल सकता है।
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वास्तु अनुसार के बाथरूम और टॉयलेट का दिशा निर्धारण
वास्तु के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट का स्थान आपके घर के उत्तर-पश्चिम या पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (WNW) दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा वायु तत्व से जुड़ी होती है और इसे वायु देवता वायु का क्षेत्र माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम (SSW) दिशा के बीच का क्षेत्र टॉयलेट सीट बनाने के लिए आदर्श माना जाता है। इस स्थान पर टॉयलेट बनाने से घर वास्तु के अनुसार रहेगा और घर में तरक्की और समृद्धि बढ़ेगी। घर में बाथरूम और टॉयलेट बनाने के लिए दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम और घर के मध्य भाग से बचना चाहिए क्योंकि इन दिशाओं में बने टॉयलेट और बाथरूम घर के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
बाथरूम और टॉयलेट के लिए जिन दिशाओं से बचना चाहिए, वे दिशाएं इस प्रकार है –
- दक्षिण
- दक्षिण-पूर्व
- दक्षिण-पश्चिम
- घर का मध्य भाग
इन दिशाओं में बाथरूम या टॉयलेट बनाने से घर में रहने वालो के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
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वास्तु के अनुसार टॉयलेट सीट दिशा
- दक्षिण-पूर्व के पूर्व (ESE): यह जोन टॉयलेट और बाथरूम बनाने के लिए आदर्श माना जाता है। यह तनाव से जुड़ी समस्याओं को रोकता है। हालांकि, यह दिशा कुछ लोगों के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती, जैसे-अर्थशास्त्री, लेखाकार, तकनीकी लेखक आदि। ऐसी स्थिति में आप वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं।
- दक्षिण-पश्चिम के दक्षिण (SSW): यह जोन वास्तु के अनुसार, टॉयलेट डिजाइन के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इसे निष्कासन का क्षेत्र कहा जाता है।
- उत्तर-पश्चिम के पश्चिम (WNW): इस जोन को ‘रोदन ग्रह’ का क्षेत्र कहा जाता है, जो अवरुद्ध भावनाओं के निष्कासन के लिए उपयुक्त है।
घर में टॉयलेट सीट को ऐसी बनानी चाहिए कि उपयोग करने वाला व्यक्ति उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठे। इससे परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा। वास्तु के अनुसार टॉयलेट का स्थान तय करते समय खिड़की जरूर रखें, ताकि ऊर्जा का सही प्रवाह बना रहे। बाथरूम और टॉयलेट के कमरे जमीन से एक से दो फीट ऊंचाई पर बनाए जाने चाहिए।
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कमोड या वॉटर क्लोसेट का स्थान
कमोड या वॉटर क्लोसेट को कभी भी पूजा घर के ऊपर या नीचे, आग्नि स्थान या बिस्तर के ऊपर या नीचे नहीं बनाना चाहिए। इसे उत्तर-दक्षिण अक्ष पर संरेखित करना उचित होता है। कमोड को पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थापित करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शौचालय की सीट के ऊपर सिर के ठीक ऊपर कोई भारी वस्तु या स्लैब नहीं होना चाहिए, केवल पानी की टंकी हो सकती है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से भी उपयुक्त है और इससे हवा का प्रवाह भी सुगम होता है।
शौचालय दो प्रकार के होते हैं – भारतीय और पश्चिमी।
आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी प्रकार चुना जा सकता है। यदि आप पश्चिमी कमोड का उपयोग कर रहे हैं तो उपयोग के बाद ढक्कन बंद करना न भूलें। इससे स्वच्छता बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
घर में सेप्टिक टैंक का स्थान
सेप्टिक टैंक को शौचालय के दक्षिण दिशा में नहीं बनाना चाहिए। इसका सर्वोत्तम स्थान घर के पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होता है। टैंक की ऊंचाी घर के फर्श से अधिक होनी चाहिए।
अटैच टॉयलेट का स्थान
अटैच शौचालय को दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। इसे घर की दक्षिण दिशा में बनाया जा सकता है।
