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गणपति फोटो वास्तु टिप्स: घर के लिए कौन सी गणेश मूर्ति सबसे अच्छी है?

Vastu tips for keeping Lord Ganesha at home

अगर आप आप अपने घर को जबरदस्त पाजिटिविटी से भर देना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे बेहतरीन उपाय है कि आप भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर लाएं। हिंदू माइथालॉजी के अनुसार, भगवान गणेश को प्रसन्नता और आनंद का प्रतीक माना गया है। वह घर के रक्षक भी माने जाते हैं। गणेश की मूर्ति या फोटो अधिकतर मुख्य दरवाजे के पास रखी जाती है, ताकि घर के भीतर निगेटिव एनर्जी नहीं आए। इसी के साथ वास्तुशास्त्र के अनुसार यह जरूरी है कि आप भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो को घर में सही जगह और दिशा में रखें।

 

गणपति फोटो: घर में गणेश जी की तस्वीरों और मूर्तियों के लिए वास्तु

वास्तु के जानकार बताते हैं कि घर में गणेश की मूर्ति या फोटो को पश्चिम, उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा होता है। याद रखें कि गणेश की सभी फोटो का मुंह उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिशा में भगवान शिव, जो गणेश जी के पिता हैं, रहते हैं। आप गणेश की मूर्ति को मुख्य द्वार पर रखें, जिसका चेहरा एंट्रेंस की दिशा में हो। भगवान गणेश की मूर्ति के मुंह को कभी भी दक्षिण दिशा में न रखें।

 

स्रोत: Pinterest

पूजा रूम वास्तु के बारे में भी पढ़ें

 

किस तरह की गणेश मूर्ति घर के लिए कितनी अच्छी है? 

गणेश की मूर्ति प्रभाव
चांदी के गणेश यश
पीतल के गणेश समृद्धि और आनंद
लकड़ी के गणेश अच्छा स्वास्थ्य और लंबी उम्र
क्रिस्टल के गणेश वास्तु दोष निवारण
हल्दी के गणेश सौभाग्य और शुभ
कॉपर के गणेश नए जोड़ों के लिए शुभ
आम, पीपल और नीम के गणेश एनर्जी और गुड लक
गाय के गोबर के गणेश सौभाग्य के प्रतीक

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गणेश के प्रकार

बाल गणेश (बच्चे के रूप में)
तरुण गणपति (युवा रूप में)
भक्ति गणेश (भक्त के रूप में)
वीरा गणपति (वीर रूप में)
शक्ति गणपति (ताकतवर रूप में)
द्विज गणेश (गणपति, जो दुबारा पैदा हुए)
सिद्धि गणेश (सिद्ध रूप में)
उछिष्ट गणपति (आशीर्वाद देते हुए)
विघ्न गणेश (विघ्न डालने वाले)
शिप्रा गणेश (मनाने पर तुरंत मान जाने वाले)
हेरंब गणेश (मां के दुलारे बेटे)
लक्ष्मी गणेश (सौभाग्यशाली, मां लक्ष्मी के समान)
महा गणपति (महान गणेश)
विजय गणपति (विजेता गणेश)
नृत्य गणेश (डांस करते गणेश)
उर्ध्व गणपति (गणेश का वृहद रूप)
एकाक्षरा गणेश (गणेश का एक अंश)
वरा या वरदा गणेश (वरदान देने वाले)
त्रिअक्षरा गणेश (तीन अक्षरों के रूप में)
शिप्रा प्रसाद गणपति (जो तुरंत फल देते हों)
हरिद्रा गणेश (कुमकुम कलर के गणेश)
एकदंत गणेश (एक दांत वाले गणेश)
सृष्टि गणपति (निर्माता के रूप में गणेश)
उद्दंड गणपति (न्याय देने वाले)
ऋणमोचन गणेश (कर्ज से मुक्ति दिलाने वाले)
ढुंढि गणेश (लोकप्रिय गणेश)
द्विमुखा गणपति (दो सिर वाले गणेश)
त्रिमुखा गणपति (तीन मुंह वाले गणपति)
सिंह गणपति (सिंह के समान वीर)
योग गणपति (योग पोस्चर में बैठे गणेश)
दुर्गा गणेश (अजेय गणेश, मां दुर्गा के समान)
संकटहरण गणेश (विघ्नहर्ता गणेश)

 

