आज 22 जनवरी 2024 में अयोध्या राम मंदिर में भगवान् श्री राम के बाल रूप की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है। जहां विश्व भर से सैलानी अयोध्या जा रहे हैं वही यह जान लेना भी ज़रूरी है कि अयोध्या में राम जन्म भूमि मन्दिर के साथ-साथ और भी बहुत सी घूमने एवं दर्शन करने लायक जगहें हैं।
अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठाआयोजन कार्यक्रम और समय
10:55 AM: | PM राम जन्मभूमि स्थल पर पहुंचेंगे |
12:05-12:55 PM: | प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू |
12:55 PM: | मोदी अभिषेक समारोह स्थल से निकलेंगे |
1 से 2 बजे: | मोदी अयोध्या में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होंगे |
2:10 PM: | कुबेर टीला का दौरा |
कहाँ है अयोध्या? क्यों है ये हिंदुयों के लिए इतना महत्त्वपूर्ण?
अयोध्या उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों तरह से बहुत ही बड़ा महत्व है. अयोध्या में अनेक धार्मिक एवं प्राचीन स्थल स्थित हैं, जो हिंदू धर्म के लिए आदर्श और प्रतिष्ठित माने जाते हैं। इन सभी के अलावा पूरे अयोध्या में और अयोध्या के आस-पास बेहद खूबसूरत और प्राकृतिक सुंदरता भी देखने को मिलती है।
राम मन्दिर व अयोध्या के आस-पास के दर्शनीय स्थल?
अयोध्या के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण उत्तर प्रदेश पर्यटन ने इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना प्रारंभ कर दिया है। भगवान् श्री राम की नगरी अयोध्या में 5000 से भी ज्यादा मन्दिर हैं। और इन सभी मंदिरों में तथा अयोध्या के सभी दर्शनीय स्थल व मंदिरों के मध्य ज्यादा दूरी नहीं है। आप पैदल या रिक्शे से या बैट्री रिक्शे से भीअयोध्या के प्रमुख स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं।
आप अपना समय निकालकर अयोध्या घूमने अवश्य आयें.
श्री राम जन्म भूमि मन्दिर
अयोध्या श्री राम की जन्म भूमि है और यह हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र, एक पवित्र तथा धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। इस मन्दिर का निर्माण बारहवीं शताब्दी में हुआ था. परंतु इसके बावजूद इसमें कई बार बदलाव हुआ. 1528 में मुग़ल सम्राट बाबर के द्वारा इस स्थान पर मस्जिद बनाई गयी थी। जिसके बाद हिंदुओं ने इसे अपने धार्मिक स्थल के रूप में खो दिया था। लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भगवान राम की जन्म भूमि पर अयोध्या राम मन्दिर बनाने की मंजूरी मिली, और इसका भूमि पूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था. इसके बाद ही मन्दिर का निर्माण शुरू हो गया। इसके निर्माण का काम विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। मन्दिर के भवन का डिजाइन स्थानीय संस्कृति के हिसाब से बनाया जा रहा है। राम मन्दिर 2024 तक बनकर तैयार हो जायेगा।
हनुमान गढ़ी
भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी का मन्दिर हनुमान गढ़ी अयोध्या में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. हनुमान गढ़ी मन्दिर हनुमान जी को समर्पित है। हनुमान गढ़ी मन्दिर हनुमान जी के भक्ति, श्रद्धा, इतिहास, कथाएँ, और कृतियों से संबंधित है. यह मन्दिर अयोध्या में स्थित होने के कारण राम भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। इस मन्दिर में हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही हनुमान गढ़ी अयोध्या में विशेष धार्मिक अवसरों एवं पर्वों पर भक्तों का भव्य स्वागत किया जाता है यहां पर भक्तों को अध्यात्मिक सुकून मिलता है। यहां आकर उन्हें अपने आस-पास की शांति और सुंदरता का आनंद उठाने का मौका मिलता है. अयोध्या हनुमान गढ़ी में चढ़ने वाला प्रसाद और यहां की प्रसिद्ध मिठाई बेसन के लड्डू यहां आने वाले दर्शकों एवं पर्यटकों को खूब भाती है और यह बेहद स्वादिष्ट भी होती है।
कनक भवन
(Source: ayodhya.nic.in)
कनक भवन मन्दिर अयोध्या के सबसे फेमस मंदिरों में से एक है। यही कारण है कि कनक भवन मन्दिर में हमेशा भक्ति और श्रद्धा से भक्तों की भारी भीड़ रहती है। यह मन्दिर भगवान राम एवं माता सीता के प्रेम के रूप में प्रतिष्ठित है। ऐसी मान्यता है कि कनक भवन को माता कैकेयी ने सीता जी को मुँह दिखाई की रस्म में उपहार स्वरूप दिया था। यह भवन भगवान राम और माता सीता का निवास स्थान था। यह भवन अयोध्या का सबसे भव्य और सुंदर महल है। यह मन्दिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। मन्दिर के नाम का ” कनक ” शब्द भगवान राम की विशेषता को दर्शता है, क्योंकि इस मन्दिर की मूर्तियाँ स्वर्णिम चित्रकारी से सजायी गयी हैं। कनक भवन मन्दिर के प्रांगण का इस्तेमाल भगतों द्वारा कई शुभ काम करने जैसे कि सगाई , मुंडन, आदि, के लिए भी किया जाता हैं। अगर आप अयोध्या घूमने आ रहें हैं, तो कनक भवन मन्दिर दर्शन करने एवं वहाँ की सुंदरता देखने जरूर जाएं।
सरयू घाट
अयोध्या दर्शन की शुरुआत सरयू नदी के किनारे स्नान करने से शुरू होती है। सरयू तट पर कई घाट बने हुए हैं, जैसे- नया घाट, राम घाट,लक्ष्मण घाट, गुप्तार घाट, आदि, बने हुए हैं। आप किसी भी घाट पर स्नान कर सकते हैं. माना जाता है सरयू में स्नान करने पर जाने- अनजाने में किये गए सारे पाप धुल जाते हैं। सरयू तथा सभी घाटों पर नाव वाले अपनी नाव को सजाकर नौका विहार के लिए तैयार रखते हैं। जिसमें बैठकर आप सरयू नदी के सभी घाटों का सौंदर्य देख सकते हैं। और यहां सायंकाल में होने वाली आरती में भी सम्मलित हो सकते हैं। यहां सायंकाल में होने वाली आरती का दृश्य बेहद सुंदर तथा मनमोहक होता है। सायंकाल की आरती में सम्मलित होकर बहुत ही सुकून और शांति की अनुभूति होती है.
सीता की रसोई
अयोध्या में राम जन्मभूमि की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर स्थित सीता की रसोई के बारे में दावा किया जाता है कि यह एक ऐतिहासिक रसोई है जिसका उपयोग देवी सीता द्वारा किया जाता था। यह पवित्र स्थान अब एक मंदिर है जिसमें कुछ प्रदर्शन पात्र हैं। इसे राम जन्मभूमि के नजदीक ही बनाया गया है. यह सीता की रसोई एक भूमिगत रसोई है, और यह सीता के नाम पर सम्मानित दो रसोई में से एक है। सीता को भोजन की देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें देवी अन्नपूर्णा के नाम से भी जाना जाता है। परिणामस्वरूप, मंदिर निःशुल्क भोजन प्रदान करके इस परंपरा को कायम रखता है। इसके अतिरिक्त, मेहमान इस स्थान के माध्यम से स्थानीय चैरिटी में अपनी इच्छानुसार कितनी भी धनराशि का योगदान कर सकते हैं।
राम की पैड़ी
अयोध्या में राम की पैड़ी सरयू घाट पर स्थित है। राम की पैड़ी के बारे में एक कथा प्रचलित है। माना जाता है एक बार लक्ष्मण जी ने सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए जाने का निश्चय किया । तब श्री राम जी ने यहां इस पैड़ी की स्थापना की और कहा कि सायंकाल के समय सभी तीर्थ यहां पर स्नान के लिए उपस्थित होंगे। ऐसे में जो भी व्यक्ति इस समय आवधि में यहां स्नान करेगा, उसे सभी तीर्थों में स्नान करने जितना ही पुण्य फल की प्राप्ति होगी। यहां से भगवान श्री राम के गुप्तार घाट में गुप्त हो जाने के बाद यहां का जल सूख गया था। आप जब भी अयोध्या घूमने या दर्शन करने आयें तो, इस पुण्य स्थल पर स्नान अवश्य करें। राम की पैड़ी पर हर साल दिवाली पर विश्व का सबसे बड़ा दीपोत्सव मनाया जाता है। जिसे देखने और उस दीपोत्सव में समलित होने के लिए लोग दूर- दूर तथा देश विदेश से लोग अयोध्या आते हैं। तो इस बार आप भी अयोध्या आयें और इस दिवाली इस दीपोत्सव में समलित हो.
