अटल पेंशन योजना (APY), जो कि भारत सरकार की एक प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना है, ने अपने सफल कार्यान्वयन के आठ वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत के सभी नागरिकों, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के कामगारों को वृद्धावस्था आय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस योजना का शुभारंभ 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था।
यह योजना पूरे देश में व्यापक रूप से लागू की गई है, जिसमें सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया गया है, और जिसमें कुल नामांकन 5.25 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। APY के शुभारंभ से ही इसमें नामांकन निरंतर बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में नए नामांकन में 20% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में नए नामांकन में 25% की वृद्धि दर्ज की गई थी। अब तक APY में प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्ति (एयूएम) 28,434 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई है और इस योजना ने अपने शुभारंभ से लेकर अब तक 8.92% का निवेश रिटर्न अर्जित किया है।
सार्वजनिक एवं निजी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, पेमेंट बैंकों, लघु वित्त बैंकों, डाक विभाग के अथक प्रयासों, और राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों द्वारा दिए गए व्यापक सहयोग के बिना समाज के सबसे कमजोर वर्गों को पेंशन के दायरे में लाने का यह कार्य संभव नहीं हो सकता था।
नया APY खाता 18-40 वर्ष की आयु वाले किसी भी ऐसे भारतीय नागरिक द्वारा खोला जा सकता है, जिसके पास बचत बैंक खाता है और जो आयकरदाता नहीं है। एपीवाई के तहत संबंधित ग्राहक को 60 वर्ष की आयु से प्रति माह 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक आजीवन न्यूनतम गारंटीकृत पेंशन प्राप्त होगी, जो कि उसके योगदान पर निर्भर करेगी, और जो स्वयं एपीवाई योजना में शामिल होने की उम्र के आधार पर अलग-अलग होगी। संबंधित ग्राहक या अभिदाता की मृत्यु हो जाने के बाद अभिदाता के पति/पत्नी को समान पेंशन का भुगतान किया जाएगा और अभिदाता तथा पति/पत्नी दोनों की ही मृत्यु हो जाने पर संबंधित अभिदाता की 60 वर्ष की आयु तक संचित पेंशन राशि नामांकित व्यक्ति को वापस कर दी जाएगी।