प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने केंद्र की प्रमुख जॉब गारंटी योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) के लिए बजट आवंटन कम कर दिया है।
वित्त मंत्री नर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2023 को पेश किए गए बजट में 2023-24 में ग्रामीण जॉब योजना को लागू करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जो वित्त वर्ष 23 के लिए संशोधित बजट आवंटन से 32% कम है। पिछले बजट में, NREGA को 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि संशोधित बजट 89,400 करोड़ रुपये था। नरेंद्र मोदी सरकार के इस पूरे कार्यकाल को कवर करते हुए इस साल का आवंटन पिछले चार बजटों में सबसे कम देखा गया है।
आमतौर पर NREGA के रूप में जाने, जाने वाली यह योजना प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की रोजगार गारंटी प्रदान करती है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 15 दिसंबर, 2022 तक NREGA के तहत कुल 11.37 करोड़ परिवारों को रोजगार मिला और कुल 289.24 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोजगार दिए गए।
ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों के सहयोग से योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
अपनी बजट विश लिस्ट में, ग्रामीण रोजगार के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता समूहों ने मांग की कि केंद्र मौजूदा कमियों को पूरा करने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 2.72 लाख करोड़ रुपये का बड़ा बजट आवंटित करे। NREGA संघर्ष मोर्चा के निखिल डे ने बजट से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “वित्त वर्ष 2021-22 में 24,403 रुपये तो केवल मजदूरी थी जो सरकार को चुकानी बाकी थी, जो आवंटित किए गए बजट 73,000 करोड़ का ही हिस्सा थी। नतीजतन, बजट का 25% बकाया चुकाने के लिए उपयोग किया गया, जिससे बाद फंड की कमी पैदा हो गई।”
डे ने बजट के बाद कहा, “बजट ने MGNREGS को तगड़ा झटका दिया है।”