गुप्तार घाट
अयोध्या में सभी घाटों की तरह ही गुप्तार घाट भी अपनी जगह पर धार्मिक और पर्यटन दोनों नजरिये से महत्वपूर्ण है। यह वही स्थान है जहां पर भगवान श्री राम जल समाधि लेकर गुप्त हो गए थे। यहां पर सरयू नदी का जल आज भी बेहद शांत बहता है। वैसे तो अयोध्या में कई दर्शनीय स्थल हैं लेकिन गुप्तार घाट की अपनी अलग ही विशेषता है। सरयू नदी के किनारे स्थित गुप्तार घाट पर कई छोटे- छोटे मंदिरों के साथ यहां का सुंदर दृश्य मन मोह लेने वाला है। गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कंपनी गार्डेन, राजकीय उद्यान और कई प्राचीन मन्दिर पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र है। नौका विहार और लंबे रेतीले मैदानों के इर्द- गिर्द हरियाली व शांत वातावरण और सूर्यास्त की निराली छटा लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है। माना जाता है लोग यहां पर मुक्ति पाने की इच्छा को लेकर आते हैं। गुप्तार घाट पर ही राम जानकी मन्दिर,चरण पादुका मंदिर, नरसिंग मन्दिर आदि स्थित है।
दशरथ महल
(Source: ayodhya.nic.in)
भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ का महल हनुमान गढ़ी से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस महल में राजा दशरथ निवास करते थे। चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन इन सभी का बचपन बीता है इसी महल में। आपको सामने पुरानी डिजाइन में बना हुआ सुंदर और भव्य द्वार मिलेगा, अंदर जाने पर एक बड़ा सा आँगन मिलेगा। भगवान राम अपने भाइयों सहित इसी आँगन में खेल के बड़े हुए थे। आपको इस मन्दिर में राजा दशरथ, श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, माता सीता सबकी मूर्ति स्थापित है। आप इन सभी के मनमोहक मूर्तियों के दर्शन कर सकते हैं, यह महल दर्शन के लिए सुबह, 8 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक खुला रहता है , और शाम 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुला रहता है। आप इन समय के बीच में जाकर दर्शन कर सकते हैं।
तुलसी स्मारक भवन
अयोध्या में तुलसी स्मारक भवन हनुमान गढ़ी के पास स्थित है। यदि आप राम लीला देखने के शौकीन हैं तो आप हनुमान गढ़ी के पास स्थित तुलसी स्मारक भवन जरूर जाएं। यहां पर प्रतिदिन भक्ति संगीत, प्रार्थना तथा धार्मिक प्रवचन का आयोजन किया जाता है और प्रतिदिन शाम के 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक राम लीला का आयोजन किया जाता है। तथा यहां पर गोस्वामी तुलसीदास जी की साहित्तिक रचनाओं का संग्रह भी है। आप उसे भी देख सकते हैं.
श्री नागेश्वर नाथ मन्दिर अयोध्या
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सरयू घाट के पास राम की पैड़ी में ही नागेश्वर नाथ मन्दिर स्थित है। इसका निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश ने करवाया था। माना जाता है एक बार सरयू नदी में स्नान के दौरान कुश का बाजू बंद निकलकर बहता हुआ एक नाग कन्या के पास पहुँच गया। जब उस नाग कन्या ने कुश को देखा तो उसको कुश से प्रेम हो गया। वह नाग कन्या भगवान शिव की उपासक थी, तथा कुश ने उसी के लिए यह मन्दिर बनवाया। बाद में नागेश्वर नाथ मन्दिर खंडहर हो गया, तथा उसके बाद महाराजा विकरमादित्य ने इसका जीर्णोंद्वार करवाया. आप अयोध्या दर्शन करने आयें तो नागेश्वर नाथ मन्दिर के दर्शन अवश्य करें।
गुलाब बाड़ी
गुलाब बाड़ी वैदेही नगर में स्थित है। यह फैजाबाद (अवध) जिसका अब नाम अयोध्या कैंट है के तीसरे नवाब , नवाब शुजा उद् दौला और उनके माता पिता का मकबरा स्थित है।इस जगह को गुलाब के बगीचे के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर खूब सारे गुलाब लगाएं गयें हैं जो अपनी सुंदरता से लोगों को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं। लोग दूर- दूर से यहां घूमने और इसे देखने आते हैं। आप भी अयोध्या घूमने आयें तो राम मन्दिर के साथ- साथ यहां भी घूमे।
देवकाली मन्दिर अयोध्या
देवकाली मन्दिर का विवरण महाकाव्य के विविध प्रसंगो में पाया जाता है। माना जाता है माता सीता ने यहां पर अपनी शादी के बाद ससुराल आकर यहां पूजा की थी। माना जाता है यह स्थान देवकाली जिन्हें भगवान् श्री राम की कुलदेवी होने का गौरव प्राप्त है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त यहां पर आकर अपनी जो भी मनोकामना हो उसे पूरी करने के लिये प्रार्थना करते हैं, उनकी हर इच्छा पूरी होती है। तो आप जब भी अयोध्या घूमने आयें तो देवकाली विजिट जरुर करें। एक बात और आपके जानने योग्य यहां भगवान् श्री राम की कुलदेवी बड़ी देवकाली मन्दिर में एक ही शिला में तीन देवियां विराजित हैं. महाकाली, महासरस्वति, महालक्ष्मी. माना जाता है देश भर में कुल दो ही ऐसे मन्दिर हैं जहां पर एक ही शिला में तीन देवियां विराजती हैं, पहला माता वैष्णों देवी और दूसरा अयोध्या की मां बड़ी देवकाली.
