हालांकि भारतीय रियल एस्टेट में ये काफी आम हो चुके हैं लेकिन फिर भी ड्यूप्लेक्स घरों के मतलब को लेकर काफी भ्रम फैला हुआ है. लोग अक्सर मंजिला घरों को ड्यूप्लेक्स मान लेते हैं. आइए जानते हैं कि क्या होते हैं ड्यूप्लेक्स और ये दो मंजिला घरों से भिन्न कैसे हैं.
क्या होते हैं ड्यूप्लेक्स हाउस?
ड्यूप्लेक्स हाउस दो मंजिलों पर बनी एक रिहायशी इमारत है. इसमें सिंगल किचन और डायनिंग रूम होता है. इसमें एक मध्य दीवार होती है और दो बेडरूम होते हैं. ये या तो बराबर में होते हैं या फिर दो मंजिलों पर या फिर अलग एंट्रीज के साथ. चूंकि मंजिलें दो होती हैं इसलिए ये साथ में बेची जाती हैं और मालिक इनका एक ही होता है. दोनों फ्लोर्स के लिए आने-जाने के रास्ते अलग-अलग भी हो सकते हैं.
भारत में ड्यूप्लेक्स में निचले फ्लोर पर किचन, हॉल और बेडरूम होते हैं जबकि ऊपर वाले फ्लोर पर मास्टर बेडरूम. ड्यूप्लेक्स में हमेशा दो ही मंजिलें होती हैं तीन या चार नहीं. अगर ऐसा है तो फिर इसे मल्टीप्लेक्स कहा जाएगा.
ड्यूप्लेक्स की खास बातें
–ड्यूप्लेक्स में हमेशा दो ही फ्लोर्स होते हैं, तीन या चार नहीं.
–ड्यूप्लेक्स में एक ही परिवार रहता है और मंजिलें आपस में फ्लोर्स से एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं.
–भारत में आमतौर पर ड्यूप्लेक्स में किचन, हॉल और बेडरूम निचली मंजिल पर और मास्टर बेडरूम ऊपरी मंजिल पर होता है.
–ड्यूप्लेक्स से आप शानदार किराया कमा सकते हैं क्योंकि मालिक प्रॉपर्टी का एक हिस्सा किरायेदारों को दे सकता है.
पश्चिमी देशों में, ड्यूप्लेक्स घरों में दो परिवार भी रह सकते हैं, जहां हर मंजिल पूरी तरह से अलग घर है. ड्यूप्लेक्स से आपको अच्छा खासा किराया भी मिल सकता है क्योंकि परिवार प्रॉपर्टी का एक हिस्सा किरायेदारों को दे सकता है. ऐसे मामलों में एंट्री अलग होगी और एक बड़ी सी दीवार इस बड़े घर को दो हिस्सों में बांट देगी.
दो मंजिला इमारत और ड्यूप्लेक्स में क्या फर्क है?
ड्यूप्लेक्स हाउस हमेशा दो मंजिला होता है लेकिन सारी दो मंजिला इमारतों को ड्यूप्लेक्स की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. ड्यूप्लेक्स में, मंजिलें सीढ़ियों से जुड़ी होती हैं जबकि दो मंजिला प्रॉपर्टी स्वतंत्र भी हो सकती हैं या फिर एक दूसरे से जुड़ी ही भी ना हों.
ड्यूप्लेक्स और विला में क्या फर्क है?
विला दो मंजिला प्रॉपर्टी हो भी सकता है और नहीं भी. यह ड्यूप्लेक्स से बड़ा होता है. दोनों ही आवास के मकसद को पूरा करती हैं लेकिन विला को ड्यूप्लेक्स की तुलना में आलीशान खरीद माना जाता है. विला उन लोगों की पहली पसंद होती है, जो पूरी तरह से प्राइवेसी चाहते हैं. वास्तव में, विला का कॉन्सेप्ट रोम काल से आया है, जहां अमीर और मशहूर लोग गर्मी के समय ग्रामीण क्षेत्रों में चले जाते थे. आज, विला भले ही स्वंतत्र घर हो लेकिन एक चारों ओर से बंद होता है. विला में क्लबहाउस, जिम, पूल इत्यादि होते हैं. ये सुविधाएं ड्यूप्लेक्स में नहीं मिलतीं.
ड्यूप्लेक्स और पेंटहाउस में क्या फर्क है?
दो मंजिला ड्यूप्लेक्स के विपरीत, पेंटहाउस हमेशा मल्टीस्टोरी बिल्डिंग या अपार्टमेंट के टॉप फ्लोर पर होता है. पेंटहाउस काफी महंगे होते हैं क्योंकि इनसे खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है और ये किसी इमारत में एक ही होता है. इस फ्लोर पर जितनी भी यूनिट्स होती हैं, वे सब एक में ही होती हैं.
