कब है 2024 में कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत? जानें सही डेट,विधि ,सही तिथि?

आईये जानें ! 2024 में कब है कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी

आषाढ़ महीने के कृष्ण  पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। हर महीने पड़ने वाली गणेश चतुर्थी उतनी ही ख़ास होती है जितनी की इस आषाढ़ महीने में पड़ने वाली कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी| इस दिन भी गणेश जी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है इस दिन गणेश जी पूजा अर्चना करने से जीवन में व्याप्त सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यह चतुर्थी तिथि आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है इसलिए इसे कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी सही डेट

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी इस बार 2024 में जून के महीने में 25 जून दिन मंगलवार को मनाई जायेगी।

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी सही तिथि

हिंदी पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार को पड़ रही है। इस तरह कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी 25 जून 2024 को मनाई जाएगी। कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी की तिथि 25 जून 2024 को रात 1:23 से प्रारंभ होगी,  और जो  अगली रात यानि 26 जून को रात 11:10 तक रहेगी| इसलिए उदया तिथि के अनुसार कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी 25 जून मंगलवार को ही मनाई जायेगी।

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 5:30 से 7:08 तक रहेगा। वहीं, शाम में 5:36 से रात 8:36 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा| आप इस समय में भगवान गणेश की पूजा करके उनकी कृपा दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजन सामाग्री

  • लकड़ी की चौकी
  • गंगाजल
  • लाल या पीले वस्त्र
  • गणेश जी की मूर्ति
  • सिंदूर
  • चंदन
  • हल्दी
  • पीले फूल
  • फूलों की माला
  • दूर्वा यानी घास की माला
  • फल
  • कच्चा गाय का दूध
  • अक्षत
  • सुपारी
  • पान का पत्ता
  • दूर्वा
  • जनेऊ
  • इत्र
  • घी
  • दीपक
  • मोदक
  • इलायची
  • लड्डू
  • एक रुपये का सिक्का

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा विधि

संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठें, और इस दिन चंद्रमा को देखने का विशेष महत्व माना जाता है इसलिए ऐसा उठें की आप चंद्रमा को अस्त होने से पहले देख लें।
उसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहनें ।

अपने इष्ट देवी-देवता का स्मरण करके उनको प्रणाम करें, उसके बाद पूरे घर की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर पूजन स्थल को शुद्ध करें।

उसके बाद एक साफ चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें,और हाथ में जल लेकर गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

गणपति जी को गंगाजल और कच्चे दूध से स्नान कराकर सिंदूर और चंदन का तिलक लगाएं।
इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।

इसके बाद उन्हें पीले फूल या पीले फूलों से बनी माला तथा दूर्वा यानि घास से बनी माला अर्पित करें।
उसके बाद अक्षत, जनेऊ, हल्दी, सुपारी, पान का पत्ता,फल आदि सभी चीजें अर्पित करें।
उसके बाद गणेश जी को इत्र लगाएं।

गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं और भगवान गणेश का ध्यान और मंत्र बोलते हुए पूजन करें।
इसके बाद अंत में एक रुपये का सिक्का गणेश जी को चढ़ाकर अपनी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये उनके सामने प्रार्थना करें।

इसके बाद श्री गणेश अथर्वशीर्ष पाठ अवश्य करें। और फिर गणेश जी की आरती करें।
इसके बाद पूजा में हुई गलतियों के लिए भगवान गणेश से क्षमा प्रार्थना करें ।

उसके बाद अगले दिन व्रती भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद से ही अपना व्रत खोलें|

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी महत्व

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकटों का नाश करने वाली चतुर्थी. जो भी सच्चे मन से व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से करता है. गणेश जी उसके संकटों को दूर करते हैं, जीवन में शुभता प्रदान करते हैं, कार्य में सफलता मिलती है. गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, वे अपने भक्तों को किसी संकट में नहीं छोड़ते हैं।
गणेश मंत्र
गजाननं भूतगणाधिसेवितं,कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश। ।

 

श्री गणेश अथर्वशीर्ष पाठ

ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।।
त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।त्वमेव केवलं धर्तासि।।
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।।
त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।।
अव त्वं मां।। अव वक्तारं।।अव श्रोतारं। अवदातारं।।
अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।।अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।।
अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।।अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।।
सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।
त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।।त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।
सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते।सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।।सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।।
त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।।त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।
त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।त्वं शक्ति त्रयात्मक:।।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।त्वं शक्तित्रयात्मक:।।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।।
अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।।
तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।।
गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।।
नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।।
गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। ग‍णपति देवता।।
ॐ गं गणपतये नम:।।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।  माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी । माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा । लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,शंभु सुतकारी । कामना को पूर्ण करो,जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

 

कृष्णपिंगल संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन क्या करेें

इस दिन गरीबों में आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
जानवरों को हरा चारा खिलाएं।
अपने से बड़ों का ध्यान रखें एवं उनसे आशीर्वाद लें।
इस दिन किसी गणेश जी मन्दिर में जाकर मोदक का प्रसाद चढ़ाएं व आस पास वितरित भी करें।
इस दिन पेड़ पौधे लगाएं।

 

क्या नहीं करें

व्रत के दौरान तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, माँस, मदिरा आदि का सेवन ना करें।
किसी के बारे में बुरा विचार मन में ना लाएं।
हरे पेड़ पौधों की कटाई न करें।
लडा़ई झगड़े से बचें रहें।
अपने से बड़ों का अनादर न करें।
बच्चों को एवं जानवरों को इस परेशान न करें।

 

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें
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