घर में हरसिंगार लगाना क्यूँ है लाभकारी?

हरसिंगार न केवल देखने से सुन्दर और मतवाला करने वाली सुगंध लिए हुए है बल्कि इसमें कई आयुर्वेदिक गुण भी हैं।

हरसिंगार के फूल बहुत ही सुंदर और सुगंधित होते हैं। सर्दी कि सुबहों को आपके घर के आँगन को फूलों कि चादर से ढँक देने वाला ये पौधा (हरसिंगार के फूल रात में खिलते हैं और दिन में मुरझा जाते हैं) आप बड़ी आसानी से किसी भी नर्सरी से खरीद कर अपने आंगन में लगा सकते हैं।  न केवल इससे आपके घर कि शोभा बढ़ेगी बल्कि आपके घर और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होगा।  हरसिंगार का पौधा देखने में जितना सुंदर है, उससे कहीं ज्यादा इसका धार्मिक और वास्तु शास्त्र में महत्व है। आयुर्वेद में भी इसका उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए आईए जानते हैं कि हरसिंगार के पौधे को आंगन में लगाने से क्या होता है?

 

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हरसिंगार से बुलाये सकारात्मक ऊर्जा को 

हरसिंगार का वृक्ष लगाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। घर की सभी नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती हैं और घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष भी इस वृक्ष को लगाने से समाप्त हो जाते हैं। 

 

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माता लक्ष्मी को है अति प्रिय हरसिंगार!

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हिंदू धर्म में ऐसा माना गया है कि इस वृक्ष में कहां जाता है कि साक्षात माता लक्ष्मी का वास होता है। ऐसी मान्यता है कि अगर लक्ष्मी जी के पूजन में हम इनके फूलों को चढ़ाए तो माता लक्ष्मी हमसे अति प्रसन्न होती हैं, और हमारे घर में सुख और शांति हमेशा बनी रहती है। माता लक्ष्मी जातक से प्रसन्न होकर वही निवास करती हैं। कहा जाता है माता लक्ष्मी के पूजन में उन्ही फूलों को चढ़ाया जाता है जो फूल वृक्ष से टूट कर स्वयं ही नीचे गिरे हों।  यही एक ऐसा वृक्ष है जिनके फूलों को बिना तोड़े जो नीचे टूट कर गिरे हो उन्हीं को चढ़ाया जाता है।

 

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हिंदू धर्म में हरसिंगार के फूलों का महत्व

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हिंदू धर्म में वृक्ष का एक अपना अलग ही महत्व है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय प्राप्त 14 रत्न में से एक रत्न यह वृक्ष भी है। जिसे हम पारिजात का वृक्ष भी कहते हैं। समुद्र मंथन हो जाने के बाद यह वृक्ष देवताओं को प्राप्त हुआ और देवराज इंद्र ने इस वृक्ष को अपनी वाटिका में लगाया। ऐसी मान्यता है कि एक बार रुक्मणी जी और कृष्ण जी बैठे हुए थे, तो नारद मुनि ने इन्हें हरसिंगार के फूलों की माला को भगवान श्री कृष्ण को समर्पित किया तो रुक्मणी जी इन फूलों से अति प्रसन्न हुई और फूलों से अपना श्रृंगार करने की इच्छा भगवान श्री कृष्ण को बताई। 

जिस कारण कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण इंद्रलोक से इस वृक्ष को पृथ्वी पर अपनी रानी रुक्मणी सिंगार के लिए पृथ्वी पर लेकर आए उस समय भगवान श्री कृष्ण स्वयं होने के कारण उन्होंने कुछ कहा तो नहीं पर उन्होंने यह श्राप दिया कि उनके वृक्ष के फूल सिर्फ रात में ही खेलेंगे और सुबह होते ही मुरझा । जिस कारण ही हरसिंगार के वृक्ष के फूलों को जो टूटकर गिरे हो उन्हें ही चुनकर पूजा में चढ़ाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मणी जी के श्रृंगार के लिए इस वृक्ष को इंद्रलोक से पृथ्वी लोक पर लेकर आए। इस कारण भी इसे हरी सिंगार का वृक्ष कहते हैं। 

  

वास्तु शास्त्र में इसका महत्व

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वास्तु शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति को अपने घर में हरसिंगार का वृक्ष लगाना चाहिए।  यह वृक्ष अत्यंत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है इस वृक्ष को लगाने से सभी देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वृक्ष को अन्य वृक्षों की तरह साधारण वृक्ष नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह वृक्ष हमें देवताओं द्वारा प्राप्त बहुमूल्य भेंट है। इसे हम अपने आंगन में लगाकर अपने घर के वातावरण को सुगंधित करने के साथ-साथ अपने घर में सुख, समृद्धि ,शांति को निमंत्रण दें। वास्तु शास्त्र में कहा जाता है इन इस वृक्ष को आप अपने घर में सोमवार या बृहस्पतिवार लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे आप उत्तर दिशा उत्तर पूर्व दिशा में लगा सकते हैं। और अपने जीवन में खुशियों और स्वास्थ्य को और भी अच्छा बनाएं।

  

आयुर्वेद में हरसिंगार के वृक्ष का महत्व

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आयुर्वेद में इस इन वृक्षों के फूल पत्तियों और छाल का उपयोग किया जाता है। कहां जाता है इनके फूल 15 से 20 फूल लेकर उनका रस बनाकर यदि हृदय रोगी तो दिया जाए तो उसके लिए बहुत ही फायदेमंद है। पर यह चिकित्सा की सलाह के बाद ही करें तो अति-उत्तम होगा। इसकी पत्तियों को एक गिलास पानी में उबालकर जब वह आधा हो जाए फिर उसे खाली पेट पीने से सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द समाप्त हो जाते हैं। हरसिंगार की पत्तियों, तुलसी की पत्तियां और दालचीनी को पानी में उबालकर पीने से शरीर के सभी प्रकार के इंफेक्शन और सर्दी जुकाम मैं बेहद ही फायदेमंद माना गया है। इनके फूल पत्तियों और छाल इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।

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