भारत में संपत्ति के हस्तांतरण के दौरान खरीदार को स्वामित्व परिवर्तन को आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क देना होता है। संपत्ति उपहार में देने पर भी यह नियम लागू होता है। संपत्ति जिस राज्य में स्थित है, उस राज्य के अनुसार अचल संपत्ति उपहार में देने वालों को गिफ्ट डीड को कानूनी रूप से पंजीकृत कराने के लिए 2 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक का स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क देना पड़ सकता है।
गिफ्ट डीड क्या होती है?
गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो संपत्ति के स्वामित्व को दाता (जो गिफ्ट दे रहा है) से प्राप्तकर्ता (जिसे गिफ्ट मिल रहा है) तक स्थानांतरित करने में मदद करता है। यह 1882 के संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 122 के तहत आता है। गिफ्ट मिलने पर कोई पैसों का लेन-देन नहीं होता।
उपहार विलेख की विशेषताएं
- कोई आर्थिक लेन-देन नहीं – बिक्री विलेख के विपरीत, उपहार विलेख में कोई धन संबंधी लेन-देन नहीं होता।
- दाता और प्राप्तकर्ता की सहमति – उपहार देने वाले (दाता) की सहमति से ही उपहार दिया जाता है और प्राप्तकर्ता (ग्रहिता) को इसे दाता के जीवनकाल में स्वीकार करना होता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो उपहार अमान्य हो जाता है।
- अचल संपत्ति का उपहार – केवल वही संपत्ति उपहार में दी जा सकती है, जो उपहार देते समय अस्तित्व में हो।
- वापस लेना कठिन – एक बार उपहार स्वीकार कर लिया जाए, तो इसे वापस लेना आसान नहीं होता। हालांकि, यदि धोखाधड़ी या दबाव जैसी स्थितियां पैदा होती हैं तो संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा-126 के तहत दाता उपहार विलेख को रद्द कर सकता है।
रक्त संबंध में उपहार विलेख पर छूट
अधिकांश राज्यों में उपहार विलेख के पंजीकरण पर एक निश्चित राशि स्टांप शुल्क के रूप में ली जाती है। हालांकि, कुछ राज्यों में यदि उपहार रक्त संबंधियों के बीच दिया जा रहा हो तो इस शुल्क पर आंशिक या पूर्ण छूट दी जाती है। सरकार किसानों और मध्यम वर्ग की मदद के लिए रक्त संबंधियों को दिए जाने वाले उपहार विलेख पर स्टांप शुल्क या तो कम कर चुकी है या पूरी तरह हटा चुकी है। यह मार्गदर्शिका रक्त संबंध में उपहार विलेख पर स्टांप शुल्क से जुड़ी जानकारी देती है।
रक्त संबंधी कौन होते हैं?
टैक्स बचत के लिए भारत के आयकर अधिनियम में उन रिश्तेदारों को परिभाषित किया गया है, जो ‘रक्त संबंधी’ श्रेणी में आते हैं। इनमें शामिल हैं –
- a) जीवनसाथी
b) भाई या बहन
c) जीवनसाथी के भाई या बहन
d) माता-पिता के किसी भी भाई या बहन
e) कोई भी सीधा पूर्वज या वंशज
f) जीवनसाथी का कोई भी सीधा पूर्वज या वंशज
g) (b) से (f) में बताए गए व्यक्तियों के जीवनसाथी
उपहार विलेख प्रारूप के बारे में अधिक जानें
उपहार पत्र बनाम वसीयत
उपहार पत्र के मामले में संपत्ति का स्वामित्व तुरंत स्थानांतरित हो जाता है और इसे बदला नहीं जा सकता। दूसरी ओर वसीयत केवल लेखक की मृत्यु के बाद प्रभाव में आती है और उसे मृत्यु से पहले कई बार बदला जा सकता है।
स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क क्या होते हैं?
भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम के अनुसार, यदि किसी अचल संपत्ति का मूल्य 100 रुपए से अधिक है और उसका स्वामित्व स्थानांतरित किया जाता है तो उसे सरकारी रिकॉर्ड में कानूनी रूप से पंजीकृत कराना आवश्यक होता है। जब संपत्ति का स्वामित्व किसी निकट संबंधी को दिया जाता है तो इसके लिए गिफ्ट डीड बनवाना पहला कदम होता है। इस गिफ्ट डीड को कानूनी रूप से पंजीकृत कराने के लिए स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क चुकाना पड़ता है।
हर राज्य में गिफ्ट डीड से जुड़े नियम अलग-अलग होते हैं, इसलिए स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क भी राज्य के अनुसार बदलते हैं। यदि संपत्ति किसी निकट संबंधी को दी जा रही है, तो अधिकतर राज्य सरकारें स्टांप ड्यूटी में छूट प्रदान करती हैं, लेकिन यदि संपत्ति किसी गैर-संबंधी को दी जा रही है, तो स्टांप ड्यूटी उस क्षेत्र में लागू सर्कल रेट के आधार पर तय की जाती है। ध्यान दें कि गिफ्ट डीड के मामले में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क दाता (जो संपत्ति दे रहा है) को चुकाना होता है, न कि प्राप्तकर्ता को।
गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी: रक्त संबंधी और गैर-रक्त संबंधियों के लिए जरूरी बातें
- स्थान: स्टांप ड्यूटी हर राज्य में अलग होती है।
- भुगतान: पंजीकरण के समय पूरी स्टांप ड्यूटी चुकानी होती है।
- संपत्ति का प्रकार: नई संपत्ति पर गिफ्ट डीड की स्टांप ड्यूटी पुरानी इमारतों की तुलना में अधिक होती है।
- मालिक की उम्र: वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्टांप ड्यूटी युवा लोगों की तुलना में कम होती है।
- लिंग: कुछ राज्यों में महिलाओं के लिए स्टांप ड्यूटी पुरुषों की तुलना में कम होती है।
रक्त संबंधियों को उपहार विलेख पर स्टाम्प शुल्क में छूट देने वाले राज्य
वह राज्य, जहां उपहार विलेख पंजीकृत है | संपत्ति मूल्य के प्रतिशत के रूप में स्टाम्प शुल्क | संपत्ति मूल्य के प्रतिशत के रूप में पंजीकरण शुल्क |
उत्तर प्रदेश | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 5,000 रुपये + 1,000 रुपये प्रसंस्करण शुल्क | 1 फीसदी |
हरियाणा | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
दिल्ली | 4 फीसदी | 1 फीसदी |
महाराष्ट्र | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 200 रुपये | 1 फीसदी |
गुजरात | 3.5 फीसदी | 1 फीसदी |
राजस्थान | 6 फीसदी | 1 फीसदी |
मध्य प्रदेश | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
आंध्र प्रदेश | 2 फीसदी | 0.5 फीसदी |
हिमाचल प्रदेश | 6 फीसदी | 1 फीसदी |
तमिलनाडु | 7 फीसदी | 1 फीसदी |
कर्नाटक | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
पंजाब | 6 फीसदी | 1 फीसदी |
बिहार | 5.7 फीसदी(महिलाओं के लिए) और 6 फीसदी(पुरुषों के लिए) | 1 फीसदी |
झारखंड | 3 फीसदी | 1 फीसदी |
केरल | 2 फीसदी | 1 फीसदी |
मध्य प्रदेश | 2.5 फीसदी | 1 फीसदी |
छत्तीसगढ | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
उत्तराखंड | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
हिमाचल प्रदेश | 5-6 फीसदी | 1 फीसदी |
ओडिशा | 3 फीसदी | 1 फीसदी |
तेलंगाना | 0.5 फीसदी (न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये के अधीन) | 1 फीसदी |
जम्मू और कश्मीर | 3-7 फीसदी | 1 फीसदी |
असम | 5.6 फीसदी | 1 फीसदी |
चंडीगढ़ | 5 फीसदी | 1 फीसदी |
गोवा | रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति विनिमय के लिए 5,000 रुपये | 1 फीसदी |
मणिपुर | 7 फीसदी | 1 फीसदी |
सिक्किम | 1 फीसदी | 1 फीसदी |
अरुणाचल प्रदेश | 6 फीसदी | 1 फीसदी |
