फुलेरा दूज का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। विशेष रूप से इस दिन से मथुरा तथा पूरे देश में होली का शुभारंभ हो जाता है। यह त्यौहार विशेषकर उत्तर प्रदेश के मथुरा-दावन क्षेत्र में मनाया जाता है. फुलेरा दूज, वसंत पंचमी और होली के बीच आता है| यह त्यौहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है| इस दिन श्री राधा-कृष्ण की पूजा होती है तथा इस दिन फूलों से होली भी खेली जाती है| चूंकि इस दिन पूरा दिन ही मुहूर्त बहुत शुभ होता है, लोग फुलेरा दूज के दिन बिना मुहूर्त देखे भी शादी करते हैं|
फुलेरा दूज महत्व
फुलेरा दूज का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह दिन भगवान् कृष्ण के भक्तों के लिए खास दिन होता है. इस दिन आप सारे मांगलिक कार्य बिना किसी मुहूर्त कर सकते हैं क्योंकि यह दिन बहुत शुभ होता है.
इस दिन आप विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, जैसे सभी कार्य पूरे दिन कर सकते हैं. फुलेरा दूज के दिन श्री राधा कृष्ण का विभिन्न प्रकार के फूलों से श्रृंगार किया जाता है तथा घरों में फूलों से रंगोली बनाई जाती है. मथुरा-वृंदावन में सभी कृष्ण मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है तथा राधा कृष्ण के संग फूलों की होली खेली जाती है. इसके साथ ही होली के आगमन और होली की तैयारी शुरू कर दी जाती है.
फुलेरा दूज 2024 में कब है?
फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. साल 2024 में फुलेरा दूज का त्यौहार उदया तिथि के अनुसार 12 मार्च दिन मंगलवार को मनाया जाएगा|
फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त 2024
फुलेरा दूज: 12 मार्च 2024 दिन मंगलवार
द्वितीया तिथि प्रारंभ: 11 मार्च दिन सोमवार को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से शुरु होकर
द्वितीया तिथि का समापन: 12 मार्च 2024 को सुबह 7 बजकर 13 मिनट तक
फुलेरा दूज के दिन शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त
फुलेरा दूज का दिन एक ऐसा दिन होता है जो सभी दोषों से मुक्त होता है तथा सभी कार्यों के लिए बहुत ही विशेष दिन होता है. फुलेरा दूज के दिन हमें किसी भी मुहूर्त की आवश्यकता नही होती है क्योंकि यह दिन अपने आप में ही बहुत शुभ होता है. फुलेरा दूज के दिन भारत में सबसे ज्यादा विवाह होते हैं क्योंकि यह दिन हर शुभ कार्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है|
फुलेरा दूज 2024 पूजा विधि
फुलेरा दूज के दिन विशेष तौर पर श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है| आईये जानते हैं फुलेरा दूज पर श्री राधा कृष्ण की पूजा कैसे करें?
Step 1: फुलेरा दूज के दिन श्री राधा रानी और कृष्ण की पूजा करें|
Step 2: इस दिन अपने घर और मंदिरों में भगवान् कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियों को खूब सुंदर सा सजायें|
Step 3: इसमे रोशनी भी लगाएं|
Step 4: इसके बाद राधा और कृष्ण को पीले वस्त्र धारण करायें|
Step 5: राधा-कृष्ण को रंग बिरंगे फूल अर्पित करें|
Step 6: इसके बाद श्री कृष्ण को पीला चंदन लगाएं तथा राधा रानी को सिंदूर लगाएं. साथ ही राधा जी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें|
Step 7: इसके साथ ही राधा कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं. साथ ही बेसन के लड्डू के भी भोग लगाएं|
Step 8: घी का दीपक जलाएं| साथ ही विधिवत पूजन करें.
