हमारे सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों का बहुत ही महत्व होता है। और खासकर हमारे लिये भगवान शिव की पूजा–आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है।कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुसार हर एक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा– अर्चना की जाती है ,लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ होती है। जहां पर शिवलिंग का जलाभिषेक विधि–विधान के रूप में किया जाता है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि वह महारात्रि है जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। वह हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख शान्ति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं ।महाशिवरात्रि, शिव तत्त्व का उत्सव मनाने का भी दिन होता है। इस दिन सभी साधक और भक्त मिलकर उत्सव मनाते हैं। शिव तत्व यानी वह सिद्धांत या सत्य जो हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है।
महाशिवरात्रि 2024 सही डेट
महाशिवरात्रि 2024 में 8 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
महाशिवरात्रि 2024 सही तिथि
2024 में महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है। इसलिए उदया तिथि के अनुसार 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि 2024 पूजा शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त– देर रात 12 बजकर 07 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 56 मिनट तक
निशिता काल पूजा समय: 07मार्च को सुबह 12 बजकर 12 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय: शाम 06 बजकर 29 मिनट से रात 09 बजकर 33 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 8 मार्च को सुबह 09 बजकर 33 मिनट से 9 मार्च सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक
महाशिवरात्रि पूजन सामाग्री
- पूजा की थाली
- तांबे का लोटा
- भगवान शिव को दूध चढ़ाने के लिये स्टील का लोटा
- दूध
- दही
- शहद
- गंगाजल
- शुद्ध जल
- बेलपत्र
- बेल फल
- भांग
- धतूरा
- शमी पत्र
- बेर
- गन्ना
- फूल
- फल
- अष्टगंध
स्रोत: Pinterest/ashwagandhavitality
- पीला चंदन
- लाल चंदन
- सफेद चंदन
- अबीर
- अक्षत
- तिल
- काकुन
- जनेऊ
- गुड़
- घी
- दीपक
- बत्ती
- सिंदूर
- धूप
पार्वती माता के श्रृंगार के लिये सामान
साड़ी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, आलता, नेल पेंट, आभूषण आदि।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन हमें सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कामों से निपटकर अपने घर की साफ – सफाई के बाद नहाना चाहिए।
• उसके बाद हो सके तो नये वस्त्र पहने और न हो तो साफ धुले हुए वस्त्र ही पहने।
• तैयार होने के बाद पूजा की थाली सजाकर फिर भगवान भोले नाथ के मन्दिर जाएं।
• महाशिवरात्रि के दिन हमें घर के सभी छोटे– बड़े सब लोंगों को मन्दिर अवश्य जाना चाहिए।
• साथ इस दिन सबको व्रत भी रखना चाहिए।
• मन्दिर जाने के बाद सबसे पहले भगवान भोले नाथ को शुद्ध जल से स्नान करायें।
• उसके बाद दूध , दही, शहद, ये सभी चढ़ाएं। और साथ में इस मंत्र को भी जपते रहें।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
• उसके बाद गंगाजल चढ़ाएं और फिर शुद्ध जल से स्नान करायें।
• स्नान कराने के बाद भगवान् को बेल पत्र, फल, फूल, भांग , धतूरा, बेर, गन्ना, चंदन, गुड़, शमी पत्र, ये सभी सामाग्री चढ़ाएं और उसके बाद धूप जलाएं।
• उसके बाद माता पार्वती का भी श्रृंगार करें।
• उसके बाद शिव परिवार की भी पूजा करें। तथा पूजा करने के बाद एक आसनी पर बैठकर नीचे दिये गये सभी मंत्रों का पाठ करें।
• साथ ही मन्दिर में बैठकर शिव तांडव स्त्रोत का भी तेज स्वर में पाठ करें।
• पाठ करने के बाद शिव चालीसा का भी पाठ करें , और उसके बाद आरती करें। उसके बाद पूजा में जो भी भूल चूक या गलती हुई हो उसके लिये भगवान भोलेनाथ से क्षमा प्रार्थना करें।
•तथा भगवान भोले नाथ से अपने मन की सभी मनोकामना की पूर्ति के लिये प्रार्थना करें। एवं भोले नाथ को नत मस्तक होकर प्रणाम करें।
माना जाता है महाशिवरात्रि के दिन अगर आप भगवान भोले नाथ से अपनी जो भी मनोकामना हो उसकी पूर्ति के लिये सच्चे मन से जो भी प्रार्थना करते हो वह अवश्य पूरी होती है।
महाशिवरात्रि के मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
ध्यान मंत्र
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं.
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम..
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं.
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्..
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा.
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते..
