वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार सिर्फ एक रास्ता भर नहीं है, बल्कि यह वह स्थान है, जहां से सुख और सौभाग्य घर में प्रवेश करते हैं। यही द्वार ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह को भीतर आने या बाहर रहने का मार्ग देता है, जो स्वास्थ्य, धन और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। घर के प्रवेश द्वार का डिजाइन यह तय करता है कि घर में किस प्रकार की ऊर्जा प्रवाहित होगी। सुंदर और सुसज्जित मुख्य द्वार न केवल सुरक्षा का अहसास कराता है, बल्कि घर में शांति और खुशहाली भी लाता है। वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) सबसे शुभ दिशा मानी जाती है, जबकि उत्तर और पूर्व दिशा इसके अच्छे ऑप्शन हैं।
अगर घर के लिए अनुकूल वास्तु दिशाओं का ध्यान रखा जाए, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश सुनिश्चित होता है और घर में संतुलित व सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनता है।
घर में पहली बार प्रवेश को गृह प्रवेश कहते हैं। इस विषय पर उपयोगी गृह प्रवेश सुझावों के लिए इस लेख को अवश्य पढ़ें।
घर के मुख्य द्वार का वास्तु अनुसार महत्व
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: वास्तु के अनुरूप मुख्य द्वार से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
- नई संभावनाओं का आगमन: वास्तु के अनुसार यदि घर का मुख्य द्वार निर्मित होता है तो यह घर के सदस्यों के लिए सौभाग्य और नई संभावनाएं लाता है।
- समृद्धि: वास्तु सिद्धांतों के अनुसार बनाया गया प्रवेश द्वार घर में धन और समृद्धि आकर्षित करता है।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य: वास्तु अनुसार बना मुख्य द्वार घर के सदस्यों के मानसिक सुख, अच्छे स्वास्थ्य और आपसी सामंजस्य को बनाए रखता है, जिससे वातावरण शांत और सौहार्दपूर्ण बना रहता है।
मुख्य द्वार के सामने क्या रखना चाहिए?
- नेम प्लेट: लकड़ी की नेम प्लेट या धातु की नेम प्लेट (उत्तर-पश्चिम दिशा के प्रवेश द्वार के लिए)
- शुभ प्रतीक: ओम, स्वस्तिक, क्रॉस, शंख और पद्म निधि (कुबेर), लक्ष्मी चरण पादुका, कमल पर विराजमान लक्ष्मी जी, बछड़े वाली गाय, पक्षी आदि।
- मूर्तियां: गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्तियां या कुलदेवता (परिवार के आराध्य देव) की तस्वीर।
- उरली: पानी और फूलों की पंखुड़ियों से भरा हुआ उरली या कांच का पात्र।
- प्रकाश: पीली रोशनी, जो सूर्य के प्रकाश जैसी दिखती है और शुभ ऊर्जा आकर्षित करती है।
- नाल (घोड़े की नाल): काले रंग की घोड़े की नाल, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है।
- दहलीज: संगमरमर या लकड़ी की दहलीज, जो नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करती है।
- तोरण: आम के पत्ते, गेंदे के फूल, अशोक के पत्ते, शंख, 108 पंचमुखी रुद्राक्ष की माला, छोटी घंटियां आदि।
- पायदान: दरवाजे पर पायदान लगाने से गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती।
- पौधे: मनी प्लांट या तुलसी जैसे शुभ पौधे।
घर के मुख्य द्वार का वास्तु कैसे जांचें?
- अपने घर के मुख्य द्वार पर खड़े हों और चेहरा बाहर की ओर रखें।
- एक कम्पास लेकर देखें कि आप किस दिशा की ओर देख रहे हैं।
- ध्यान रखें कि आपके आस-पास कोई धातु की वस्तु, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या चुंबकीय स्रोत न हो क्योंकि ये कम्पास की सुई को प्रभावित कर सकते हैं।
- कम्पास की सुई को धीरे-धीरे रुकने दें और स्थिर होने का इंतजार करें।
- कम्पास को घुमाए बिना आप खुद घूम जाएं, जब तक कि सुई का लाल हिस्सा बिल्कुल 0 या 360 डिग्री के निशान से मेल न खा जाए।
- जब कम्पास की सुई सही तरह से मिल जाए तो देखें कि कम्पास का आगे का हिस्सा किस दिशा की ओर इशारा कर रहा है। यही आपके घर की दिशा होगी। यह परिणाम तब स्पष्ट होगा जब 0°/360° निशान और सुई का उत्तर दिशा वाला भाग एक सीध में आ जाए।
सभी राशियों के लिए किस दिशा में घर बनाना अच्छा है?
