घरों की डिमांड को बढ़ाने के लिए ब्रोकर्स क्या कर सकते हैं?

यहां हम आपको कई तरीके बता रहे हैं, जिसके जरिए ब्रोकर्स कोरोना वायरस के कारण आए स्लोडाउन में हाउसिंग डिमांड को सकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं और अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं.

भारत के रियल एस्टेट सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स ऐसे विभिन्न तरीके खोज रहे हैं, ताकि ग्राहकों को प्रॉपर्टी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. ये ऐसा वक्त है, जब घरों की बिक्री लगातार गिर रही है. हाउसिंग डॉट कॉम का डेटा दिखाता है कि देश के 9 अग्रणी रिहायशी बाजारों में जनवरी से मार्च 2020 तक 69,235 यूनिट्स ही बिक पाईं. ऐसी स्थिति में, यह रियल एस्टेट एजेंटों और ब्रोकरेज फर्मों के लिए जरूरी हो जाता है, ताकि खरीदारों की भावनाओं और बिक्री को बेहतर किया जा सके.

अपने स्तर पर सरकार ने टैक्स कटौती की सीमा को पहली बार घर खरीद रहे खरीदारों के लिए सेक्शन 80ईईए के तहत बढ़ा दी है. आरबीआई ने भी रेपो रेट में काफी कटौती की है, जिस पर वह 4 प्रतिशत के ब्याज पर बैंकों को पैसे देता है. इस कदम से होम लोन्स पर ब्याज दर रिकॉर्ड स्तर तक घट गई है. डेवेलपर्स भी ग्राहकों को लुभाने के लिए कीमतों पर आकर्षक डिस्काउंट दे रहे हैं.

भले ही एजेंट लेन-देन में केवल सुविधा के रूप में काम करते हैं और किसी सौदे के विभिन्न पहलुओं वे कुछ नहीं कह सकते लेकिन सकारात्मक बदलावों को लागू करने में सक्षम हैं.

आइए आपको कुछ तरीके बताते हैं, जिसके जरिए ब्रोकर्स कोरोना वायरस के इकोनॉमी पर बुरे असर के बीच सकारात्मक रूप से पूरे बिजनेस को आगे बढ़ाने में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
 

कोविड-19 के समय में ब्रोकर्स घरों की डिमांड बढ़ाने के लिए ये कदम उठा सकते हैं

अपने बिजनेस के लिए हासिल करें RERA आईडी कमीशन्स पर डिस्काउंट देने पर करें विचार अपनी पहुंच बढ़ाएं मार्केट को समझने में ग्राहकों की मदद करें

 

अपने बिजनेस के लिए लें RERA आईडी

कोरोना वायरस महामारी ने सभी गतिविधियों को ठप कर दिया है, जिससे कई ग्राहकों का इस सेक्टर के लेकर विश्वास डगमगाया है और उन्होंने वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाई है. सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए, सरकार ने साल 2016 में रियल एस्टेट कानून को लागू किया था. इस कानून के तहत, बिल्डर्स और दलालों को खुद को राज्य रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (RERA) के तहत रजिस्टर कराना होगा, ताकि वे बिजनेस का संचालन जारी रख सकें.

दिल्ली के रहने वाले एडवोकेट धीरज जैन कहते हैं, ‘ब्रोकरेज कंपनियां बड़े स्तर पर भारत में संचालन कर रही हैं और उन्होंने खुद को RERA के तहत रजिस्टर भी कराया है. व्यक्तिगत दलाल अकसर ऐसा नहीं करते और बिना किसी परमिट के स्थानीय स्तर पर अपना बिजनेस जारी रखते हैं. नतीजतन, दलालों का एक बड़ा वर्ग अनियंत्रित रहता है. मार्केट में बड़े खिलाड़ियों की मौजूदगी के बावजूद, ग्राहकों के एक बड़े वर्ग को पड़ोस के दलालों से डील करना आसान लगता है, क्योंकि वे स्थानीय बाजार से परिचित होते हैं. कई बार ऑनलाइन माध्यमों में काम करने के डर के कारण भी ग्राहक उनके पास जाते हैं. अगर ये व्यक्तिगत दलाल खुद को RERA के तहत रजिस्टर करा लें तो वे ज्यादा विश्वसनीय बनने के साथ-साथ अपना बिजनेस कई गुना बढ़ा पाएंगे.

कमीशन्स पर डिस्काउंट देने पर करें विचार:

इस वक्त भारतीय बिल्डर्स पर दामों में कटौती करने का जबरदस्त दबाव है. भले ही पिछले 5 वर्षों में प्रॉपर्टी की कीमतों में बहुत कम ही इजाफा हुआ है. कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने हाल ही में इस समुदाय से कीमतों को घटाने को कहा, ताकि वे कोविड-19 महामारी के समय में खुद को बचा सकें.

नेशनल रियल एस्टेट डेवेलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) ने जून 2020 को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप अपनी इन्वेंट्री के साथ बने रहना चुन सकते हैं या फिर बैंकों के साथ डिफ़ॉल्ट कर सकते हैं, या आप इसे बेच सकते हैं, भले ही आपने इसे ज्यादा कीमतों पर खरीदा हो और आगे बढ़े हों.’

