उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में स्थित राम जन्मभूमि मंदिर हिन्दू धर्म के अनुयायिओं के लिए काफी मान्यता रखता है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 135 किलोमीटर दूर स्थित इस भव्य मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों किया गया। अपने इस लेख में, हम अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर के बारे में आपको हर छोटी बड़ी जानकारी देंगे।
अयोध्या जन्मभूमि राम मंदिर: मुख्य तथ्य
वास्तुकला | नागर वास्तुकला शैली |
निर्माण की देखरेख करने वाली एजेंसी | श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट |
बिल्डर्स | लार्सन एंड टुब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज |
डिजाइनर | चंद्रकांत भाई सोमपुरा |
पूर्ण होने का वर्ष | 2024 |
उद्घाटन की तिथि | 22 जनवरी 2024 |
क्षेत्रफल | 2.7 एकड़ |
नींव | 14 मीटर मोटी |
प्लिंथ | 21 फुट ऊंचा |
मंजिल | 3 |
लंबाई | 380 फुट |
चौड़ाई | 235 फुट |
ऊंचाई | 161 फुट |
मंदिर के गर्भगृह का आकार | अष्टकोणीय |
संरचना परिधि का आकार | गोलाकार |
मंदिर में प्रयुक्त सामग्री | सफेद राजस्थान मकराना संगमरमर
चार्माउथी बलुआ पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी बलुआ पत्थर उत्तर प्रदेश से पीतल के बर्तन महाराष्ट्र से पॉलिश की गई सागौन की लकड़ी |
मंडपों की संख्या | 5 |
मंडपों के नाम | नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप |
स्तम्भों की संख्या | 392 |
दरवाजों की संख्या | 44 |
रामलला की नई मूर्ति का साइज | 51 इंच |
रामलला की मूर्ति के लिए प्रयुक्त सामग्री | काला पत्थर |
रामलला की मूर्ति के डिजाइनर | अरुण योगीराज |
अनुमानित लागत | 1,400 करोड़ रुपये से 1,800 करोड़ रुपये के बीच. |
अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास (History of Ram Temple)
सनातन धर्म में श्रीराम को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का सातवां अवतार माना जाता है। वो दुनिया में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले राजा हैं। प्राचीन महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) में बताया गया है कि प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। अयोध्या में जहां पर उनका जन्म हुआ था उस जगह को राम जन्मभूमि (Ram janmbhoomi) के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया था। सनातन धर्म के अनुयाइयों का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगलों ने राम जन्मभूमि पर मंदिर को खंडित करके करवाया था। हिंदुओं के इस दावे के बाद साल 1850 से इस मामले में विवाद होना शुरू हो गया था।
इसके बाद कई बार विश्व हिन्दू परिषद् ( Vishwa Hindu Parishad) ने विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने की घोषणा की। इसके लिए 1990 के दशक में विश्व हिन्दू परिषद् ने “श्री राम” लिखी ईंटें और धनराशि एकत्रित की। एक समय पर सरकार ने विश्व हिन्दू परिषद् को मंदिर बनाने की अनुमति दे दी थी। लेकिन कुछ कारणों की वजह से वहां मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो सका। इस बीच मंदिर को लेकर विवाद बढ़ता गया और साल 1992 में इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। साल 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया। इसके बाद साल 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि विवादित जगह को सरकार एक ट्रस्ट को सौंप दे। जिसके बाद सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) का गठन करके वह जमीन ट्रस्ट को सौंप दी है। ट्रस्ट ने मार्च 2020 से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया है। जिसके आगामी साल 2024 में पूरा होने की संभावना है।
राम मंदिर शिलान्यास समारोह (Ram Mandir foundation stone laying ceremony)
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को दोपहर 12 बजे किया। इस दौरान आधारशिला के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी ने चांदी की ईंट की स्थापना की। इसके पहले श्रीराम जन्मभूमि पर पंडितों ने तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान किए। इस दौरान भगवान राम की पूजा की गई और मंदिर के शिलान्यास में सभी प्रमुख देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। भारत के कई धार्मिक स्थानों से मिट्टी और पवित्र पानी लाया गया। इस दौरान पाकिस्तान की शारदा पीठ से भी मिट्टी लाई गई। साथ ही गंगा, सिन्धु, यमुना, सरस्वती और कावेरी नदी का जल अर्पित किया गया। शिलान्यास समारोह के उत्सव में अयोध्या में मंदिरों में 7 हजार से ज्यादा दिए जलाए गए।
अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 2.7 एकड़ भूमि में बन रहा है। जिसमें 54,700 वर्गफुट भूमि शामिल है। राम का मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ भूमि में तैयार हो रहा है। इस परिसर में इतनी जगह होगी कि लाखों भक्त एकसाथ मंदिर में भगवान राम के दर्शन कर सकेंगे। राम मंदिर का निर्माण कार्य श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के देखरेख में लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कर रही है। इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंसी पर्वत के बलुआ पत्थरों से हो रहा है।
राम मंदिर का डिजाइन (Ram Mandir Design)
मंदिर का डिजाइन चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant sompura) ने अपने बेटों के साथ बनाई है। चंद्रकांत सोमपुरा को इस मंदिर का डिजाइन बनाने के लिए साल 1992 में नियुक्त किया गया था। चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया है कि नागर शैली में बनाए जा रहे इस मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर बनाया जाएगा जो गोपुरम शैली में होगा। यह द्वार दक्षिण के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करेगा। मंदिर की दीवारों पर भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाली कलाकृतियां प्रदर्शित होंगी।
अयोध्या राम मंदिर के वास्तुकार (Architect of Ram Mandir)
सबसे पहले राम मदिर की डिजाइन साल 1988 में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार के द्वारा तैयार की गई थी। सोमपुरा परिवार के लोग पिछले 15 पीढ़ियों से मंदिरों की डिजाइन बना रहे हैं और अब तक 100 से ज्यादा मंदिरों की डिजाइन बना चुके हैं। साल 2020 में जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर के पुराने डिजाइन में कुछ बदलाव करके उसे स्वीकार कर लिया गया और उसी के अनुसार मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। राम मंदिर 235 फीट चौड़ा, 360 फीट लंबा और 161 फीट ऊंचा होगा। यह मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है। नागर शैली भारतीय मंदिर निर्माण की वास्तुकला के प्रकारों में से एक है। इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके दो बेटे निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा हैं।
वास्तुकारों ने मंदिर परिसर में प्रार्थना कक्ष, राम कथा कुंज, वैदिक पाठशाला, संत निवास, यति निवास, संग्रहालय और कैफेटेरिया को डिजाइन किया है। मंदिर के साथ इनका निर्माण भी किया जा रहा है। अयोध्या का राम मंदिर बेहद विशाल होगा। कहा जा रह है कि जब यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा।
अयोध्या राम मंदिर में इस्तेमाल हुआ बिल्डिंग मटेरियल
मंदिर का मुख्य भाग राजसीठाठ-बाट लिए हुए है। यह राजस्थान के मकराना संगमरमर की प्राचीन श्वेत शोभा से सुसज्जितहै। इस मंदिर में देवताओं की उत्कृष्ट नक्काशी कर्नाटक के चर्मोथी बलुआ पत्थर पर की गई है। जबकि, प्रवेश द्वार की भव्य आकृतियों में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर में गुजरात की उदारता उपहार स्वरूप 2100 किलोग्राम की शानदार अष्टधातु घंटी के रूप में दिखती हैजो इसके हॉलों में दिव्य धुन के रूप में गूंजेगी। इस दिव्य घंटी के साथ, गुजरात ने एक विशेष ‘नगाड़ा’ ले जाने वाला अखिल भारतीय दरबार समाज द्वारा तैयार 700 किलोग्राम का रथ भी उपहार स्वरूपदिया है। भगवान राम की मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया गया काला पत्थर कर्नाटक से आया है। हिमालय की तलहटी से अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने जटिल नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हस्तनिर्मित संरचना पेश किए हैं,जो दिव्य क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में खड़े हैं। पीतल के बर्तन उत्तर प्रदेश से तो पॉलिश की हुई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र से आई है।
अयोध्या राम मंदिर का आकार (Ayodhya Ram mandir size)
मंदिर का आकार मौजूदा ढांचे से तीन गुना बड़ा होगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय आकार का होगा, जबकि संरचना की परिधि गोलाकार होगी। गर्भगृह का निर्माण मकराना मार्बल से किया जा रहा है। मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा जिसमें पांच गुंबद और एक टावर होगा। मंदिर को तीन मंजिला बनाया जा रहा है। गर्भ गृह को ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि सूर्य की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें। रामलला भगवान श्रीराम के शिशु अवतार हैं। मंदिर में गर्भ गृह की तरह गृह मंडप पूरी तरह से ढंका होगा, जबकि कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप और दो प्रार्थना मंडप खुले रहेंगे।
