राम मन्दिर निर्माण के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट से मोहर लगने के बाद से ही अयोध्या एक धार्मिक व सामाजिक केंद्र के रूप में न केवल भारत में अपितु विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है। 22 जनवरी को मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद से, पूरे विश्व में उतर प्रदेश के इस छोटे से शहर की चर्चा बहुत ज़ोरों पर है। इस कारण बड़ी संख्या में न केवल बड़ी-बड़ी रियल स्टेट कम्पनिया बल्कि आम नागरिक भी यहाँ पर निवेश करने व प्रापट्री खरीदने के लिए उत्सुक है।
ऐसे में हमे इस बात का ध्यान मुख्य रूप से रखना होगा कि हम किस प्रकार और कहाँ पर निवेश करें कि हमारा पैसा जालसाजो व फ्राड लोगों के हाथ में न चला जाए। इस बात की चर्चा कर लेना बेहद ज़रूरी है कि हाल ही में अयोध्या में प्रॉपर्टी और ज़मीन से सम्बंधित जालसाज़ी और धोखाधड़ी कि कई मामले सामने आएं है। आपने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सन्त श्री रविशंकर के साथ हुए फ्राड के बारे में शायद सुना ही हो, जिसमें श्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्था व्यक्ति विकास केन्द्र द्वारा 9.5 करोड़ का एक एग्रीमेन्ट अयोध्या के अब्दुुल कलाम से फरवरी 2022 में 5.3 हे0 भूमि स्थित गांव जमथरी में की गयी। बाद में तहसीलदार ने यह कहते हुए उसकी दाखिल-खारिज करने से इंकार कर दिया कि वह जमीन नदी के अन्दर है। अगर इतनी बड़ी संस्था या विश्व स्तर का सन्त ठगी से नही बच पाया तो छोटे मोटे निवेशक की बात ही क्या? आइये इस लेख के माध्यम से जानते है कि अयोध्या में प्रापट्री खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियां?
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कंपनी से ले रहे हैं प्लाट/घर तो क्या पेपर या डिटेल चेक करें?
अगर आप किसी रियल स्टेेट कम्पनी से प्लाट या घर खरीद रहे हैं तो सबसे पहले आप इस बात से सन्तुष्ठ हो जाये कि कम्पनी पूर्ण रूप से कानूनी रूप से विद्यमान है या नहीं? उसका रेरा रजिस्टेªशन नम्बर सम्बन्धित एथाट्री से स्वयं चैक करवा लें। इस बात कि भी जांच करवाएं कि प्रोजेक्ट का नक्शा पास है या नहीं तथा रिकार्ड रूप से नक्शे की प्रति स्वयं निकलवाकर सम्बन्धित लेखपाल या रेवेन्यू आफिसर की मदद लेकर पूर्ण रूप से सन्तुष्ट होने पर ही निवेश करे। अन्यथा की स्थिति में, आप फ्राड कम्पनियो के शिकार हो जायेगे और आप के जीवन भर की पूजी बर्बाद हो जायेगी।
प्रापट्री डीलरो से जमीन या प्लाट खरीदने पर
