Transfer of Property Act धारा 52 संपत्ति खरीदारों की सुरक्षा कैसे करती है?

क्या विवादित संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को बेची जा सकती है?

भारतीय कचहरियां ऐसे मामलों से भरी पड़ी है जहां मालिक ने पूरी जानकारी बताए बिना किसी भोले-भाले खरीदार को विवादित संपत्ति बेच दी। यहीं पर संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1982 की धारा 51 सामने आती है। इस धारा का उद्देश्य विवादित संपत्तियों की बिक्री को प्रतिबंधित करके संपत्ति खरीदारों की रक्षा करना है।

 

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 52 क्या है?

लिस पेंडेंस के सिद्धांत (जिसका अस्त है मुकदमा लंबित होना या लंबित मुकदमा ) और यूटी पेंडेंट निहिल इनोवेटर के सिद्धांत (किसी कार्रवाई के लंबित रहने के दौरान कुछ भी नहीं बदला जाना) के आधार पर, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 52 अचल संपत्ति के हस्तांतरण या निपटान पर रोक लगाती है, जब तक कि सक्षम क्षेत्राधिकार की अदालत ऐसा निर्णय नहीं लेती। इस धारा के तहत, किसी मुकदमे को याचिका पेश होने की तारीख से लेकर अदालत द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने तक लंबित माना जाता है।

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 52 के लिए शर्तें

विवादित संपत्ति के मामले में धारा 52 स्वतः लागू नहीं होती है। देव राज डोगरा और अन्य बनाम ज्ञान चंद जैन और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शर्तें गिनाईं, जिसके बाद संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 52 लागू होती है। इसमे शामिल है:

  1. विवाद में संपत्ति के अधिकार की स्पष्ट भागीदारी है
  2. मुकदमा बिना किसी मिली-भगत या दुर्भावनापूर्ण इरादे के चलाया जाता है
  3. मुकदमा सक्षम न्यायालय में दायर किया गया है
  4. संपत्ति से संबंधित किसी भी हस्तांतरण में मुकदमे का एक पक्ष अवश्य शामिल होना चाहिए और स्थानांतरण से मुकदमे में शामिल दूसरे पक्ष के अधिकारों पर प्रभाव पड़ना चाहिए।

 

Transfer of Property Act Section 52 का अपवाद

अदालतों को लंबित मामले के दौरान किसी भी पक्ष को संपत्ति का निपटान करने की अनुमति देने का अधिकार है।

 

यदि धारा 52 के तहत शर्तें पूरी होती हैं तो क्या संपत्ति हस्तांतरण निरस्त हो जाता है?

किसी मुकदमे के लंबित रहने के दौरान किसी पक्ष द्वारा किया गया स्थानांतरण स्वतः ही निरस्त नहीं हो जाता है, बल्कि उसे रद्द करने योग्य माना जाता है। ऐसे स्थानांतरण से प्रभावित पक्ष के पास स्थानांतरण को अमान्य घोषित कराने के लिए याचिका दायर करने का विकल्प होता है।

 

मैं विवादित संपत्तियों के बारे में कैसे पता लगा सकता हूं?

उप-रजिस्ट्रार एक फ़ाइल रखते हैं जिसमें लंबित मुकदमेबाजी वाली विवादित संपत्तियों का विवरण होता है। संपत्ति का विवरण जानने के लिए खरीदार उप-पंजीयक कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। यह सुविधा अब अधिकांश राज्यों में ऑनलाइन उपलब्ध है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 52 कब लागू होती है?

धारा 52 मुकदमे में शामिल पक्षों को अदालती कार्यवाही लंबित रहने तक संपत्ति बेचने से रोकती है।

लिस पेंडेंस का सिद्धांत क्या है?

लिस पेंडेंस का शाब्दिक अर्थ है लंबित मुकदमा।

लिस पेंडेन्स के सिद्धांत का उद्देश्य क्या है?

लिस पेंडेंस का सिद्धांत अदालतों को उसकी सहमति के बिना किसी भी विवादित संपत्ति के स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने की शक्ति प्रदान करता है।

लैटिन कहावत, यूट पेंडेंट निहिल इनोवेटूर का क्या अर्थ है?

कहावत का अर्थ है कि मुकदमे या मुकदमे के लंबित रहने के दौरान कुछ भी नया नहीं लाया जाना चाहिए या कुछ भी नहीं बदला जाना चाहिए।

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 52 किन मामलों में लागू होती है?

यह धारा किसी भी अचल संपत्ति पर स्वामित्व विवाद से संबंधित मुकदमों पर लागू होती है।

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