Step 9: इसके साथ ही हमें इस दिन भगवान् कृष्ण के भजन, कृष्ण के मंत्र तथा उनके स्त्रोत की स्तुति करनी चाहिए|
फुलेरा दूज के दिन श्री कृष्ण व राधा रानी को कौन- कौन से फूल अर्पित करने चाहिए
फुलेरा दूज के दिन ब्रज तथा मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है। तथा फुलेरा दूज के दिन श्री राधा और श्री कृष्ण को गेंदे समेत 7 प्रकार के फूल अर्पित करने चाहिए। क्योंकि इस दिन वृन्दावन में भक्त आमतौर पर राधा-कृष्ण के प्रेम को व्यक्त करने के लिए उन पर फूलों की वर्षा करते हैं। और फूलों की होली खेलते हैं। इस दिन श्री कृष्ण व राधा रानी को गेंदे की तरह- तरह की वरायटी, गुलाब, चमेली, कमल, हरश्रृंगार, डहेलिया, गुल्दाउदी इन सभी फूलों को विशेष रूप से श्री कृष्ण व राधा रानी को अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन ब्रज में रसिया और “संध्या आरती” किए जाने वाले दो मुख्य कार्यक्रम माने जाते हैं। फुलेरा दूज के दिन
मंदिरों में विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन और नाटक किए जाते हैं, जिनमें भक्तों द्वारा कृष्ण लीला और भगवान कृष्ण के जीवन की अन्य कहानियों पर भाग लिया जाता हैं और प्रदर्शन किया जाता हैं।
Ye फुलेरा दूज में पूजा विधि के नीचे तथा श्री कृष्ण मंत्र के ऊपर add करें.
फुलेरा दूज के दिन क्या करें व क्या न करें?
फुलेरा दूज के दिन क्या करें
- फुलेरा दूज के दिन हमें साफ – सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- इस दिन हमें अपने घर के मन्दिर में राधा – कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
- फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण व राधा रानी को गुलाब व कमल के फूल अर्पित करने चाहिए।
- फुलेरा दूज के भगवान कृष्ण व राधा रानी को पूजा के बाद गुलाल अर्पित करना चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से हमारे घर में तथा हमारे दाम्पत्य जीवन में खुशहाली और प्रेम बना रहता है।
- फुलेरा दूज के दिन आप बेझिझक सारे मांगलिक कार्य कर सकते हैं।
- फुलेरा दूज के दिन हमें अपने घर में कृष्ण व राधा रानी की पूजा हमें अपने पार्टेनर के साथ मिलकर करना चाहिए। साथ अगर आपकी शादी नहीं हुयी है और आप किसी से प्रेम करते हैं, तो आप अपने प्रेमी व प्रेमिका के साथ मिलकर भी फुलेरा दूज की पूजा कर सकते हैं।
- फुलेरा दूज के दिन सभी जानवरों को हरा चारा अवश्य खिलाएं।
- फुलेरा दूज के दिन राधा जी को श्रृंगार की वस्तुएं जरूर अर्पित करें और उनमें से कोई चीज अपने पास संभाल कर रख लें। ऐसा करने से आपके विवाह व् प्रेम सबंध में आने वाली परेशानियाँ दूर होंगी और जल्द ही आपका विवाह होगा। आप चाहें तो इस दिन बिना किसी मुहूर्त के भी विवाह कर सकते हैं।
फुलेरा दूज के दिन क्या न करें
- फुलेरा दूज के दिन भूलकर भी राधा रानी और कृष्ण जी की पूजा अलग- अलग न करें। ऐसा करने से आपके प्रेम संबंध में खटास आ सकती है।
- फुलेरा दूज के दिन जो गुलाल राधा और कृष्ण जी को अर्पित करें वो भूलकर भी पैरों के नीचे न आने पाये ऐसा होने पर दोष लगता है।
- फुलेरा दूज के दिन भूलकर भी किसी की निंदा न करें और न ही किसी कृष्ण भक्त का अपमान करें।
- फुलेरा दूज के दिन किसी भी गाय बछड़ें को न मारें और न ही उन्हें सताएं।
- फुलेरा दूज के दिन अपने पति तथा प्रेमी या फिर अपने से बड़े घर के सदस्यों का निरादर भूलकर भी न करें। ऐसा करने से आपके इस दिन किये गये पूजा के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
- फुलेरा दूज के दिन अपने घर पर तामसिक भोजन न ही बनने दें और न ही इसका सेवन करें।
इस दिन माँस , मदिरा आदि सभी तामसिक वस्तुओं से दूर रहें।
श्री कृष्ण मंत्र
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः|
इस मंत्र का जप आपको करना चाहिए.