अयोध्या हो या अन्य कोई भी स्थान प्रापट्र्री खरीद-फरोख्त में सबसे ज्यादा फ्राड बिचैलियों के माध्यम से किया जाता है। अयोध्या में इस तरह के फ्राड डीलर जगह जगह घूम रहें है जो आपको पेपर भी दिखायेगे और सस्ते का लालच देकर आप को अपने जाल में फसायेगे। दिखायेगे कुछ और जब आप जमीन पर कब्जा लेने जायेगे तो आप को प्रशासन द्वारा पता चलेगा कि अमूक नम्बर तो नदी के अन्दर है। ऐसी स्थिति न आये इसके लिए इस लोगो से बचना एक बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में प्रापट्री से जुड़े समस्त दस्तावेज की पुनः जांच करवा लेना अति आवश्यक है।
रिकार्ड रूम से मुआइना
किसी भी ज़मीन का सौदा करते समय क्रेता को सबसे पहले ज़िले के कलेक्ट्रेट आफिस (collectorate office) में स्थित रिकार्ड रूम (record room) में जाकर ख़ुद ही या अपने भरोसेमन्द वकील के माध्यम से सम्बन्धित ज़मीनके समस्त दस्तावेज़ों का मुआइना करवा लेना चाहिए, जिससे ज़मीन की स्पष्ट स्थिति के विषय में सही जानकारी प्राप्त हो सके।
जोत चकबंदी आकार पत्र 41 व जोत चकबंदी आकार पत्र 45 की जाँच
रिकार्ड रूम में आप का आकार पत्र 41 व 45 भी प्राप्त हो जायेगा, जिसके माध्यम से आप ज़मीन के विषय में और अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
खसरे की जाँच
रिकार्ड रूम से प्राप्त खसरा आप को ज़मीन की लगभग 50 वर्ष तक की स्थित के विषय में बतायेगा. इस कारण खसरे की जाँच करवाना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
खतौनी की जाँच
ज़मीन से सम्बन्धित खतौनी की पूर्णरूप से जाँच भी अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य है. आज-कल अक्सर देखने को मिलता है कि अमुक व्यक्ति ने अपने हिस्से से कही अधिक ज़मीन का बैनामा कर दिया हो. इस प्रकार का फ्राड आज सामान्य हो गया है. लोग अगर खतौनी की जाँच करवा लें तो ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।
रजिस्ट्री आफिस से सम्बन्धित ज़मीन के नम्बर का मुआयना
ज़मीन की सही स्थिति जाने के लिए आप जिस ज़मीन को खरीदने जा रहे है, उसका मुआयना (इन्सपेक्सन) करना अत्यन्त आवश्यक है. इससे हमें यह जानकारी होगी कि आज तक उस नम्बर पर कितने बैनामें हुए हैं और आप एक बड़े फ्राड से बच सकते हैं।
सत्यापित नक्शे से ज़मीन का सही मिलान
यह भी एक अत्यन्त आवश्यक कार्य है क्यूंकि आज-कल लोग ज़मीन का नम्बर कोई बताते हैं, दिखाते कुछ हैं और बेचते कुछ हैं. इस प्रकार अगर आप नक्शे से ज़मीन की सही स्थिति का मिलान करते हैं तो आप सुरक्षित हैं।
सक्षम अधिकारी से ज़मीन की पैमाइश
ज़मीन ख़रीदने से पहले अगर आप सक्षम अधिकारी से उसकी पैमाईश करवा लेते हैं, तो यह अत्यन्त सुरक्षित रास्ता है. ये इसलिए क्यूंकि इसके द्वारा ज़मीन की चैहद्दी और सही स्थिति की जानकारी आप को प्राप्त हो जायेगी। प्लाट की स्थिति में आप को यह देखना होता है कि जो नक्शा हमे प्रापट्री डीलर दिखा रहे है, वह विकास प्राधीकरण, नगर पालिका या नगर पंचायत द्वारा पास किया गया है कि नही.
किसान या भूमि मालिक से यदि आप जमीन या प्रापट्री खरीदते है
रिहायशी इलाके में प्रॉपर्टी खरीदते समय रखें किन बातों का ध्यान?