नल और पानी भंडारण का स्थान
दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में नल नहीं लगाना चाहिए और न ही इस दिशा में पानी का भंडारण करना चाहिए। नल और पानी के भंडारण के लिए पूर्व उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा उपयुक्त होती है।
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उपयोगिताओं और फिक्स्चर के लिए वास्तु नियम
वॉशबेसिन बाथरूम के पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व भाग में होना चाहिए।
- बाथरूम में संतुलित लुक पाने के लिए लकड़ी का फर्नीचर और उपयोगी टोकरी और धातु की लाइट फिटिंग्स चुनें।
- शावर भी पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व भाग में ही लगाना चाहिए।
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बाथटब और शावर क्युबिकल्स
- बाथरूम के उत्तर कोने में शावर एरिया या बाथटब बनाएं।
- बाथटब के लिए गोल या चौकोर जैसे सामान्य आकार और साइज चुनें।
- ध्यान रखें कि इसमें कोई तीखे किनारे या कोण न हों।
- बाथटब को उत्तर, पूर्व, पश्चिम या उत्तर-पूर्व दिशाओं में रखें।
- जकूजी के दक्षिण हिस्से में बाथटब पिलो रखें।
- उत्तर-पूर्व कोने में सुगंधित मोमबत्तियां रखें।
उपकरण
- वाशिंग मशीन: ज्यादातर लोग वाशिंग मशीन को बाथरूम में रखना पसंद करते हैं। वास्तु नियमों के अनुसार वाशिंग मशीन को बाथरूम के दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
- इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स: गीजर, हेयर ड्रायर, पंखा आदि को बाथरूम के दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए।
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दर्पण
- बाथरूम में दर्पण को वास्तु अनुसार, उत्तर या पूर्व दीवार पर लगाना चाहिए। इससे पूर्व दिशा की सकारात्मक ऊर्जा पूरे बाथरूम में फैलती है।
- चौकोर या आयताकार दर्पण का चयन करें और इन्हें फर्श से कम से कम 4 या 5 फीट की ऊंचाई पर लगाएं।
- बाथरूम में दर्पण को इतनी ऊंचाई पर लगाना चाहिए कि उसमें टॉयलेट सीट परावर्तित न हो।
एक्जॉस्ट फैन और वेंटिलेशन
बाथरूम में एक्जॉस्ट फैन या अगर वेंटिलेशन के लिए खिड़की हो तो वह पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। बाथरूम में एक्जॉस्ट फैन होने से ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और वह स्थिर नहीं होती। यदि बाथरूम टॉयलेट से जुड़ा हुआ है तो एक्जॉस्ट फैन को दक्षिण कोने में लगाएं। इसे फ्लश टॉयलेट वाली दीवार पर या उसके समानांतर लगाना उचित रहेगा। टॉयलेट की पूर्वी दीवार पर एक्जॉस्ट फैन लगाने से बचें, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
वास्तु के अनुसार बाथरूम में लाइट्स
वास्तु के अनुसार, बाथरूम में लाइट्स ऐसी होनी चाहिए, जो शांत वातावरण बनाएं। बाथरूम अंधेरा और बदरंग नहीं होना चाहिए और उसमें पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। अगर बाथरूम में खिड़कियां नहीं हैं तो ओवरहेड लाइटिंग फिक्स्चर में बल्ब लगाएं ताकि प्राकृतिक सूर्य के प्रकाश का अहसास हो और स्वास्थ्यवर्धक ऊर्जा बढ़े। छोटे बाथरूम में सामान्य रोशनी अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में एक सेंट्रल सीलिंग लाइट ही काफी होगी।
बड़े बाथरूम, जिनमें स्नान और शौचालय के अलग-अलग हिस्से होते हैं, उनके लिए ओवरहेड फिक्स्चर का प्रयोग करें ताकि हर कोने में पर्याप्त रोशनी मिले। बाथरूम में सबसे महत्वपूर्ण लाइटिंग वह है, जो शीशे के चारों ओर होती है। इस क्षेत्र में रोशनी ऐसी होनी चाहिए, जो मुलायम हो और जिसमें कोई चकाचौंध या परछाईं न हो। कोई भी व्यक्ति बाथरूम की ऊर्जा को एक छोटी नाइट-लाइट जोड़कर सुधार सकता है, जिसे दीवार पर लगे स्कोन के रूप में लगाना बेहतर होता है।
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बाथरूम के दरवाजों के लिए वास्तु
- बाथरूम के दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए.