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा और पंजाब में उपहार विलेख पर स्टांप शुल्क में आंशिक या पूर्ण छूट दी जाती है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में यदि आवासीय या कृषि भूमि पति-पत्नी, बच्चों, पोते-पोतियों या पुत्र की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को उपहार में दी जाती है तो स्टांप शुल्क के रूप में केवल 200 रुपये देने होते हैं। यह नियम संपत्ति के मूल्य पर निर्भर नहीं करता। राज्य में यह नियम 2015 से लागू है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में उपहार पत्र (गिफ्ट डीड) पर 5 फीसदी स्टांप शुल्क लगता है। हालांकि, यदि संपत्ति परिवार के किसी सदस्य को उपहार में दी जाती है तो स्टांप शुल्क 400 बेसिस पॉइंट कम होता है और दाता को केवल 1 फीसदी स्टांप शुल्क देना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति के आदान-प्रदान पर 5,000 रुपए की स्टांप ड्यूटी देनी होती है। इसके अलावा 1000 रुपए की प्रोसेसिंग फीस भी देनी पड़ती है।
राजस्थान
राजस्थान में गिफ्ट डीड पर 6 फीसदी स्टांप ड्यूटी लागू होती है। हालांकि, यदि पति अपनी पत्नी को अचल संपत्ति उपहार में देता है, तो यह लागू नहीं होती। यही नियम बहू, बेटी, 60 वर्ष से अधिक उम्र के माता-पिता और 70 वर्ष से अधिक उम्र के दादा-दादी पर भी लागू होता है। लेकिन भाई, बहन, पति या 60 वर्ष तक के माता-पिता को संपत्ति उपहार में देने पर संपत्ति मूल्य का 2.5 फीसदी स्टांप ड्यूटी के रूप में देना पड़ता है।
पंजाब
2014 में पंजाब सरकार के एक फैसले के बाद रक्त संबंधियों के बीच अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर कोई स्टांप शुल्क नहीं लगता। इससे पहले पंजाब में गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन पर 6 फीसदी स्टांप शुल्क देना पड़ता था।
इस फैसले के बाद पंजाब के तत्कालीन राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने मीडिया को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार ने यह फैसला उस मंशा के अनुरूप है, जिससे लोग संपत्ति का कानूनी रजिस्ट्रेशन कराएं, बजाय गैरकानूनी तरीकों को अपनाने के, जो केवल पारिवारिक विवाद बढ़ाते हैं।
हरियाणा
हरियाणा में 2014 से संपत्ति एक ही परिवार के सदस्यों के बीच गिफ्ट की जाती है, तो उस पर स्टांप ड्यूटी पूरी तरह माफ कर दी गई है।
उत्तराखंड
देश के इस पहाड़ी राज्य में भी परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति गिफ्ट करने पर रियायत मिलती है। आमतौर पर गिफ्ट डीड पर 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है, लेकिन उत्तराखंड में परिवार के सदस्यों के लिए यह केवल 1 फीसदी है।
रक्त संबंधियों के बीच उपहार संपत्ति के हस्तांतरण के लिए पंजीकरण शुल्क क्या है?
ध्यान दें कि बिक्री विलेख की तरह, उपहार विलेख के पंजीकरण पर दाता या प्राप्तकर्ता के लिंग के आधार पर कोई छूट नहीं दी जाती है। रक्त संबंधियों के बीच हो या अन्य किसी को, उपहार विलेख का पंजीकरण शुल्क सभी के लिए समान रहता है।
रक्त संबंधियों को संपत्ति उपहार में कैसे दें?
यहां उन चरणों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें संपत्ति उपहार में देने के लिए पालन करना आवश्यक है।
- पात्रता: इस बात की जांच करें कि क्या दाता (देने वाला) और प्राप्तकर्ता (लेने वाला) उपहार विलेख के अनुबंध में प्रवेश कर सकते हैं।
- विलेख तैयार करें: इसमें दाता का नाम, प्राप्तकर्ता का नाम, संपत्ति का क्षेत्रफल आदि सभी विवरण शामिल करें।
- पंजीकरण कराएं: दाता को स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करके उप-पंजीयक कार्यालय (SRO) में विलेख का पंजीकरण कराना होगा। यह प्रक्रिया दो गवाहों की उपस्थिति में पूरी करनी होगी।
- स्वीकृति: प्राप्तकर्ता को दाता के जीवनकाल में ही उपहार को स्वीकार करना होगा, अन्यथा यह अमान्य हो जाएगा।
उपहार विलेख स्टांप शुल्क 2025 का ऑनलाइन भुगतान
- जिस राज्य में संपत्ति स्थित है, उसके IGRS पोर्टल पर लॉग इन करें और स्टांप शुल्क के ऑनलाइन भुगतान का ऑप्शन चुनें।
- उपहार विलेख पर स्टांप शुल्क भरने के लिए, ‘अचल संपत्ति पर उपहार विलेख’ लेख चुनें और भुगतान करें।
गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी 2025 का ऑफलाइन भुगतान
गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी 2025 का ऑफलाइन भुगतान करने के लिए आपको उस उप-पंजीयक कार्यालय (SRO) में जाना होगा, जिसके अधिकार क्षेत्र में संपत्ति आती है। भुगतान करने के बाद, गिफ्ट डीड पंजीकृत की जाएगी।
गिफ्ट डीड रजिस्टर कराते समय कौन-कौन सी चुनौतियां आ सकती हैं?