राशि (राशि चिन्ह) | वास्तु के अनुसार दिशा |
वृषभ राशि | दक्षिण दिशा |
मिथुन राशि | पश्चिम दिशा |
कर्क राशि | दक्षिण दिशा |
कन्या दिशा | उत्तर या पूर्व दिशा |
तुला राशि | पश्चिम दिशा |
वृश्चिक राशि | दक्षिण दिशा |
धनु राशि | दक्षिण दिशा |
कुंभ (मकर) राशि | दक्षिण-पूर्व दिशा |
मकर (कुंभ) राशि | दक्षिण दिशा |
मीन राशि | दक्षिण दिशा |
सिंह राशि | दक्षिण दिशा |
मेष राशि | दक्षिण दिशा |
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के रंग
दिशा | शासक ग्रह | देवता शासन | मुख्य द्वार का रंग |
उत्तर दिशा | बुध ग्रह | कुबेर, भाग्य के देवता | हरा |
पूर्व दिशा | सूर्य देव | इंद्र, स्वर्ग के स्वामी और देवताओं के राजा | लकड़ी के रंग, पीला या सुनहरा, हल्का नीला |
दक्षिण दिशा | मंगल ग्रह | यम, न्याय और मृत्यु के देवता | मूंगा लाल, गुलाबी या नारंगी रंग |
पश्चिम दिशा | शनि ग्रह | वरुण, समुद्र, महासागरों और वर्षा के देवता | नीला |
ईशान कोण | बृहस्पति ग्रह | ईशान, जन्म, मृत्यु, पुनरुत्थान और समय के देवता | पीला या क्रीम |
दक्षिण-पूर्व दिशा | शुक्र ग्रह | अग्नि, अग्नि के देवता | चांदी सफेद, नारंगी, गुलाबी |
दक्षिण पश्चिम दिशा | राहु | वायु, हवाओं के देवता | पीला या धुएं जैसा रंग, धूसर या भूरा |
उत्तर पश्चिम दिशा | चंद्रमा | निररुति, मृत्यु, दुःख और क्षय के देवता | सफेद |
वास्तु के अनुसार घर के मुख्य दरवाजे की दिशा कैसी होनी चाहिए?
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) – मुख्य दरवाजा लगाने के लिए यह सबसे शुभ दिशा मानी जाती है। सुबह की धूप यहां से घर में प्रवेश करती है, जिससे घर और उसके सदस्यों में ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहती है। यह घर में सकारात्मकता भर देती है।
- उत्तर दिशा – इस दिशा में दरवाजा होने से परिवार में धन और समृद्धि आती है, ऐसा माना जाता है, इसलिए यह मुख्य द्वार के लिए दूसरी सबसे उत्तम दिशा है।
- पूरब दिशा – मुख्य दरवाजे के लिए यह बहुत आदर्श दिशा नहीं है, लेकिन पूरब में दरवाजा होने से शक्ति और प्रभाव में वृद्धि होती है। यह घर के माहौल में उत्सव और उमंग भी लाता है।
- वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) – अगर उत्तर दिशा में दरवाजा बनाने का कोई और ऑप्शन न हो तो वायव्य कोण चुना जा सकता है। इससे शाम की धूप का लाभ और घर में समृद्धि आती है।
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परमाशायिका मण्डल प्रणाली के अनुसार, वास्तु पुरुष मंडल की बाहरी परिधि में 32 विभिन्न देवता या ऊर्जा क्षेत्र स्थित होते हैं। मुख्य द्वार यदि किसी विशेष ऊर्जा क्षेत्र पर बने तो उस क्षेत्र के देवता के गुणों के आधार पर वह सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पैदा करता है|
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की पोजीशन
ऊपर दिए गए चित्र में मुख्य द्वार की सर्वोत्तम दिशा देखने के लिए संदर्भ लें। 1 अंकित स्थान सर्वश्रेष्ठ स्थिति को दर्शाता है, जबकि अन्य स्थान क्रमवार चित्र में दर्शाए गए हैं।
मुख्य द्वार लगाने के लिए किन दिशाओं से बचें?
