पूजा कक्ष वास्तु: जानें घर में मंदिर के लिए सबसे सही दिशा क्या है

भगवान की मूर्ति घर में किस दिशा में होनी चाहिए? जानिए इसका उत्तर और पाएँ जरूरी वास्तु शास्त्र टिप्स अपने पूजा स्थल को सही तरीके से डिजाइन करने के लिए।

भारतीय संस्कृति में पूजा कक्ष या मंदिर का बड़ा महत्व है क्योंकि यहां देवी-देवताओं की मूर्तियां और धार्मिक ग्रंथ रखे जाते हैं और पूरा परिवार मिलकर पूजा और आराधना करता है। मंदिर एक पवित्र स्थान है और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है।

Table of Contents

वास्तु शास्त्र घर के निर्माण और कमरों की स्थिति से जुड़े नियमों की जानकारी देता है, जिसमें घर में मंदिर की सही दिशा भी शामिल है। वास्तु नियमों के मुताबिक, हर दिशा का अपना महत्व होता है और हर दिशा की एक विशेष ऊर्जा होती है। जैसे, उत्तर दिशा धन और सफलता की दिशा मानी जाती है, जबकि दक्षिण दिशा स्वास्थ्य और दीर्घायु की दिशा होती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर या पूजा कक्ष रखने के लिए उत्तरी-पूर्व दिशा (ईशान कोण) सबसे शुभ मानी जाती है। यह दिशा भगवान ईशान से जुड़ी है, जो ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। इस दिशा में मंदिर रखने से स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि होती है और सकारात्मकता का आगमन होता है।

यह भी देखें: लिविंग रूम में पूजा स्थान: वह सब जो आपको जानना चाहिए

 

घर में मंदिर की दिशा: त्वरित तथ्य

मंदिर के लिए सर्वोत्तम दिशा उत्तर-पूर्व, घर का मध्य, पूर्व और उत्तर
इस दिशा में मंदिर न रखें दक्षिण, दक्षिण-पूर्व
मंदिर के लिए सर्वोत्तम स्थान पूजा कक्ष या बैठक कक्ष
घर में सबसे अच्छा फर्श भूतल
मंदिर के लिए किन स्थानों से बचें बेसमेंट, सीढ़ी के नीचे, मुख्य दरवाजे के सामने, बाथरूम के पास
पूजा करते समय किस दिशा में मुख करें पूर्व, पश्चिम या उत्तर
भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए? पश्चिम
पूजा कक्ष में रखने योग्य चीजें दीपक, फूल, देवी-देवताओं की मूर्तियां या चित्र, अगरबत्ती और पवित्र पुस्तकें
पूजा कक्ष में किन चीजों से बचें पशु की खाल या चमड़े की वस्तुएं और पैसा
मंदिर के लिए सर्वोत्तम रंग सफेद, नारंगी, क्रीम, हल्का पीला, हल्का नीला, लैवेंडर और बेज
किन रंगों से बचें काला और गहरा भूरा
मंदिर डिजाइन के लिए सर्वोत्तम सामग्री लकड़ी और प्राकृतिक पत्थर जैसे संगमरमर और ग्रेनाइट
मंदिर की ऊंचाई लगभग 32 से 36 इंच

जानें: मंदिर के लिए एमडीएफ जाली डिजाइन

घर में मंदिर किस दिशा में होना चाहिए?
दिशा शासन किया महत्व
ईशान कोण बृहस्पति ईशान कोण नामक इस दिशा में मंदिर बनाना शुभ माना जाता है।
घर का केंद्र ब्रह्म स्थान घर में रहने वालों के लिए समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आता है।
पूर्व सूर्य और भगवान इंद्र समृद्धि और धन लाता है
उत्तर कुबेर धन लाता है

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष विशेषज्ञ जयश्री धामनी के मुताबिक, पृथ्वी का झुकाव भी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर ही है और यह उत्तर-पूर्व के शुरुआती बिंदु के साथ ही आगे बढ़ती है। ऐसे में घर में यह कोना ट्रेन के इंजन की तरह है, जो पूरी ट्रेन को खींचता है। घर का यह कोना ऊर्जा से भरपूर होता है। इसलिए घर में मंदिर का मुख भी ऐसा ही है, यह पूरे घर की ऊर्जा को अपनी ओर खींचता है और फिर उसे आगे ले जाता है।

मंदिर की दिशा कैसे तय करें?

मंदिर की सही दिशा तय करने के लिए आप एक चुंबकीय कंपास का उपयोग कर सकते हैं और घर के केंद्र में खड़े होकर दिशाओं को पहचान करें। इस बात का ध्यान रखें कि घर का मुख्य प्रवेश द्वार वह स्थान है, जहां से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है।

 

इस में मंदिर या पूजा घर बनाने से बचें

दक्षिण दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर को दक्षिण दिशा में बनाना या पूजा घर रखना अशुभ माना जाता है। इसी तरह देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें भी दक्षिण दिशा में नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा करने वाला व्यक्ति दक्षिण की ओर मुख करके पूजा करेगा, जो वास्तु शास्त्र में उचित नहीं माना जाता है।

यह भी देखें: भारतीय घरों के लिए साधारण पूजा घर के डिजाइन

दक्षिण-पूर्व दिशा

दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है, जिसे अग्नि के स्वामी अग्निदेव नियंत्रित करते हैं। यह दिशा शुक्र ग्रह से भी संबंधित है, इसलिए यह रसोई घर बनाने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। घर में मंदिर को दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, दक्षिण पूर्व दिशा में पूजा कक्ष बनाने से आर्थिक दिक्कतें हो सकती हैं। हालांकि, कुछ वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण-पूर्व दिशा कुछ देवी-देवताओं जैसे देवी दुर्गा की पूजा के लिए आदर्श स्थान है। यह दिशा दिये, दीपक और अग्नि कुंड रखने के लिए भी उपयुक्त है।

दक्षिण-पश्चिम दिशा

दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण भी कहा जाता है। यह दिशा पृथ्वी तत्व और राहु ग्रह से जुड़ी होती है। यह दिशा स्थिरता का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन पूजा कक्ष या आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती, क्योंकि इससे ऊर्जा प्रवाह बाधित हो सकता है।

यह भी देखें: वास्तु दोष जिन्हें आपको घर खरीदते समय नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए

 

घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर

घर में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

मंदिर बनाने के लिए उत्तर-पूर्व आदर्श दिशा है। वास्तु शास्त्र और एस्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट जयश्री धमानी ने कहा, नॉर्थ-ईस्ट दिशा का स्वामी बृहस्पति होता है। इसे ईशान कोण भी कहा जाता है। ईशान यानी ईश्वर या भगवान। इसी वजह से यह भगवान या बृहस्पति की दिशा है। सलाह दी जाती है कि मंदिर यहीं रखें। इसके अलावा पृथ्वी का झुकाव उत्तर-पूर्व दिशा में भी है और धरती उत्तर-पूर्व के शुरुआती बिंदु के साथ घूमती है। यह कॉर्नर रेल के इंजन की तरह है तो पूरी रेलगाड़ी को खींचता है। घर के इस एरिया में मंदिर होना भी कुछ एेसा ही है। यह पूरे घर की ऊर्जा को खुद की ओर खींचकर उसे आगे ले जाता है। उन्होंने कहा कि घर के केंद्र में स्थित एक मंदिर, जिसे ब्रह्मस्थान भी कहा जाता है, को भी शुभ माना जाता है और घर के निवासियों के लिए यह समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य लाता है।

क्या दक्षिण पूर्व दिशा पूजा के लिए अच्छी है?

नहीं। घर में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके मंदिर न बनाएं।

यहभीदेखें: भारतीय घरों के लिए साधारण पूजा घर के डिजाइन

 

घर के पूजा रूम में भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए?

