धनतेरस की पूजा भारतीय हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पूजा दीपावली के दौरान हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। धनतेरस का नाम संस्कृत शब्द “धन” और “तेरस” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “धन की त्रयोदशी”। इस दिन लोग धन, समृद्धि, खुशहाली और लंबी आयु की प्राप्ति के लिए भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह पूजा धनतेरस के दिन ही की जाती है ताकि लोगों को भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
धनतेरस की पूजा में घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें फूलों और रंगों से सजाते हैं। घर के द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और घर के अंदर लाइट्स लगाई जाती हैं। पूजा के लिए धनतेरस के दिन लोग लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष तैयारी करते हैं। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्तियां, अगरबत्ती, दीपक, नवरत्न माला, कलश, फूल, नारियल, पूजा के पाठ के लिए मंत्र पुस्तिका, रोली, अक्षत, नगदी, सोने के सिक्के, पूजा की थाली, वस्त्र, पान, सुपारी, फल, और प्रसाद रखा जाता है।
धनतेरस की पूजा में घर के सभी लोग भाग लेते हैं। पूजा की शुरुआत करने से पहले घर के सभी सदस्य स्नान करते हैं और साफ वस्त्र धारण करते हैं। उनके बाद पूजा स्थल को सजाया जाता है और पूजा के लिए सभी सामग्री सजाई जाती है। पूजा की थाली पर मुख्य रूप से भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की मूर्तियां, दीपक, अगरबत्ती, फूल, अक्षत, प्रसाद और नगदी रखी जाती है। पूजा के दौरान पंडित या पुरोहित पूजा करवाते हैं और मंत्रों का पाठ करते हैं। अगर पंडित नहीं है तो घर कोई भी सदस्य इस पूजा को कर सकता है। पंडित या पूजा करने वाले सदस्य के निर्देशन में सभी लोग पूजा करते हैं और मन्त्रों का जाप करते हैं। धनतेरस की पूजा में धनवंतरी मंत्र, कुबेर मंत्र, लक्ष्मी मंत्र और गणेश मंत्र प्रमुख होते हैं।
पूजा के बाद लोग एक दूसरे को धनतेरस की शुभकामनाएं देते हैं और प्रसाद बांटते हैं। यह प्रसाद मुख्य रूप से मिठाई और फल के रूप में होता है। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों में धन और समृद्धि की आशा करते हैं और भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी का आभार प्रकट करते हैं।
धनतेरस की पूजा का अर्थिक महत्व भी होता है। धनतेरस को धन की प्राप्ति का शुभ मुहूर्त माना जाता है और लोग इस दिन नया सामान या गाड़ी घोडा खरीदते हैं। व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए यह दिन खास महत्व रखता है, व्यापारियों और उद्योगपति मानते हैं कि इस दिन उन्हें अपने व्यापार में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धनतेरस की पूजा धार्मिक और सामाजिक महत्व के साथ-साथ परिवार के बंधनों को मजबूत करती है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते हैं और उन्हें एक दूसरे के साथ वक्त बिताने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, यह त्योहार दानशीलता को प्रोत्साहित करता है। इस दिन लोग गरीबों और बेसहारा लोगों के प्रति उदारता दिखाते हैं और उन्हें दान देते हैं।
धनतेरस की पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है जो हमें समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। इसके द्वारा हम धन और समृद्धि की कामना कर सकते हैं और अपने परिवार और समुदाय के विकास में योगदान दे सकते हैं।
धनतेरस पर न करें ये गलतियां
- धनतेरस के दिन हमेशा नई झाड़ू का प्रयोग करें। पुरानी झाड़ू को मध्यरात्रि में घर से बाहर कर दें।
- धनतेरस के पहले घर से कूड़ा कचरा साफ कर दें। धनतेरस के दिन घर पूरी तरह से साफ होना चाहिए और वहां किसी भी प्रकार की कोई गंदगी नहीं होना चाहिए।
- मुख्य द्वार पर विशेष साफ सफाई होना चाहिए। ध्यान रखें कि माँ लक्ष्मी का प्रवेश मुख्य द्वार से ही होता है ऐसे में द्वार पर विशेष साज सज्जा करें।
- धन तेरस में भगवान कुबेर के साथ ही मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी की भी पूजा करें।
- धनतेरस पर दिन में सोने से बचें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रूठ सकती हैं और घर में दरिद्रता का वायस हो सकता है।
- धनतेरस पर किसी को भी उधार न दें।
- धनतेरस पर लोहा न खरीदें। इस दिन लोहा खरीदने से घर में दरिद्रता आती है।