- दक्षिण-पश्चिम प्रवेश: वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा राहु ग्रह से जुड़ी होती है। इस दिशा में मुख्य द्वार लगाने से नकारात्मक ऊर्जा, विवाद, आर्थिक समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ सकती हैं।
- दक्षिण प्रवेश: अग्नि तत्व से प्रभावित दक्षिण दिशा मुख्य द्वार के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। यह घर में सामंजस्य बिगाड़ सकती है और अनावश्यक खर्च बढ़ा सकती है।
- पश्चिम प्रवेश: पश्चिम दिशा की ओर मुख वाला मुख्य द्वार जीवन में देरी और बाधाएं पैदा कर सकता है।
दक्षिणमुखी घर का प्रवेश द्वार क्या शुभ होता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिणमुखी घरों से बचना चाहिए क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं, जो मृत्यु के देवता हैं। इसके अलावा यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी मानी जाती है, जो तीव्र ऊर्जा ला सकती है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी दिशा को पूरी तरह अच्छा या बुरा नहीं कहा जा सकता। यदि घर का निर्माण वास्तु सिद्धांतों के अनुसार किया गया हो तो वह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है और निवासियों के लिए सौभाग्य, सुख और समृद्धि ला सकता है।
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण दिशा में दरवाजे के लिए निम्न पाद शुभ माने जाते हैं –
- वितथ: इस स्थान पर दरवाजा होने से समृद्धि आती है।
- गृहाक्षत: यह स्थान प्रतिष्ठा और धन से जुड़ा है और अधिकतर फैक्ट्रियों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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क्या दक्षिण-पूर्व मुखी घर अच्छा होता है या बुरा?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य दरवाजा दक्षिण-पूर्व दिशा में होना ठीक नहीं माना जाता। इसे वास्तु दोष कहा जाता है, लेकिन इसके आसान उपाय भी मौजूद हैं। अगर घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में हो तो इससे परिवार की महिलाओं को सेहत से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। साथ ही, घर के रिश्तों में अनबन या गलतफहमियां भी बढ़ सकती हैं और लोग जल्दी गुस्सा करने लगते हैं।
पूर्वमुखी घर के मुख्य द्वार का वास्तु
पूर्व दिशा सूर्य के उदय की दिशा है और वास्तु के अनुसार इसे घर के प्रवेश द्वार के लिए अधिकतर शुभ माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वमुखी संपत्तियां बहुमंजिला अपार्टमेंट के लिए आदर्श होती हैं। ऐसे घरों में मुख्य द्वार के लिए जयंत और इंद्र पद सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इन पदों के लाभ इस प्रकार हैं –
- जयंत: इस स्थान पर मुख्य द्वार होने से हर कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही उन्नति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
- इंद्र: देवताओं के राजा माने जाने वाले इंद्र से जुड़ा यह स्थान प्रभावशाली व्यक्तियों से मजबूत संबंध बनाने में मदद करता है।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि पूर्वमुखी घर का प्लॉट उत्तर-दक्षिण दिशा में पूरी तरह सीध में न हो तो उसका मुख दक्षिण-पूर्व की ओर हो सकता है, जिसे वास्तु में अशुभ माना गया है। ऐसे में इस तरह के प्लॉट से बचना चाहिए या फिर वास्तु दोष निवारण के उपाय अपनाने चाहिए।
उत्तरपूर्व दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है। इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होना बहुत शुभ माना जाता है। यह दिशा घर के निवासियों के लिए सौभाग्य और नई संभावनाएं लेकर आती है। वास्तु के अनुसार, इस दिशा पर दिति देवी का शासन है, जिन्हें बहुत दयालु माना गया है।