अगर आप किसी रिहायशी इलाके में प्रापट्री ख़रीदने के बारे में सोच रहें हैं तो कुछ जरूरी डाक्यूूमेन्ट की जाँच कर लेना बहुत ही आवश्यक है। इस मामले में किसी भी तरह की चूक होने पर ये काफी हद तक संभव है कि आप किसी लुभावने ऑफर के झांसे में आकर अपना सारा पैसा गवां बैठें या फिर किसी ठगी का शिकार हो जाएँ। सतर्क रहने में ही आपकी समझदारी है, विशेष रूप से तब जब आप फ्लैट या अपार्टमेंट खरीदते हैं। ऐसी प्रॉपर्टी खरीदते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बैनामा या सेल डीड (sale deed)
अगर आप किसी से फ्लैट या मकान खरीद रहे हैं तो आप को सबसे पहले बैनामा या सेल डीड की काॅपी चेक कर लेनी चाहिए क्यूंकि यह प्रापट्री के स्वामित्व का निर्धारण करता है। इस बैनामें या सेल डीड का सत्यापन या वेरिफिकेशन संबंधित आफिस से अवश्य कर लेना चाहिए।
ले-आउट/ नक्शा प्रमाण पत्र
किसी भी रिहायशी इलाके में निर्माण से पहले घर का नक्शा बनवाना और सम्बंधित अधिकारियों द्वारा इसे मंज़ूरी दिलाना बहुत आवश्यक होता है। अगर नक्शा पास नही है तो निर्माण अवैध माना जायेगा, जिसे प्रशासन द्वारा कभी भी गिराया जा सकता है। इसलिए ले-आउट पेपर्स की जाँच तथा सत्यापन अवश्य करा लें।
लोन क्लीयरेंस
तीसरी प्रमुख बात जिसका हमें ध्यान रखना है वह यह कि अक्सर रिहायशी इलाके में सम्पत्ति को लोग लोन पर खरीदते हैं। हमे इस बात की जाँच-पड़ताल अवश्य कर लेनी चाहिए कि सम्पत्ति पर कोई लोन तो नही है। और अगर ऐसा है तो क्या उस लोन का पूर्ण भुगतान हुआ या नही? अगर लोन एमाउन्ट बाकी है, तो कितनी बाकी है? इस बात की जानकारी किये बिना किसी भी तरह के सौदे के लिए हामी नहीं भरनी चाहिए।
एन ओ सी प्रमाण पत्र (No-Objection Certificate NOC)
प्रॉपर्टी बनवाते समय एक मालिक को कई सम्बंधित अधिकारियों से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (अनापत्ति प्रमाण पत्र ) जिसे संछिप्त में NOC भी कहते हैं, लेनी पड़ती हैं। अनापत्ति प्रमाण पत्र या NOC एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी भी व्यक्ति, प्राधिकरण, संगठन या संस्था द्वार यह घोषित करते हुए जारी किया जा सकता है कि दस्तावेज़ में दी गई जानकारी को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
कमेंसमेंट सर्टिफिकेट (Commencement certificate)
जब भी हम किसी सोसाइटी या रिहायसी इलाके में सम्पत्ति के रूप में फ्लेट या मकान खरीदते है तो क्या सोसाइटी या मालिक ने निर्माण से पहले कमेंसमेट सर्टिफिकेट सम्बन्धित अधिकारियो से लिया था या नही इस बात का ध्यान हमें अवश्य ही रखना होता है.जब ये प्रमाण पत्र नही है तो आप को होशियार हो जाना चाहिए क्योकि खतरे की घण्टी है जो आपकी परेशानी बढ़ा सकती है।
ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy certificate)
नए प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद स्थानीय सरकारी एजेंसियां या योजना प्राधिकरण ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी करते हैं. यह सर्टिफिकेट इस बात का सबूत है कि प्रोजेक्ट बन चुका है और उसे बनाने के दौरान सभी नियामक, नियमों और बिल्डिंग कोड्स का पालन किया गया है.
इस प्रकार इन बिंदुओं के माध्यम से हमने जाना कि रिहायशी इलाके में संपत्ति खरीदने से पहले हमें किन-किन डाक्यूमेन्ट को ध्यान में रखकर ही सौदा करना चाहिए।
सरयू नदी के पास गोण्डा तथा बस्ती मे जमीन खरीदने पर सावधानी
अयोध्या में सरयू नदी के पार प्रमुख जिलो में गोण्डा व बस्ती जिले पड़ते है। यहाँ पर आप को विशेष रूप से सावधानी बरतनी होगी क्योकि नही के बहाव में समय-समय पर थोड़ा -बहुत परिवर्तन होता रहता है, जैसे वर्षा ऋतु मे अधिक जल होता है और ग्रीष्म यानी गर्मी मे पानी का बहाव काफी कम हो जाता है। इस तरह वर्षा ऋतु मे जो स्थान जलमग्न होता है, गर्मी में वहां सूखी जमीन होती है। इस बात पर विशेष ध्यान रखना है कि कही आप जो ज़मीन ले रहे है वर्षा ऋतु में वह नही का भाग तो नही बन जाती? इसके अलावा हमे इस बात का भी ध्यान रखना है कि जिलो में बाडर लाइन व सही जगह पर सही गाटा संख्या की पैमाइश हो या जो मकान आप ले रहे है वह सही भूखण्ड सख्या पर बना है या नहीं।