मणि पर्वत अयोध्या
भगवान श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या के कासी गंज में स्थित मणि पर्वत 65 फिट ऊँचा है। अयोध्या के इस मणि पर्वत पर ऊपर पहुँचने के लिये आपको 101 सीढियाँ चढ़कर मन्दिर तक पहुँचना होगा।वहां मन्दिर पर पहुँचकर आप ऊपर से पूरे शहर का सुंदर नजारा देख सकते हैं।अयोध्या में स्थित इस मणि पर्वत के बारे में बताया जाता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्षमण को जब मेघनाद ने युद्ध के दौरान घायल कर दिया था। तो संजीवनी बूटी लाने के लिये श्री राम ने हनुमान जी को भेजा था। जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर अयोध्या के उपर से गुजर रहे थे तब भरत जी ने हनुमान जी को शत्रु समझकर वार किया था । तब हनुमान जी यहां पर गिर पड़े थे । बाद में जब भरत जी को पता चला तब वे बहुत पछताए और उन्होंने हनुमान जी से क्षमा माँगी। फिर पुनः हनुमान जी उठे और उस पहाड़ को पुनः उठाकर जाने लगे तब बताया जाता है कि पहाड़ का छोटा सा हिस्सा टूटकर यहां गिर गया था । तभी से यह पर्वत यहां विराजामन है। अयोध्या घूमने या दर्शन करने जो भी लोग यहां आते हैं वे इस मणि पर्वत को जरूर देखते हैं। तो आप भी जब राम लला के दर्शन के लिये यहां आयें तो इस मणि पर्वत को अवश्य देखें तथा यहां की आस- पास की सुंदरता से रूबरू हों।
काले राम मन्दिरमन्दिर अयोध्या
अयोध्या में नागेश्वर नाथ मन्दिर के बगल में स्थित है काले राम का मन्दिर बहुत ही प्रसिद्ध है, इसे अयोध्या का स्वर्ग द्वार भी कहा जाता है।माना जाता है कि इसी सुंदर जगह में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था । हिमाचल प्रदेश के एक राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया ।यहाँ स्थापित मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं ।ऐसा माना जाता है कि ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की हैं।
अयोध्या के स्वर्गद्वार इलाके में स्थित में कालेराम मंदिर में स्थापित उन्हीं विग्रहों में से एक है। इस इस मंदिर का इतिहास 220 साल पुराना है। कालेराम मंदिर के इतिहास के अनुसार, श्रीरामजन्म भूमि में आक्रांताओं के आक्रमण के समय तत्कालीन पुजारी श्यामानंद ने भगवान के विग्रह को अपमान से बचाने के लिए सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया था। यह विग्रह 1748 के आसपास महाराष्ट्रीयन संत नरसिंह राव मोघे को मिली। कथित रूप से ये दावा किया किया गया मूर्ति के मिलने पहले मोघे को तीन-तीन बार स्वप्न में सरयू में मूर्ति होने की जानकारी हुई। मान्यता के अनुसार स्वप्न में ही मिले आदेश के बाद जब वे सरयू नदी के पास पहुंचे तो उन्हें मूर्ति मिली। और वे उस मूर्ति को नदी से निकालकर वहाँ विराजित कर दिया। माना जाता है जो भी भक्त सच्चे मन से इस मन्दिर में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये प्रार्थना करते हैं। उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
गोरे राम मन्दिर अयोध्या
गोरे राम मंदिर में भी भगवान राम विराजमान हैं. माना जाता है सैकड़ों वर्ष पहले ग्वालियर के राजा गिटार साहिब और उनके माता के द्वारा गोरे राम मंदिर की स्थापना की गई। अयोध्या में लगभग 7000 मठ मंदिर हैं. जहां पर अनेक भक्तों के द्वारा मंदिर की स्थापना की गई है. उसी प्रकार से गोरे राम मंदिर की भी स्थापना हुई है. जिसका नामकरण भक्तों के द्वारा अपने भावनाओं के अनुरूप किया गया है। इसलिए सारे भक्त कहते हैं, मेरे राम बहुत सुंदर हैं भक्त अपने आराध्य को अलग-अलग स्वरूप और अलग-अलग नामों से पुकारते हैं. लेकिन उनका मकसद भगवान को प्राप्त करना ही होता है. वही गोरे राम मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के दौरान ग्वालियर के राजा के मुख से शब्द निकला मेरे राम बहुत सुंदर हैं. बहुत गोरे हैं तो इस वजह से मंदिर का नाम गोरे राम पड़ा। और यह मन्दिर भी नागेश्वर नाथ मन्दिर के बगल में ही स्थित है, मान्यता है कि भक्त के द्वारा माँगी गयी मनोकामना भगवान बहुत जल्द ही पूरी करते हैं।
सुग्रीव किला अयोध्या
भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्थित त्रेतायुग का सुग्रीव किला बिड़ला धर्मशाला के बगल तथा हनुमान गढ़ी परिसर में ही स्थित है सुग्रीव किला। तथा इसी किले अंदर गरुङ स्तंभ भी स्थित है साथ ही सुग्रीव किले के अंदर ही स्थित है राम दरबार तो आप अयोध्या घूमने आयें तो सुग्रीव किला अवश्य घूमें। माना जाता जब भगवान श्री राम अपने चौदह वर्षों के वनवास के उपरान्त जब राजा राम वापस अयोध्या लौटे तो भरत महाराज ने इस स्थान पर मौजूद मणियों से एक किला भगवान श्री राम के स्वागत के लिए बनवाया था ।जब 14 वर्ष बाद श्री राम अयोध्या को लौटे तो सुग्रीव महाराज भी उनके साथ थे । भगवान श्री राम ने अयोध्या पहुँचते ही इन चमचमाते महलों को देख कर भरत से पूछा कि यह महल पहले तो नहीं था तो भरत ने बताया की भ्राता श्री यह आप के स्वागत में बनाये गये हैं ,इसके बाद भगवान राम ने कहा कि लंका पर विजय प्राप्त करने में मेरे अलावा महाराजा सुग्रीव का भी योगदान था जिसके बाद भगवान श्री राम ने यह किला महाराजा सुग्रीव को दे दिया . तब से यह स्थान सुग्रीव किला के नाम से प्रसिद्ध है । माना जाता है यहां पर दर्शन से लोगों से शत्रुता समाप्त होती है।तो इसलिए लोग जब भी अयोध्या घूमने या दर्शन करने आते हैं तो सुग्रीव किला अवश्य घूमते हैं।
शेषावतार मन्दिर अयोध्या
अयोध्या में सरयू तट पर स्थित लक्ष्मण घाट पर शेषावतार मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर का भी अपना अलग ही महत्व है। इस मन्दिर में हमेशा श्रधालुओं की भीड़ रहती है। जो भी भक्त अयोध्या घूमने या दर्शन करने आते हैं वे लक्ष्मण घाट के इस शेषावतार मन्दिर में दर्शन अवश्य करते हैं। इसलिए अब जब भी आप अयोध्या आयें तो सरयू स्नान के बाद शेषावतार मन्दिर में भगवान राम, लक्ष्मण, और नाग देवता के दर्शन अवश्य करें।
नया घाट अयोध्या
अयोध्या का नया घाट चौराहा और लता मंगेशकर चौक दोनों साथ पड़ते हैं तो अगर आप अयोध्या भगवान श्री राम के दर्शन करने जा रहें हैं तो आपको नया घाट अयोध्या जरूर घूमें।नया घाट पर भी लोग स्नान करते हैं और नदी में ही सूर्य को जल देते हैं। इसके साथ ही माना जाता है कि नया घाट पर सरयू के पानी में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध हो जाती है और जीवन में किये सारे पाप धुल जाते हैं। यहां दूर-दूर से पर्यटक इस अनुष्ठान में भाग लेने, आशीर्वाद, आध्यात्मिक नवीनीकरण और अपने विश्वास से जुड़ने के लिए आते हैं। नया घाट का शांत वातावरण आत्मनिरीक्षण, ध्यान और भक्ति को प्रोत्साहित करता है। कई पर्यटक यहां इस नया घाट की शांति में सांत्वना पाते हैं, तथा यहां पर परमात्मा के साथ एकांत जुड़ाव के लिए इस स्थान पर बैठकर भगवान का चिंतन एवं भजन करते हैं। इसके साथ ही नया घाट पर अयोध्या में वार्षिक “दीपोत्सव” या “श्रवण झूला मेला” उत्सव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां पर श्रावण माह यानी ‘जुलाई-अगस्त’ के दौरान मनाया जाने वाला यह श्रवण झूला मेला त्योहार भगवान राम के जन्म और बचपन की लीलाओं का स्मरण कराता है। तथा इस समय यह नया घाट उत्सव का केंद्र बिंदु बन जाता है, क्योंकि भगवान राम और उनके भाइयों की मूर्तियों के लिए उनकी चंचलता को दोहराने के लिए खूबसूरती से सजाए गए झूले लगाए जाते हैं। उत्सव देखने और भाग लेने के लिए भक्त और पर्यटक नया घाट पर इकट्ठा होते हैं। नदी के किनारे घाट का स्थान उत्सव के आकर्षण को और बढ़ाता है, जिससे यहां इस दौरान एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। तो ऐसे में अगर आप अयोध्या भगवान श्री राम लला के दर्शन करने आने वाले हैं तो यहां नया घाट पर भी स्नान एवं यहां की अदभुद अलौकिक वातावरण का आनंद अवश्य उठाएं।