पश्चिमोत्तर दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिमोत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार उन लोगों के लिए आदर्श है जो सफलता, धन, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। हालांकि, ऐसे घरों का एक प्रभाव यह हो सकता है कि परिवार का पुरुष सदस्य घर से दूर समय बिता सकता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार का वास्तु
दक्षिण-पश्चिम दिशा पर राहु ग्रह का प्रभाव माना जाता है, जो बेहद उग्र और अशुभ ग्रहों में से एक है। इसे आमतौर पर बुराई की दिशा माना जाता है। घर के मुख्य द्वार के लिए किसी शुभ दिशा, जैसे कि पश्चिमोत्तर दिशा (जो धन के देवता कुबेर से जुड़ी है), को चुनना बेहतर होता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार धन ला सकता है, लेकिन यह दुर्भाग्य भी साथ ला सकता है।
वास्तु के अनुसार पश्चिममुखी मुख्य द्वार की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि घर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है तो यह परिवार की महिला सदस्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता। ऐसे घर युवा सदस्यों के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं।
वास्तु के अनुसार, पश्चिममुखी मुख्य द्वार के लिए शुभ पद निम्न हैं –
- सुग्रीव पद – यह स्थान व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए अत्यंत फायदेमंद माना जाता है।
- पुष्पदंत पद – यह वरुण देव के सहायक हैं और वित्तीय वृद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
- वरुण पद – यह देवता संपूर्ण सृष्टि के नियंत्रक हैं और इनका स्थान घर में समृद्धि लाता है।
पश्चिममुखी घरों में मुख्य द्वार के लिए दुवारिक, असुर, शोष, पाप्याक्षम पदों से बचना चाहिए।
उत्तरमुखी घर का मुख्य द्वार वास्तु
उत्तर दिशा के स्वामी धन के देवता कुबेर हैं। घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होना बहुत से लोगों के लिए शुभ और लाभकारी माना जाता है, खासकर बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और व्यापार से जुड़े लोगों के लिए। हालांकि, उत्तरमुखी घर चुनते समय या उसका निर्माण करते समय वास्तु के नियमों का पालन करना जरूरी है, जिसमें अलग-अलग कमरों का स्थान भी शामिल है। यहां कुछ प्रमुख सुझाव दिए जा रहे हैं –
- मुख्य द्वार: यह उत्तर दिशा की बाहरी दीवार पर होना चाहिए।
- बैठक कक्ष (लिविंग रूम): उत्तर-पश्चिम दिशा बैठक कक्ष के लिए आदर्श है।
- शयनकक्ष: उत्तरमुखी घर में बेडरूम पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
- रसोई: रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा उत्तम मानी जाती है।
- सीढ़ियां: सीढ़ियां दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनानी चाहिए। उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में सीढ़ियां बनाने से बचें। सीढ़ियां घड़ी की सुई की दिशा में चढ़ने वाली होनी चाहिए।
उत्तरमुखी मुख्य द्वार के लिए शुभ ऊर्जा क्षेत्र (पद):
- मुख्य: घर के प्रधान देवता और ब्रह्मांड के शिल्पकार द्वारा शासित यह क्षेत्र अत्यंत शुभ माना जाता है और इच्छापूर्ति व मनोकामना सिद्धि का कारक है।
- भल्लाट: यह देवता धन-समृद्धि की भरपूर प्राप्ति करवाते हैं।
- सोम: अमृत तुल्य माने जाने वाले सोम का संबंध लाभ और आध्यात्मिक उन्नति से है।
- दिति: दैत्यों की माता, यह दृष्टि, जीवन के वास्तविक तथ्यों को समझने की क्षमता, सफलता और धन प्रदान करते हैं, हालांकि इनके प्रभाव हमेशा नैतिक नहीं होते।
ऐसे ऊर्जा क्षेत्रों से बचें, जो विपरीत प्रभाव देते हैं:
- रोग: यह स्थान हड्डियों व जोड़ों की बीमारियों, शत्रुओं में वृद्धि और नकारात्मकता का कारण बनता है।
- नाग: यह स्थान भौतिक वस्तुओं की तीव्र इच्छा और ईर्ष्या को दर्शाता है, इसलिए इससे बचें।
- भुजंग: यह स्थान गुर्दे की समस्या, सर्दी-जुकाम और आंखों की परेशानी का संकेत देता है।