पूजा कक्ष के लिए वास्तु के अनुसार, देवताओं के चेहरे पश्चिम की ओर हो सकते हैं ताकि पूजा करते समय आपका मुख पूरब दिशा की ओर हो।

  • भगवान गणेश को लक्ष्मी की बाईं ओर और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिने तरफ रखा जाना चाहिए।
  • शिवलिंग (वास्तु के अनुसार केवल छोटे आकार का) घर के उत्तरी भाग में रखा जाना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार मंदिर या पूजा कक्ष में भगवान हनुमान की मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।
  • जिन देवताओं की मूर्तियों को उत्तर दिशा में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, वे हैं गणेश, दुर्गा और कुबेर।
  • भगवान कार्तिकेय और दुर्गा की मूर्तियों को पूरब दिशा की ओर मुख करके रख सकते हैं।
  • सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पूरब दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके रखना चाहिए।

 

पूजा घर में मूर्ति स्थापित करते समय ध्यान देने वाली बातें

मुख्य मूर्ति का स्थान

आमतौर पर किसी मंदिर या घर के पूजा स्थल में मुख्य देवता की एक प्रधान मूर्ति होती है। यह पूजा स्थल का केंद्रीय केंद्र होता है, जो ईश्वरीय उपस्थिति को दर्शाता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह को सुनिश्चित करता है। वास्तु के अनुसार, मुख्य मूर्ति को मंदिर के केंद्र या पीछे की ओर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करना चाहिए।

एक ही देवता की कई मूर्तियां न रखें

मंदिर में एक ही देवता की कई मूर्तियां, चाहे वे बैठी हुई हों या खड़ी, नहीं रखनी चाहिए। मूर्तियों को एक-दूसरे के आमने-सामने न रखें, ताकि उनकी ऊर्जा में कोई टकराव न हो और हर मूर्ति की विशेषता बनी रहे।

दर्शन और स्थान

हमेशा ठोस मूर्ति रखें और मंदिर में खोखली मूर्तियां रखने से बचें। देवताओं के चेहरे को फूलों की माला से ढकने से बचें। मूर्तियों को बहुत तंग स्थान पर न रखें, ताकि उनका स्पष्ट दर्शन हो सके।

मूर्तियों की ऊंचाई और स्थान

  • मंदिर ऊंचाई पर होना चाहिए, ताकि उसमें रखी मूर्तियों के चरण भक्त के हृदय स्तर पर रहें।
  • घर के मंदिर में बड़ी मूर्तियों से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार 9 अंगुल की मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं।
  • पूजा कक्ष के वास्तु के अनुसार छोटी मूर्तियां रखें। आदर्श रूप से, मूर्तियों की ऊंचाई सात इंच हो सकती है।
  • भगवान गणेश की मूर्ति को देवी लक्ष्मी के बाईं ओर रखना चाहिए।
  • मूर्तियां बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए और उन्हें ‘चौकी’ पर रखना चाहिए।

घर के मंदिर में इन मूर्तियों से बचें

  • नटराज, जो भगवान शिव का क्रोधित या रुद्र रूप है, को घर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे घर में अशांति हो सकती है।
  • मंदिर में दो शिवलिंग नहीं रखने चाहिए।
  • घर के मंदिर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। उनकी पूजा केवल घर के बाहर के मंदिर में ही करनी चाहिए।
  • राहु-केतु की मूर्ति घर में रखना अशुभ माना जाता है।
  • पूजा स्थान में पूर्वजों, युद्ध या मृत्यु से जुड़ी मूर्तियाँ या चित्र नहीं रखने चाहिए।
  • टूटी हुई मूर्तियाँ या क्षतिग्रस्त तस्वीरें पूजा स्थल में नहीं होनी चाहिए।

 

मंदिर में पूजा करते समय आपको किस दिशा में मुंह करना चाहिए

दिशा लाभ
पूर्व सौभाग्य और धन
पश्चिम धन को आकर्षित करता है
उत्तर अवसर और सकारात्मकता को आकर्षित करें

घर में मंदिर बनाते समय उसकी दिशा ऐसे तय करें कि भगवान पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर रहें, ताकि पूजा करने वाला पश्चिम या पूर्व दिशा की ओर मुख करके प्रार्थना कर सके। मंदिर या देवघर में पूजा करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करने से बचें, क्योंकि वास्तु के अनुसार यह शुभ नहीं माना जाता।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर या पूर्व दिशा में बैठकर पूजा करना लाभदायक होता है, इससे मन को शांति और एकाग्रता मिलती है। ऐसा माना जाता है कि सही दिशा में पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

क्या आप मूर्तियों को सीधे दीवारों के सामने रख सकते हैं?

वास्तु शास्त्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, घर में मंदिर या पूजा रूम में दीवारों पर भगवान की मूर्तियों को सीधे रखने से बचें। मूर्तियों और दीवार के बीच कम से कम डेढ़ इंच की दूरी रखें। यह व्यवस्था ऊर्जा और धूप को सुचारू रूप से आवाजाही करने देती है और ये पूरे कमरे में फैल जाती है।

 

क्या भगवान की मूर्तियों का मुख दक्षिण की ओर हो सकता है?

कुछ मूर्तियों, जैसे भगवान हनुमान और भैरव को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जा सकता है। हालाँकि, मूर्ति को उत्तर दिशा की ओर स्थापित नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में पूजा करने वाले का मुख दक्षिण दिशा की ओर होगा, जो वास्तु के अनुसार सही नहीं है।

 

वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में भगवान् की कितनी मूर्तियों को रखना चाहिए?

अक्सर हम देखते हैं की लोग कहीं भी जा रहें हैं या किसी भी तीर्थ यात्रा पर गये हैं और वहां से भगवान् की एक मूर्ति उठाकर ले आते हैं और उन्हें घर के मन्दिर में विराजते हैं, पर ऐसा नहीं करना चाहिए वास्तु के अनुसार हमें अपने घर के मन्दिर में भगवान् की सिर्फ एक ही मूर्ति को रखना चाहिए। आप अगर और कई देवी देवताओं कि मूर्तियाँ अपने मन्दिर में रखना चाह रहें हैं तो आप मूर्ति को न रखकर देवी देवताओं की तस्वीर को लगा सकते हैं।

 

वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में कैसा हो पर्दों का रंग

अगर आप अपने घर के मंदिर में पर्दा लगा रहे हैं तो सही रंग का चुनाव करना आवश्यक होता है क्योंकि इसका असर हमारे घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।इसलिए वास्तु के अनुसार मन्दिर में पीले रंग के पर्दे को लगाना शुभ माना जाता है. कहते हैं पीला रंग आध्यात्म की दृष्टि से सबसे अच्छा रहता है इस रंग के पर्दे घर के मन्दिर में लगाने से घर के लोगों का मन आध्यात्म की ओर बढ़ता है और मन शांत रहता है और मन में भक्ति भाव भी बढ़ता है।इसके अलावा हल्के रंग यानी क्रीम,  हल्का गुलाबी और लाल रंग का पर्दा भी लगाया जा सकता है. हालांकि डार्क कलर जैसे काला, नीला आदि रंग के पर्दे मंदिर में नहीं लगाने चाहिए।

 

पूजा घर में किस धातु का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है

वैसे तो दीपक कई प्रकार के होते हैं जैसे, तांबा, पीतल, मिट्टी, आटे का दीपक, चांदी, लोहा, सोना आदि। लेकिन ध्यान रखने वाली ख़ास बात यह है कि हम अपने घर के मन्दिर में प्रतिदिन कौन सा दीपक जलाते हैं। पूजा के समय दीपक जलाने के पीछे मान्यता यह है कि इसे शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इसके बिना पूजा अधूरी रह जाती है। अधिकतर लोग ऐसे भी होते हैं कि वे रोज विधिवत पूजा तो नहीं कर पाते हैं, लेकिन सुबह-शाम घर में दीपक जरूर जलाते हैं। माना जाता है कि सुबह-शाम भगवान के सामने दीपक जलाने से भी उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावे ये भी मान्यता है कि घी या तेल का दीपक जलाने से धार्मिक लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। इसलिए हमें अपने घर के मन्दिर में प्रतिदिन पीतल के दीपक में दिया जलाना चाहिए।

 

क्या भगवान शिव का मुख दक्षिण की ओर रख सकते हैं?

भगवान शिव के दक्षिणामूर्ति रूप को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जा सकता है।

यहभीदेखें: दक्षिणपश्चिमविस्तारितप्लॉटकेवास्तुकेबारेमेंजानें

 

मंदिर किस दिशा में होना चाहिए: पूजा करते समय आपको किस दिशा में होना चाहिए

आपको घर में मंदिर इस तरह से बनाना चाहिए कि देवताओं का मुख पूरब या पश्चिम दिशा की ओर हो, ताकि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पश्चिम या पूरब की ओर हो। दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से बचें।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना सही होता है क्योंकि इससे मन की शांति और एकाग्रता आती है। कई लोग मानते हैं कि पूजा और प्रार्थना करने के लिए शुभ दिशा की ओर मुख करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

वास्तु के अनुसार मंदिर की दिशा और स्थान का महत्व

वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य दिशाओं (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दिशा के अलावा प्रकृति के पांच तत्व – पृथ्वी, वायु, अग्नि आदि भी महत्वपूर्ण हैं। हर दिशा खास विशेषताओं से जुड़ी होती है। इसलिए, सही दिशा जरूरी है क्योंकि यह घर में शुभ ऊर्जा और वाईब्रेशन्स उत्पन्न करती है।

यदि पूरे कमरे में मंदिर नहीं बना सकते, तो घर के उत्तर-पूर्वी कोने की ओर पूर्वी दीवार पर एक छोटा मंदिर स्थापित करें।

वास्तु के हिसाब से किसी भी स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए सही दिशाओं की अच्छी समझ होनी चाहिए। प्राचीन काल में लोग दिशाओं के लिए सूर्य की छाया की सहायता लेते थे, लेकिन आधुनिक समय में नेविगेशन दिशाओं को वेरीफाई करने के लिए चुंबकीय कंपास का इस्तेमाल किया जाता है। दस दिशाएँ होती हैं। हालाँकि वास्तु शास्त्र के अनुसार, चुंबकीय कंपास में केवल आठ दिशाएँ दर्शाई गई हैं।

 

घर के लिए सबसे अच्छा मंदिर आकार क्या होना चाहिए?

