गोद ली गई संतान का सम्पति में अधिकार

जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे को गोद लेता है तो कानून द्वारा उसको कौन- कौन से अधिकार प्राप्त होते हैं

गोद ली गई संतान का आपकी सम्पति में किस प्रकार का अधिकार होगा इसके अलावा उस संतान के बायोलॉजिकल माता-पिता की संपत्ति में कुछ भी अधिकार होते हैं या नहीं, यह सब प्रश्न आम लोगों की समझ से परे होते हैं ,क्योंकि इस प्रश्न का उत्तर कोई लॉ का सही जानकार व्यक्ति ही दे सकता है। तो आईये इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे की गोद ली गई संतान का संपत्ति में किस प्रकार का अधिकार होता है.

सबसे पहले हम यह जानेंगे कि क्या होता है गोद लेना

जब किसी दंपति के खुद की कोई संतान न हो और वह किसी दूसरे के बच्चे को कानूनी प्रक्रिया द्वारा अपने बच्चों की तरह पालन पोषण करें तो संतान को गोद ली गई संतान कहा जाएगा। इसमें बच्चों का पालन पोषण उसके वास्तविक मां-बाप ना करके गोद लिए गए माता-पिता द्वारा किया जाता है, सीधे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि किसी संतानहीन दंपत्ति द्वारा जब संतान रूप में पालन पोषण करने की इच्छा से समस्त कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद जब किसी दूसरे के बच्चे को अपने बच्चों की तरह पालन पोषण किया जाता है  तो इस प्रक्रिया या रीती को गोद ली गई संतान कहते हैं.

भारत में गोद लेने के नियम

इस संबंध में भिन्न-भिन्न देश में भिन्न-भिन्न नियम है अगर हम भारत की बात करें तो बच्चा गोद लेने के लिए पहला नियम यह है कि बच्चे तथा गोद लेने वाले माता-पिता में काम से कम 21 वर्ष का अंतर होना चाहिए ।तथा गोद लेने वाले माता-पिता की शादी के 2 वर्ष हो चुके हों. एक महिला लड़का या लड़की दोनों को गोद ले सकती है किंतु एक पुरुष किसी लड़की को गोद नहीं ले सकता। तथा विकलांग व्यक्ति भी अपनी अक्षमता,प्रकृति और सीमा के आधार पर बच्चा गोद ले सकते हैं ।जिन लोगों के पहले से ही बच्चे हैं वह बच्चा गोद नहीं ले सकते हैं.

अब हम जानेंगे कि अगर कोई बच्चा गोद लिया है तो उसकी संपत्ति में किस प्रकार का अधिकार होगा
जब किसी बच्चे को गोद लिया जाता है तो गोद लेते समय यदि पूर्व में ही कोई संपत्ति उस बच्चे के नाम पर है तो वह संपत्ति उस बच्चे के ही नाम पर रहेगी, किंतु गोद लिए जाने के बाद उस बच्चे का अपने बायोलॉजिकल माता-पिता की संपत्ति से संबंध अधिकार समाप्त हो जाते हैं और जिस दंपति ने उसे गोद लिया है उसे दंपति की संपत्ति में उसके अधिकार निहित हो जाते हैं ।इस प्रकार हम यह कह सकते हैं की गोद लिए गए बच्चे का संपत्ति में उतना ही अधिकार होता है जितना कि खुद के द्वारा उत्पन्न हुए बच्चे का संपत्ति में अधिकार होता है.

हिंदू कानून के अनुसार गोद लिए गए बच्चे को किसी भी तरह के बायोलॉजिकल बच्चों से अलग नहीं माना जाता है, बशर्ते गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया की सभी शर्तों का पालन नियमानुसार किया गया हो कभी-कभी ऐसे मामले भी देखने में आए हैं कि कानून में लिखित प्रक्रिया व ठीक व सही ढंग से पालन न करने पर गोद लेने की प्रक्रिया ही गलत व गैरकानूनी  हो जाती है ,जिसके परिणाम स्वरुप यह देखने को मिलता है की गोद ली गई संतान अपने समस्त कानूनी अधिकार खो देता है क्योंकि विधि के मूल न्यायालय में क्षम्य में नहीं है. हिंदू सेक्सन एक्ट की धारा 8 में वर्णित है कि मांग के उत्तराधिकारी जिसमें बेटा भी शामिल है जो की कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद लिया गया है जबकि इसमें बेटा शब्द को डिफाइन नहीं किया गया है अपने पिता की संपत्ति में उतना ही हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार रखता है जितना की एक नेचुरल पुत्र को प्राप्त होता है.

गोद लिए गए बच्चों के अधिकार पर क्या कहता है पर्सनल लॉ

पारसी, यहूदी, ईसाई, मुस्लिम उनके अपने-अपने पर्सनल लॉ है .जिस लॉ के अनुसार इन लोगों को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं है, क्योंकि इनका पर्सनल लॉ उनके इस बात की इजाजत नहीं देता है किंतु फिर भी अगर गार्जियनशिप एक्ट 1890 के प्रावधानों के तहत यह लोग बच्चे की गार्जियनशिप ले सकते हैं, किंतु इस तरह के बच्चों को परिवार में जन्मे बच्चों की तरह अधिकार नहीं मिलते हैं इसका मतलब यह है कि पर्सनल लॉ के तहत केवल गार्जियन बना जा सकता है वहां बच्चे का अधिकार बहुत सीमित होता है इस प्रकार के बच्चों को 21 वर्ष का होने तक उसके परवरिश की जिम्मेदारी उसके गार्जियन की होती है इस तरह इन बच्चों को पुश्तैनी संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलता है, किंतु सेल्फ एक्वायर्ड संपत्ति में यदि गार्जियन चाहे तो वसीयत के माध्यम से संपत्ति दे सकते हैं.

 

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें
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