ड्यूप्लेक्स और स्वतंत्र घरों में क्या फर्क है?
‘स्वतंत्र घर‘ शब्द को विला, ड्यूप्लेक्स और अन्यों की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है. स्वतंत्र घर में कितने ही फ्लोर हो सकते हैं लेकिन ड्यूप्लेक्स में 2 फ्लोर्स होते हैं.
ड्यूप्लेक्स में निवेश करने में क्या रिस्क हैं?
ड्यूप्लेक्स एक मनचाही लाइफस्टाइल चॉइस है लेकिन अगर आप इससे रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, तो आपको सावधान रहना चाहिए. भारतीय शहरों में मशहूर और महंगी जगह अकसर काफी भीड़भाड़ वाली हैं. इसका मतलब है कि अगर आप ड्यूप्लेक्स बनवाना चाहते हैं या फिर ड्यूप्लेक्स में निवेश करना चाहते हैं तो आपको उपनगरों और बाहरी इलाकों का रुख करना होगा. अगर आप ड्यूप्लेक्स से किराया हासिल करना चाहते हैं तो इसमें भी जोखिम है क्योंकि बाहरी इलाकों में यह मुमकिन नहीं है. इसलिए इस बात का ख्याल रखें.
एक और सामान्य जोखिम डुप्लेक्स के लिए अधिक भुगतान का है. चूंकि शहरी लोगों को अपार्टमेंट्स को देखने की आदत हो गई है इसलिए ड्यूप्लेक्स उन्हें देखने में नया लग सकता है. रियल एस्टेट के औपचारिक सूचकांकों और ऑनलाइन मौजूद सूचना के जरिए रिसर्च करें ताकि आपको खास जगहों पर ऐसे घरों की डिमांड और उनकी चल रही कीमतों के बारे में पता चल सके. इससे आप बेस्ट डील और मोलभाव करने की बेहतर स्थिति में होंगे.
क्या भारत में ड्यूप्लेक्स बेचना आसान है?
अधिकतर प्रॉपर्टी खरीदार जो ड्यूप्लेक्स घरों को चुनते हैं वो अंत तक इसमें निवेश करना पसंद करते हैं. कुछ कारणों से अगर वो इसे बेचना चाहते हैं तो सही खरीदार मिलना मुश्किल है. सही लोकेशन, ऐसे घरों की डिमांड, कीमत और शहर भी मायने रखता है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि ड्यूप्लेक्स बेचना नामुमकिन है. ऐसे कई खरीदार हैं, जो अपार्टमेंट्स से आगे भी सोचते हैं.
भारत में ड्यूप्लेक्स हाउस बनाने की कीमत क्या है?
यह जगह और शहर पर निर्भर करता है. अगर आप बेसिक फिनिशिंग मटीरियल का इस्तेमाल करते हैं तो लागत करीब 1500 प्रति वर्ग फुट से ज्यादा हो सकती है.
क्या भारत में ड्यूप्लेक्स आम हैं?
ड्यूप्लेक्स यूनिट ऐसी जगहों पर आम हैं, जहां ज्यादा भूमि है. अधिकतर भारतीय शहरों में अब ऊंची-ऊंची इमारतें बनने लगी हैं, क्योंकि जमीन कम है. दक्षिण भारत के शहरों जैसे केरल, हैदराबाद और बेंगलुरु में अब भी ड्यूप्लेक्स प्रॉपर्टीज हैं. देश के अन्य हिस्सों में ड्यूप्लेक्स प्रॉपर्टी भी असामान्य नहीं हैं.
पूछे जाने वाले सवाल
ड्यूप्लेक्स और अपार्टमेंट में क्या फर्क है?
अपार्टमेंट अकसर हाई राइज का हिस्सा होते हैं वहीं ड्यूप्लेक्स दो मंजिला इमारत होती है, जिसमें दो अलग-अलग एंट्री पॉइंट्स हो सकते हैं या बेडरूम.
ड्यूप्लेक्स और दो मंजिला घर में क्या फर्क है?
ड्यूप्लेक्स हमेशा दो मंजिला होता है जबकि बाकी दो मंजिला इमारतों को ड्यूप्लेक्स की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. ड्यूप्लेक्स में दो मंजिलें आपस में सीढ़ियों के जरिए जुड़ी होती हैं. जबकि दो मंजिला प्रॉपर्टी एक दूसरे से स्वतंत्र हो सकती हैं या फिर हो सकता है वे आपस में जुड़ी भी ना हों.