आदर्श पूजा कक्ष का आकार कम से कम 5×7 फुट होना चाहिए। इससे 2-3 लोग आराम से बैठकर पूजा कर सकते हैं। दरवाजा बाहर की ओर खुलना चाहिए ताकि किसी के बैठने में कोई बाधा न आए।

पूजा कक्ष की सीढ़ियां विषम संख्या में होनी चाहिए, जैसे 3, 9, 11, 15, 21 आदि। मंदिर को थोड़ा ऊँचाई पर बनाना चाहिए ताकि मूर्तियां भक्त के छाती के स्तर पर रहें। पूजा के दौरान बैठकर और खड़े होकर दोनों तरह से प्रार्थना करने में सुविधा हो।

मंदिर और फर्श के बीच की ऊँचाई लगभग 32-36 इंच होनी चाहिए।

 

पूजा कक्ष और विभिन्न क्षेत्रों में उनके प्रभाव

दिशा के लिए उपयुक्त वास्तु प्रभाव
उत्तरपूर्व इसे भगवान शिव का क्षेत्र माना जाता है और अधिकांश देवताओं की पूजा के लिए आदर्श है। सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक स्पष्टता और समृद्धि लाता है।
पश्चिम-उत्तर-पश्चिम यह क्षेत्र यक्षिणी पूजा के लिए आदर्श है। अन्य प्रकार की पूजा करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
पूर्व-उत्तर-पूर्व यह क्षेत्र राधा कृष्ण की पूजा के लिए आदर्श है। इस दिशा में देवताओं की पूजा करने से तनाव से निपटने में मदद मिलती है।
पूर्व यह दिशा राम दरबार लगाने के लिए आदर्श है। इस दिशा में देवताओं की पूजा करने से सफलता मिलती है।
पूर्व–दक्षिण–पूर्व यह क्षेत्र स्टॉक ब्रोकर्स के लिए उपयुक्त हो सकता है। यह क्षेत्र चिंता और बेचैनी का कारण बन सकता है।
दक्षिण पूर्व इस क्षेत्र में पूजा को अशुभ माना जाता है। यह वित्तीय मुद्दों या स्वास्थ्य जोखिम का कारण बन सकता है।
दक्षिण-दक्षिण-पूर्व इस क्षेत्र में हनुमान जी की पूजा की जा सकती है। यह ऊर्जा, शक्ति और आत्मविश्वास देता है।
दक्षिण वास्तु के अनुसार ध्यान और देवी काली पूजा के लिए इस क्षेत्र की सिफारिश की जाती है। इस क्षेत्र में अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने की सिफारिश नहीं की जाती है।
दक्षिण-पश्चिम यह दिशा पितृ क्षेत्र है और परिवार के पूर्वजों के लिए कोई भी संस्कार करने के लिए उपयुक्त है। इस क्षेत्र में पूजा करने से नकदी प्रवाह के मुद्दे या व्यवसाय और पारिवारिक समस्याएं हो सकती हैं।
पश्चिम–दक्षिण–पश्चिम यह क्षेत्र देवी सरस्वती के लिए आदर्श है। यह सलाहकारों, छात्रों और उच्च बुद्धि नौकरियों के लोगों के लिए उपयुक्त है। इस क्षेत्र में पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि आती है।
पश्चिम इस क्षेत्र को गुरुओं और धरती माता का डोमेन माना जाता है। इस क्षेत्र में पूजा करने से प्रचुरता और आर्थिक लाभ होता है।
उत्तर पश्चिम यह क्षेत्र परिवार के मृत पूर्वजों से संबंधित है इस क्षेत्र में देवी-देवताओं की पूजा करने की सिफारिश नहीं की जाती है।
उत्तर यह क्षेत्र भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए आदर्श माना जाता है। इस क्षेत्र में पूजा करने से आर्थिक समृद्धि आती है।
दक्षिण–दक्षिण–पश्चिम ज़ोन देवताओं की पूजा के लिए इस क्षेत्र की सिफारिश नहीं की जाती है। इस क्षेत्र में देवी-देवताओं की पूजा करने से नुकसान हो सकता है।

 

मंदिर में दक्षिण-पश्चिम दिशा

दक्षिण-पश्चिम उत्तर-पूर्व दिशा के ध्रुवीय विपरीत है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितृ क्षेत्र दक्षिण पश्चिम में स्थित है और यह परिवार के पूर्वजों के लिए किसी भी संस्कार को पूरा करने के लिए आदर्श दिशा है। इस दिशा में मंदिर बनाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे नकदी प्रवाह में बाधाएं आ सकती हैं या व्यवसाय और परिवार से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।

 

मंदिर के लिए उत्तर-पूर्व दिशा 

उत्तर-पूर्व, जो कि मंदिर के लिए आदर्श दिशा है, रसोई डिजाइन करने के लिए उपयोग नहीं करनी चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम से बचें, क्योंकि यह स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याएं पैदा कर सकता है।

 

मंदिर के लिए पूर्व दिशा 

सूर्य की उगने की दिशा पूर्व है। यदि आप उत्तर-पूर्व में मंदिर नहीं बना पा रहे हैं, तो पूर्व दिशा एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह समृद्धि और धन लाती है।

 

मंदिर के लिए उत्तर दिशा

उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर से जुड़ी हुई है। वास्तु के अनुसार, उत्तर दिशा में घर का मंदिर बनवाना ठीक है और यह घर के निवासियों को धन लाभ दे सकता है।

 

घर का केंद्र

घर का ब्रह्मस्थान या केंद्र, जिसे घर का दिल भी कहा जाता है, वह स्थान है जहां सबसे शक्तिशाली ऊर्जा होती है और यह एक पवित्र स्थान माना जाता है। वास्तु के अनुसार, ब्रह्मस्थान को खाली रखना चाहिए और भारी वस्तुओं से मुक्त रखना चाहिए। हालांकि, यहां एक छोटा पूजा स्थल और अनुष्ठान करने के लिए जगह बनाई जा सकती है। सुनिश्चित करें कि घर का केंद्र साफ-सुथरा और अव्यवस्था से मुक्त रहे।

 

घर में मंदिर स्थापित करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

इसका रखें ध्यान ऐसा करने से बचें
नॉर्थ-ईस्ट सबसे अच्छी दिशा है सीढ़ियों के नीचे पूजाघर नहीं होना चाहिए
पूजा करते वक्त मुंह या तो उत्तर या फिर पूर्व की ओर हो. पूजा घर बाथरूम के नीचे नहीं होना चाहिए
ग्राउंड फ्लोर सबसे अच्छी लोकेशन है मूर्तियों को इस तरह से रखें कि वे एक दूसरे के आमने-सामने न हों
दरवाजे और खिड़कियां उत्तर या फिर पूर्व में खुलनी चाहिए उसे विभिन्न कामों वाला कमरा न बनाएं
तांबे के बर्तन बेहतर होते हैं मृतकों की  तस्वीरें न रखें
हल्के और सुखदायक रंगों का प्रयोग करें अपने बेडरूम में एक मंदिर रखने से बचें
हमेशा चौकी, मैट या कार्पेट पर बैठकर पूजा करें देवताओं की मूर्ति हमेशा ऊंचाई पर होनी चाहिए और जमीन पर मंदिर बनाने से बचना चाहिए।
मंदिर की छत गुंबद वाली होनी चाहिए। यह समतल नहीं होनी चाहिए। भगवान की मूर्ति हमेशा ऊंचाई पर होनी चाहिए और जमीन पर मंदिर नहीं बनाना चाहिए।

अगर आप किसी छोटे अपार्टमेंट में रहते हैं या फिर प्रॉपर्टी का ढांचा ऐसा नहीं है कि वास्तु के मुताबिक घर में मंदिर हो सके तो अगला विकल्प चुनें जो काम कर सके. आपके घर में उत्तर-पूर्व मंदिर के लिए सबसे बेहतर दिशा है क्योंकि इससे प्राकृतिक रोशनी आती है. प्राकृतिक रोशनी के अभाव में आप पूजा घर को आर्टिफिशियल लाइटिंग से भी सजा सकते हैं खासकर तब जब घर में खिड़की का कोई स्पेस न हो.