- दाता जिस संपत्ति को उपहार में दे रहा है, वह कानूनी विवाद में हो सकती है।
- दाता ने गिफ्ट डीड रजिस्टर कराते समय गलत या अधूरी जानकारी भरी हो सकती है।
- संपत्ति के उपहार से जुड़े राज्य के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया हो सकता है।
रक्त संबंधों में संपत्ति उपहार देने पर कर संबंधित प्रभाव
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत संपत्ति उपहार में देने पर कर लगता है।
उपहारों पर आयकर
रक्त संबंधियों को विवाह उपहार या विरासत के रूप में दी गई संपत्ति कर-मुक्त होती है।
पति या पत्नी को संपत्ति उपहार में देना
पति या पत्नी को संपत्ति उपहार में देने पर कोई कर नहीं लगता। लेकिन, उस संपत्ति से किराए के रूप में होने वाली आय पर कर लगेगा।
उपहार में मिली संपत्ति पर संपत्ति कर
जब संपत्ति उपहार में दी जाती है, तो प्राप्तकर्ता (डोनी) उसका मालिक बन जाता है। संपत्ति कर संपत्ति के मालिक को चुकाना होता है, इसलिए जैसे ही प्राप्तकर्ता मालिक बनता है, उसे हर साल संपत्ति कर भरना अनिवार्य होता है। ध्यान दें कि यदि संपत्ति कर समय पर नहीं भरा गया तो बकाया अवधि के लिए लगभग 2 फीसदी जुर्माना लग सकता है।
Housing.com का पक्ष
उपहार देना परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति हस्तांतरित करने का एक कानूनी तरीका है। इस पर भी अन्य संपत्तियों की तरह स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क लगता है। फर्क यह है कि उपहार विलेख (गिफ्ट डीड) में स्टांप शुल्क दाता (देने वाला) देता है, न कि प्राप्तकर्ता। ध्यान दें कि गिफ्ट डीड पंजीकरण के तुरंत बाद प्रभाव में आ जाती है। इसलिए, संपत्ति देने का एक और तरीका वसीयत (Will) हो सकता है। गिफ्ट डीड के विपरीत, वसीयत संपत्ति मालिक की मृत्यु के बाद प्रभावी होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या पारिवारिक सदस्यों के बीच संपत्ति स्थानांतरण पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी?
यह उस राज्य पर निर्भर करता है जहाँ गिफ्ट डीड रजिस्टर की जा रही है। भारत में कुछ ही राज्यों में, यदि संबंधित पक्ष रक्त संबंधी हैं, तो गिफ्ट डीड के पंजीकरण पर स्टांप ड्यूटी में पूरी छूट मिलती है।
क्या गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी लागू होती है?
हाँ, गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी लागू होती है।
गिफ्ट डीड के मामले में स्टांप ड्यूटी कौन चुकाता है?
गिफ्ट डीड के मामले में दाता (देने वाला) स्टांप ड्यूटी चुकाता है।
कौन सा कानून व्यक्ति से व्यक्ति को उपहार देने को नियंत्रित करता है?
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882, व्यक्ति से व्यक्ति को उपहार देने को नियंत्रित करता है।
गिफ्ट डीड को पंजीकृत करने की औपचारिकताएं क्या हैं?
ता को गिफ्ट डीड के लिए आवश्यक स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी। डीड को कम से कम दो गवाहों द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राप्तकर्ता (डोनी) को उपहार स्वीकार करना होगा।
गिफ्ट डीड कब प्रभावी होती है?
गिफ्ट डीड रजिस्ट्रेशन के तुरंत बाद प्रभावी हो जाती है।
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