- इसमें लोहे की जगह लकड़ी के दरवाजे लगवाएं.
- धातु का दरवाजा नकारात्मकता पैदा कर सकता है और घर के निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
- बाथरूम के दरवाजे हमेशा बंद रहने चाहिए क्योंकि इसे खुला छोड़ने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आएगी और आपके निजी रिश्तों को खराब करेगी.
- दक्षिण-पश्चिम दिशा में बाथरूम का दरवाजा बनाने से बचें।
- टॉयलेट के दरवाजे हर समय बंद रखें। बाथरूम से कभी भी नकारात्मक ऊर्जा को दूसरे कमरों में न आने दें क्योंकि इससे करियर और रिश्तों में परेशानी हो सकती है।
- बाथरूम के दरवाज़ों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ नहीं लगाएं।
खिड़कियों के लिए वास्तु
वास्तु के अनुसार, बाथरूम सही दिशा में होने के साथ-साथ हर बाथरूम में एक खिड़की या उचित वेंटिलेशन जरूर होना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलने में मदद मिलेगी और कमरे में रोशनी का प्रवेश होगा। यदि बाथरूम में खिड़कियां सही दिशा में रखी जाएं तो ये लाभ भी होता है कि पूरा बाथरूम साफ, सूखा और ताजगी से भरा रहेगा। खिड़कियां बाथरूम में पूर्व, उत्तर या पश्चिम की ओर खुलनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि खिड़कियां बाहर की ओर खुलें। बाथरूम की खिड़कियों के लिए हल्के रंग के पर्दे चुनें।
बाथरूम वास्तु रंग
- हल्के रंग: हल्के रंग जैसे हल्का नीला, गुलाबी, सफेद, बेज और क्रीम चुनें।
- न्यूट्रल शेड्स: न्यूट्रल रंग जैसे सफेद या ऑफ-व्हाइट बाथरूम वास्तु के अनुसार आदर्श होते हैं। ऐसे रंग सलीकेदार होते हैं, लेकिन देखभाल की आवश्यकता होती है, क्योंकि लाइट बैकग्राउंड में गंदगी आसानी से दिखाई देती है।
- मिट्टी जैसा रंग: बाथरूम के लिए वास्तु में एक और बेहतरीन कलर ऑप्शन मटमैला रंग जैसे हल्का भूरा, बेज या हल्का टेराकोटा है। ये रंग संतुलित वातावरण बनाने में मदद करते हैं।
इन रंगों के इस्तेमाल में बाथरूम में बार-बार सफाई करने की इच्छा होती है और ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं।
गहरे रंगों से बचें
- काला
- गहरा नीला
- लाल
वास्तु के अनुसार, गहरे रंग नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं और बाथरूम को छोटा और संकुचित बना सकते हैं।
बाथरूम के साथ लगी हो बेडरूम की दीवार तो क्या करें
वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, बेडरूम की दीवार को बाथरूम या शौचालय के पास नहीं रखना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि बेडरूम, रसोई या पूजा घर जैसे पवित्र स्थानों की दीवार आपके बाथरूम के साथ शेयर न हो।
वास्तु एक्सपर्ट का मानना है कि बेडरूम और बाथरूम की दीवार एक रखने से बुरे सपने आ सकते हैं। हालांकि, यदि आपका घर छोटा है और दीवार शेयर करने से बचना संभव नहीं है, तो ऐसे में आप अपने बिस्तर की स्थिति बदल सकते हैं ताकि वह बाथरूम की दीवार के सामने न हो। यह नकारात्मक ऊर्जा से बचने का सबसे अच्छा तरीका होगा।
बाथरूम ड्रेनेज के लिए वास्तु टिप्स
वाटर आउटलेट्स या ड्रेनेज नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ ईस्ट में होना चाहिए. बाथरूम का ढलान भी इसी दिशा में होना चाहिए. बाथरूम में पानी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होना चाहिए। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप शौचालय के फर्श को इस तरीके से डिजाइन करें कि उसका ढलान उत्तर या पूर्व दिशा में हो।
