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जानिए कृषि भूमि खरीदने के क्या हैं फायदे और नुकसान

The pros and cons of buying agricultural land

खरीदने की बढ़ती शक्ति के साथ ही भारत में निवेशक अब अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न्स पाने के लिए इनोवेटिव आइडियाज खोज रहे हैं. ऐसा ही एक तरीका है, कृषि भूमि में निवेश. कुछ निवेशक ऐसी भूमि को एक संपत्ति के रूप में रखते हैं, ऐसे निवेशकों का एक वर्ग है जो अपनी आय बढ़ाने के लिए जैविक फलों और सब्जियों के बढ़ते बाजार का लाभ उठाते हैं. कई एक्सपर्ट यह बात मानते हैं कि कृषि निवेश एक सुरक्षित विकल्प है क्योंकि निवेश पर रिटर्न्स आम तौर पर अन्य निवेशों की तुलना में अधिक होता है और निवेशकों के पैसों को सिक्योरिटी भी प्रदान करता है. इसे एग्रो रियल्टी भी कहा जाता है, ऐसे निवेशकों के लिए मार्केट बढ़ रहा है खासकर कोविड-19 महामारी के बाद.

कृषि भूमि खरीदने के फायदे और नुकसान

शहरी निवेशक अब बड़े शहरों और राज्यों की राजधानियों के उपनगरीय या पेरिफेरल क्षेत्रों में कृषि भूमि की रिटर्न क्षमता को देख रहे हैं. यहां शहरी जमीन की तुलना में जमीन कम महंगी है, रीसेल वैल्यू के मद्देनजर इन्वेस्टर्स को कुछ अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद है.

शहरों में जमीनों की बढ़ती कीमतों और कमी को देखते हुए ऐसी जमीनों की डिमांड अब बढ़ रही है. शहरी निवेशक अब ऐसी जमीन इसलिए खरीद रहे हैं ताकि उन्हें रीसेल पर मुनाफा हो या फिर उसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

एमसीएचआई के सदस्य रवि गौरव ने कहा कि कुछ निवेशकों को लगता है कि टीयर-1 और टीयर-2 शहरों के पड़ोसी जिलों और ग्रामीण इलाकों में निवेश करना मौजूदा मार्केट स्थितियों में सर्वश्रेष्ठ है। हालांकि कृषि भूमि में निवेश करना हमेशा से ही लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के विकल्पों में शामिल रहा है। यह अब और भी तार्किक हो गया है, क्योंकि शहर के रियल एस्टेट मार्केट में गिरावट देखी जा रही है। उदाहरण के तौर पर लखनऊ शहर में 120 स्क्वेयर यार्ड्स का प्लॉट 8-18 लाख रुपये में मिल जाएगा इसकी तुलना में शहर के नजदीक 1-8 लाख प्रति एकड़ में कृषि भूमि मिल जाएगी। यह स्थिति ज्यादातर मेट्रो शहरों में भी है। लेकिन कृषि भूमि खरीदना इतना आसान नहीं है।

कृषि भूमि पर संभावित आरओआई:

उभरते और विकसित हो रहे इलाकों, जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे स्पेशल इकनॉमिक जोन या हाईवे आने के चांस हैं, में रिटर्न्स काफी अच्छे हैं। दिल्ली के रियल एस्टेट कंसलटेंट प्रदीप मिश्रा ने कहा, ”यह अच्छा है अगर जमीन एेसी जगह है, जहां कोई सरकारी स्कीम लॉन्च होने वाली है या इलाके के मास्टरप्लान में शामिल है तो भविष्य में एेसी जमीनों की कीमत बहुत ज्यादा होती है।”

कृषि भूमि में निवेश के फायदे:

अगर इलाका किसी एेसी जगह है, जहां सरकार भविष्य में कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट प्लान कर सकती है तो कृषि भूमि लॉन्ग टर्म रिटर्न्स की गारंटी देता है। इतना ही नहीं, अगर सरकार भूमि अधिग्रहण करती है तो शहरी भूमि के मुकाबले ग्रामीण जमीन के दाम ज्यादा मिलेंगे। जहां शहरों का विस्तार हो रहा है, वहां कई राज्य सरकारें लैंड पूलिंग पॉलिसी की भी योजना बना रही हैं। अगर लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत आप मालिक बनते हैं तो आपको पूल से नियमित तौर पर गारंटीड रिटर्न्स मिलेंगे।
जैसा कि जमीन संबंधी सभी घटनाक्रमों में सच है, आपकी संपत्ति समय के साथ कम नहीं होती है – कुछ ऐसा जो संपत्ति के बारे में नहीं कहा जा सकता है जैसे कि फ्लैट, अपार्टमेंट, आदि. समय के साथ, इमारत की संरचना की गुणवत्ता बिगड़ जाती है और इसे बनाए रखने के लिए मालिक को पर्याप्त खर्च करना पड़ता है. कृषि भूमि में निवेश करने से, न केवल आपके वो पैसे खर्च करने से बचते हैं, बल्कि कानून की सीमाओं के भीतर भविष्य में अलग-अलग मकसदों के लिए भूमि का उपयोग करने का विकल्प भी मिलता है.