छोटी छावनी अयोध्या
अयोध्या में छोटी छावनी अयोध्या के नगर के चौक में स्थित है। अयोध्या में यह छोटी छावनी जो पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनाया गया है। यह वाल्मिकी भवन के नाम से भी प्रसिद्ध है और आज के समय में इसे मणिरामदास छावनी के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान इतना मनमोहक है की जो लोग भी अयोध्या दर्शन करने व घूमने आते हैं वे छोटी छावनी कम से कम एक अवश्य घूमते हैं। बताया जाता है की बाकी छावनियों की अपेक्षा यहां पर चहल पहल सबसे ज्यादा देखी जाती है। बताया जाता है कि यहां पर कुल 34 ऐतिहासिक गुफाएं हैं, जिनमें से 12 बौद्ध धर्म से, 17 हिंदू धर्म से और 5 जैन धर्म से जुड़ी हैं।गुफाओं की यह संख्या वास्तुशिल्प प्रतिभा के एक महत्वपूर्ण और जटिल उदाहरण के रूप में क्षेत्र की स्थिति में योगदान करती है। गुफाओं के अंदर कैलाश मंदिर की अदभुद उपस्थिति से वहां की इमारतों की उत्कृष्ट सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
बड़ी छावनी
बड़ी छावनी अयोध्या शहर से दूर, एक किनारे में लगभग तीन एकड़ जमीन पर बनी है तथा इसके चारों तरफ बड़ी- बड़ी चारदीवारी है और आने-जाने के लिए एक दरवाजा है। इसे बड़ी छावनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर बहुत पहले एक संन्यासी अपने साथ बारह सौ साधु-संतों के साथ घूमते हुए अयोध्या आए। वो चार महीने के लिए अयोध्या में डेरा डालना चाहते थे। लेकिन उनके साथ और ग्यारह सौ साधु थे सो कोई तैयार नहीं हो रहा था। तब इस छावनी के पहले महंत श्री रघुनाथ दास जी महाराज ने उन्हें और उनके साथी साधुओं को यहां साल भर के लिए रोका। तभी इसे बड़ी छावनी कहते हैं। बड़ी छावनी के बीच में एक मंदिर है और चारों तरफ छोटे-छोटे कमरे बने हैं। उनके सामने साधू निवास लिखा है जिसमें साधु संत निवास करते हैं।और दूसरी तरफ जो कमरे हैं उनके दरवाजे पर अलग-अलग लोगों के नाम और उनके जन्मस्थान लिखे हैं। तो आप अयोध्या घूमने आयें है तो साथ ही इन सभी छावनियों को भी एक बार विजिट करें।
तापसी छावनी
अगर आप अयोध्या घूमने जा रहें हैं तो अयोध्या में स्थित तपसी छावनी अवश्य घूमें।तपसी छावनी अयोध्या शहर के रामघाट इलाके में स्थित है ।इस छावनी की भव्य इमारत और इमारत पर की गई कारीगरी को देखकर ऐसा लगता है , कि यह तपसी छावनी बहुत पहले से बसाइ गयी है। छावनी के बाहर पुलिस का प्रॉपर पहरा रहता है। बताया जाता है कि ये छावनी उन साधु-संन्यासियों के लिए बनवाया गया था जो जंगलों और पहाड़ों में तपस्या किया करते थे। तथा उसके बाद जब वो घूमते-घूमते भगवान श्री राम तथा हनुमान जी के दर्शन करने अयोध्या आते थे, तो उनको ठहरने में और अपनी दिनचर्या बनाए रखने में दिक्कत होती थी। इन्हीं बातों का ख्याल रखते हुए इस छावनी का निर्माण हुआ। इसके साथ ही यह भी बताया जाता है कि अयोध्या में सबसे प्राचीनतम पीठ और सबसे सिद्ध पीठ तपसी जी की छावनी है। इसके बाद अयोध्या में कई छावनियां बनीं लेकिन सबसे पुरानी छावनी यही है। तपसी छावनी में भी छोटे- छोटे मन्दिर हैं जिनका दर्शन आप कर सकते हैं।
त्रेता के ठाकुर अयोध्या
अयोध्या के नया घाट के पास में ही स्थित है त्रेता के ठाकुर मंदिर। इस मन्दिर में भगवान राम, लक्ष्मण, हनुमान, सीता, भरत और सुग्रीव की प्रतिमाएं शामिल हैं। माना जाता है कि इस मन्दिर में स्थापित सभी प्रतिमाएं काले बलुआ पत्थर के एक ही टुकड़े से बनाई गई थी। साथ ही यह भी बताया जाता है कि त्रेता के ठाकुर का मन्दिर निर्माण लगभग तीन सौ साल पहले किया गया था। जिसका निर्माण कुल्लू ने किया था, जो उस समय के राजा थे। अयोध्या के आम लोगों के अनुसार, पौराणिक अश्वमेध यज्ञ भगवान राम ने यहीं इसी जगह पर किया था, जो अब इस मन्दिर के रूप में प्रमाण है। साथ ही यह भी माना जाता है की अहिल्याबाई होल्कर, जो उस काल की मराठा रानी थीं, उन्होंने 1700 के दशक में इस मंदिर को और विस्तृत रूप दिया। यहां पर यह मन्दिर आम जनता के लिए प्रत्येक वर्ष एक दिन विशेष रूप से खोला जाता है, जिसे एकादशी के रूप में नामित किया जाता है। इस दिन यहां पर एक उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव यहां कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है।यहां पर इस दिन, रंगारंग कार्यक्रम मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। ऐसे में आप जब भी अयोध्या जाएं तो और यहां पर दर्शन करने की इच्छा हो तो यह ध्यान रखें कि एकादशी तिथि आपके अयोध्या के ट्रिप के बीच में अवश्य पड़े ऐसे में आप इस यहां पर दर्शन प्राप्त कर सकेंगे।
सूरजकुंड अयोध्या
सूरजकुंड अयोध्या के पास में अयोध्या से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। भगवान राम के कुल देवता भगवान भास्कर का यह पौराणिक सूर्य मंदिर और सूर्य कुंड इन दिनों पर्यटकों के लिए आकर्षण का खास केंद्र बना हुआ है। जबसे यूपी सरकार ने सूर्य कुंड का जीर्णोद्धार कराया, तब से यह भी सूर्य की तरह चमकने लगा है। माना जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण 19 वी शताब्दी में अयोध्या के दर्शन सिंह ने करवाया था। एक और मान्यता के अनुसार सूर्य कुंड वह जगह है जहां पर भगवान सूर्य देवता भगवान राम के जन्म के बाद उनकी बाल लीलाओं का दर्शन करने के लिये करीब एक महीने तक रुके थे। और इसी जगह से भगवान सूर्य ने भगवान राम की बाल लीलाओं के दर्शन किया था। सूर्यदेव का रथ यहां करीब एक महीने रहा था जिसकी वजह से अयोध्या में त्रेतायुग में उस वक्त एक महीने रात नहीं हुई थी, इसका वर्णन रामचरितमानस की चौपाइयों में मिलता है।इसके साथ ही बताया जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग है और वह इस कुंड में स्नान करता है, तो उसके सारे रोग समाप्त हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। तो ऐसे में आप जब भी अयोध्या घूमने आयें तो अयोध्या कैंट के दर्शन नगर में स्थित इस सूर्य कुंड और सूर्य मन्दिर के दर्शन करें और घूमें। सूर्य कुंड पर्यटकों एवं आगंतुकों के लिये हर दिन सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक दर्शन के लिये खुला रहता है।
दंत धावन कुंड
अयोध्या में दंत धावन कुंड दिगंबर आखाड़ा के सामने और आचार्य मन्दिर के ठीक पीछे स्थित है। स्कंदपुराण के अनुसार बताया जाता है की भगवान राम अपने चारों भाईयों सहित इसी कुंड पर दातून करने व स्नान करने आया करते थे, तभी से इसका नाम दंत धावन कुंड पड़ा। तो आप अगर अयोध्या घूमने जा रहें हैं तो अयोध्या में स्थित इस दंत धावन कुंड अवश्य घूमें इससे आपको यहां पर एक अलग ही अध्यात्मिक जुड़ाव का अनुभव प्राप्त होगा।