वास्तु नियमों के अनुसार, कचरा घर के पश्चिम भाग प्रवाहित होना चाहिए। इसलिए, टॉयलेट सीट या वॉश बेसिन डिजाइन करते समय सुनिश्चित करें कि जल निकासी पश्चिम दिशा की ओर हो। इसमें बाथरूम के जल निकासी पाइप शामिल होने चाहिए।
बाथरूम के फर्श के लिए वास्तु
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम का फर्श कभी भी शयनकक्ष या अन्य कमरों की ऊंचाई के बराबर नहीं होना चाहिए। बाथरूम का फर्श जमीनी स्तर से कम से कम एक फुट ऊपर होना चाहिए। वास्तु में, बाथरूम के फर्श पर संगमरमर का उपयोग करने की सिफारिश नहीं की जाती है। बाथरूम में टाइल्स लगा सकते हैं, लेकिन काले या लाल रंग की टाइल्स लगाने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार, बाथरूम और शौचालय के लिए नीला, सफेद या पेस्टल शेड रंग सबसे अच्छा माना जाता है।
बाथरूम ओवरहेड पानी की टंकी के लिए वास्तु
जिन शहरों में पानी की कमी है वहां ज्यादातर घरों में आजकल एक ओवरहेड पानी की टंकी स्थापित होती है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम का कोना सबसे भारी होना चाहिए इसलिए ओवरहेड टैंक को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए । टैंक को दक्षिण-पश्चिम के दक्षिण या पश्चिम में और यहां तक कि पश्चिम में भी थोड़ा रखा जा सकता है। इससे वित्तीय कल्याण हो सकता है। वास्तु के अनुसार ओवरहेड टंकी को कभी भी ईशान कोण या दक्षिण-पूर्व कोने में न रखें।
दक्षिण-पश्चिम बाथरूम के लिए वास्तु उपाय
- बाथरूम का दरवाजा उत्तर या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए।
- पश्चिम, पूर्व या उत्तर की ओर एक खिड़की लगाना चाहिए।
- बाथरूम को जमीन से कुछ फीट ऊपर डिजाइन करें। यह स्वास्थ्य के लिए काफी सकारात्मक होता है।
- शौचालय के लिए गुलाबी, हल्का नीला और ग्रे जैसे हल्के कलर का चुनाव करना चाहिए।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय हो तो दीवार के बाहरी हिस्से पर एक वास्तु पिरामिड रखना चाहिए। बाथरूम के दरवाजे हर समय बंद रखें।
- इस बात का ध्यान रखें कि दक्षिण-पश्चिम दिशा बाथरूम होने पर कोई भी धातु की सामग्री नहीं रखना चाहिए।
- बाथरूम के एग्जॉस्ट फैन को हमेशा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।
- बाथरूम के बाहरी दीवार पर तीन या नौ लीड हेलिक्स रखें। आप शौचालय के दरवाजे के फ्रेम के बाहर 3 लकड़ी के पिरामिड भी रख सकते हैं।
- आप बाथरूम में नमक को एक कांसे के कटोरे में रख सकते हैं। इसे सप्ताह में एक बार बदलना न भूलें।
- दक्षिण पश्चिम दिशा में शौचालय और बाथरूम होने पर पीले और बेज जैसे हल्के रंग का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
- कुछ लोग दक्षिण-पश्चिम बाथरूम को अलमारियों जैसी चीजों को रखने के लिए एक छोटे से कमरे में बदलने पर विचार करते हैं। हालांकि वास्तु के अनुसार, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए क्षेत्र को साफ किया जाना चाहिए।
बाथरूम सफाई दिनचर्या और वास्तु
वास्तु के अनुसार, बाथरूम क्षेत्र को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रति संवेदनशील होता है। बाथरूम को हमेशा अव्यवस्था रहित और नियमित रूप से साफ रखना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के दाग, सीलन या फफूंदी से बचा जा सके और ऊर्जा का संतुलित प्रवाह बना रहे।
बाथरूम से नकारात्मक ऊर्जा कैसे हटाएं?