हिंदू देवता गणेश की शुभ पूजा सबसे पहले की जाती है। यह पूजा 32 अलग-अलग रूपों की होती है। जैसा कि ऊपर गणेश के 32 रूप बताए गए हैं। भारत में गणपति की मूर्तियां आपको इन्हीं 32 रूपों में मिलेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणपति ये 32 रूप अपने भक्तों की अलग-अलग आपदाओं से रक्षा के लिए रखते हैं।

सबसे अधिक पापुलर रूप में गणपति भगवान या तो बैठे या फिर खड़े रूप में पाए जाते हैं। दूसरे फार्म के गणेश, जैसे डांस करते हुए गणेश की मूर्ति या फोटो सुंदरता के लिए रखी जाती है। ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि जब उनकी सूड़ सीधी हो या ऊपर की ओर उठी हुई हो। गणेश की सबसे ज्यादा पापुलर मूर्ति वह है जिसमें वह हाथ में लड्डू लिए रहते हैं।

दक्षिण भारत में गणेश जी को पिल्लायार या विनयागर भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन विनयागर की मूर्ति की पूजा दक्षिण के राज्यों में धूमधाम से होती है। महाराष्ट्र में यह त्यौहार दस दिनों तक मनाया जाता है। लोग धूमधाम से गणपति की मूर्ति को घर लाते हैं और पूजते हैं। पूजा खत्म होने के बाद इन्हें समुद्र के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। मूर्ति विसर्जन के साथ ही उत्सव की समाप्ति मानी जाती है।

यह भी पढ़ें: घर के वास्तु टिप्स के लिए बुद्ध की मूर्ति

 

कौन सी गणेश मूर्ति घर के एंट्रेस के लिए ठीक है?

पोस्चर

घर में गणेश जी की मूर्ति लाते समय उनकी मुद्रा पर ध्यान देना न भूलें। आदर्श रूप से ललितासन में गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति को सबसे अच्छा माना जाता है। इसे बैठे हुए गणेश जी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह शांति को दर्शाता है। इसके अलावा, लेटे हुए स्थिति में गणेश जी की तस्वीरें भी बहुत भाग्यशाली मानी जाती हैं क्योंकि यह विलासिता, आराम और धन का प्रतीक है।

 

सूंड की दिशा 

जब भी गणपति की मूर्ति घर के भीतर लगाएं तो उसके सूड़ के बारे में विशेष ध्यान रखें। वास्तुशास्त्र के अनुसार यह ध्यान रखें कि मूर्ति की सूड़ बाईं दिशा में ही हो। दाईं दिशा में सूड़ का होना अच्छा नहीं माना जाता।

 

 

मोदक/लड्डू और चूहा

जब भी गणेश की मूर्ति खरीदें, यह ध्यान रखें मूर्ति में लड्डू और चूहा जरूर बने हों। ऐसा इसलिए क्योंकि चूहा गणेश का वाहन माना जाता है। जबकि ऐसी मान्यता है कि लड्डू गणेश जी का फेवरेट स्वीट है। गणेश मूर्ति वहां लगाई जानी चाहिए, जहां घर का एंट्रेंस हो।

चूहा चीजों के प्रति हमारे मन की इच्छा को व्यक्त करता है, जो इच्छाओं से भरा हुआ है। हालांकि चूहा छोटा होता है और उसके दांत बहुत छोटे होते हैं लेकिन यह लगातार कुतरने की प्रवृत्ति के कारण बड़े से बड़े भंडार को खाली कर सकता है। इसी के पैरेलल एक चूहा हम सभी के भीतर है। ये हैं हमारी इच्छाएं। हमारी ये इच्छाएं हमारे भीतर की सारी अच्छाइयों, भले ही वे बहुत सारी हों, को खा जाती हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि गणेश की मूर्ति खरीदने से पहले ये सभी जरूरी चीजें नोट या याद कर लें।

 

 

किस कलर की गणेश मूर्ति घर के लिए आदर्श होगी? 

वास्तुशास्त्र के अनुसार जो लोग घर में शांति और संपन्नता चाहते हैं, उनके लिए व्हाइट कलर की मूर्ति उपयुक्त रहेगी। जो लोग सेल्फ ग्रोथ चाहते हों, उन्हें वर्मिलान कलर (सिंदूरी रंग) की गणेश मूर्ति घर में लानी चाहिए। सफेद गणेश जी धन, सुख और समृद्धि को आकर्षित करते हैं। हमेशा याद रखें कि भगवान की पीठ घर के बाहर की ओर होनी चाहिए।

जनरली गणेश जी के वस्त्र लाल और पीले होते हैं। उन्हें गोल्डन कलर का कपड़ा भी पहनाया जाता है। ये सभी रंग शुभ के प्रतीक हैं।