इस पर विचार करते हुए, रियल एस्टेट एजेंट्स अपने कमीशन पर कुछ डिस्काउंट दे सकते हैं ताकि ग्राहकों को अपनी ओर खींचा जा सके. आमतौर पर, दलाल खरीदार और विक्रेता दोनों से समझौता मूल्य का 1% वसूलते हैं. इस कठिन समयों में कोई भी कटौती करने पर विचार कर सकता है.

49 वर्षीय लथिका श्रीनिवास ने पश्चिमी दिल्ली के एक डीडीए फ्लैट को बेचने की योजना स्थगित की है. वे कहती हैं, ‘अगर खरीदार अभी खरीदने को तैयार नहीं हैं तो विक्रेता भी बेचने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. वो इसलिए क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें अपनी प्रॉपर्टी की सही कीमत नहीं मिलेगी. चूंकि वे एक अच्छा खासा हिस्सा कैपटल गेन्स टैक्स में हुए मुनाफे पर भुगतान के अलावा अन्य शुल्क, जिसमें ब्रोकरेज भी शामिल है, पर चुकाएंगे. इससे वे इस धीमी गति से बढ़ रहे मार्केट में अपनी प्रॉपर्टी को बेचकर निराश ही होंगे. प्रॉपर्टी ब्रोकरों को इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए और ब्रोकरेज पर कुछ छूट देकर इस सेगमेंट को आगे बढ़ाना चाहिए.’

अपनी पहुंच बढ़ाएं:

ब्रोकरेज कंपनियां अब बड़े स्तर पर संचालन कर रही हैं ताकि ग्राहकों को एक ही जगह पर सारी सुविधाएं मुहैया करा सकें. वे ग्राहकों को साइट विजिट असिस्टेंस, वर्चुअल पेमेंट सर्विसेज इत्यादि के अलावा हाउसिंग फाइनेंस से लेकर लीगल हेल्प तक मुहैया करा रही हैं. लेकिन किसी व्यक्तिगत प्रॉपर्टी ब्रोकर या छोटे स्तर पर बिजनेस करने वाली कंपनी में ये सुविधाएं ग्राहकों को नहीं मिलेंगी.

चूंकि इस दिनों रियल एस्टेट लेनदेन ज्यादा नहीं हो रही हैं इसलिए ये सही समय है, जब आप अपने कॉन्टैक्ट्स को और बढ़ाकर अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ टाईअप कर सकते हैं ताकि क्लाइंट्स के लिए खरीद प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके. इस तरह, न तो ग्राहक न ही विक्रेता को प्रॉपर्टी को डील पूरी करने के लिए इधर से उधर जाना पड़ेगा.

धीरज जैन कहते हैं, ‘ऐसे वक्त में जब सोशल नॉर्म्स लागू हैं तो स्थानीय दलालों के पास बिक्री को रूप देने का सुनहरा मौका है क्योंकि वे उसी इलाके के विक्रेताओं के साथ खरीदारों की बातचीत करा सकते हैं. अगर वे अपना बिजनेस बैंकों और लीगल एक्सपर्ट्स के साथ टाईअप करके बढ़ाना चाहते थे तो उनके पास बिजनेस को कई गुना बढ़ाने का मौका है. कहने की जरूरत नहीं है, कि विस्तारित नेटवर्क उन्हें अपने पूरे करियर में मदद देना जारी रखेगा.’

ग्राहकों को मार्केट को समझने में मदद करें:

पहली बार घर खरीद रहे या बेच रहे लोगों को जटिल वैधता और टैक्स कानूनों के कारण लेनदेन में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. चूंकि ब्रोकर को इन विषयों के बारे में काफी गहराई से पता होता है तो वे खरीदारों और विक्रेताओं की मार्केट को बेहतर समझने, लेनदेन के विभिन्न कानूनी व वित्तीय पहलुओं और प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों के दौरान मदद कर सकते हैं. इस कार्य को क्लाइंट का विश्वास जीतने के साथ-साथ ब्रैंड को बनाने के काम के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे लंबी अवधि में आपके बिजनेस को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

FAQs

भारत में ब्रोकर्स कितना शुल्क लेते हैं?

आमतौर पर, भारत में दलाल कमीशन के रूप में डील वैल्यू का 2% वसूलते हैं.

क्या होता है वर्चुअल टूर?

वर्चुअल टूर में आपको वीडियो और फोटोज के जरिए प्रॉपर्टी का 360 डिग्री का नजारा देखने को मिलता है. एक वर्चुअल टूर से दर्शक अपनी मर्जी से जो देखना चाहता है, वो देख सकता है.

रियल एस्टेट एजेंट्स भारत में कैसे अपनी पहुंच बढ़ा सकते हैं?

रियल एस्टेट एजेंट कानूनी विशेषज्ञों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ गठजोड़ करके और ग्राहकों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया सहित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके अपनी पहुंच बढ़ा सकते हैं.

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