मंदिर में खिड़कियां और दरवाजे भी लगाए जाएंगे। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जाएंगे। यह बेहद मजबूत लकड़ी होती है जिसकी उम्र लगभग 100 साल के आस पास होती है। इन लकड़ियों को महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मंगवाया गया है। लकड़ियों की पहली खेप अयोध्या पहुंच चुकी है। 26 से 30 जून के बीच अनुष्ठान के बाद मंदिर के लिए खिड़कियां और दरवाजे बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। खिड़की और दरवाजे कुशल कारीगरों के हाथों से बनाए जाएंगे।
अयोध्या राम मंदिर भगवान की मूर्ति (Idol of God)
मंदिर में भगवान की 2 मूर्तियां रखी जाएंगी। एक वास्तविक मूर्ति होगी जो 1949 में मिली थी और दशकों तक तंबू में रही है। दूसरी नयी विशाल प्रतिमा काफी दूर से दिखाई देगी। निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने 15 जनवरी को कहा कि अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की एक गहरे रंग की मूर्ति को अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापना के लिए चुना गया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार सचिव चंपत राय, ट्रस्ट के 15 सदस्यों में से 11 ने मैसूर के कलाकार योगीराज द्वारा बनाई गई मूर्ति के पक्ष में मतदान किया। “भगवान श्री राम लला की बनी मूर्ति पांच साल के बच्चे के रूप में है। यह प्रतिमा 51 इंच ऊंची है, जो काले पत्थर से बनी है और बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाई गई है, ” राय ने मीडिया को बताया। राय ने कहा मूर्ति तीन-मंजिला मंदिर के भूतल पर रखी जाएगी।
मंदिर में 2,100 किलो का एक विशाल घंटा लगाया जाएगा। जो 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। इसके अलावा मंदिर में विभिन्न आकार के 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। जिनका वजन 500, 250, 100 किलो होगा। घंटों का निर्माण पीतल के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर किया जाएगा। इन घंटों का निर्माण जलेसर, एटा की फर्म सावित्री ट्रेडर्स कर रही है। एटा का जलेसर पूरी दुनिया मे घुंघरू और घंटी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इन चीजों का निर्माण कर रहे हैं। देश के कई मंदिरों में जलेसर के बने हुए घंटे लगे हैं।
अयोध्या राम मंदिर: टाइमलाइन (Ayodhya Ram Mandir: Timeline)
1528-1529: मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।
1850: जमीन को लेकर सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई।
1949: मस्जिद के अंदर राम की मूर्ति मिली, सांप्रदायिक तनाव तेज हुआ।
1950: मूर्ति पूजा की अनुमति के लिए फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो मुकदमे दायर किए गए।
1961: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मूर्ति को हटाने की मांग की।
1986: जिला अदालत ने हिंदू उपासकों के लिए स्थल खोला।
1992: 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को गिराया गया।
2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
2011: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई।
2016: सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, राम मंदिर के निर्माण की मांग की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि थी, पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि ट्रस्ट को सौंप दी और सरकार को वैकल्पिक स्थल के रूप में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
2020: पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया और शिलान्यास किया।
अयोध्या में हो रहा है चहुमुखी विकास
भगवान श्रीराम के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने कमर कस ली है। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में 32 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। इसके तहत अयोध्या को एक सुंदरतम नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है। साथ ही अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जा रह अहै ताकि यात्रियों को आने में परेशानी न हो। इसके साथ ही अयोध्या के रेलवे स्टेशन को आधुनिक स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इनके अलावा मठ-मदिरों का सुंदरीकरण किया जा रहा है और शहर में फोर लेन और सिक्स लेन मार्गों का निर्माण किया जा रहा है।
अयोध्या राम मंदिर की ताज़ा तसवीरें
अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तस्वीरें
(स्रोत: अमित शाह का ट्विटर हैंडल)
अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को यहां लाइव देखें!