आजकल लोग अपने घरों में गणेश जी का वालपेपर या म्यूरल लगाना पसंद करते हैं। ये पूजा घर की सुंदरता बढ़ाते हैं। जो लोग भी गणेश को अपने घर में रखते हैं, उन्हें वास्तुशास्त्र के अनुसार ही काम करना चाहिए।

 

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गणेश जी की स्थापना के लिए वास्तु डायरेक्शन

 

ऐसे स्थानों पर गणेश जी को न रखें

वास्तु के जानकारों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति को बेडरूम, गैरेज या कपड़े धोने वाली जगह पर नहीं रखना चाहिए। इस मूर्ति को सीढ़ियों के नीचे और बाथरूम के नजदीक भी नहीं रखना चाहिए। क्योंकि गैरेज और कार पार्किंग वाले स्थान खाली माने जाते हैं और यहां किसी देवी-देवता की स्थापना करना अनुचित होता है। ये स्थान किसी भी वास्तु आइटम को रखने के लिए भी अनुपयुक्त होते हैं।

 

गणेश जी को यह चढ़ाएं

यह भी देखें: क्या हम घर में एक हाथी की मूर्ति रख सकते हैं

 

णेश मूर्ति का महत्व और मतलब

घर में गणेश की मूर्ति लगाना या उनकी फोटो रखना गुड लक और प्रासपरिटी का प्रतीक है। गणेश जी की मूर्ति संपूर्ण जीवन का प्रतीक है। यह हमें इन महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सिखाती है:

 

चूंकि अधिकतर लोग भगवान गणेश से प्यार करते हैं, इसलिए वे गणेश की मूर्ति या तस्वीरों को इकट्ठा करते हैं या उपहार में देते हैं। लोग अक्सर यह सवाल उठाते है कि हम अपने घर या कमरे में गणेश जी की कितनी मूर्ति रख सकते हैं? वास्तुशास्त्र के अनुसार यह सलाह दी जाती है कि एक कमरे में केवल एक ही गणेश मूर्ति रखें। अगर एक कमरे में एक साथ एक से अधिक गणेश जी रहेंगे तो घर में पाजिटिव एनर्जी आने में बाधा पहुंचेगी।

 

गणेश उत्सव के लिए गणेश प्रतिमा को घर लाना

10 दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत के साथ कई लोग गणेश जी की मूर्ति को घर लाते हैं। एक नई गणपति मूर्ति को घर लाते समय मूर्ति के चेहरे को ढक दिया जाता है और इसका अनावरण केवल स्थापना के दौरान किया जाता है। मूर्ति, जिसे त्योहार के दौरान घर लाया जाता है, को डेढ़ दिन, तीन दिन या 10 दिनों के बाद विसर्जित कर दिया जाता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे घर के लिए पर्यावरण के अनुकूल गणेश जी की मूर्ति, जो विसर्जन के दौरान आसानी से घुल जाती हैं, चुनने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा, कई अन्य विकल्प हैं, जैसे गणेश जी की वो मूर्ति जिन्हें विसर्जित करने पर वो एक पौधा बन जाता है। कई लोग इस विकल्प को चुन रहे हैं। अगर आपके घर पर एक छोटा मंदिर है तो आप गणेश जी की छोटी मूर्ति चुनें और सुनिश्चित करें कि आप उनको स्थापित करते समय वास्तु नियमों का पालन करें।

 

धन के लिए कौन सी गणेश मूर्ति अच्छी है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणपति की सफेद तस्वीर या मूर्ति रखने से परिवार में धन और समृद्धि आती है। हालांकि, गणेश जी को स्थापित करते समय सभी वास्तु नियमों का पालन करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, गणेश जी की पीठ घर के बाहर होनी चाहिए।

 

क्या गणेश जी की मूर्ति घर के बाहर रख सकते हैं?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सकारात्मकता लाने के लिए घर के एंट्रेंस को शुभ प्रतीक चिन्हों से सजाना चाहिए। आमतौर पर लोग  सौभाग्य के प्रतीक चिन्ह के रूप में दरवाजे पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाते हैं। हालांकि, घर के एंट्रेंस पर या मुख्य द्वार के ऊपर गणेश जी की मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि गणेश जी की मूर्ति को घर की ओर पीठ करके लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। अगर मूर्ति लगानी ही है; घर के प्रवेश द्वार के भीतरी हिस्से में गणेश जी की मूर्ति लगा सकते हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार, गणेश भगवान को एक बार उनकी मां पार्वती ने स्नान करते समय पहरा देने के लिए कहा था। उन्होंने अपने पिता भगवान शिव को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। क्रोध में आकर भगवान शिव ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसलिए कुछ मान्यताओं के अनुसार, द्वार पर गणेश जी की मूर्ति लगाने से विवाद  या परेशानी हो सकती है। हालाँकि, आप वास्तु की सलाह के अनुसार मूर्ति को घर के अंदर किसी उपयुक्त स्थान पर स्थापित कर सकते हैं।