कृषि भूमि खरीदने के नुकसान:

हर कोई नहीं खरीद सकता: कानून के मुताबिक, भारत में अगर आपको कृषि भूमि लेनी है तो किसान होना जरूरी है। ज्यादातर राज्यों में भी एेसा ही है, जबकि कुछ ने इसे आसान बना दिया है। आप एेसी जमीन को गिफ्ट या विरासत में भी हासिल कर सकते हैं।
कन्वर्जन आसान नहीं है: आप कृषि भूमि के उपजाऊ टुकड़े को रिहायशी में बदल नहीं सकते। कन्वर्जन के लिए जमीन बंजर होनी जरूरी है।
लैंड सीलिंग एक्ट: कई राज्यों में जमीन के ओनरशिप पर प्रतिबंध है। इसलिए यह देखना जरूरी है कि किसी राज्य में कितनी भूमि खरीदी जा सकती है।
हर कोई नहीं खरीद सकता: उदाहरण के तौर पर, एनआरआई भारत में कृषि भूमि नहीं खरीद सकते.
स्थानीय जमीन के कानूनों की जानकारी और शब्दावली की समझ जरूरी: अगर आप लेनदेन के दौरान जमीन के कानून और स्थानीय शब्दावली को नहीं समझते हैं तो कृषि भूमि खरीदना बहुत ज्यादा मुश्किल भरा काम है. चूंकि जमीन राज्य का विषय हैइसलिए प्रत्येक राज्य में कानून अलग-अलग हैं और पूरी तरह से जानकारी नहीं होने के कारणप्रक्रिया में शामिल कानूनी बातों को देखते हुए यह नुकसानदेह होगा.

उदाहरण के लिएस्थानीय भूमि मापने की इकाइयों की जानकारीआपके द्वारा खरीदे जा रहे भूमि के टुकड़े की स्पष्ट समझ और सीमा होनी चाहिए. इन इकाइयों के वैश्विक तौर पर मंजूर मापन इकाइयों से कन्वर्जन की जानकारी होने से आपको प्रति वर्ग फुट का आइडिया हो जाएगाजिसके लिए आप भुगतान कर रहे हैं.

मान लीजिए कि स्थानीय तौर पर मापने की इकाई को गज कहते हैं तो ग्राहक को गज से स्क्वेयर फीट/स्क्वेयर मीटर में कन्वर्जन के बारे में पता होना चाहिए. इससे वह जमीन के प्रति वर्गफुट मूल्य का अनुमान लगा सकते हैं.

कृषि भूमि लेने के फायदे कृषि भूमि लेने के नुकसान
गारंटीड लॉन्ग टर्म रिटर्न्स क्रेता कब्जे से किसान होना चाहिए
अगर अधिग्रहित किया जाता है तो सरकार से मुआवजा मिलता है भूमि परिवर्तन काफी पेचीदा है
लैंड पूलिंग पॉलिसी में भाग ले सकते हैं कुछ राज्यों में कृषि के स्वामित्व पर प्रतिबंध है

कानूनों को जरूर पढ़ लें:

भूमि के अधिकारों के हस्तांतरण, भूमि और पट्टे के स्वामित्व के रिकॉर्ड से संबंधित अन्य कानूनों का मूल्यांकन जरूर करें। आमतौर पर एेसी कृषि भूमि ट्रांसफर नहीं की जा सकतीं। जमीन पट्टे पर भी हो सकती है। एेसे मामलों में सुनिश्चित करें कि किरायेदारों का जमीन पर कोई अधिकार न हो और एंट्री सिर्फ लेन-देन में हो।

ट्रेंड्स क्या कहते हैं:

इस सेगमेंट के इन्वेस्टर्स या तो सूखी रुपांतरित ग्रामीण जमीन खरीद रहे हैं या रीसेल के जरिए जमीन ले रहे हैं। शहरी इलाकों के मुकाबले प्लॉट की कीमत कम है, लिहाजा ये निवेशक ग्रामीण इलाकों में जमीनों के मालिक बन रहे हैं। इस तरह वे ज्यादा से ज्यादा जमीन खरीद रहे हैं। कुछ लोग गांव में रिहायशी जमीन खरीद रहे हैं, ताकि उसे पते के तौर पर इस्तेमाल कर उसी गांव में एक कृषि भूमि खरीद लें।
जो कृषि भूमि शहर के आसपास होती है, उसकी कीमत बढ़ने की उम्मीद रहती है, क्योंकि किफायती आवास की डिमांड भी बढ़ रही है। गौरव ने कहा, पब्लिक एवं प्राइवेट प्रोजेक्ट्स के लिए एेसे इलाकों की जमीनों की मांग ज्यादा है। इसलिए जमीन खरीदने के लिए आपको अच्छी-खासी रकम खर्च करनी होगी। लिहाजा डील फाइनल करने से पहले सभी जोखिमों को कवर कर लेना चाहिए.