पूजा रूम वास्तु के अनुसार, घर में छोटी मूर्तियां रखें। आदर्श रूप से, मूर्तियाँ सात इंच की रखें।

 

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर की दिशा: छोटे घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए

पिरामिड की संरचना में बनी छत जो मंदिर के गोपुर की तरह दिखती है, आपके पूजा कक्ष के लिए एक अच्छी डिजाइन होगी। पिरामिड शेप सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है।

आजकल लोग अपार्टमेंट में रहते हैं और एक अलग पूजा रूम बनाना मुश्किल होता है। हालांकि, एक शांत पूजा रूम बनाने के कई अच्छे तरीके हैं। फ्लैटों में पूजा रूम के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना सुनिश्चित करें।

यहभीदेखें: घरसेनकारात्मकताकोकैसेदूरकरें

एंटरटेनमेंट यूनिट/लिविंग रूम में पूजा घर

छोटे अपार्टमेंट्स के लिए लिविंग रूम पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ है. अगर एंटरटेनमेंट यूनिट में खाली शेल्फ है तो आप पूजा घर के लिए एक छोटा सा कोना सजा सकते हैं. हालांकि प्राइवेसी और एकाग्रता को लेकर उन लोगों को समस्या हो सकती है जो ध्यान और पूजा में अधिक समय बिताते हैं. पूर्वमुखी घर के लिए वास्तु के अनुसार पूजा रूम हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

किचन कैबिनेट में पूजा घर

वास्तु के नियमों का पालन करते हुए, यदि कोई अन्य स्थान उपलब्ध न हो तो फ्लैटों में पूजा रूम को डिजाइन करने के लिए रसोई पर विचार करना एक विकल्प है। आप किसी दीवार पर माउंट करके पूजा रूम बना सकते हैं। आप किचन कैबिनेट को एक छोटे से मंदिर की तरह इस्तेमाल करने के लिए कस्टमाइज़ कर सकते हैं। जिस दीवार पर मंदिर लगाया जा रहा है, उस दीवार पर सजावटी टाइलों का प्रयोग करें, या एक छोटा आर्च बनाएं और फिर इसे हाईलाइट करने के लिए मंदिर स्थापित करें। जब दीया और अगरबत्ती जलाई जाती है तो धुएँ के बाहर निकलने के लिए कैबिनेट के दरवाजे की सतह पर नक्काशीदार किनारे और सुडौल छेद हो सकते हैं। किचन में मंदिर को चूल्हे के बायीं या दायीं तरफ रखें। मंदिर के सामने चूल्हा रखने से बचें, और मंदिर को कभी भी गैस चूल्हे या रसोई के सिंक के ऊपर न रखें क्योंकि इससे दुर्भाग्य आ सकता है।

डाइनिंग रूम का कोना

आप डाइनिंग रूम के किसी खाली कोने को पूजा घर में तब्दील कर सकते हैं. आप किसी साफ-सुथरे स्टूल पर मूर्तियां रख सकते हैं, जो जमीन की सतह से ऊपर हो. आप उस जगह पर छोटी लाइट्स लगा सकते हैं ताकि मंदिर जगमगा उठे. प्राइवेसी के लिए आप छोटा सा परदा भी लगा सकते हैं ताकि पूजा घर लोगों की नजरों से दूर रहे.

रूम डिवाइडर का ईस्तेमाल

यदि आपका पूजा घर लिविंग रूम, डायनिंग एरिया, बेडरूम या स्टडी रूम में हो तो आप रूम डिवाइडर का ईस्तेमाल कर सकते हैं. इसके मदद से आप एक अलग स्पेस पूजा घर के लिए बना सकते है. रूम डिवाइड करने के लिए आप एक साधारण पर्दा, ग्लास वॉल, औरनट प्लास्टर ऑफ़ पेरिस डिवाइडर, या वर्टिकल गार्डन रूम डिवाइडर का भी ईस्तेमाल कर सकते हैं. आप पूजा की चीजों को रखने के लिए एक लकड़ी का डिवाइडर जिसमें सेल्फ बने हो वो भी लगा सकते हैं. एक धार्मिक और भावपूर्ण छाप छोड़ने के लिए आप अपने पूजा घर को धार्मिक निशानों, ऐचिगं या स्टेनसिल कटों से सजा सकते हैं.

पूजा रूम के दरवाजे और खिड़कियां

यदि कोई अलग पूजा रूम या घर में मंदिर है, तो उसके दरवाजे होने चाहिए ताकि पूजा के दौरान निजता बनी रहे और कीड़ों-मकौड़ों को दूर रखकर इस स्थान की पवित्रता को बनाए रखने में मदद मिले। पूजा रूम के दरवाजे कमरे के उत्तर या पूर्व कोने की दीवार के सामने डिजाइन करें। आप जेल दरवाजे या कांच या लकड़ी से बने डबल दरवाजे चुन सकते हैं। सुनिश्चित करें कि पूजा रूम को अच्छी तरह हवादार रखने के लिए खिड़कियां हों।

ओपन शेल्फ कॉर्नर्स

अगर आपका ओपन शेल्फ है तो आप उसे मूर्तियां रखने के लिए मिनी पूजा घर बना सकते हैं. छोटे घरों के लिए मकान के कोने में लोहे का शेल्फ बढ़िया पूजा घर में तब्दील हो सकता है, जिसमें आप विभिन्न शेल्फ पर अलग-अलग मूर्तियां रख सकते हैं. साथ ही अगरबत्तियां और दीया भी जला सकते हैं.

वॉल नीश

एक छोटे रूम में छोटा नीच या वॉल नीश क्रिएट करें. नीच को अच्छे रंगों और फोकस लाइट से सजाएँ और पूजा घर तैय्यार करें.

यहभीदेखें: भगवान गणेश को घर में रखने के लिए वास्तु टिप्स

 

अपने पूजा कक्ष को घर में रखने की सर्वोत्तम दिशा

Vastu-Shastra-tips-for-a-temple-at-home Hindi

 

पूजा घर में वास्तु दोष निवारण के कुछ टिप्स

  • सुनिश्चित करें कि मूर्तियों के मुंह एक-दूसरे की ओर न हों.
  • मूर्तियों को हमेशा ऊंचा रखें- एक नॉर्मल बेंच भी ऐसा कर सकता है.
  • मूर्ति को दीवार से कम से कम एक इंच की दूरी पर रखें.
  • उत्तर-पूर्व में लैंप और दीया को रखें
  • टूटी हुई मूर्तियां न रखें.
  • पूजा घर में अव्यवस्था मुक्त वातावरण होना चाहिए.

यहभीदेखें: संरचनात्मक परिवर्तन किए बिना घर के वास्तु में सुधार कैसे करें?

जब मंदिर के लिए सर्वोत्तम दिशा की बात आती है, तो आप कम्पास का इस्तेमाल कर सकते हैं और विभिन्न दिशाओं की पहचान करने के लिए घर के केंद्र में खड़े हो जाएं। घर का प्रवेश द्वार वह पॉइंट है जहां से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। वास्तु के अनुसार, घर में दक्षिण-पश्चिम की ओर मुख वाला दरवाजा नहीं होना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य ला सकता है। इस दोष के लिए एक वास्तु उपाय यह है कि दरवाजे के बाहर टाइल्स पर भगवान हनुमान की दो तस्वीरें लगाएं।

सकारात्मकता और अच्छी ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि आपके घर का प्लान वास्तु के अनुसार हो। किचन ईशान कोण (दक्षिण-पूर्व) में होना चाहिए। उत्तर या उत्तर-पूर्व में रसोई न बनाएं क्योंकि वास्तु के अनुसार यह मंदिर या पूजा घर के लिए सबसे अच्छी दिशा है। इसी तरह, बाथरूम को डिजाइन करने के लिए इन दिशाओं से बचना चाहिए, नहीं तो इससे स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याएं आ सकती हैं।

 

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का डिजाइन कैसा होना चाहिए

जब घर के मंदिर बनाने की बात आती है, तो घर में मंदिर की सही दिशा का पता लगाना जरूरी है। मंदिर सीधे फर्श पर नहीं होना चाहिए। परमार सलाह देते हैं कि इसके बजाय, इसे एक ऊंचे मंच या आसन पर रखें।

उन्होंने कहा, “मंदिर लकड़ी या मार्बल का बना होना चाहिेए। ग्लास या एक्रेलिक से बना मंदिर न लें। मंदिर अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। इसमें एक ही जैसे देवी-देवता खड़े या बैठे मुद्रा में नहीं होने चाहिए। साथ ही जो मू्र्तियां या तस्वीरें आपने मंदिर में रखी हैं, वे टूटी या खंडित नहीं होनी चाहिए। इसे अपशगुन माना जाता है।”

वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी घर में नौ इंच से अधिक ऊंचाई वाले किसी भी देवी या देवता की मूर्ति नहीं होनी चाहिए। युद्ध से संबंधित भगवान की तस्वीरें घर में मंदिर में रखने से बचें, जिसमें भगवान का रूप क्रोधित हो। सकारात्मक ऊर्जा के लिए भगवान की मूर्तियों को हमेशा सौम्य, शांत और धन्य मुद्रा में रखें।