अदिति: यह स्थान घर की महिला सदस्यों को विद्रोही स्वभाव का बना सकता है और अंतरजातीय विवाह की संभावना बढ़ा देता है।
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मुख्य द्वार के लिए उपयोग होने वाली सामग्री
फ्लैट जैसे घरों के निर्माण में मुख्य द्वार के वास्तु सिद्धांतों के अनुसार सही सामग्री का चयन करना आवश्यक है। केवल उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी का उपयोग करें। आप सागौन (Teakwood) या होन्ने (Honne wood) जैसी लकड़ी चुन सकते हैं। नारियल या पीपल के पेड़ की लकड़ी का उपयोग करने से बचें। यदि आप प्रवेश द्वार पर शटर लगाना चाहते हैं, तो अच्छी गुणवत्ता वाले स्टील का उपयोग कर सकते हैं।
- रोज़वुड (Rosewood): दृढ़ता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक
- सागौन (Teakwood): स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देता है
- महोगनी (Mahogany): समृद्धि, प्रचुरता और सुरक्षा आकर्षित करता है
- ओक वुड (Oak wood): सहनशीलता, दृढ़ता और स्थिरता का प्रतीक
- चंदन (Sandalwood): सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है
मुख्य दरवाजे पर चौखट हो: मुख्य दरवाजे पर चौखट जरूर बनवाएं, जो आदर्श रूप से कंक्रीट और लकड़ी से बनी हो। यह सुनिश्चित करें कि घर का फर्श जमीन के समान स्तर पर न हो। इससे घर के अंदर सकारात्मक माहौल बना रहता है।
प्रवेश द्वार का रंग: गहरे रंग, जैसे काला, न चुनें क्योंकि यह नकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकता है। हल्का पीला, लकड़ी जैसा रंग या मिट्टी के शेड्स सबसे उपयुक्त होते हैं।
कोने में दरवाजा न लगाएं: प्रवेश द्वार को कमरे के कोने में कभी न रखें। यह न केवल असुविधाजनक होता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में रुकावट भी पैदा कर सकता है।
प्रवेश द्वार के पास नकारात्मक वस्तुएं न रखें : इनमें जूते रखने की रैक, पुराना फर्नीचर, कूड़ेदान, झाड़ू, दर्पण, जर्जर संरचना, सेप्टिक टैंक आदि शामिल हैं। किसी अन्य घर के मुख्य दरवाजे की परछाईं आपके प्रवेश द्वार पर पड़ना भी अशुभ माना जाता है।
पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें : घर के मुख्य दरवाजे पर पर्याप्त धूप आनी चाहिए। आप पीली रोशनी का उपयोग कर सकते हैं, जो सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होती है। शाम के समय गर्म रोशनी का प्रयोग करें। अंधेरा और सुस्त प्रवेश द्वार नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
मुख्य द्वार की स्थिति : मुख्य द्वार या प्रवेश द्वार को एक ही दिशा में रखना चाहिए। मुख्य द्वार 90 डिग्री पर खुलना चाहिए। घर का प्रवेश द्वार कभी भी सीधे पड़ोसी के घर के प्रवेश द्वार के सामने नहीं होना चाहिए।
टी-जंक्शन से बचें: घर का मुख्य द्वार कभी भी सड़क के टी-जंक्शन पर नहीं होना चाहिए और न ही टी-जंक्शन की ओर खुलना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
लिफ्ट के सामने मुख्य द्वार न रखें: मुख्य द्वार का लिफ्ट के सामने होना एक बड़ा वास्तु दोष माना जाता है, क्योंकि सीढ़ी या लिफ्ट की तेज गति वाली ऊर्जा के कारण मेहनत और सकारात्मक प्रयास बाहर निकल जाते हैं।
सही मुख्य द्वार का आकार चुनें: वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार सबसे बड़ा होना चाहिए, क्योंकि इससे परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और स्वास्थ्य आता है। यह द्वार एक बड़े पैनल के बजाय दो हिस्सों में होना बेहतर होता है। ध्यान दें कि इसकी ऊंचाई घर के अन्य दरवाजों से अधिक होनी चाहिए।
नेम प्लेट और वास्तु: हमेशा नेम प्लेट लगाएं। यदि दरवाजा उत्तर या पश्चिम दिशा में है, तो धातु की नेम प्लेट लगाएं। यदि दरवाजा दक्षिण या पूर्व दिशा में है, तो लकड़ी की नेम प्लेट लगाएं। इसे मुख्य द्वार के बाईं ओर लगाना शुभ माना जाता है।