 

गणेश जी की तस्वीर और मूर्ति लगाने से वास्तु दोष दूर होते हैं

वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की तस्वीर और मूर्ति को घर में रखने से वास्तु दोषों की वजह से होने वाले बुरे असर को दूर करने में मदद मिल सकती है। भगवान ब्रह्मा ने वास्तु पुरुष के अनुरोध पर वास्तु शास्त्र के नियमों का निर्माण किया था। गणेश जी की पूजा करने से वास्तु देवता प्रसन्न होते हैं। वास्तु के हिसाब से घर का निर्माण सुख, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित करता है।

अगर घर के मुख्य द्वार पर एकदंत गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर हो तो दूसरी तरफ उसी जगह पर गणेश जी की इस प्रकार मूर्ति स्थापित करनी चाहिए कि दोनों गणेश जी की पीठ मिल जाए। ऐसा करने से वास्तु दोषों के असर से होने वाली नकारात्मकता कम होती है।

इसके अलावा, वास्तु शास्त्र के अनुसार सफेद रंग के गणेश जी को स्थापित करने और सिंदूरी रंग के गणेश की पूजा करने से घर से वास्तु दोष दूर होते हैं। गौरतलब है कि गणेश जी की प्रतिमा में उनका पसंदीदा मोदक या लड्डू और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए, जिसे वास्तु दोषों को ठीक करने के लिए आदर्श माना जाता है।

ऑफिस में वहां गणेश जी की खड़े मुद्रा में फोटो या मूर्ति रखने से वास्तु दोष दूर होता है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मैं मुख्य द्वार पर गणपति कैसे रख सकता हूं?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मुख्य द्वार पर किस प्रकार की गणेश मूर्ति/तस्वीर लगा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

गणेश जी का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

गणपति की मूर्तियों या तस्वीरों को आदर्श रूप से उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व या पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए, मुख्यत: उत्तर की ओर।

कौन सी गणेश मूर्ति वर्क डेस्क के लिए सबसे अच्छी है?

वर्क डेस्क पर गणेश जी की खड़ी मूर्ति काम करने में उत्साह लाती है और बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।

दूर्वा क्या है और इसे गणेश जी को क्यों चढ़ाया जाता है?

दूर्वा घास, जिसमें विषम संख्या में ब्लेड होते हैं, शरीर पर शीतल करने वाली प्रभाव डालती है और कहा जाता है कि इसमें उपचार वाले गुण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि दूर्वा में भगवान गणेश की ऊर्जा को आकर्षित करने की शक्ति है और इस प्रकार, भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।

गणेश जी का पसंदीदा फूल कौन सा है?

लाल हिबिस्कस गणेश जी का पसंदीदा फूल है और उन्हें प्रसन्न करने और समृद्धि एवं सफलता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है।

क्या कोई ऐसा कमरा है जिसमें हमें गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर नहीं लगानी चाहिए?

यह सलाह दी जाती है कि गणेश जी की मूर्ति को कभी भी बेडरूम, बाथरूम या यहां तक कि बाथरूम से जुड़ी दीवार पर न लगाएं। गणेश जी की मूर्तियों के लिए सबसे अच्छी जगह आपके घर का प्रवेश द्वार है।

क्या हम घर में गणेश जी की दो मूर्तियां रख सकते हैं?

आप घर में दो अलग-अलग जगहों पर गणेश जी की दो तस्वीरें या मूर्तियां रख सकते हैं। एक से अधिक मूर्ति रखने से बचना चाहिए।

क्या काले गणपति रखना ठीक है?

सफलता, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए आप अपने घर में काले गणपति की मूर्ति रख सकते हैं। काले रंग की गणेश जी की मूर्ति उनकी दिव्यता, शक्ति और श्रेष्ठता का प्रतीक है।

(सुरभि गुप्ता, पूर्णिमा गोस्वामी शर्मा और अरुणा राठौड़ के इनपुट्स के साथ)

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