जहां भी मंदिर हो, वहां कोई शख्स पूजा करने में सक्षम होना चाहिए। अगर कोई खास त्योहार हो तो पूरा घर साथ में पूजा कर सके। इसके अलावा बैठकर पूजा करने की जगह भी होनी चाहिए। मंदिर की जगह में अच्छी और स्वस्थ ऊर्जा का संचार होना चाहिए। इसलिए हमेशा मंदिर को साफ-सुथरा रखें। इस पर धूल, जाले और आसपास बेकार सामान नहीं होना चाहिए। मंदिर एेसा हो जो आपको शांति और स्थिरता महसूस कराए।

किचन में मंदिर का निर्माण पूर्वोत्तर के कोने करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि मंदिर उस दीवार के सामने न हो जिसके पीछे शौचालय है। इसे ऊपरी मंजिल पर बने शौचालय के नीचे भी नहीं होना चाहिए। मंदिर को कभी भी तहखाने में न बनवाएं, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।

घर में मंदिर के लिए भूतल सर्वोत्तम लोकेशन है

यदि आपके पास डुप्लेक्स घर है, तो मंदिर को भूतल पर स्थापित करें। कुछ लोग मंदिर को बेडरूम या किचन में रखते हैं। ऐसे में जब आप मंदिर का उपयोग नहीं कर रहे हों तो मंदिर के सामने एक पर्दा लगा दें। ऊपरी मंजिलों में जैसे बेडरूम या किचन में एक छोटा मंदिर का निर्माण किया जा सकता है। हालांकि, अगर घर में अलग पूजा रूम है, तो वह भूतल (ग्राउंड फ्लोर) में होना चाहिए।

यहभीदेखें: घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए वास्तु टिप्स

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर को डिजाइन करते समय विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। इसमें पूजा घर का साइज, इस्तेमाल की गई सामग्री, सीलिंग डिजाइन, लाइटिंग आदि शामिल हैं।

  • मंदिर को इतनी ऊंचाई पर स्थापित करना चाहिए कि मूर्तियों के पैर भक्त की छाती के बराबर हों।
  • मूर्ति को कभी भी फर्श पर न रखें। आदर्श रूप से मूर्ति 10 इंच से अधिक बड़ी नहीं होनी चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि मूर्तियों को तंग तरीके से नहीं रखा गया है।
  • भगवान गणेश की मूर्ति को देवी लक्ष्मी की मूर्ति के बाईं ओर रखनी चाहिए।
  • मूर्तियां बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए और ‘चौकी’ पर रखी जानी चाहिए। पूजा घर वास्तु के अनुसार मूर्तियों को एक दूसरे के आमने-सामने नहीं रखना चाहिए।
  • अगर आप लकड़ी के मंदिर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसके टॉप पर एक गुंबद की संरचना अवश्य बनवाएं और सुनिश्चित करें कि पूजा घर में प्रवेश की ओर एक दहलीज हो। अगर कोई मूर्ति टूट-फूट जाए तो उसे बदल दें और कभी भी टूटी हुई मूर्तियों को मंदिर में न रखें।
  • पूजा घर वास्तु के अनुसार, दो शटर वाला दरवाजा आदर्श है। ऐसे में मूर्ति का मुख सीधे दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए।

बेडरूम में पूजा घर

अगर लिविंग रूम में जगह नहीं है और आप अपने बेडरूम में पूजा मंदिर बनाना चाहते हैं, तो वास्तु नियमों का पालन जरूर करें। मंदिर को कमरे के पूर्वोत्तर कोने में स्थापित करें। सोते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके पैर मंदिर की ओर न हों।

यह भी देखें: मुख्य द्वार के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स

 

सामग्री

लकड़ी एक बढ़िया सामग्री है जिसे आप घर पर मंदिर बनाने के लिए चुन सकते हैं। हालाँकि, आप अपने घर के मंदिर को चमकदार और आकर्षक लुक देने के लिए इन्हें ग्लास जैसी सामग्रियों के साथ भी कंबाइन कर सकते हैं। पत्थर जैसी प्राकृतिक सामग्री चुनें। संगमरमर और ग्रेनाइट अच्छे विकल्प हैं।

हालाँकि, इन्हें काफी रखरखाव करने की जरूरत पड़ सकती है। हल्के हरे या पीले जैसे रंगों की टाइल्स चुनें जो अच्छी लगती हैं और सकारात्मक माहौल बनाती हैं।

आप पूजा घर की सजावट को बढ़ाने के लिए भी टाइल्स का उपयोग कर सकते हैं। टाइल्स उस जगह को दीर्घायु भी बनाती हैं और साफ एवं चमकदार लुक देती हैं।

 

दीवारों और छत का डिज़ाइन

  • घर के मंदिर के लिए डिजाइन जो अभी ट्रेंड मे चल रहा  है उसी  के अनुसार आप अपने मंदिर की सजावट करवा  सकते हैं
  • पीओपी छत डिजाइन, प्रकाश व्यवस्था के लिए पेंडेंट लाइट और बैकलिट पैनल जैसे  विकल्प आप चुनें सकते हैं
  • बहुमंजिला या डुप्लेक्स घरों के मामले में, मुख्य मंदिर के यूनिट को भूतल पर रखें। आप बैडरूम में छोटी पूजा के मंदिर रख कर सकते हैं।
  • कांच या ऐक्रेलिक से बना घर का मंदिर लगाने से बचें।

 

बैडरूम में किस भगवान की तस्वीर रखनी चाहिए?

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार बैडरूम में राधा-कृष्ण की मूर्तियां, पेंटिंग या तस्वीरें राखी जा सकती है। इन्हे बैडरूम रखने से वैवाहिक रिश्ते मजबूत होते हैं। इसी तरह से बैडरूम में धार्मिक पेंटिंग्स लगाने से घर में शांति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा मिलता है। बैडरूम में रखे गए मंदिरों के लिए शुभ रंगों में से कुछ रंग हैं नारंगी, पीला, गुलाबी, हरा इत्यादि।

 

पूजा घर में रखने के लिए 5 चीजें

  1. पूजा घर में लाइट्स/दीया: मंदिर वास्तु के मुताबिक, दीया जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं. जो शख्स पूजा कर रहा है, उसके दाईं ओर दीया रखा होना चाहिए. दीयों के अंदर हमेशा रुई की बत्ती का इस्तेमाल करें. सुनिश्चित करें कि बत्ती उलझी हुई न हो। दीया को हमेशा साफ रखें।
  2. पूजा घर के लिए फूल: पूजा घर के लिए हमेशा ताजे फूलों का इस्तेमाल करें. बासी फूलों का इस्तेमाल करने से बचें. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, मंदिर से देर रात मुरझाए हुए फूलों को हटा दें.मंदिर को ताजे
  3. फूलों जैसे गेंदा, मोगरा, ऑर्किड और आम के पत्तों के तोरण से सजाएं.
  4. फोटोग्राफ: पूजा घर में कभी अपनी तस्वीरें ना रखें. आपके जो करीबी गुजर गए हैं, उनकी तस्वीरें भी ना रखें. इससे घर में ऊर्जाएं असंतुलित हो जाती हैं.
  5. अगरबत्ती: वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में अगरबत्ती जलाने से शांत वातावरण पैदा होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित होता है।
  6. पवित्र ग्रंथ: पवित्र और धार्मिक ग्रंथ पश्चिम और दक्षिण की दीवार पर रखें। सुनिश्चित करें कि मंदिर क्षेत्र में केवल उन्हीं पवित्र पुस्तकों को रखें जो नियमित रूप से पढ़ी जाती हैं। फटे हुए ग्रंथ बिल्कुल न रखें।

सौभाग्य के लिए पूजा घर में रखने वाली चीजें

सौभाग्य के लिए पूजा घर में लाइट या लैंप, फूल और अगरबत्ती जैसी चीजें रखने के साथ आपके पूजा घर का डिज़ाइन पूरा हो जाता है। वास्तु शास्त्र और फेंगशुई विशेषज्ञों के अनुसार, पूजा घर की यह व्यवस्था और इन शुभ चीजों को रखने से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होगी।

सुनिश्चित करें कि आपके पूजा घर का कोना, यानी उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में कोई भी भारी वस्तु नहीं हो, क्योंकि यह घर में धन के प्रवाह को रोक कर सकता है।

पूजा थाली की सामग्री

मंदिर में रखी पूजा की थाली पांच ब्रह्मांडीय तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करती है। पूजा की थाली का उपयोग करना दिव्य ऊर्जाओं की पूजा करने के तरीकों में से एक है। पूजा की थाली चांदी, पीतल, तांबे, मीनाकारी अलंकरण अथवा स्टील से भी बनी हुई हो सकती है। चावल कुमकुम, हल्दी (पाउडर या साबुत टुकड़े) का दीया और फूल हमेशा अपने पास रखें। अगर हो सके तो चंदन का लेप, पान या सुपारी, कलश और प्रसाद भी रख सकते हैं या इन्हें अलग भी रख सकते हैं।

यह भी देखें: बेडरूम के लिए वास्तु टिप्स

पूजा घर में स्टोरेज

पूजा रूम में कैबिनेट हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए। सुनिश्चित करें कि सूर्य का प्रकाश आसानी से पहुंचे।

उन चीजों को रखने से बचें जिनका आप पूजा घर में इस्तेमाल नहीं करने वाले हैं. धूप, पूजा सामग्री और पवित्र पुस्तकों को रखने के लिए मंदिर के पास एक छोटा सा शेल्फ बनाएं. इस क्षेत्र में मंदिर या कूड़ेदान के नीचे गैर-जरूरी सामान रखने से बचें. मूर्तियों के ऊपर कुछ भी न रखें. जल के लिए तांबे के कलश का ही इस्तेमाल करें और कलश का जल हर दिन बदलें.