- वास्तु शास्त्र कहता है कि ग्लास और नमक दोनों ही राहु के कारक हैं. आप स्नान और शौचालय की जगह में नमक से भरा ग्लास कप रख सकते हैं. इसे वास्तु दोषों को दूर करने वाला कहा जाता है.
- अरोमाथेरेपी के अनुसार, शौचालय में लेमनग्रास तेल की कुछ बूंदें डालकर आप बाथरूम को तरो-ताजा कर सकते हैं. इस एरिया को साफ और स्वच्छ रखें.
- बाथरूम में चीजें स्टोर करने से आपके स्वास्थ्य में फर्क पड़ सकता है. इसलिए नकारात्मक ऊर्जा दूर रखने के लिए अपने स्टोर चीजों का ध्यान रखें जैसे कि कॉस्मेटि, टॉयलेटरीज़ इत्यादि. जिन चीजों की डेट एक्सपायरी हो चुकी है उन्हें बाथरूम से हटा दें. बाथरूम में पुराने टूथब्रश और खाली लोशन एवं परफ्यूम बॉटल ना रखे. बाथरूम को साफ रखें.
- टूटे हुए डिस्पेंसर, टॉयलेट रोल होल्डर्स इत्यादि को बदल दें. खराब टॉवल को नए साफ टॉवल से रोजाना बदले.
- बाथरूम के दरवाजे के बाहर शीशा लगाना वास्तु दोषों से छुटकारा पाने का एक शानदार तरीका है. हालांकि, सुनिश्चित करें कि यह बेडरूम या मेन डोर को दर्शाता हो.
- बाथरूम की फिटिंग को सिंपल रखें. हालांकि चांदी, स्टेनलेस स्टील और सिरेमिक ठीक हैं.सोने की फिटिंग को प्रतीकात्मक रूप से न चुनें, यह बाथरूम की सेटिंग के मुताबिक नहीं है.
- टॉयलेट की टंकी और बाथरूम के एरिया को विभाजित करने वाला एक दरवाजा होना चाहिए. अगर यह संभव न हो तो हौज का ढक्कन हमेशा नीचे रखें और दरवाजा बंद रखें.
- बाथरूम के दरवाजे पर सजावटी या धार्मिक मूर्तियां न रखें. ऊर्जा के सामंजस्यपूर्ण प्रवाह के लिए, सुनिश्चित करें कि बाथरूम साफ हो और किसी भी तरह की गंदगी नहीं है. इसके अलावा उसमें दाग, नमी या फंगस न हो.
- शांतिपूर्ण ऊर्जा के लिए बाथरूम को हमेशा साफ, क्लेक्टर फ़्री रखें, और दाग धब्बे, गीलापन और फंगस से दूर रखें.
- नहाने के वक्त संगीत से सकरात्मक असर पड़ता है. इससे आप रिलैक्स होंगे. वास्तु के अनुसार म्यूजिक सिस्टम को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाए. यह दिशा इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए है.