कृष्ण स्तुति मंत्र
कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥
श्री कृष्ण आरती
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गांऊ|
आरती गांऊ प्रभु तुमको रिझाऊँ|
हे गिरिधर तेरी आरती गांऊ|
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गांऊ||
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे|
देख छबि बलिहार मैं जाऊँ|
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गांऊ||
चरणों से निकली गंगा प्यारी|
जिसने सारी दुनिया तारी|
मैं उन चरणों के दर्शन पाँउ|
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउँ||
दास अनाथ के नाथ आप हो|
दुःख सुख जीवन प्यारे आप साथ हो |
हरि चरणों में शीश झुकाऊं|
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाउँ||
श्री हरिदास के प्यारे तुम हो|
मेरे मोहन जीवन धन हो|
देख युगल छबि बलि- बलि जाऊं|
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गांऊ||
हे गिरिधर तेरी आरती गांऊ
आरती गांऊ प्रभु तुमको रिझाऊं
श्री बांके बिहारी!
इस दिन शाम में बड़े तथा छोटे सभी मंदिरों में श्री राधा-कृष्ण को फूलों से होली खिलायी जाती है| उसके बाद भगवान् की आरती होती है तथा उसके बाद भगवान् कृष्ण तथा राधा रानी को जो भोग लगाया रहता है उसे प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित किया जाता है
फुलेरा दूज के दिन भगवान् को कौन से भोग लगाये जाते?
फुलेरा दूज के दिन भगवान् कृष्ण तथा राधा रानी को माखन, मिश्री, दूध से बनी विभिन्न प्रकार की मिठाई तथा पोहे का भोग लगाया जाता है.
फुलेरा दूज के दिन कुछ उपायों को कर के अपने दांपत्य जीवन की परेशानियों को दूर कर सकते हैं
अगर आपके वैवाहिक जीवन में आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तो आप इस बार फुलेरा दूज पर कुछ इन उपायों को कर के अपनी परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। इसके लिये आप फुलेरा दूज के दिन अगर सच्चे मन से भोजपत्र पर पीले रंग के चंदन से अपने पति का नाम लिखकर राधा-कृष्ण मंदिर में भगवान को अर्पित करें ,तो इस उपाय से वैवाहिक जीवन में चल आ रही परेशानियों का अंत होता है। और अगर आपके घर की लड़की के विवाह में कोई परेशानी आ रही है तो फुलेरा दूज पर “ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा”मंत्र का जाप करने से लाभ होगा। आपको 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए। और साथ ही भगवान कृष्ण की विशेष पूजा – अर्चना भी करनी चाहिए।
इन सभी उपायों के साथ ही आपको फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी को वस्त्र और श्रृंगार का सामान भी अर्पित करना चाहिये, इससे आपके जीवन की सभी परेशानी दूर होती है।
फुलेरा दूज की कथा
ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण लंबे समय से अपने कार्य में व्यस्त रहते थे। जिसके कारण भगवान श्रीकृष्ण राधा रानी से नहीं मिल पाते थे। राधा रानी बहुत दुखी रहने लगी गई थी। राधा रानी के दुखी होने के कारण प्रकृति पर विपरित प्रभाव पड़ने लग गया था। भगवान श्रीकृष्ण प्रकृति की हालत को देख कर राधा रानी का दुख और नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने के लिए गये। जब भगवान श्रीकृष्ण राधा रानी से मिलें तो राधा रानी और गोपियां प्रसन्न हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छाने लग गई। भगवान श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी के ऊपर फेंक दिया। इसके बाद राधा रानी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। इसके बाद गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए। इस प्रकार हर तरफ फूलों की होली शुरू हो गई। यह सब फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था तब से इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
फुलेरा दूज के दिन संध्या आरती में गायी जाने वाली राधा जी की आरती
आरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती…
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती…
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती…
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।।
आरती राधाजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।।
आरती जगत माता की कीजै। आरती…
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।।
आरती विश्वमाता की कीजै।
आरती राधाजी की कीजै ।।
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