नो FSI, नो बिल्डिंग

गुड़गांव में सिर्फ उन्‍हीं इमारतों के निर्माण की अनुमति दी जाती है जिनका FSI या FAR 1 से 145 के बीच होता है.

किसी भी महानगर के सुनियोजित विकास के लिए सरकार की ओर से रियल एस्‍टेट कारोबारियों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. FSI या फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स उनमें सबसे महत्‍वपूर्ण है. सामान्‍य भाषा में इसे फ्लोर एरिया रेशियो या FAR भी कहा जाता है. इसकी अवधारणा सबसे पहले अमेरिका में अस्तित्‍व में आई थी.   इसे भवनों के निर्माण को नियंत्रित और सुरक्षित करने के लिए पेश में लाया गया था ताकि आर्किटेक्‍ट को दिए गए अनुपात के अनुसार बिल्डिंग का डिजाइन तैयार करने में मदद मिल सके. यह बिल्‍टअप एरिया को नियंत्रित करता है.

 

आवास की समस्या

दरअसल, बढ़ती आबादी ने आवास की समस्‍या को जन्‍म दिया. इस समस्‍या ने फ्लैट कल्‍चर को बढ़ावा दिया. आम आदमी की इन जरूरतों ने रियल एस्‍टेट कारोबार को बढ़ावा दिया और बेतहाशा दौलत कमाने की ख्‍वाहिश में सुरक्षा मानकों को ताक पर रखा जाने लगा. बहुमंजिला इमारतों की ऊंचाइयां एक सीमा से अधिक होने पर यह जानलेवा हो सकती हैं. किसी भी भवन में मंजिलों की संख्‍या उस भूखंड की प्रकृति पर भी निर्भर करती है जिस पर उसका निर्माण किया जा रहा है. अगर भूखंड उसका भार सहन करने में सक्षम नहीं है अथवा एक निश्चित अनुपात में बहुमंजिला भवन का निर्माण न किया जाए तो वह भवन कुछ समय में ही जमींदोज हो सकता है और कई लोगों की जान भी जा सकती है. अगर किसी भूखंड के पूरे एरिया को कवर कर लिया जाए तो यह अन्‍य लोगों के लिए मुसीबत का सबब भी बन सकता है. यही वजह है कि सरकार की ओर से भवन निर्माण के लिए FSI और FAR के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं.

 

FAR का उपयोग

FAR का उपयोग किसी भी भूखंड के कवर्ड एरिया या बिल्‍टअप एरिया की गणना के लिए किया जाता है. अगर FSI या FAR अधिक है तो इसका मतलब है कि निर्माण अधिक सघन है. ज्‍यादातर सरकारें अधिक सघन निर्माण की अनुमति नहीं देती हैं. यही वजह है कि राज्‍य, शहर और क्षेत्रों के आधार पर FSI या FAR के मानक अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं. इसकी गणना कुल कवर्ड एरिया और भूखंड के कुल एरिया को विभाजित करके की जाती है. बिल्‍डरों को बहुमंजिला भवनों के निर्माण के समय स्‍थानीय निकाय द्वारा निर्धारित FSI का विशेष तौर पर ध्‍यान रखने की जरूरत होती है. आम तौर पर बड़े शहरों में मास्‍टरप्‍लान के अनुसार ही इनका पालन करना होता है. मास्‍टर प्‍लान में भी अलग-अलग क्षेत्रों के लिए यह अलग-अलग हो सकता है. गुरुग्राम या गुड़गांव में इसकी गणना के जो आधार बनाए गए हैं उनमें इलाका, भूखंड का कुल क्षेत्रफल और संबंधित भूखंड पर निर्मित भवन की कुल मंजिलों का क्षेत्रफल शामिल हैं. इसमें बालकनी, लिफ्ट रूम, सीढ़ी कवर, फायर सीढ़ी, खुली सीढ़ी, बेसमेंट, स्‍टोर और पार्किंग आदि के लिए उपयोग में लाई गई जगह सहित अन्‍य चीजें शामिल हैं.

 