- पानी की बाल्टी खाली न रखें। उसे पानी से भरकर रखना चाहिए या उल्टा रखना चाहिए। बाल्टी और मग के लिए नीला रंग चुनें जो बाथरूम में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सके।
बाथरूम में पानी की लीकेज और वास्तु
वास्तु के मुताबिक, अगर बंद होने के बाद भी बाथरूम के नल, जेट या शॉवर से लगातार पानी गिरता है तो यह अशुभ माना जाता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है. पानी की बर्बादी अच्छी नहीं मानी जाती है. जिस भी नल से पानी टपकता है उसे तुरंत रिपेयर कराया जाना चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ खर्चा बढ़ता है बल्कि पैसों का भी नुकसान होता है।
बाथरूम में पौधे लगाने के लिए वास्तु टिप्स
पौधे | वास्तु के हिसाब से लाभ |
मनी प्लांट | गर्म और आर्द्र स्थिति का सामना कर सकते हैं। |
बांस का पौधा | घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। |
स्नेक प्लांट | यह पौधा सीधे सूर्य के प्रकाश के बगैर भी पनप सकता है। |
स्पाइडर प्लांट | यह रखरखाव में आसान होता है। बाथरूम की सजावट को बढ़ा देता है। |
एलोवेरा | यह एक औषधीय पौधा है। स्किन के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। |
एस्पिडिस्ट्रा एलाटियर (Cast iron plant) | यह पौधा बाथरूम की सजावट को बढ़ा देता है और बहुत अधिक रखरखाव भी नहीं करना पड़ती है। |
मैजेस्टी पाम | यदि आपको बाथरूम काफी ज्यादा बड़ा है तो ऐसे स्थिति में यह पौधा लगाना चाहिए। यह बाथरूम में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है। |
बोस्टन फ़र्न | यह पौधा आर्द्र परिस्थितियों में पनपता है और बाथरूम में ठंडक बनाए रखता है। |
बाथरूम में हरियाली बनी रहती है तो यह नकारात्मक ऊर्जा का अवशोषण कर लेती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। बाथरूम के लिए ऐसे पौधे लगाने चाहिए, जो उच्च आर्द्रता में पनपते हों और नम हवा को सहन कर सकें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बाथरूम में एक खिड़की हो, जिससे प्राकृतिक रोशनी आती हो या फिर बाथरूम में मौजूद पौधों सप्ताह में एक बार धूप में भी जरूर रखें।
बाथरूम की सजावट के लिए वास्तु टिप्स
- बाथरूम में परिवार की तस्वीरें, भगवान बुद्ध, कछुआ या हाथी की मूर्तियां रखने से बचना चाहिए। फूलों, पेड़ों, घास के मैदान आदि की फोटो लगा सकते हैं।
- बाथरूम में झरने, नदियों या मछलियों की तस्वीरें भी नहीं लगाना चाहिए।
- शौचालय की दीवार पर कभी समृद्धि या उन्नति दर्शाने वाले फोटो भी नहीं लगाएं। बाथरूम में बहुत सारी मोमबत्तियां रखने से बचें, क्योंकि यह अग्नि तत्व है और इसके विपरीत बाथरूम जल तत्व है।
- बाथरूम में लाल और नारंगी रंग की सजावटी वस्तुएं न रखें। बाथरूम में सजावट के लिए समुद्री शंख का उपयोग कर सकते हैं। बाथरूम में सजावटी रोशनी का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आईने के आसपास की रोशनी ऐसी हो कि दर्पण पर चकाचौंध न हो।
- वास्तु के अनुसार, प्रकृति का स्पर्श महसूस करने के लिए हरे रंग की सजावट चुनना चाहिए। उदाहरण के लिए, हरे रंग के नैपकिन, तौलिए, चटाई, पर्दे आदि का उपयोग करना चाहिए।
- प्राकृतिक सुगंध और ताजगी के लिए आप बाथरूम में एलोवेरा, स्पाइडर प्लांट आदि जैसे इंडोर पौधे रख सकते हैं। इसके अलावा आप बाथरूम में सुखद माहौल पैदा करने के लिए तेल डिफ्यूजर भी रख सकते हैं।
Housing.com का पक्ष
जब भी वास्तु नियमों के अनुरूप घर बनाने की बात आती है तो बाथरूम या टॉयलेट पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, हालांकि ये क्षेत्र नकारात्मक ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत हो सकते हैं। ऐसे में वास्तु दिशानिर्देशों का पालन करना और बाथरूम के हर चीज को वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार रखना आवश्यक है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
वास्तु के अनुसार बाथरूम कहां होना चाहिए?
घर में बाथरूम उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बाथरूम का रंग कैसा होना चाहिए?
बाथरूम में गहरे रंगों से बचें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेज और क्रीम जैसे हल्के रंग बाथरूम के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं।
वास्तु के अनुसार, बाथरूम में बाल्टी का रंग कैसा होना चाहिए?
बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखना शुभ होता है। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बाथरूम में कभी भी खाली बाल्टी नहीं रखना चाहिए। बाल्टी में पानी भरकर रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, बाथरूम और टॉयलेट के लिए आदर्श दिशा कौन सी है?
घर में बाथरूम के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे ठीक मानी जाती है, क्योंकि यह दिशा कचरे और नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए अनुकूल होती है।
बाथरूम के लिए कौन सी दिशा अच्छी नहीं होती है?