रंगोली

रंगोली डिजाइनों के साथ फर्श को सजाएं क्योंकि यह सकारात्मक वाइब्स लाता है और खुशी बिखेरता है। वास्तु के अनुसार, पूर्वोत्तर की दीवार पर स्वास्तिक और ॐ चिन्ह बनाएं क्योंकि यह समृद्धि लाता है। फर्श पर रंगोली डिजाइन में शुभ प्रतीक न बनाएं। अगर मंदिर के पास कम जगह है, तो किसी चौकी पर रंगोली बनाया जा सकता है और इसे मंदिर के पास रखा जा सकता है।

पूजा घर में इन चीजों को न रखें

अशुद्ध चीजों को मंदिर से दूर रखें

ऊपर बताई गई चीजों के अलावा, चमड़ा ऐसी चीज है, जिसे अशुद्ध माना जाता है. मंदिर के इलाके में  जानवरों की चमड़ी नहीं रखनी चाहिए. पूजा घर में पैसे भी न रखें. सफेद अशुद्ध नहीं होता. जिस जगह पर आप प्रार्थना करते हैं, वहां पैसे रखना सही नहीं है.

यह भी देखें: बांस के पौधे को रखने के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स

घर के मंदिर में किन भगवान की मूर्तियों से बचना चाहिए?

भगवान शिव का रुद्र रूप नटराज उनका क्रोधित अवतार है। इसलिए नटराज को घर में नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में अशांति हो सकती है। घर के मंदिर में कभी भी दो शिवलिंग न रखें।

घर के मंदिर में शनि देव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। घर के बाहर ही मंदिर में उनकी पूजा करनी चाहिए। राहु-केतु की मूर्ति को घर में रखना अशुभ माना जाता है।

वास्तु के अनुसार, पूजा रूम में हिंसा की पेंटिंग नहीं रखनी चाहिए।

पूजा घर का वातावरण

मंदिर को ताजे फूलों से सजाएं. सुगंधित मोमबत्तियां, धूप और अगरबत्तियां जलाएं ताकि इलाके और वातावरण शुद्ध हो जाए. ध्यान दें कि साफ-सफाई बेहद जरूरी है. मंदिर में तस्वीरों या अन्य मूर्तियों के नीचे लाल रंग का कपड़ा रखें.

वास्तु के अनुसार घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है. घर के मंदिरों में बाईं ओर घंटी रखनी चाहिए. रंगोली के डिजाइनों के साथ फर्श को सजाएं क्योंकि यह सकारात्मक वाइब्स लाता है और खुशी का अनुभव कराता है. वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व की दीवार पर स्वास्तिक और ओम चिन्ह बनाएं क्योंकि यह समृद्धि लाता है. फर्श पर रंगोली डिजाइन में शुभ चिन्ह न बनाएं. अगर मंदिर क्षेत्र के पास कम जगह है, तो कोई ‘चौकी‘ पर रंगोली बना सकते हैं और इसे मंदिर क्षेत्र के पास रख सकते हैं.

घर में मंदिर की दिशा: कैसे सजाएं?

वास्तु पूजा रूम के लिए कम ऊंचाई वाली छत की राय देता है, जिससे सकारात्मकता आएगी।

पूजा घर के सीलिंग पे पॉप डिजाइन दे सकते हैं. इस स्पेस को और निखारने के लिए पेनडेंट लाइट लगा सकते हैं. सीलिंग पे सुनहरे टेक्सचर वाले रंग और हैंगिंग बेल्स भी लगा सकते हैं. जिस वॉल पे मंदिर फिक्स्ड है उसे अच्छी तरह सजाए. बैकलिट पैनल भी आजकल ट्रेडिंग है. मंदिर को और खूबसूरत बनाने के लिए आप संस्कृत श्लोकों या कमल पैटर्न भी बैकलिट बोर्ड पे लगा सकते हैं. आप मंदिर के वॉल पे पीला या सतरंगी रंग के आकर्षित वॉल पेपर भी लगा सकते हैं.

आप इस जगह को शुद्ध करने और दिव्य वातावरण बनाने के लिए कुछ सुगंधित मोमबत्तियां, धूप या अगरबत्ती जला सकते हैं। मंदिर में तस्वीरों या अन्य मूर्तियों के नीचे लाल रंग का कपड़ा रखें। मंदिर वास्तु के अनुसार, घंटी की आवाज नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है। घर के मंदिर में घंटी बाईं तरफ रखनी चाहिए।

Puja room placement

Pinterest

 

Puja room design

Pinterest

 

Flowers in puja room

Pinterest

 

Puja mandir in Indian home

Pinterest

 

वास्तु के मुताबिक पूजा घर के लिए सर्वश्रेष्ठ रंग

जैसा कि बताया गया कि पूजा घर की शांति बनाए रखने के लिए वास्तु शास्त्र कहता है कि कोमल रंगों का इस्तेमाल करें. मंदिर के स्थान पर सफेद, हल्के नीले, बेज, लैवेंडर, नारंगी, क्रीम या हल्के पीले रंग का इस्तेमाल करें। गहरे भूरे और काले रंग का इस्तेमाल नहीं करें।

इन रंगों से शांति की भावना नहीं आएगी, जो प्रार्थना कक्ष के लिए जरूरी है। मंदिर क्षेत्र में कभी भी काले रंग का इस्तेमाल न करें, क्योंकि यह मंदिर वास्तु में सख्त वर्जित है। इसी प्रकार, अपने पूजा रूम  के फर्श के लिए सफेद संगमरमर या किसी हल्के रंग के संगमरमर की टाइलिंग का इस्तेमाल करें।

यह भी देखें: वास्तु के आधार पर अपने घर के लिए सही रंग कैसे चुनें?

 

मंदिर को पूर्व दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?

वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी घर में पूजा रूम को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि पूजा करते समय किसी व्यक्ति का मुख वास्तु के अनुसार सही दिशा में हो।

पूर्व मुखी घर में पूजा घर उत्तर या पूर्वी कोने में होना चाहिए। ताकि प्रार्थना करते समय शख्स का मुंह इन दिशाओं में से किसी एक में हो। पूर्व मुखी घर के लिए पूजा घर वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, इन दिशाओं की ओर मुख करके प्रार्थना करना आदर्श माना जाता है और ऐसा करने से घर में सकारात्मकता आती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार डिजाइन किए गए पूर्वमुखी घर में पूजा रूम की योजना बनाते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कमरा बाथरूम या सीढ़ी से सटा न हो।

 

पूजा घर उत्तर दिशा वाले घर में कहां रखना चाहिए?

घर में एक मंदिर के लिए आदर्श जगह उत्तर-पूर्व है. ऐसे मामले में, कोशिश और सुनिश्चित करें कि  पूजा करते समय आपका मुंह उत्तर या पूर्व की ओर हो. हमेशा सुनिश्चित करें कि पूजा घर सीढ़ी के नीचे या बाथरूम की दीवार के बराबर में नहीं है.

उत्तर मुखी घर के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर को लिविंग रूम के साथ डिजाइन किया जा सकता है। आमतौर पर, लिविंग रूम भी पूर्वी कोने में होना चाहिए। पूजा घर के लिए कई दिलचस्प  डिजाइन हैं। इसलिए, आप हॉल में कमरे के विभाजन के साथ एक छोटे से पूजा क्षेत्र या पूजा घर की योजना बना सकते हैं।

 

दक्षिण मुखी घर में पूजा घर कहां रखना चाहिए?

पूजा घर दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए क्योंकि यह दिशा यम की होती है, जो मौत के देवता हैं. यह सलाह दी जाती है कि आपके घर में पूजा घर की छत एक त्रिकोण के आकार में होनी चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहे.