डोर बेल लगाना: डोर बेल को पांच फीट या उससे अधिक ऊंचाई पर लगाएं। बहुत तेज़, कर्कश या झनझनाहट वाली आवाज वाली डोर बेल से बचें। घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए सौम्य और मधुर ध्वनि वाली डोर बेल चुनें।
सीढ़ियों का ध्यान रखें: यदि आपके प्रवेश द्वार पर सीढ़ियां हैं, तो विषम संख्या (1, 3, 5 आदि) की सीढ़ियां शुभ मानी जाती हैं। सुनिश्चित करें कि घर के प्रवेश द्वार तक जाने वाली सीढ़ियां आसपास के मार्ग या रास्ते से ऊंची हों।
दरवाजों का आकार: घर के मुख्य द्वार पर स्लाइडिंग दरवाजे या गोल आकार के दरवाजे लगाने से बचें।
दोषपूर्ण दरवाजे हटाएं: मुख्य दरवाजे पर कोई खरोंच या dents (गड्ढे) न हों, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। दरवाजे में दरार होने से सम्मान की हानि हो सकती है। यदि घर का प्रवेश द्वार क्षतिग्रस्त है या उसमें दरारें हैं, तो इसे तुरंत बदल दें। टूटा, दरार वाला या टुकड़ा हुआ दरवाजा वास्तु दोष माना जाता है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति और समग्र सुख-समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वास्तु-अनुसार दरवाजे के हैंडल चुनें: दक्षिण मुखी घर के लिए लकड़ी के दरवाजे पर पीतल (Brass) के हैंडल सबसे उपयुक्त हैं। पश्चिम मुखी दरवाजे के लिए धातु (Metal) के हैंडल लगाएं। पूर्व दिशा की ओर मुख्य द्वार हो, तो लकड़ी और धातु का संयोजन शुभ माना जाता है। उत्तर मुखी दरवाजे के लिए चांदी (Silver) के हैंडल लगाने की सलाह दी जाती है।
प्रवेश द्वार के ताले और चाबियां: चाबियां धातु की बनी होती हैं, इसलिए ऊर्जा संतुलन के लिए लकड़ी की चाबी चेन का उपयोग करें। ताले और चाबियों पर शुभ प्रतीकों का चयन करें। जंग लगे या टूटे हुए ताले-चाबियां तुरंत बदल दें। पूर्व मुखी दरवाजे के लिए तांबे (Copper) का ताला, पश्चिम मुखी दरवाजे के लिए लोहे (Iron) का ताला, उत्तर मुखी दरवाजे के लिए पीतल (Brass) का ताला, दक्षिण मुखी दरवाजे के लिए ‘पंचधातु’ (पांच धातुओं से बना) ताला शुभ माना जाता है।
सामग्री: दरवाजे के लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाली लकड़ी चुनें, जैसे सागौन, महोगनी या ओक की लकड़ी। नारियल या पीपल के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल करने से बचें।
गृह प्रवेश वास्तु: दरवाजों की संख्या और उनका महत्व
दो दरवाजे | शुभ |
तीन दरवाजे | दुश्मनी करवाते हैं |
चार दरवाजे | लंबा जीवन जीने में मदद करते हैं |
पांच द्वार | रोग |
छह द्वार | अच्छा संतान |
सात द्वार | मृत्यु |
आठ द्वार | धन बढ़ना |
नौ द्वार | रोग |
दस द्वार | डकैती |
ग्यारह द्वार | अच्छाई का नाश |
बारह द्वार | व्यापार बढ़ना |
तेरह द्वार | आयु को घटाता है |
चौदह द्वार | धन बढ़ना |
पन्द्रह द्वार | अच्छाई का नाश |
- इस बात का ध्यान रखें कि आपके घर में दरवाजों की संख्या सम हो।
- वास्तु के अनुसार, घर के उत्तर और पूर्व दिशा में दरवाजे अधिक होने चाहिए, न कि दक्षिण और पश्चिम में।
- दरवाजों की संख्या कभी भी 10 या 8 के गुणा में नहीं होनी चाहिए।
दरवाजों की गिनती का नियम: दरवाजों की गिनती करते समय कुछ खास नियमों का ध्यान रखना जरूरी है। घर का मुख्य द्वार या बाहरी कमरे (आउटहाउस) के दरवाजे कुल गिनती में शामिल नहीं किए जाते। इसके अलावा, अगर कोई दरवाजा दो पल्लों वाला है, तो उसे एक ही दरवाजा माना जाता है।
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घर के प्रवेश द्वार के लिए वास्तु: मुख्य द्वार के दोष के उपाय
- दरवाजे का एंटी-क्लॉक वाइज खुलना: इस दोष को दूर करने के लिए प्रवेश द्वार पर तीन तांबे के पिरामिड को क्लॉकवाइज दिशा में लगाएं।
- छोटा मुख्य दरवाजा: यदि मुख्य दरवाजा घर के अन्य दरवाजों की तुलना में काफी छोटा है, तो एक बड़ा दरवाजा लगाएं ताकि वास्तु दोष समाप्त हो सके।