वास्तु शास्त्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, घर के दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम कोने में बाथरूम नहीं बनाना चाहिए। बाथरूम कभी भी उत्तर-पूर्व या घर के मध्य भाग में भी नहीं बनाना चाहिए।
बाथरूम वास्तु के अनुसार क्यों होना चाहिए?
घर खरीदने वाले अधिकांश लोग वास्तु नियमों के मुताबिक ही अपना नया घर बनाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि वास्तु नियमों का पालन करने से घर में कोई दोष नहीं रहता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बाथरूम के डिजाइन के लिए वास्तु दिशा-निर्देशों का पालन करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
क्या हम वास्तु के अनुसार सीढ़ियों के नीचे बाथरूम बना सकते हैं?
इस बात का ध्यान रखें कि वास्तु नियमों के मुताबिक, सीढ़ियों के नीचे का क्षेत्र केवल भंडारण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कभी भी बाथरूम या टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए। बाथरूम के लिए कुछ जरूरी वास्तु टिप्स का पालन घर मालिक को जरूर करना चाहिए।
बाथरूम में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए?
बाथरूम की सीट को पश्चिम या दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
क्या हम उत्तर-पूर्व कोने में बाथरूम बना सकते हैं?
घर के उत्तर-पूर्व या केंद्र में बाथरूम और शौचालय नहीं बनाना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र को वास्तु शास्त्र में काफी पवित्र स्थान माना जाता है।
क्या हम उत्तर दिशा में शौचालय बना सकते हैं?
वास्तु नियमों के मुताबिक, उत्तर दिशा में शौचालय बनाने से बचना चाहिए क्योंकि यह धन के देवता भगवान कुबेर की दिशा है। उत्तर दिशा में बाथरूम या शौचालय बनाने से घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।
क्या शौचालय पश्चिम दिशा की ओर हो सकते हैं?
घर में शौचालय उत्तर-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में बना सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि शौचालय की सीटें पश्चिम दिशा की ओर न हों क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वास्तु के अनुसार, पश्चिम मुखी घर में शौचालय उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाया जाना चाहिए।
उत्तर मुखी घर के लिए बाथरूम की वास्तु दिशा होना चाहिए?
वास्तु नियमों के अनुसार, उत्तर मुखी घर में बाथरूम बनाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम उपयुक्त स्थान हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने में सहायक होती है।
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा को कैसे बेहतर बना सकते हैं?
घर में अपने मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि पृथ्वी तत्व इस दिशा से जुड़ा होता है, जो स्थिरता और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। अगर बाथरूम दक्षिण-पश्चिम में बनाया गया है को बाथरूम को दरवाजा कभी भी खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
उत्तर-पूर्व दिशा के शौचालय होने पर वास्तु दोष का निवारण कैसे करना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम नहीं बनाना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा के बाथरूम या शौचालय के लिए एक वास्तु उपाय यह है कि उत्तर-पूर्व कोने में समुद्री नमक का एक कटोरा रखें और इसे सप्ताह में एक बार बदल देना चाहिए। इसके अलावा आप बाथरूम में स्पाइडर प्लांट या मनी प्लांट जैसे इंडोर पौधे लगा सकते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने में सहायक होते हैं।
शौचालय से नकारात्मक ऊर्जा कैसे निकाल सकते हैं?
बाथरूम या शौचालय से पैदा होने वाले नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए कुछ वास्तु उपाय हैं जैसे बाथरूम के दरवाजे हमेशा बंद रखना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि बाथरूम साफ और हवादार हो। बाथरूम में एक कटोरा समुद्री नमक रखना न भूलें, जो नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करेगा।
बाथरूम में हवा को कैसे शुद्ध करें?
बाथरूम की हवा को शुद्ध करने के लिए ऐसे इंडोर पौधे लगाना चाहिए, जो नमी वाली परिस्थितियों में अच्छी तरह पनपते हो, जैसे मनी प्लांट, एलोवेरा और बोस्टन फर्न।
(पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा के इनपुट्स के साथ)
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