रियल एस्टेट डेवेलपमेंट के लिए कृषि भूमि

जो निवेशक शहर के आसपास ग्रामीण इलाकों में मौजूद कृषि भूमि को खरीदने का विचार बना रहे हैंउन्हें यह अवसर काफी आकर्षक लग सकता है क्योंकि कई राज्य सरकारें इंडस्ट्रियल और हाउसिंग डेवेलपमेंट के लिए कृषि भूमि दे रही हैं. हाल ही मेंगुजरात सरकार ने यह ऐलान किया है कि गुजरात किरायेदारी अधिनियम के तहत रियल एस्टेट डेवेलपर्स किफायती आवास बनाने के लिए कृषि भूमि खरीद सकते हैं. इसी तरह कर्नाटक में  राज्य सरकार ने जमीन सुधार अधिनियम में संशोधन किए हैंजिसमें उदारीकृत कृषिभूमि का स्वामित्व और गैर-कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने की सुविधा दी गई है. यह सिर्फ एक शुरुआत है और जल्द ही कई अन्य राज्य भी रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन के लिए कृषि भूमि दे सकते हैंजिससे सप्लाई बढ़ेगी और सस्ते घर मिलेंगे.

क्या भारत में कृषि योग्य भूमि खरीदने लायक है?

कृषि भूमि में काफी निवेश की जरूरत होती है. इसलिएनिवेशकों को कृषि भूमि में निवेश करने से पहले एक स्पष्ट वित्तीय योजना को ध्यान में रखना चाहिए. इसके अलावायह जरूरी है कि निवेशक अपने निवेश से यथार्थवादी उम्मीदें रखेंक्योंकि कृषि क्षेत्र से रिटर्न उतना आकर्षक नहीं है जितना कि माना जाता है. आमतौर परकृषि भूमि में निवेश करना अमीर लोगों के लिए सही है या जिनके पास सरप्लस इनकम हो. शहर में रहने वाले नौकरीपेशा और खुद का बिजनेस चलाने वाले लोगों के लिए यह प्रक्रिया थकाऊ और अत्यधिक समय लेने वाली है.

अपनी जमीन को मुनाफे का सौदा कैसे बनाएं?

इन तरीकों का इस्तेमाल करके आप अपनी जमीन से मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

1. यह जगह पर निर्भर करता हैआप कम्युनिटी गार्डनिंग के लिए जमीन किराये पर दे सकते हैं.

2. अपने नए खेती के रोमांच के बारे में ब्लॉगिंग शुरू करें.

3. एक मधुमक्खी के खेत की स्थापना करें और इसे टूरिस्ट एक्टिविटी के लिए खोल दें.

4. अगर जमीन उपजाऊ है तो स्थानीय मार्केट में बेचने के लिए वहां अनोखे फूल उगाएं.

5. ऑनलाइन पौधों के बीज बेचें.

6. पालतू जानवरों के बैठने/क्रेच के लिए अपनी सुविधाएं दें.

7. जड़ी-बूटी उगाएं और उसे ऑनलाइन बेच दें.

8. फार्मिंग पर टूर या क्लासेज दें.

9. सोलर एनर्जी पैदा करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करें.

पूछे जाने वाले सवाल

क्या ग्रामीण कृषि भूमि की बिक्री टैक्सेबल है?

ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि को कैपिटल असेट नहीं माना जाता. यही वजह है कि इस बिक्री से हुआ कोई भी फायदा हैड कैपिटल गेन्स के तहत टैक्सेबल नहीं है.

कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में तब्दील कैसे कराएं?

जमीन राज्य का विषय है और कानून के मुताबिक उपजाऊ भूमि को रिहायशी मकसद के लिए परिवर्तित नहीं कराया जा सकता. सिर्फ सूखी और बंजर जमीन के टुकड़े को ही परिवर्तित कराया जा सकता है.

कृषि भूमि पर कितना कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है?

प्रॉपर्टी बनाने के लिए कृषि भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोई भी कंस्ट्रक्शन करने के लिए आपको कृषि भूमि को रिहायशी भूमि में परिवर्तित कराना होगा.

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