वास्तु विशेषज्ञ बतातें हैं कि एक बच्चे के मानसिक विकास में उसके घर वालों के साथ के संबंधनों का बहुत बड़ा हाथ होता है। इसलिए बच्चों के कमरे हमेशा खुशनुमा और पॉजिटिव एनर्जी से भरे होने चाहिए। बच्चों के कमरों के लिए वास्तु कई नुस्के बताता है जिनसे उनकी सोच और भी सकारात्मक बन सकती है।
बच्चों के कमरे पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा में होने चाहिए। दक्षिण, नैऋत्य या आग्नेय दिशाएं बच्चों के कमरे बनाने के लिए बिलकुल सही नहीं होती। बच्चों के कमरों कि बनावट और सजावट दोनों ही उनके स्वभाव और सोच के मुताबिक होनी चाहिए।
बच्चों के कमरों को डिज़ाइन करते वक़्त आपको हर उस बात का ध्यान रखना चाहिए जिसका उनकी मानसिकता और प्रगति पर असर पढ़ सकता है। वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरे उन्ही की तरह ख़ुशी से भरे होने चाहिए। उनके कमरों की बनावट के अलावा हर एक चीज़, जैसे बेड, टेबल, कुर्सी इत्यादि कि दिशा का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए क्यूंकि इन चीज़ों का भी उनके भविष्य पर गहरा असर पड़ता है।
वास्तु कहता है की बच्चों के कमरों में कम से कम गैजेट्स रखने चाहिये। जितना हो सकें उनके कमरों में अच्छी किताबें रखनी चाहियें। वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरों में रखे कम्प्यूटर्स और लैपटॉप्स को उत्तर दिशा में रखना चाहिए और टेलीविज़न को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार बच्चों के कमरों में मिरर को इस तरह रखना चाहिए कि उनमें बच्चों का प्रतिबिंब ना दिखे। यह कोशिश करनी चाहिए कि मिरर या तो कमरे के दरवाज़े के पीछे हो और या फिर अलमारी के अंदर की तरफ हो।
ऊपर बताये गए बच्चों के कमरों के वास्तु उपायों का पालन करें और अपने बच्चों के अच्छे भविष्य को साकार होता देखें। ध्यान रहे की सिर्फ लमऱे ही नहीं बल्कि उनमें कही जाए वाली बातों का भी बच्चों पर उतना ही असर होता है जितना कि वस्तुओं का। तो उसका भी उतना ही ख़याल रखें।
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