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रामलला की मूर्ति
श्री रामलला सरकार के गर्भगृह में स्वर्ण मंडित द्वार
अयोध्या राम मंदिर गर्भगृह फोटो
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अयोध्या राम मंदिर का रात्रि दृश्य
स्रोत: Twitter/@DDUttarPradesh
(सभी तस्वीरें श्रीराम तीर्थक्षेत्र के इंस्टाग्राम फ़ीड से ली गई हैं)
ताजा खबर
राम मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर
22 अप्रैल, 2024: अयोध्या राम मंदिर के परकोटा क्षेत्र में छह अतिरिक्त मंदिर होंगे, जो भगवान शिव और भगवान हनुमान जैसे देवताओं को समर्पित होंगे, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा। राइ के अनुसार, मंदिर का परकोटा बहुउद्देश्यीय होगा, जहां 6 और मंदिर बनाए जाएंगे जो भगवान शंकर, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान और मां अन्नपूर्णा को समर्पित होंगे। “महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र और महर्षि अगस्त्य का भी मंदिर परिसर में बनाया जाएगा। निषाद राज, माँ शबरी, माँ अहिल्या और जटायु के मंदिर भी बनाये जायेंगे,” राय ने कहा।
राय ने 21 अप्रैल को कहा कि एक बार पूरा होने पर, मंदिर एक समय में 25,000 तीर्थयात्रियों को समायोजित करने में सक्षम होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
वर्तमान में राम मंदिर की जमीन का मालिक कौन है?
वर्तमान में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर की जमीन का स्वामित्व रखता है। इस जमीन में किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए ट्रस्ट जिम्मेदार है।
राम मंदिर का निर्माण कौन सी कंपनी कर रही है।
इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए जानी जाने वाली दिग्गज कंपनी लार्सन एण्ड ट्रूबो लिमिटेड राम मंदिर का निर्माण कर रही है। जिसमें भारत के कई तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी कंपनी को मिल रहा है।
राम मंदिर के निर्माण में अभी कितना समय और लगेगा?
साल 2023 के अंत तक राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है। इसके बाद यह मंदिर भगवान श्रीराम को समर्पित कर दिया जाएगा।
अयोध्या नगरी का क्या महत्व है?
भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित, अयोध्या को हिंदुओं के छह पवित्र शहरों में से प्रमुख शहर के रूप में परिभाषित किया गया है। अन्य पांच हैं, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची और उज्जैन।
दिल्ली से अयोध्या कितनी दूर है?
अयोध्या दिल्ली से 636 किमी दूर है.
लखनऊ से अयोध्या कितनी दूर है?
रेल मार्ग से अयोध्या लखनऊ से 128 किमी दूर है.
गोरखपुर से अयोध्या कितनी दूर है?
रेल मार्ग से अयोध्या, गोरखपुर से 171 कि.मी. दूर है।
प्रयागराज से अयोध्या कितनी दूर है?
रेल मार्ग से अयोध्या, प्रयागराज से 157 किमी दूर है।
काशी से अयोध्या कितनी दूर है?
रेल मार्ग से अयोध्या वाराणसी से 196 किमी दूर है।