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
शिव चालीसा
दोहा–
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, देहु अभय वरदान।।
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला , सदा करत सन्तन प्रतिपाला ।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके , कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये , मुण्डमाल तन क्षार लगाए ।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे , छवि को देखि नाग मन मोहे ।।
मैना मातु की हवे दुलारी , बाम अंग सोहत छवि न्यारी ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी , करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे , सागर मध्य कमल हैं जैसे ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ ,या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा , तब ही दुख प्रभु आप निवारा ।
किया उपद्रव तारक भारी , देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ , लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ।
आप जलंधर असुर संहारा , सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई , सबहिं कृपा कर लीन बचाई ।
किया तपहिं भागीरथ भारी , पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं , सेवक स्तुति करत सदाहीं ।
वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला , जरत सुरासुर भए विहाला ।
कीन्ही दया तहं करी सहाई , नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा , जीत के लंक विभीषण दीन्हा ।
सहस कमल में हो रहे धारी , कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई , कमल नयन पूजन चहं सोई ।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर , भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ,करत कृपा सब के घटवासी ।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै , भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो , येहि अवसर मोहि आन उबारो ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो , संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात–पिता भ्राता सब होई , संकट में पूछत नहिं कोई ।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं , जो कोई जांचे सो फल पाहीं ।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन , मंगल कारण विघ्न विनाशन ।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं , शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय , सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ।
जो यह पाठ करे मन लाई , ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी ।
पुत्र हीन कर इच्छा जोई , निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे , ध्यान पूर्वक होम करावे ।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा , ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे , शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ।
जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी,जानि सकल दुःख हरहु हमारी
शिव तांडव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥॥
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका–
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥॥
भगवान शिव जी की आरती
ॐजय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
महाशिवरात्रि कथा
महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में भी मनाई जाती है। क्योंकि महाशिवरात्रि पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सभी शिवभक्त हर शहर, हर गली मुहल्ले में तमाम स्थानों पर महाशिवरात्रि के इस महा पर्व पर शिव जी की बारात निकालते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर व्रत, पूजा और जलाभिषेक करने पर वैवाहिक जीवन से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियां दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख–समृद्धि आती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रगट हुए थे। इस कारण से 12 ज्योतिर्लिंग के प्रगट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के व्रत में क्या- क्या फलाहार ले सकते हैं?
वैसे तो भगवान शिव के इस पावन दिन पर हमें निर्जला व्रत रखने की सलाह दी जाती है और इस दिन निर्जला व्रत रखा भी जाता है। लेकिन अगर किसी कारण वश आप निर्जल व्रत नहीं रख पाते हैं तो आप फलाहार भी ले सकते हैं। इससे आप आराम से बिना अपने व्रत को खंडित किये हुए आसानी से व्रत रख सकते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत में अगर आप निर्जल व्रत नहीं रख रहें हैं तो आप दिन में एक बार या दो बार जल ले सकते हैं। लेकिन अगर आप बुजुर्ग हैं या फिर आपको कोई बिमारी है लेकिन फिर भी आप महाशिवरात्रि का व्रत रखना चाहते हैं तो आप महाशिवरात्रि के व्रत में नमक छोड़कर और फलाहार में आने वाली सभी चीजों को ले सकती हैं। जैसे- फल में सेब, संतरा, अंगूर, अनार, केला, कच्चा नारियल, नारियल पानी, ड्राई फ्रूट, साबूदाना, रामदाना, मखाना आप ये सभी चीजें महाशिवरात्रि व्रत में ले सकते हैं। इसके साथ ही आईये जानते हैं की इस महाशिवरात्रि पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन क्या करें
- महाशिवरात्रि के दिन आप कोशिश करें की निशिता मुहूर्त में पूजा अवश्य करें।
- इस दिन भगवान शिव का गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन पूजा के बाद भगवान शिव की शिवरात्रि की कथा अवश्य सुननी चाहिए। ऐसा करना विशेष फलदायी होता है।
- महाशिवरात्रि के दिन साफ एवं नये कपड़े पहने। इस दिन आप लाल, हरा, नारंगी, गुलाबी, सफेद इन सभी कलर के कपड़े पहन सकते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मन्दिर में एक अखंड दीपक जलाएं एवं अपने घर के मन्दिर में भी एक अखंड दीपक जलाएं।
- महाशिवरात्रि के दिन आपको अपने घर में अपने घर की सुख- शांति के लिये रुद्राभिषेक करवाना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन अपने घर व भगवान शिव के मन्दिर में जाकर रात्रि में भजन कीर्तन करें व रात्रि जागरण करें।
- महाशिवरात्रि के दिन मन्दिर से वापस आने के बाद अपने से बड़ों के पैर अवश्य छुये व उनसे आशीर्वाद लें।
- महाशिवरात्रि के दिन अपने बड़े तथा छोटों को प्यार व आशीर्वाद दें।
- मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन आप भोलेनाथ से जो कुछ भी मांगते हैं वह अवश्य पूरा होता है, इसलिए इस दिन आप के मन में जो भी मनोकामना हो उसकी पूर्ति के लिए भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना अवश्य करें।
- महाशिवरात्रि के दिन आप गऱीबों में या जरूरत मंदों को वस्त्र, मिष्ठान आदि का दान अवश्य करें।
जो भी स्त्री- पुरुष महाशिवरात्रि का व्रत पूजन करते हैं या आप व्रत नहीं करते हैं फिर भी कोशिश करनी चाहिए कि आप इस दिन ब्रम्हचर्य का पालन अवश्य करें। - महाशिवरात्रि के दिन ज्यादा से ज्यादा भगवान शिव के नामों का जप करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन क्या न करें
- महाशिवरात्रि के दिन किसी भी प्रकार के नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को टूटे हुए अक्षत नहीं अर्पित करने चाहिए,साथ ही कटे फटे या जिसमें छिद्र हो ऐसे बेलपत्र भी भगवान शिव को अर्पित नहीं करने चाहिए।
- इस दिन भगवान शिव को केतकी, केवड़ा, कपास आदि फूलों को नहीं अर्पित करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी भगवान शिव को लोहे के पात्र से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
इस दिन रात्रि में सोना नहीं चाहिए। - महाशिवरात्रि के दिन तथा महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व से ही हमें तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, माँस, मदिरा आदि वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन घर में या घर से बाहर किसी से भी लड़ाई – झगड़े नहीं करने चाहिए और न ही अपशब्द का प्रयोग करना चाहिए।
- इस दिन अपने बड़ों तथा छोटों से अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए।
- इस दिन जानवरों को मारना- पीटना नहीं चाहिए।
- इस दिन काली वस्तुओं का दान भी नहीं करना चाहिए।