 

पश्चिम मुखी घरों में पूजा घर कहां होना चाहिए?

पश्चिम मुखी घरों में पूजा घर नॉर्थ ईस्ट में होना चाहिए, क्योंकि यह सबसे शुभ कोना होता है. अगर आप पश्चिम मुखी घर में रहते हैं तो आपके लिए सभी 5 तत्वों को संतुलित करना जरूरी है.

 

घर के मंदिर की ऊंचाई कितनी होनी चाहिए?

मंदिर को ऊंचाई पर रखना चाहिए ताकि मूर्तियों के पैर भक्त की छाती के स्तर पर हों। देवताओं को इतनी ऊँचाई पर स्थापित करें जहाँ कोई भी बैठकर या खड़े होकर आराम से प्रार्थना कर सके। मंदिर के फर्श और बेस के बीच की ऊंचाई करीब 32-36 इंच के बीच होनी चाहिए।

मूर्ति को कभी भी फर्श पर न रखें। आदर्श तौर पर मूर्ति 10 इंच से ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए।

 

घर में मंदिर की सफाई के टिप्स

  • घर में एक साफ मंदिर एक सकारात्मक आभा देता है और देवी लक्ष्मी को भी अपने घर में आमंत्रित करता है।
  • पीतल की मूर्तियों और कलश को कुछ डिटर्जेंट के साथ गुनगुने पानी में भिगोना चाहिए। फिर उस पर नींबू को स्क्रब करें। एक नींबू के टुकड़े के साथ कुछ बेकिंग सोडा का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • तांबे के बर्तनों को सिरके और नमक से साफ किया जा सकता है।
  • दीयों को रोजाना धोकर साफ रखें, फिर डिशवॉशिंग लिक्विड से स्क्रब करके ग्रीस हटा दें। पीतल के दीये को साफ करने के लिए इमली के पानी या सिरके का इस्तेमाल करें।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि चांदी की मूर्तियां चमकें, टूथपेस्ट का उपयोग करें और टूथब्रश से धीरे से स्क्रब करें। पानी उबालकर चांदी के बर्तन भिगो दें। फिर उबलते पानी में एल्युमिनियम फॉयल के टुकड़े और एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं। 5 मिनिट बाद चांदी के बर्तन को निकाल लीजिए. उन्हें स्क्रब करके धोकर सुखा लें।
  • संगमरमर के मंदिर को गर्म पानी से धीरे से पोंछें जिसमें हल्का डिटर्जेंट मिला हो और फिर सूखे कपड़े से पोंछ लें।
  • तस्वीरों के कांच के फ्रेम को किसी भी कांच की सफाई स्प्रे और एक मुलायम कपड़े से साफ किया जा सकता है।
  • लकड़ी के मंदिर को कपड़े से झाड़ा जा सकता है।

 

मंदिर के पास सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के आसान उपाय

मंदिर क्षेत्र को साफ और व्यवस्थित रखें

घर में मंदिर का क्षेत्र साफ और अव्यवस्था रहित होना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि नियमित रूप से सफाई न की जाए, तो गंदगी जमा हो सकती है, इसलिए घर में स्थित मंदिर की सफाई रोज करना जरूरी है। यदि मंदिर लकड़ी या संगमरमर का बना है, तो इसे पानी, साबुन और कपड़े या ब्रश से साफ किया जा सकता है।

मंदिर में बहुत ज्यादा मूर्तियां या अन्य धार्मिक वस्तुएं न रखें

मंदिर को बहुत अधिक मूर्तियों या धार्मिक वस्तुओं को नहीं रखना चाहिए। मंदिर की जगह व्यवस्थित रखनी चाहिए ताकि मंदिर में पवित्र बनी रहे।

भंडारण की उचित व्यवस्था करें

सामग्री को व्यवस्थित करने के लिए उचित भंडारण कैबिनेट का उपयोग करना चाहिए। मंदिर के नीचे अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा मूर्तियों के ऊपर कुछ भी सामान रखने से बचना चाहिए।

श्रद्धा के साथ मूर्तियों को स्थापित करें

वास्तु के अनुसार, देवताओं की मूर्तियों को मंदिर में पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ स्थापित करना चाहिए। यह दर्शाता है कि आप अपने घर में दिव्यता का स्वागत कर रहे हैं।

मंदिर में सुगंधित चीजों का इस्तेमाल

अगरबत्ती या सुगंधित तेल जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसके अलावा चंदन, चमेली या तुलसी की सुगंध का उपयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और वातावरण शांत एवं पवित्र बनता है।

ताजे फूल और फल रखें

पूजा के दौरान देवताओं को ताजे फल और फूल अर्पित करें। सुगंधित और ताजे फूल व फल मंदिर के वातावरण को सकारात्मक और आकर्षक बनाते हैं।

मंदिर में उचित रोशनी का चुनाव करें

दीयों या मोमबत्तियों का प्रकाश मंदिर के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता फैलाता है। मूर्तियों के सामने, दक्षिण-पूर्व कोने में दीप जलाएं। पारंपरिक रोशनी के अलावा, मंद रोशनी जैसे कि छिपी हुई लाइटिंग का उपयोग करें ताकि पूरे स्थान में उजाला बना रहे।

मंदिर या देवताओं के सामने रंगोली बनाएं

परंपरागत रूप से लोग अपने घर के प्रवेश द्वार या पूजा मंदिर के पास रंगोली बनाते हैं, खासकर त्योहारों के दौरान इसे बहुत अधिक शुभ माना जाता है। रंगोली के सुंदर डिजाइन सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं। इसके अलावा विभिन्न रंगों की विशिष्ट तरंगें मन को शांति प्रदान करती हैं।

मंदिर में घंटियां लगाएं

घंटी की आवाज को शुभ माना जाता है और यह देवता का स्वागत करने के लिए बजाई जाती है। इसकी ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। इसके अलावा यह शरीर के सभी सात चक्रों को सक्रिय करती है और ध्यान व उपचार के लिए उपयुक्त माहौल बनाती है।

लाल कपड़ा इस्तेमाल करें

वास्तु शास्त्र में लाल रंग को पवित्र माना जाता है और यह सौभाग्य व समृद्धि का प्रतीक होता है। मंदिर में देव प्रतिमाओं को ढकने के लिए लाल कपड़े का उपयोग करें। ध्यान दें कि कपड़ा साफ और सुसज्जित हो।

बैठने की जगह बनाएं

मंदिर के लिए शुभ सामग्री से बने फर्नीचर का चयन करें, जैसे लकड़ी की कुर्सियां या गद्देदार बैठने की व्यवस्था।

मंदिर की दीवार और छत की सजावट

वॉलपेपर चुनते समय शुभ रंगों जैसे पीला या नारंगी को प्राथमिकता दें। दीवारों पर बैकलिट एलईडी पैनल लगा सकते हैं और उनमें कमल के फूल या संस्कृत श्लोक जैसे शुभ डिजाइन रखें, ताकि आध्यात्मिक माहौल बने। छत की सजावट के लिए सुनहरे रंग की पेंटिंग या घंटियों का उपयोग करें।

 

वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में भगवान की किन मूर्तियों को रखने से बचना चाहिए?

  • वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में एक ही भगवान् के कई सारी मूर्तियां या तस्वीर भी रखने से बचना चाहिये।
  • घर के मन्दिर में पूर्वजों, युद्ध होते हुए तस्वीर या किसी के अंतिम समय यानि किसी की मृत्यु की मूर्तियाँ या तस्वीर नहीं लगानी चाहिए यह चीजें मन्दिर में लगाना अशुभ माना जाता है।
  • अपने घर के में टूटी हुई मूर्तियां या कटी फ़टी भगवान् की तस्वीरें लगाने से बचना चाहिए।
  • घर के मन्दिर में एक से अधिक शंख भी रखने से बचना चाहिए।

 

घर के मेन गेट पर कौन से भगवान् की मूर्ति या शुभ चिन्ह लगा सकते हैं?

आप अपने घर के मेन गेट पर कुछ देवी देवताओं जैसे भगवान् गणेश और लक्ष्मी जी की तस्वीर या शुभ – लाभ या फिर स्वास्तिक चिन्ह  जैसे शुभ प्रतीक और चित्र लगा सकते हैं। यह आपके घर में सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करते हैं और घर में नकारात्मक ऊर्जाओं को प्रवेश करने से रोकते हैं।

 

वास्तु के अनुसार ऑफिस में पूजा रूम कैसा होना चाहिए?