गुड़गांव की बात

गुड़गांव में सिर्फ उन्‍हीं इमारतों के निर्माण की अनुमति दी जाती है जिनका FSI या FAR 1 से 145 के बीच होता है. ऐसा नीं होने पर उक्‍त इमारत अवैध करार दी जएगी. औद्योगिक प्रतिष्‍ठानों के लिए अधिकतम FAR 125 और सार्वजनिक भवनों के लिए 15 निर्धारित किया गया है. इसके अलावा राज्‍य सरकार की ओर से लाइसेंस के लिए कुछ मानक निर्धारित किए हैं जिनका पालन किए बगैर लाइसेंस हासिल नहीं किया ज सकता. उदाहरण के तौर पर यदि आपका प्रोजेक्‍ट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी का है तो इस स्थिति में FAR 175 है. इसमें आप साइट क्षेत्र का 35% एरिया ही कवर कर सकते हैं. बात जब वाण‍िज्यिक क्षेत्रों की आती है तो वहां यह नियम कुछ बदल जाता है. वाण‍िज्यिक क्षेत्रों में अधिकतम कवर्ड एरिया 40 प्रतिशत तक हो सकता है यानि आप 40 फीसदी क्षेत्र में निर्माण कर सकते हैं. इसमें FAR 150 से 175 के बीच हो सकता है. साइबर सिटी और साइबर पार्क के मामले में FAR 250 तक है. कवर्ड एरिया यहां भी कुल जमीन का 40 प्रतिशत हो सकता है. अगर आप राष्‍ट्रीय राजमार्ग के किनारे कृषि भूमि पर ढाबा बनाना चाहते हैं तो इसके लिए कवर्ड एरिया और FAR दोनों ही 40 प्रतिशत निर्धारित किए गए हैं.

 

FAR में बढ़ोत्तरी

वहीं, छोटे डेवलपर्स और प्‍लॉट मालिकों को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2019 में आवासीय भूखंड के लिए FAR बढ़ा दिया था. पहले जहां एक भूखंड के सिर्फ 66 प्रतिशत एरिया पर ही निर्माण किया जा सकता था वहीं अब प्‍लॉट मालिक 75 से 80 प्रतिशत एरिया पर निर्माण कर सकता है. पहले जहां इनके लिए 198 FAR निर्धारित था वहीं, अब इसे 264 कर दिया गया है. यह मानक 250 वर्ग मीटर तक के प्‍लॉटों के लिए है. इससे अधिक के प्‍लॉटों के लिए FAR पहले जहां 180 था वहीं, अब 240 कर दिया गया है. इनके लिए प्रति वर्ग मीटर FAR का शुल्‍क भी निर्धारित क‍िया गया है. यह दर 485 रुपये से 8070 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक है.

 

नगर निकायों की भूमिका अहम

FSI शहर के विकास प्राधिकरण, नगर निगम, नगर पालिका या अन्‍य निकाय द्वारा ही निर्धारित किया  जाता है. इससे यह तय होता है कि आप किसी भूखंड पर कितने एरिया में निर्माण कर सकते हैं. अगर आप निर्धारित क्षेत्र से अधिक कवर कर लेते हैं तो आपकी इमारत अवैध करार दी जाएगी. परिणामस्‍वरूप संबंधित प्राधिकारी आपकी इमारत को डिमॉलिश कर सकता है अथवा अरिक्ति एरिया के लिए जुर्माना लगाकर उसे विनियमित कर सकता है. दोनों ही सूरत में आपका नुकसान होगा. इसलिए किसी भी भूखंड पर निर्माण के पहले बिल्‍डर या डेवलपर को इस बात का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए कि यह निर्माण निर्धारित FAR के अनरूप ही किया जाए. FAR के अलावा जो भूखंड का एरिया बचता है या सामान्‍य शब्‍दों में कहें कि नॉन कंस्‍ट्रक्‍टेड एरिया का उपयोग क्‍यारियों, बगीचों, बालकनी आदि के निर्माण के लिए किया जा सकता है.

FAR एक प्रमुख कारक होता है जिसके आधार पर किसी प्‍लॉट या जमीन की कीमत निर्धारित होती है. इसके माध्‍यम से हमें यह पता चलता है कि हम भूखंड के कितने हिस्‍से का उपयोग निर्माण के ल‍िए कर सकते हैं. जब FAR बेहतर उपयोग की संभावाना को बढ़ाता है तो उस जमीन की कीमत भी बढ़ जाती है. अगर FAR कम होता है तो उसका असर भी भूखंड की कीमतों पर पड़ता है. उदाहरण के तौर पर देखें कि अगर कोई बिल्‍डर किसी कॉलोनी को डेवलप कर रहा है. उस कॉलोनी का FAR ज्‍यादा होगा तो वह उस भूमि पर ज्‍यादा मकान बना सकता है. मकानों की संख्‍या अधिक होने पर उसकी कीमतें कम हो जाएंगी लेकिन FAR अगर कम होगा तो मकान की कीमतें बढ़ जाएंगी. इसी तरह मंजिल क्षेत्र का अनुपात जितना अधिक होगा संपत्ति की कीमत उतनी ही बढ़ जाएगी. यही वजह है कि डेवलपर्स काफी समय से विभिन्‍न राज्‍य सरकारों से FAR बढ़ाने की मांग करते आ रहे हैं. हरियाणा सरकार ने लगभग तीन साल पहले इसमें बढ़ोतरी भी कर दी थी.