राम कथा संग्रहालय
अयोध्या में राम कथा संग्रहालय सरयू के तट पर राम कथा पार्क के पास में स्थित है। राम कथा संग्रहालय परिसर 3 एकड़ जमीन पर स्थित है। इसके दो मंजिला भवन में 7 गैलरी हाल, आडोटोरियम और राम दरबार बने हैं। इसी भवन में इस समय अयोध्या शोध संस्थान का दफ्तर भी संचालित है।इसके साथ ही राम कथा संग्रहालय में भगवान राम के जीवन से संबंधित चित्रों, तस्वीरों और कलाकृतियों का उत्कृष्ट संग्रह रखा गया है। यहां पर पेंटिंग, तस्वीरों और कलाकृतियों के असाधारण संग्रह के साथ, राम कथा संग्रहालय पर्यटकों एवं आगंतुकों को भगवान राम के जीवन की एक आकर्षक यात्रा पर ले जाता है। यह संग्रहालय रामायण की समृद्ध विरासत की एक अनूठी झलक प्रदान करता है, जिसमें भगवान राम के जीवन और विरासत के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। ऐसे में आप राम कथा संग्रहालय में भगवान् श्री राम के समय के मिले पुरातत्त्वों को देख पाएंगे और उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।
वासुदेव घाट
वासुदेव घाट अयोध्या में राम की पैड़ी के पास में स्थित है। यहीं पर पास में ही शेषावतार लक्ष्मण किला मन्दिर भी स्थित है। लोग यहां पर वासुदेव घाट पर स्नान के बाद यहां पर आकर दर्शन करते हैं, माना जाता है वासुदेव घाट पर स्नान से आपको अपने जीवन में शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही यहीं वासुदेव घाट के पास में झुमकी घाट भी है इसके बारे में मान्यता है की एक बार सीता जी यहां अपनी बहनों के साथ सैर कर रही थी और उनकी कानों की झुमकी यहीं पर गिर गयी थी और वह बहुत ढूढ़ने के बाद भी मिली नहीं इसलिए इस घाट का नाम झुमकी घाट पड़ गया। तो इसलिए अगर आप अयोध्या घूमने जा रहें हैं तो यहां पर स्थित इन घाटों पर अवश्य घूमें।
अमावा राम रसोई अयोध्या
अगर आप अयोध्या घूमने जा रहें हैं तो आप यहां राम मन्दिर के बगल में ही स्थित अमावा राम रसोई में अगर खाना नहीं खाया तो समझिये आपने ने कुछ नहीं खाया। क्योंकि यहां राम रसोई में आप खाना नहीं खाते हैं आप यहां प्रसाद ग्रहण करते हैं। आईये हम आपको अमावा राम मन्दिर के बारे में बारे में विस्तृत रूप से सारी जानकारी देते हैं।
सबसे पहली बात तो यह है की आप यहां पर बिना कोई पैसा दिये निःशुल्क भोजन प्राप्त करते हैं। और इतना ही ही नहीं आप चाहें जितना भोजन खा सकते हैं। साथ आपको यहां पर भोजन की तमाम तरह की वरायटी भी मिलेगी।
अमावा राम रसोई में भोजन करने के लिये यहां पर कुछ नियम हैं जिनका पालन आपको करना होगा उसके बाद ही आपको इस राम रसोई में एंट्री मिल सकेगी।
एंट्री के लिये आपको सबसे पहले राम रसोई के कार्यालय में जाकर जो राम रसोई के बगल में ही है। वहां पर जाकर आपको एक पर्ची लेनी होती है और उस पर्ची में आप जितने भी लोग हों उनका सबका नाम पता भरना होता है। साथ ही सभी लोगों के आधार कार्ड नम्बर को भी भरना होता है। लेकिन आधार कार्ड नंबर सिर्फ उन लोगों को भरना होता है जो लोग अयोध्या से बाहर के होते हैं या जो लोग अयोध्या से बाहर के आये हुए होते हैं। जो लोग अयोध्या लोकल के होते हैं उन्हें आधार कार्ड नंबर नहीं भरना होता है। आधार कार्ड लगाने के बाद आपको राम रसोई कार्यालय से साइन करवाना होता है और मोहर लगवानी होती है। उसके बाद वही पर्ची कार्यालय हेड को दिखानी होती है। उसके बाद उस पर्ची को लेकर आपको लाइन में लगना पड़ता है। जैसे ही आपके पर्चे में दिया गया समय होता है मन्दिर के गेट खोल दिये जाते हैं और आपको मन्दिर में अंदर प्रवेश मिल जाता है। आप जब अंदर प्रवेश करते हैं तो आपको वहां पर कई सारे मन्दिर देखने को मिलते हैं जिनमें आप दर्शन भी कर सकते हैं जैसे – सबसे पहले पंच मुखी महादेव जी का मन्दिर और फिर राधा – कृष्ण जी का मन्दिर , लक्ष्मी नारायण मन्दिर इन सभी को देखने के साथ ही आप जब उपर बनें हॉल में पहुँचते हैं तो वहां पर आपको एक बहुत ही सुंदर कृष्ण जी की मूर्ति स्थापित है वह भी देखने को मिलती है। अंदर बने सारे मन्दिरों के दर्शन के बाद आप वहां नीचे लगी कतारों में भोजन प्रसाद पाने के लिए बैठ जाएं। यहां पर आपको भोजन प्रसाद में, 10 तरीके के स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं, जिनमें कचौड़ी, कोफ़्ता, आलू दम, मीठी चटनी, दाल- चावल, तिलौरी, संभार, पापड़, देशी घी ये सारे 10 व्यंजन आपको यहां पर निशुल्क परोसे जाते हैं और इनका स्वाद भी बेहद लजीज होता है और यहां पर आप चाहें जितना आराम से लेकर खा सकते हैं। इसलिए आप जब अयोध्या घूमने या दर्शन करने आयें तो यहां अमावा राम रसोई में भोजन प्रसाद अवश्य पाएं, यहां के भोजन के स्वाद जैसा स्वाद आपको किसी होटल के खाने में नहीं मिलेगा।
दिगंबर जैन मन्दिर अयोध्या
अयोध्या में जितनी राम भक्तों की आस्था के लिये प्रसिद्ध है उतनी ही जैन धर्म के अनुयायियों के लिये भी जानी जाती है। दिगंबर जैन मन्दिर अयोध्या के रायगंज इलाके में स्थित है यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। जैन धर्म में अयोध्या का गहरा धार्मिक महत्व है क्योंकि यह वह स्थान है जहां विभिन्न तीर्थंकरों के 18 ‘कल्याणक’ के जीवन की शुभ घटनाएं घटी थीं। विशेष रूप से, यह पांच तीर्थंकरों का जन्मस्थान है.आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ। बताया जाता है फैजाबाद के नवाब के कोषाध्यक्ष केसरी सिंह ने इन श्रद्धेय तीर्थंकरों के जन्मस्थानों की स्मृति में इस क्षेत्र में पांच जैन मंदिरों की स्थापना की। इनमें प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित भव्य मंदिर है, जिन्हें आदिनाथ, पुरदेव, वृषभदेव और आदि ब्रह्मा के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर, जिसे बड़ी मूर्ति भी कहा जाता है, में ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची संगमरमर की भव्य मूर्ति है।जैन संप्रदाय से संबंधित दिगंबर जैन मंदिर को हाल ही में आचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज और आर्यिका ज्ञानमती माताजी के मार्गदर्शन में विकसित और संवर्धित किया गया है, जिससे यह जैन धर्म में एक प्रमुख तीर्थस्थल बन गया है। इसलिए आप अयोध्या घूमने जाएं तो श्री राम के दर्शन के साथ ही साथ इन प्रसिद्ध स्थलों को भी अवश्य विजिट करें।
ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा, अयोध्या
श्री राम मन्दिर से कुछ सौ मीटर पूर्व में स्थित, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा है। माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ पर चिमटाधारी संत वैष्णवदास ने गुरु गोविंद सिंहजी को उनके निहंग योद्धाओं के साथ मुगल सम्राट औरंगजेब के आक्रमणों पर काबू पाने के लिए सैन्य रणनीति बनाने के लिए आमंत्रित किया था। यहाँ आज भी विजयी निहंग सेनाओं के हथियार देखे जा सकते हैं। गुरुद्वारे के बारे में यह भी बताया जाता है कि 1557 में गुरु नानक देवजी ने भी इस गुरुद्वारे का दौरा किया था और 1725 में गुरु तेग बहादुर ने भी यहाँ आकर दो दिनों तक लगातार ध्यान किया था।उसके बाद से ही सिक्खों का यह प्रमुख स्थान बन गया।