वैसे तो ऑफिस में लोग पूजा रूम नहीं बनवाते बल्कि पूजा के लिये लकड़ी का मन्दिर बनवाते हैं, लेकिन यदि आप अपने ऑफिस में पूजा रूम बनवाना चाह रहें हैं तो वास्तु में बताये गए नियमों के अनुसार मन्दिर का निर्माण कमरे के उत्तर या उत्तर-पूर्व कोने यानि ईशान कोण में ही करवाएं .यदि आपके ऑफिस में यह संभव न हो तो आप मन्दिर को पूर्व दिशा में भी स्थापित कर सकते हैं।निर्माण के बाद मन्दिर में भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और मूर्ति के ऊपर ताजे फूलों की माला पहनाएं, क्योंकि ऑफिस के पूजा रूम में भगवान् को कभी भी आर्टिफिशियल फूलों की माला नहीं पहनानी चाहिए। ताजे फूलों की माला के साथ आप भगवान् को धूप, दीप आदि दिखाएं। आप मन्दिर में जो दीपक जलाएं उसका ध्यान रखें कि दीपक का मुख उत्तर- पूर्व या फिर पश्चिम दिशा की ओर हो. इन सभी चीजों के साथ ही आप इस बात का ध्यान अवश्य रखें की ऑफिस में मन्दिर की साफ – सफाई प्रतिदिन अच्छे से होती रहें, इससे आपके व्यापार में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसके साथ ही हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि दीपक को कभी भी दक्षिण दिशा में जला कर नहीं रखें ,क्योंकि यह  दिशा अशुभ मानी जाती है और इससे धन की हानि होती है। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना होगा की पूजा कक्ष को सीढ़ियों के नीचे या वॉशरूम के पास नहीं बनाया जाना चाहिए।

 

घर के लिए मंदिर का सबसे उपयुक्त आकार क्या है?

घर में पूजा कक्ष का आकार कम से कम 5×7 फुट होना चाहिए, जिसमें कम से कम 2-3 लोग आराम से बैठकर पूजा कर सकते हैं। पूजा कक्ष का दरवाजा बाहर की ओर खुलना चाहिए, ताकि दरवाजा खोलने या बंद करने से अंदर बैठे किसी व्यक्ति को कोई असुविधा न हो।

पूजा कक्ष की सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए, जैसे 3, 9, 11, 15, 21 आदि, और 0 पर समाप्त नहीं होनी चाहिए।

मंदिर को जमीन से कुछ फीट ऊंचा बनाया जाना चाहिए ताकि मूर्तियां भक्त के छाती के स्तर पर रहें। मूर्तियों को इस ऊंचाई पर रखें, जहां बैठकर या खड़े होकर दोनों स्थितियों में आराम से पूजा की जा सके। फर्श और मंदिर के आधार के बीच की ऊंचाई लगभग 32-36 इंच होनी चाहिए।

 

Housing.com का पक्ष

जब भी आप अपने लिविंग रूम में पूजा कक्ष या छोटा मंदिर बनाते हैं, तो उसे वास्तु के अनुसार डिजाइन करना जरूरी होता है ताकि सकारात्मक ऊर्जा आए और शांति का माहौल बने। सही दिशा में मंदिर रखने के साथ ही अन्य तत्वों को भी वास्तु के अनुसार सही स्थान पर रखना जरूरी होता है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या हम मंदिर में शंख रख सकते हैं?

घर के मंदिर में शंख रखना शुभ माना जाता है. शंख बजाने से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दिया जलाने के लिए कौन से तेल का इस्तेमाल करना चाहिए?

वास्तु के मुताबिक गाय का घई सबसे ज्यादा अच्छा है। आप सिसेम या सरसों के तेल का इस्तेमाल दिया जलाने के लिए कर सकते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होते हैं।

मंदिर में रखे कलश के जल का क्या करें?

मंदिर में रखे कलश के जल को हर रोज़ बदलें। सुबह इसे तुलसी या किसी अन्य पौधे को अर्पित करें।

क्या मैं मंदिर के कमरे में मोर पंख रख सकता हूँ?

पांच मोर पंख मंदिर या पूजा घर में रख सकते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को कम करने और वास्तु दोषों को दूर करने में मदद करेगा।

पूजा में पान या सुपारी का प्रयोग क्यों किया जाता है?

पान के पत्तों को शुभ माना जाता है और वे समृद्धि के प्रतीक हैं और पूजा अनुष्ठानों में उपयोग किए जाते हैं। सुपारी उस अहंकार दर्शाता है जिसे भगवान की वेदी पर समर्पित करना चाहिए और व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि सुपारी घर में शांति और सद्भाव लाने में मदद करती है।

घर के मंदिर में पूजा की थाली में चावल क्यों रखा जाता है?

पूजा की थाली में रखे चावल को 'अक्षत' कहा जाता है और वो अखंड सफेद चावल होते हैं और घर के मंदिर में हमेशा कुमकुम के साथ रखे जाते हैं। चावल शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

पूजा कक्ष में जल संग्रह करने के लिए किस सामग्री का प्रयोग करना चाहिए?

पूजा घर में जल रखने के लिए तांबे के कलश को आदर्श माना जाता है। बर्तन में पानी को रोजाना जरूर बदलें।

भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति रखने के लिए सबसे अच्छी दिशा कौन सी है?

पूजा कक्ष में भगवान गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति को माता लक्ष्मी के बायीं ओर रखें।

मन्दिर में किन रंग के पर्दों को लगाना बेहद शुभ माना जाता है?

वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में पीला, गुलाबी, क्रीम आदि रंग के पर्दे लगाने बेहद शुभ माने जाते हैं।

घर के मन्दिर में पूजा की किन सामग्रियों का होना अत्यंत आवश्यक होता है?

वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में प्रतिदिन की पूजा में फूल, अक्षत, धूप, दीप, जल, गंगाजल, सिंदूर, भोग ये सामग्रियों का होना आवश्यक होता है।

पूजा रूम में पूजा करते समय हमारा मुख किस दिशा में होना चाहिए?

पूजा रूम में पूजा करते समय हमारा मुख सदैव पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए माना जाता है ये दिशा पूजा करने के लिये बहुत शुभ मानी जाती हैं।

घर के मंदिर में किन भगवान की मूर्तियों से बचना चाहिए?

वास्तु के अनुसार घर के मन्दिर में हमें भगवान शिव के रुद्र रूप नटराज जो की उनका क्रोधित अवतार है। इसलिए नटराज की मूर्ति को घर के मन्दिर में नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे घर में अशांति हो सकती है। साथ ही घर के मंदिर में कभी भी दो शिवलिंग तथा शनि देव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। घर के बाहर ही मंदिर में उनकी पूजा करनी चाहिए। राहु-केतु की मूर्ति को घर में रखना अशुभ माना जाता है।

पूजा घर में हम कितने इंच की मूर्तियों को रख सकते है?

वास्तु के अनुसार पूजा घर में हमें सदैव छोटी मूर्तियों को ही रखना चाहिये पूजा घर में रखी मूर्तियों की साइज कभी भी सात इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिये।

क्या दक्षिण पूर्व दिशा पूजा करने के लिए अच्छी होती है?

नहीं! घर के मन्दिर में कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पूजा नहीं करनी चाहिए और न ही दक्षिण दिशा की तरफ मन्दिर का मुख बनाना चाहिए।

घर के मन्दिर में प्रतिदिन की पूजा में हमें किस चीज का दीपक जलाना चाहिए?

घर के मन्दिर में प्रतिदिन हम घी या तिल के तेल का दीपक जला सकते हैं।

Got any questions or point of view on our article? We would love to hear from you. Write to our Editor-in-Chief Jhumur Ghosh at jhumur.ghosh1@housing.com
Was this article useful?
  • ? (33)
  • ? (5)
  • ? (5)

Recent Podcasts

  • 2025 में भारत में 1 बीघा भूमि का माप क्या होगा?2025 में भारत में 1 बीघा भूमि का माप क्या होगा?
  • जीएसटी 2025: रियल एस्टेट पर प्रभाव, कर की दरें और गणना से जुड़े सभी सवालजीएसटी 2025: रियल एस्टेट पर प्रभाव, कर की दरें और गणना से जुड़े सभी सवाल
  • देखें शाहरुख खान के 200 करोड़ रुपए वाले घर की अंदर की शानदार तस्वीरेंदेखें शाहरुख खान के 200 करोड़ रुपए वाले घर की अंदर की शानदार तस्वीरें
  • पीएम आवास योजना 2025 के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन कैसे करें, यहां जानें पूरी प्रोसेसपीएम आवास योजना 2025 के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन कैसे करें, यहां जानें पूरी प्रोसेस
  • 2025 में गिफ्ट में मिली संपत्ति पर कितनी चुकानी होगी स्टांप ड्यूटी?2025 में गिफ्ट में मिली संपत्ति पर कितनी चुकानी होगी स्टांप ड्यूटी?
  • सिडको लॉटरी 2025: क्या है सिडको लॉटरी, जानें अंतिम तारीख और रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रोसेससिडको लॉटरी 2025: क्या है सिडको लॉटरी, जानें अंतिम तारीख और रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रोसेस