 

जितनी FAR, उतनी ऊंची बिल्डिंग

बिल्‍डर के पास जितना अधिक फ्लोर एरिया होता है बिल्‍डिंग उतनी ही अधिक ऊंची बनाई जा सकती है. अगर आप ऐसे प्रोजेक्‍ट में प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो आप ज्‍यादा घनत्‍व वाले इलाके में रहेंगे और आपको अन्‍य लोगों के साथ बुनियादी सुविधाएं शेयर करने के साथ-साथ बिजली, पानी क्‍लब हाउस, स्‍वीमिंग पूल आदि का खर्च वहन कना होगा. हालांकि, कम FAR वाले प्रोजेक्‍ट की रीसेल वैल्‍यू ज्‍यादा FAR वाले प्रोजेक्‍ट की तुलना में ज्‍यादा होती है. ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि छोटी बिल्डिंग में जनसंख्‍या घनत्‍व कम होता है और आसपास खुला स्‍पेस भी ज्‍यादा होता है. लोग रहने के लिए इसी तरह के स्‍थान को ज्‍यादा पसंद करते हैं. कॉमर्शियल संपत्ति के मामले में अधिक घनत्‍व वाले प्रोजेक्‍ट में इसकी कीमत ज्‍यादा होती है क्‍योंकि बड़े FAR वाले प्रोजेक्‍ट में ज्‍यादा उपभोक्‍ताओं तक पहुंच होती है.

 

जरूरी है जानकारी

आम तौर पर किसी भी प्रोजेक्‍ट के FAR के बारे में पता नहीं चल पाता है. इसका पता तभी चलता है जब संबंधित प्राधिकार की ओर से प्रोजेक्‍ट का कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. अत: अगर आप किसी प्रोजेक्‍ट में घर खरीदना चाहते हैं तो कोई भी सौदा करने से पहले उसका कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट जरूर देखें. आम तौर पर बिल्‍डर प्रोजेक्‍ट को निर्माणाधीन बताते हुए बुकिंग के नाम पर ही पैसे की वसूली शुरू कर देते हैं. बाद में नियमानुसार प्रोजेक्‍ट को पूरा नहीं करते और विभाग की ओर से उन्‍हें कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया जाता. इन परिस्थितियों में आप धोखाधड़ी के शिकार भी हो सकते हैं. अगर आपके प्रोजेक्‍ट को कंप्‍लीशन सर्टिफिकेट प्राप्‍त नहीं है तो प्रॉपर्टी की खरीदारी के लिए सरकारी बैंकों से लोन हासिल करने में भी आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. यह भी हो सकता है कि आपका लोन स्‍वीकृत ही न हो. इन परिस्थितियों से बचने के लिए यह आवश्‍यक है कि आप FAR के बारे में पूरी जानकारी पहले से ही हासिल कर लें. रियल एस्‍टेट डेवलपर अक्‍सर ज्‍यादा FAR की डिमांड करे हैं ताकि डिमांड एवं सप्‍लाई के अंतर को दूर किया जा सके. वहीं, आम आदमी के लिए कम FAR ज्‍यादा सुखद अनुभव देता है. हालांकि, एक अच्‍छा FAR शहर और शहर के भीतर स्थित विभिन्‍न इलाकों पर निर्भर करता है. महानगरों में यह 125 से 3 के बीच है. इसमें पार्किंग, गैरेज जैसे खाली स्‍थानों को शामिल नहीं किया गया है.

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

FSI है क्या

FSI का फुल फार्म होता है फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स. यह बेहद महत्‍वपूर्ण है. सामान्‍य भाषा में इसे फ्लोर एरिया रेशियो या FAR भी कहा जाता है.

FSI किस राज्य में अनिवार्य है

FSI हरियाणा में अनिवार्य है. इसे लेकर हरियाणा सरकार के नियम बेहद कठोर हैं. अगर आप मकान या फ्लैट बनाने की सोच रहे हैं और FSI मानकों के अनुरूप नहीं है तो आप मकान नहीं बना पाएंगे.

FSI का कांसेप्ट क्या है

दरअसल, यह जमीन के आकार में कुल निर्माण क्षेत्र का अनुपात है. कई बार ऐसा होता है कि ठेकेदार आपको बेवकूफ बनाते हैं. वो जमीन कुछ दिखाता है, निर्माण की बात कुछ करता है और निर्माण कम क्षेत्र पर या ज्यादा क्षेत्र पर कर डालता है. इसे दूर करने के लिए FSI का कांसेप्ट लाया गया है. यह भारतीय कांसेप्ट नहीं है. इसका प्रचलन अमेरिका में ज्यादा है पर भारत में हरियाणा सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया है. यह ग्राहकों के हिसाब से बढ़िया है.

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