बहू बेगम का मकबरा, अयोध्या
बहू बेगम का मकबरा फैजाबाद जिसका नाम अब अयोध्या कैंट कर दिया गया है शहर में मकबरा रोड पर स्थित है जिसे “पूर्व का ताजमहल” के रूप में भी जाना जाता है। बताया जाता है फैजाबाद में स्थित यह मकबरा नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी और बेगम उन्मतुज़ोहरा बानो को समर्पित यह अद्वितीय मकबरा, फैजाबाद में सबसे ऊंचा स्मारक है और अपनी गैर-मुगल स्थापत्य प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध है। अवधी वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण, बहू बेगम का मकबरा में तीन गुंबद हैं, जटिल रूप से डिजाइन किए गए आंतरिक भाग और अद्भुत तरीके से बनाई गई यहां की दीवारें और छत हैं। 1816 में निर्मित यह मकबरा शुजा-उद-दौला की बेगम की याद में, जहां उन्हें मृत्यु के बाद दफनाया गया था, बनाया गया था।आज भी यह परिसर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्थल है.परिसर के सामने के बगीचों बेहद खूबसूरती से बनाया गया है, और यह स्थान एक उत्कृष्ट और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। आप यहां मकबरे के ऊपर से पूरे शहर का खूबसूरत दृश्य भी देख सकते हैं।
अयोध्या कैसे पहुचें?
जो लोग अयोध्या से दूर रहते हैं या जो अयोध्या घूमने या दर्शन करने आना चाहते हैं उनके लिए कई साधन उपलब्ध हैं। तो आईये जानते हैं कि अयोध्या पहुँचने के लिए आप किन- किन साधनों का उपयोग कर सकते हैं। अआप अयोध्या वायु मार्ग के द्वारा, सड़क मार्ग के द्वारा और ट्रेन के द्वारा आ सकते हैं।
किछौछा शरीफ,अयोध्या
अयोध्या के पास में अशरफपुर किछौछा अम्बेडकरनगर जिले में एक छोटा कस्बा है, जहां सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अकबरपुर 25 किमी दूर है। किछौछा शरीफ प्रसिद्ध सूफी संत सय्यद मखदूम अशरफ जहांगीर अशरफी की दरगाह के नाम से भी जाना जाता है। जिनका जन्म ईरान में सेमनान में हुआ था और उन्होंने विशेष रूप से चिश्ती पद्धति को आगे बढ़ाने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। इन संत ने देश विदेश में बहुत यात्राएं की और लोगों तक शान्ति का सन्देश पहुँचाया। किछौछा दरगाह शरीफ एक छोटी पहाड़ी पर बना है, जो कि एक ताल से घिरा हुआ है। सम्पूर्ण परिसर संगमरमर, टाइल्स और कांच से सजाया गया है। यहां पर साल भर हजारों की तादाद में श्रद्धालु भारत और दुनिया भर से इस दरगाह पर आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये दुआ मांगते हैं। तो आप भी जब अयोध्या विजिट करें तो किछौछा शरीफ जरूर जाएं।
अम्मा जी मन्दिर, अयोध्या
अम्मा जी मन्दिर तुलसी नगर में सरयू नदी के तट के पास स्थित है। बताया जाता है यह मंदिर 100 साल पुराना है। यह मन्दिर भगवान श्री राम को समर्पित है और तमिलनाडु के दिव्यदेशम जैसा है। मंदिर की संरचना और पूजा पद्धति सभी भगवद रामानुज संप्रदाय श्री वैष्णव परंपरा के अनुसार हैं। यह एक दक्षिण भारतीय शैली का मंदिर है जिसका प्रबंधन सरस्वती भंडारम ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। अगर आप भी अयोध्या आकर दक्षिण की संस्कृति का अनुभव करने के लिए उत्सुक हैं तो इस आकर्षक मंदिर में अवश्य जाएँ।
भरत कुंड,अयोध्या
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भरत कुंड अयोध्या के दक्षिण में, प्रयागराज मार्ग के किनारे, स्थित है, भरत कुंड जिसे नंदीग्राम के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान रामायण महाकाव्य के साथ अपने दोहरे जुड़ाव के लिए विशेष महत्व रखता है। सबसे पहले, ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान राम के भाई भरत ने भगवान राम की अनुपस्थिति में कोसल साम्राज्य पर शासन किया था। भगवान राम के वैध शासन का प्रतीकात्मक रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए, भरत ने नंदीग्राम से शासन करते समय कथित तौर पर अपनी लकड़ी की खडा़ऊँ एक ‘चौकी’ पर रखी थीं। दूसरे, उसी क्षेत्र में जटा कुंड वह स्थान माना जाता है जहां भगवान राम और लक्ष्मण ने अपने उलझे हुए बाल त्यागे थे, जो उनके चौदह साल के वनवास के अंत का प्रतीक था। इस प्रकार, भरत कुंड भरत की निष्ठा और राम के वनवास के समापन अध्याय दोनों के प्रमाण के रूप में मौजूद है। जब भी कोई अयोध्या घूमने आता है तो भरत कुंड के पास स्थित जटा कुंड में स्नान जरूर करता है। माना जाता है वहां पर जो भी स्नान करता है उसे कई जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है।
रामकोट, अयोध्या
रामकोट अयोध्या के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। और यह अयोध्या में यह एक ऊंचे स्थान पर पहाड़ी के ऊपर स्थित है और तमाम मंदिरों और तीर्थस्थलों से युक्त है। रामकोट मंदिर अयोध्या में पूजा का मुख्य स्थान है। एक प्राचीन गढ़, यह एक ऊंचे मंच पर स्थित है और लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, यह भगवान राम के किले का स्थल है। इस मंदिर में साल भर हजारों भक्त आते हैं लेकिन सबसे अच्छा समय हिंदू कैलेंडर के चैत्र माह यानी (मार्च-अप्रैल) के दौरान होता है। जब भगवान राम की जयंती, राम नवमी, बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। भगवान राम के सम्मान में मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो एक दिलचस्प अनुभव देते हैं। मंदिर पूरे शहर का व्यापक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है जिसमें इसके अद्भुत मंदिरों और सुंदर घाटों का विहंगम दृश्य भी शामिल है।इस समय, देश और दुनिया भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यात्रा करके यहां पर आते हैं और भगवान श्री राम को प्रसाद चढ़ाते हैं। किंवदंती है कि इस किले की रक्षा भगवान हनुमान ने एक गुप्त गुफा से की थी। मंदिर सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है। इसलिए आप जब अयोध्या जाएं तो रामकोट मन्दिर के दर्शन अवश्य करें. एक मान्यता यह भी है की अगर अयोध्या में रामकोट में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाते हैं तो आपकी अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
लता मंगेशकर चौक, अयोध्या
लता मंगेशकर चौक सरयू घाट (नया घाट) और रामपथ को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित है। यह आगंतुकों और पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यहां घाट पर 10.8 मीटर लंबी 14 टन वजनी वीणा स्थापित की गई है जो इसे अयोध्या का एक अनूठा स्थान बनाती है। महान गायक की 93वीं जयंती पर आयोजित समारोह में इसका उद्घाटन किया गया। यह गोल चक्कर अपनी विशिष्टता के कारण पूरे देश में लोकप्रिय हो चुका है। इसलिए जो भी लोग अयोध्या आते हैं वे यहां पर ठहरकर यहां स्थित वीणा को देखते हैं और इसके साथ फोटो सेल्फी जरूर लेते हैं। तो ऐसे में आप भी जब अयोध्या जाएं तो लता मंगेशकर चौक पर रुककर इस वीणा को जरूर निहारें और यहां के लोकल स्ट्रीट फूड के मजे भी लें।
वायु मार्ग के द्वारा अयोध्या कैसे पहुचें?
