पटना हाई कोर्ट ने कहा है कि दूसरी शादी पहली पत्नी के लिए प्रताड़ना ही मानी जाएगी, चाहे पहली पत्नी ने ख़ुद ही ऐसा करने की अनुमति पति को दी हो. अरून कुमार सिंह बनाम निर्मला देवी के वाद में अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी हालत में पहली पत्नी भारतीय दण्ड संहिता (IPC) Section 498 के अंतर्गत कार्यवाही की मांग भी कर सकती है। IPC धारा 498 के अनुसार किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार अगर महिला के साथ क्रूरता करे तो उस पर तीन साल तक की कैद की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
अरून कुमार सिंह बनाम निर्मला देवी: पूरा मामला
इस केस में पति का प्रथम विवाह 1978 में हुआ. पुत्री के जन्म के बाद दोनो आपसी मतभेद कि चलते लग-अलग रहने लगे। उसका दूसरा विवाह पहली पत्नी की स्वीकृति के साथ वर्ष 2004 में हुआ लेकिन एक साल बाद ही दूसरा विवाह समाप्त हो गया. किन्तु वर्ष 2010 में प्रथम पत्नी द्वारा पति के विरूद्ध 498 A IPC प्रताड़ना के मुकदमे के साथ साथ 3/4 दहेज प्रतिशेष अधिनियम के तहत केस फाइल किया गय। पति द्वारा अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में आवेदन किया। जिस पर न्यायालय ने 5,000 रुपये प्रति महीने बतौर गुजर के रूप में (maintenance) देने पर तथा पुत्री के लिए 500,000 रुपये (पुत्री के विवाह ) तक देने पर जमानत मंजूर कर ली।
पुत्री की शादी वर्ष 2013 में होने के बाद पति तथा प्रथम पत्नी ने आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। तब पति ने सेक्शन 13 हिन्दू मैरिज एक्ट (Hindu Marriages Act) के तहत यह कहते हुए तलाक की मांग की कि उसके ऊपर दर्ज किया हुआ केस बेबुनियाद है और उसे प्रताड़ित करने कि इरादे से उस पर आरोप लगाया जा रहा है। अब निचली अदालत कि फैसले कि खिलाफ कि गई पति कि अपील को पटना हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि पति यह साबित नहीं कर पाया है कि पत्नी द्वारा दाखिल मुकदमा मनगढन्त व गलत है, जिसके कारण उसके साथ क्रूरता हुई। अपील को मेरिट विहिन करार देते हुए हाई कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय के आदेश में किसी भी प्रकार का परिर्वतन करने से मना कर दिया तथा कहा कि जिला अदालत ने सही निर्णय लिया है।
अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि पति का दूसरा विवाह किसी भी पत्नी द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, और इस प्रकार से पति द्वारा दूसरा विवाह पहली पत्नी के साथ अपने आप में ही प्रताड़ना होता है, ऐसी में 498A IPC पत्नी को प्रताड़ना का केस दाख़िल करने का अधिकार देता है। बेंच ने यह भी