- मुख्य दरवाजे के सामने रसोई: मुख्य दरवाजे और रसोई के दरवाजे के बीच एक छोटा क्रिस्टल बॉल लटकाएं।
- दो घरों के मुख्य दरवाजे आमने-सामने: मुख्य दरवाजे पर लाल कुमकुम से स्वस्तिक बनाने से यह वास्तु दोष समाप्त होता है।
- दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार:
- गहरे लाल या भूरे रंग के पर्दे लगाएं। मुख्य द्वार के सामने 9 लाल कार्नेलियन रत्न रखें।
- दरवाजे को लाल या हरे रंग से रंगें। रंगीन लाइट्स से अग्नि तत्व को बढ़ाएं।
- दरवाजे की चौड़ाई के अनुसार लाल, हरा या पीला डोरमैट लगाएं।
- हरे पौधे लगाकर अग्नि तत्व को संतुलित करें।
- दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार: मुख्य दरवाजे के ऊपर और किनारों पर “ॐ, त्रिशूल और स्वस्तिक” के चित्र या स्टिकर लगाएं।
- उत्तर-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार का वास्तु दोष: दरवाजे को शुभ प्रतीकों जैसे स्वस्तिक, ॐ और त्रिशूल से सजाएं। दरवाजे के दोनों ओर और ऊपर बीच में तीन वास्तु अनुकूल पीतल के पिरामिड लगाएं। चंद्र यंत्र भी रखा जा सकता है।
- पश्चिम दिशा के घर में दक्षिण-पश्चिम मुख्य द्वार: दरवाजे के पास क्रश किया हुआ समुद्री नमक या पीतल के पिरामिड रखें। आदर्श रूप से प्रवेश द्वार मध्य-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
मुख्य द्वार के ठीक सामने की दीवार के लिए वास्तु उपाय
- दीवार पर आई ऊर्जा को घर के भीतर वापस भेजने के लिए वहां एक आईना लगाएं। इससे ऊर्जा दीवार में अवशोषित होने के बजाय घर में फैलती है।
- दीवार को शुभ प्रतीकों से सजाएं जैसे – ओम, स्वस्तिक, देवी-देवताओं की तस्वीरें या प्रकृति से प्रेरित कलाकृतियां।
- ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए सजावटी लाइट्स लगाएं।
- दीवारों को हल्के और सुखद रंगों से पेंट करें, जैसे पीला या आसमानी नीला।
मुख्य दरवाजे के सामने की दीवार के लिए वास्तु
वास्तु के अनुसार, मुख्य दरवाजे के ठीक सामने दीवार नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह में रुकावट पैदा कर सकती है। इस दोष को दूर करने के कुछ सरल उपाय हैं:
- दीवार पर एक आईना लगाएं, जिससे ऊर्जा वापस घर में परावर्तित हो, न कि दीवार द्वारा अवशोषित हो।
- दीवार को शुभ चिन्हों जैसे ‘ॐ’, ‘स्वस्तिक’, देवी-देवताओं की तस्वीरें या प्रकृति से जुड़ी कलाकृतियों से सजाएं।
- ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए सजावटी लाइट्स लगाएं।
दीवारों को हल्के पीले, आसमानी नीले जैसे शांति देने वाले रंगों से पेंट करें।
इन मुख्य गेट डिज़ाइन आइडियाज को भी देखें
मुख्य द्वार की दोषों के लिए अतिरिक्त वास्तु टिप्स
- दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख वाले घरों में पूर्वी कोने की दीवारों को गहरे रंगों में पेंट करें। परिवार की स्थिरता बनाए रखने के लिए गहरा लाल रंग चुनें।
- मुख्य द्वार के प्रवेश द्वार के केंद्र के ऊपर एक वास्तु पिरामिड रखें और अन्य दो पिरामिड दरवाजे के दोनों ओर लगाएं।
- गायत्री मंत्र को मुख्य द्वार पर पेंट कर सकते हैं या मंत्र का एक छोटा स्टीकर चिपका सकते हैं।
- मुख्य द्वार के केंद्र के ऊपर पंचमुखी हनुमान जी (खड़े मुद्रा में) को गदा बाएं हाथ में लिए स्थापित करें।
मुख्य द्वार के वास्तु दोष दूर करने वाले तत्व
सौभाग्य के लिए पिरामिड: वास्तु शास्त्र के अनुसार, पिरामिड नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक माहौल बनाते हैं और ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर करते हैं।
क्रिस्टल बॉल्स: यदि आप पिरामिड नहीं रखना चाहते, तो क्रिस्टल बॉल्स एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ये ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए रखी जा सकती हैं। इन्हें साफ और अव्यवस्था रहित स्थान पर रखना जरूरी है।