अगर आप वायु मार्ग से अयोध्या घूमने आने वाले हैं तो अयोध्या पहुँचने के लिए सबसे पहले आप को लखनऊ चौधरी चरण सिंह एयर पोर्ट आना होगा। चूंकि अभी अयोध्या एयरपोर्ट निर्माणधीन है, इस कारण लखनऊ का चौधरी चरणसिंह एयरपोर्ट ही सबसे निकटतम एयरपोर्ट है। जिसकी दूरी अयोध्या से महज 130 किलो मीटर है।जब आप लखनऊ एयरपोर्ट उतरेंगे तो आप वहाँ से अयोध्या पहुँचने के लिए प्राइवेट कैब, बस, व ट्रेन तीनों माध्यम से अयोध्या पहुँच सकते हैं।लखनऊ से अयोध्या के ट्रेन का किराया महज 80 रुपये है। अयोध्या हवाईअड्डा दिसंबर 2023 तक चालू होने की उम्मीद है।
ट्रेन के द्वारा अयोध्या कैसे पहुँचे?
अयोध्या पहुँचने के लिए रेलवे सबसे अच्छा साधन है। अयोध्या कैंट और अयोध्या रेलवे स्टेशन के लिए लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से ट्रेन चलती है। अगर आप अयोध्या या अयोध्या कैंट पहुँचने के लिए आपके शहर से कोई सीधी ट्रेन नही है तो आप मनकापुर से या लखनऊ रेलवे स्टेशन आ सकते है। मनकापुर से अयोध्या 35 किलो मीटर तथा लखनऊ से 130 किलो मीटर दूर है। यहां से आप बस, टैक्सी या कार से अयोध्या पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग से अयोध्या कैसे पहुचें?
अयोध्या पहुँचने के लिए सरकारी और निजी बस सेवाओं का बड़ा नेटवर्क है, जो अयोध्या को देश के कई शहरों से जोड़कर रखता है। उत्तर प्रदेश और आस पास के राज्यों से अयोध्या के लिए एसी व नॉन एसी बसें चलती हैं आप उससे भी अयोध्या जा सकते हैं।
अयोध्या किस मौसम में न जाएं?
अयोध्या भगवान राम का धाम है और भगवान् राम के दर्शन के लिए हर मौसम सुहाना होता है, परंतु बच्चे और परिवार को लेकर आप बारिश के मौसम में न आयें। मई और जून का महिना भी अयोध्या दर्शन के लिए सही नही है, क्योंकि यह दो महीने यहां पर भीषण गर्मी पड़ती है। बाकी सभी दिनों में आप अयोध्या दर्शन के लिए जरूर आयें।
अयोध्या में रूकने की व्यवस्था?
अयोध्या में भी कई प्राइवेट होटल व धर्मशालायें आपके रूकने के लिए उपलब्ध हैं। यहां परश्री जानकी महल ट्रस्ट बिड़ला धर्मशाला में रूकने के लिए उत्तम व्यवस्था है। यहां रूकने से आप अयोध्या की धर्म और संस्कृति से परिचित हो जायेंगे। यहां नॉन एसी कमरा तथा एसी कमरा दोनों मिल जायेंगे। यहां पर आप ऑनलाइन बेबसाइट से भी AC तथा NON AC कमरा आसानी से बुक कर सकते हैं।
अयोध्या में भोजन की उपलब्धता?
अयोध्या में कई AC तथा NON AC रेस्टोरेंट तथा भोजनालय आपको आसानी से मिल जायेंगे। जहां पर आप अपना मनपसंद भोजन कर सकते हैं। आपको श्री राम जन्मभूमि के पास अमावा राम मन्दिर के बाहर पटना के प्रसिद्ध महावीर मन्दिर के द्वारा राम की रसोई का संचालन किया जाता है , जहां भक्तों को निःशुल्क भोजन प्रसाद दिया जाता है। इसके अलावा कनक भवन ट्रस्ट द्वारा संचालित कनक रसोई में भी बिना प्याज लहसुन का भोजन प्रसाद और नाश्ता अत्यंत कम दामों में मिल जाता है। कुछ धर्मशालाओं में रूकने वाले यात्रियों को निःशुल्क चाय, नाश्ता और भोजन दिया जाता है। आप अयोध्या जब भी घूमने आयें तो यहां पर भोजन प्रसाद पा सकते हैं।
अगर आप अयोध्या घूमने आ रहे हैं तो आईये जानते हैं कि क्या- क्या सावधानिया रखें?
अगर आप अयोध्या घूमने आने का विचार बना रहें हैं ,तो सबसे पहले आपको कुछ सावधानी रखनी होंगी. जिससे आप उन आने वाली परेशानियों से बचे रहें।
आगे आईये हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स देते हैं ।जिससे आप आसानी से अपने इस अयोध्या वाली ट्रिप में अयोध्या का बिना किसी डर के बेफिक्र होकर अयोध्या घूमें एवं यहां के सभी दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कर सकें।
बंदरों से बचाव
अगर आप अयोध्या दर्शन करने या घूमने आने का प्लान बना रहें हैं तो आप बंदरों से बचाव के लिये ये दिये हुए कुछ टिप्स अवश्य अपनाएं, क्योंकि अयोध्या तथा वहां के आस- पास की जगहों पर बहुत ही ज्यादा बंदर होते हैं। जब भी आप अयोध्या आयें तो अपने साथ हमेशा कुछ कैरी बैग साथ रखें तथा सारे सामानों तथा खाने पीने के भी सामानों को भी बैग में छिपाकर ही रखें। आप जब हनुमान गढ़ी के गेट से जाने लगें तो अपने हाथों में लिये प्रसाद के डिब्बों को छुपा कर रखें नहीं तो यहां पर बंदर प्रसाद को हनुमान जी तक पहुँचने ही नहीं देते हैं , ये आपके हाथों से छीनकर ले जाते हैं, और इसमें आपको चोट भी लग सकती है। इसलिए बहुत ही ध्यान रखें आप जब भी अयोध्या घूमने आय तो बंदरों से बचाव के लिए.
ठंड से बचाव
अगर आप अयोध्या नवंबर से फरवरी के बीच घूमने या दर्शन करने आते हैं तो ठंड से बचाव के लिए विशेष सावधानियां बरतें, क्योंकि अयोध्या में नवंबर से लेकर फरवरी तक काफी ठंड पड़ती है।
- नवंबर- नवंबर शुरुआत में अयोध्या का टेम्प्रेचर दिन के समय 25° तथा वहीं रात के समय 18° के करीब रहता है ।
- दिसंबर- दिसंबर में दिन के समय 12° टेम्प्रेचर रहता है वहीं रात के समय 8° के करीब रहता है।
- जनवरी- जनवरी के समय अयोध्या का टेम्प्रेचर दिन में 10° तथा वहीं रात के समय 5° से 7° के बीच रहता है।
- फरवरी- फरवरी में अयोध्या में मौसम थोड़ा ठीक रहता है और हल्की धूप भी होती है। लेकिन फिर भी ठंड रहती है।
तो अगर आप नवंबर से फरवरी के बीच में अयोध्या घूमने तथा दर्शन करने आना चाहते हैं तो ठंड के कपड़े जैसे- शाॅल, स्वेटर, जैकेट, टोपी, मफलर ,वुलन् मोजे तथा दस्ताने ये सभी जरूर रखकर लाएं। तथा ऐसे कपड़े पहनकर आयें जिसमें आपको ठंड भी न लगे। अगर आप इन ठंड के महीनों में अपने बच्चों के साथ अयोध्या आने की सोच रहें हैं तो बच्चों के भी सारे ठंड के कपड़े रखें तथा उनका विशेष तौर पर ध्यान रखें , क्योंकि बच्चों को सबसे जल्दी ठंड लगती है।
वैसे ठंड में अयोध्या तथा आस- पास के सभी जगहों पर सरकार तथा वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा सड़कों पर जगह- जगह पर आग की व्यवस्था की गयी रहती है, ताकि अयोध्या घूमने तथा राम लला के दर्शन करने आने वाले पर्यटकों को ठंड से परेशानी न हो, वे आराम से आग से अपने हाथ पैर सेककर दर्शन कर सकें।
अयोध्या के फेमस स्ट्रीट फूड कौन- कौन से हैं?
अगर आप अयोध्या दर्शन के लिये आ रहें हैं तो सबसे पहले आप यहां की गर्मा गर्म “मटर टिक्की” तथा “आलू टिक्की चाट “खाकर इस चाट का आनंद अवश्य उठाएं. आप यहां की “समोसे मटर” का भी जायका लें, आप इसका स्वाद जीवन भर नही भूल सकते. अयोध्या आप दर्शन के लिए आयें तो यहां के गर्मा गर्म समोसे, जलेबी, कचौरी, यहां की पालक तथा प्याज की पकोड़ी साथ ही गर्मा गर्म राबड़ी के साथ गर्म जलेबी का स्वाद अवश्य लें। तथा यहां के ब्रेड पकोड़े जरूर खाएं साथ ही यहां के ठेलों पर मिलने वाले देशी नूडल का लुफ्त जरूर ले. आप इसका स्वाद जीवन भर नही भूलेंगे। आप चाहे भले ही किसी अच्छे रेस्तरां या होटल में खा लें पर जो स्वाद यहां के ठेलों पर या छोटे – छोटे ढाबों पर मिलने वाले स्ट्रीट फूड में है वो कहीं नही है।
मसाला चाय
पानी पूरी
समोसे मटर
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
अयोध्या में प्रसिद्ध क्या है?
अयोध्या धाम भगवान् श्री राम के बाल लीलाओं को समेटे हुए श्री राम की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है.
क्या अयोध्या शाकाहारी शहर है?
हाँ! अयोध्या पूरी तरह से शाकाहारी शहर है. अयोध्या के सभी होटलों और ढाबों में परोसे जाने वाले भोजन शुद्ध शाकाहारी होते हैं।
अयोध्या में खरीददारी के लिये क्या प्रसिद्ध है?
अयोध्या एक धर्म स्थली होने के नाते यहां पर धार्मिक वस्तुयें अधिक मिलती हैं। आप यहाँ पर संगमरमर से बनी हुई भगवान् राम तथा उनके चारों भाइयों और माता सीता तथा सभी देवी- देवताओं की मूर्तियों को सस्ते दामों में खरीद सकते हैं। आप अयोध्या में सभी धार्मिक पुस्तकों को भी खरीद सकते हैं। आप अयोध्या में देवी- देवताओं के चित्र बने हुए कपड़े भी खरीद सकते हैं। अयोध्या में मिट्टी के खिलौने भी रिजनेबल रेट में मिल जाते है।
अयोध्या में फेमस खाना कहां मिलता है?
अयोध्या में कनक भवन के बगल में कनक की अनलिमिटेड शाही थाली आप सिर्फ 80 रुपये में भरपेट शाही खाना खा सकते हैं। इसके लिए आपको सिर्फ एक बार, 80 रुपये का टोकन कटाना होता है। उसके बाद आप जितना मर्जी उतना भोजन ले सकते हैं।
अयोध्या की फेमस मिठाई कौन सी है?
अयोध्या की सबसे फेमस मिठाई बेसन के लड्डू हैं। अगर आप अयोध्या दर्शन करने आ रहें हैं तो बेसन के लड्डू का लुफ्त अवश्य उठाएं. साथ ही मिलने वाले यहां के फेमस खुरचन के पेड़े का आनंद लें। यहां के जैसा पेड़ा आपको कहीं नहीं मिलेगा।
अयोध्या के फेमस स्ट्रीट फूड कौन- कौन से हैं?
अयोध्या में पानी पूरी या गोलगप्पे कहाँ मिलते हैं?
अयोध्या में आपको पानी पूरी / गोलगप्पे सड़क के हर छोर पर मिल जायेंगे। आप यहां के गोलगप्पों का स्वाद अवश्य लें. यहां के जैसा पानी पूरी के पानी का स्वाद आपको कहीं नही मिलेगा।
अयोध्या का सबसे निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है?
अयोध्या का सबसे निकटतम हवाई अड्डा महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो की अयोध्या से 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।
क्या मानसून के दौरान अयोध्या घूमने जा सकते हैं?
जी हाँ! मानसून के दौरान आप अयोध्या में घूमने व श्री राम के दर्शन करने जा सकते हैं। मानसून के दौरान यहां का मौसम और भी सुहावना हो जाता है। और गर्मी भी नहीं होती है ऐसे में आपको अयोध्या घूमने में काफी आनंद आयेगा।
क्या अयोध्या में कहीं फ्री में खाना मिलता है?
हाँ! अयोध्या में अमावा राम रसोई में आपको भरपेट खाना फ्री में मिलता है आप चाहें जितना लेकर आराम से खा सकते हैं।
अयोध्या किस महीने में घूमने जा सकते हैं?
अयोध्या भगवान श्री राम की जन्म स्थली है और आप यहां पर घूमने के लिए साल के बारह महीने जनवरी से लेकर दिसंबर तक आराम से घूमने आ सकते हैं।
क्या अयोध्या में मंदिरों में दर्शन के लिये शुल्क लगता है?
नहीं! अयोध्या के किसी भी मन्दिर में दर्शन के लिये कोई भी शुल्क नहीं लगता है, बल्कि आप अपनी श्रद्धा अनुसार दान पात्र में कुछ डालना चाहते हैं तो डाल सकते हैं।
वायु मार्ग से अयोध्या कैसे पहुचें?
अयोध्या का निकटतम हवाई अड्डा महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो की दिल्ली, मुंबई, गुजरात, तमिलनाडु इन तमाम राज्यों से जुड़ा हुआ है इसलिए आप अपने शहर से फ्लाइट लेकर आसानी से सीधे अयोध्या महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँच सकते हैं।