एक्वेरियम: मछली घर या एक्वेरियम को वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ माना जाता है। इसे ड्राइंग रूम के उत्तर-पूर्व कोने में रखने से वास्तु दोष दूर होते हैं।
घोड़े की नाल: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घोड़े की नाल को घर में लगाने से सौभाग्य आता है। इसे मुख्य द्वार पर इस तरह टांगें कि उसके सिरे ऊपर की ओर हों, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुचारू रूप से हो।
समुद्री नमक: घर के कोनों में थोड़ा समुद्री नमक रखने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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कार्यालय के मुख्य द्वार के लिए वास्तु टिप्स
कार्यालय के मुख्य द्वार को पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए। यदि आप किसी कार्यालय, फैक्ट्री या वाणिज्यिक स्थान के लिए प्लॉट ढूंढ रहे हैं, तो शेरमुखी प्लॉट चुनें, क्योंकि ये आगे से चौड़े और पीछे से संकरे होते हैं। भूमि अच्छी तरह से यात्रा किए जाने वाले मार्गों के पास होनी चाहिए। उत्तर मुखी, उत्तर-पूर्व मुखी या उत्तर-पश्चिम मुखी कार्यालय सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। कार्यालय के मुख्य द्वार के पास कोई वस्तु न रखें, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल सकती है।
Housing.com का पक्ष
मुख्य दरवाजा किसी भी घर का एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। यह वह स्थान है जहाँ से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। इसलिए, मुख्य प्रवेश द्वार को डिजाइन करते समय वास्तु दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। घर का डिजाइन बनाते समय, दरवाजे के सही आकार, दिशा, आदर्श संख्या, रंग आदि जैसे विभिन्न पहलुओं पर विचार करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
हाउस एंट्रेंस के लिए कौन सी दिशा अच्छी है?
मेन डोर/एंट्रेंस हमेशा नॉर्थ, नॉर्थ ईस्ट, ईस्ट या वेस्ट में होनी चाहिए क्योंकि ये दिशाएं शुभ मानी गई हैं. साउथ, साउथ ईस्ट, नॉर्थ वेस्ट (नॉर्थ साइड) या साउथ-ईस्ट (ईस्ट साइड) में मेन डोर नहीं होना चाहिए.
क्या लाफिंग बुद्धा को मेन डोर पर रखा जा सकता है?
लाफिंग बुद्धा को घर के अंदर की ओर, तिरछे विपरीत या मेन डोर की ओर रखें. मेन डोर से घर में एंट्री करने वाली ऊर्जा का लाफिंग बुद्धा से स्वागत किया जाता है और अवांछित ऊर्जा को शुद्ध किया जाता है.
कौनसा रंग फ्रंट डोर के लिए लकी है?
फ्रंट डोर का रंग उसकी दिशा के अनुसार निश्चित करना चाहिए.
क्या मेन डोर के सामने दीवार बना सकते हैं?
वास्तु शास्त्र के अनुसार मेन डोर के सामने कोई दीवार नहीं होनी चाहिए. लेकिन अन्य रूम का दरवाजा सामने हो सकता है.
मुख्य द्वार के पास डोरमैट क्यों रखना चाहिए?
वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार के पास एक डोरमैट जूतों से धूल और गंदगी को हटाता है; यह घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को भी सोख लेता है। डोरमैट के लिए प्राकृतिक कपड़े का विकल्प चुनें और इसे नियमित रूप से साफ करें। मुख्य दरवाजे के उपयोग के लिए, आयत के आकार का डोरमैट क्योंकि यह पूरे दरवाजे की जगह को कवर करता है।
क्या दक्षिण-पूरब मुखी घर अच्छा है?
घर के प्रवेश द्वार का मुख दक्षिण-पूरब दिशा की ओर रखना वास्तु दोष है।
घर के किस हिस्से में शुभ लाभ को लगाना चाहिए?
शुभ लाभ एक शुभ प्रतीक है जो आपको कई घरों में मुख्य दरवाज़े के बाहर लगा मिल जाएगा। ‘शुभ’ का अर्थ है अच्छाई और ‘लाभ’ का अर्थ है फ़ायदा। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य दरवाज़े के दोनों ओर शुभ लाभ का सिंबल लगाना चाहिए, जो सौभाग्य और सफलता को आकर्षित करता है और नेगेटिव एनर्जी को हटाता है।
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