जो लोग फिलहाल घर खरीदारी की फ़िराक में हैं और इस बारे में काफी छानबीन कर रहे हैं, लाज़मी है के उन लोगो ने एस्क्रो अकाउंट (एस्क्रो account) शब्द कहीं न कहीं सुना हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट के तहत, बिल्डर्स के होमएबयेर्स से एडवांस में लिए गए रुपये एक एस्क्रो अकाउंट में रहने होते हैं जिससे ये सुनिश्चित किया का सके कि इन पैसों का इस्तेमाल उसी पर्पस के लिए हो जिसके लिए ये इकठ्ठा किये गए है।
क्या होता है एस्क्रो अकाउंट?
Oxford Languages डिक्शनरी के अनुसार, escrow का मतलब है कोई बांड, डीड या अन्य कोई लीगल डॉक्यूमेंट जो एक थर्ड-पार्टी की देख रेख में रखा जाता है जिससे एक कॉन्ट्रैक्ट में इन्वॉल्व्ड पक्ष किसी तरह कि धांधली न कर सकें। कॉन्ट्रैक्ट में शामिल कि गयी शर्तों के पूरा होने पर ही कॉन्ट्रैक्ट में इन्वॉल्व्ड पार्टीज एस्क्रो में रखे गए धन या डॉक्यूमेंट को इस्तेमाल कर सकती हैं।
कैसे काम करता है एस्क्रो अकाउंट?
घर खरीदारी जैसे लेंन -देंन के मामले में कम से कम दो पार्टीज का शामिल होना लाज़मी है, जैसे कि सर्विस देना वाला बिल्डर और सर्विस लेने वाला बायर। इस कॉन्ट्रैक्ट में एस्क्रो अकाउंट kee भूमिका एक थर्ड पार्टी की है। इस ट्रांसक्शन में शामिल थर्ड पार्टी कि एस्क्रो एजेंट के नाम से जाना जाता है. एस्क्रो अकाउंट एक तीसरी पार्टी को एक बिचौलिये के रूप में रखता है जिससे दोनों ही पक्षों के अधिकार और कर्त्तव्य दोनों ही स्पष्ट रहे और एक पार्टी दूसरे पार्टी को किसी तरह कि हानि न पंहुचा सके।
आम तौर पर, एक एस्क्रो अकाउंट में पैसे और सिक्योरिटीज जैसी चीज़ें रखी जाती हैं। बता दें के एस्क्रो अकाउंट कि सुविधा देने का राइट भारत में सभी बैंकों को नहीं है और आज कि तारीख में केवल चुनिंदा बैंक्स ही ये सुविधा प्रदान करते हैं।
क्या फायदे हैं एस्क्रो अकाउंट के?
सामान्यतः, एस्क्रो अकाउंट बेचने वाले और खरीदार दोनों के ही हितों कि रक्षा करता है। अगर हाउसिंग मार्किट कि बात करते हैं तो एक एस्क्रो अकाउंट यह सुनिश्चित करता है कि बिल्डर खरीदारों के रुपये लेकर कहीं भाग नहीं पायेगा। वहीं दूसरी ओर, एस्क्रो अकाउंट कि उपस्थिति में यह भी तय होता है कि होमबायर बाद में बिल्डर को बकाया रूपया देने में आनाकानी नहीं करेगा। जहा तक बात इंडिया के रियल एस्टेट सेक्टर कि है, एस्क्रो अकाउंट का आईडिया इस सेक्टर के लिए काफी फायदेमंद ही साबित हुआ है।
रियल एस्टेट सेक्टर में कैसे काम करता है एस्क्रो अकाउंट?
Real Estate (Regulation and Development) Act (RERA Act) कहता है कि एक बिल्डर घर खरीदारों से एडवांस के तौर पर जमा की गई धन राशि में से 70 प्रतिशत राशि एक एस्क्रो अकाउंट में जमा करे। यह एस्क्रो अकाउंट भारत के किसी बैंक द्वारा ही मैनेज किया जाना चाहिए। साथ ही RERA एक्ट यह भी कहता है कि बिल्डर इस प्रोजेक्ट के लिए बैंक से लिए गए लोन का 70 प्रतिशत हिस्सा भी इसी एस्क्रो अकाउंट में डाले। RERA एक्ट के हिसाब से एस्क्रो अकाउंट में पड़ी इस धनराशि का इस्तेमाल सिर्फ जमीन खरीदने और हाउसिंग प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि बिल्डर खरीदारों से ली गई अग्रिम राशि का उपयोग अन्य गतिविधियों के लिए नहीं करे।
बता दें के इंडिया में बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट में देरी घर खरीदारों के लिए बड़ी सरदर्दी का कारण रही है। अक्सर यह पाया गया कि प्रोजेक्ट को बनाने में यह देरी धन कि कमी के कारण होती रही जबकि बिल्डर खरीदारों से एडवांस का सारा रूपया वसूल कर चूका था और बैंक्स से लोन भी पूरा लिया हुआ था। बिल्डर ने ये पैसे प्रोजेक्ट में लगाने कि बजाय, कहीं और लगाए जिससे अंततः प्रोजेक्ट में डिले होता गया.
रेरा एक्ट के तहत बिल्डर की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कड़े नियमों का प्रावधान है। इस कानून के हिसाब से एस्क्रो अकाउंट में जमा रकम में से बिल्डर उतनी ही धनराशि निकाल सकता है जितने अनुपात में प्रोजेक्ट पर काम पूरा हुआ है। बिल्डर-बायर एग्रीमेंट की सभी शर्तें पूरी होने कि अवस्था में ही एस्क्रो एजेंट एस्क्रो अकाउंट में जमा धनराशि को बिल्डर के अकाउंट में ट्रांसफर करता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि घर खरीदार के पैसे का उपयोग सही उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, रेरा प्रावधान करता है कि बिल्डर के खाते का हर छह महीने में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट किया जाए।
स्पष्ट रूप से बताई गई समय-सीमा और पूर्व-शर्तों के साथ, एक एस्क्रो खाता दोनों पक्षों के लिए किसी भी कराह के मैनीपुलेशन के लिए कोई जगह नहीं छोड़ता है। इस प्रकार, किसी भी लेनदेन में घोटाले और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
FAQs
एस्क्रो शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
एस्क्रो खाते का उद्देश्य क्या है?
एस्क्रो खाते का उद्देश्य खरीदारों को प्रोजेक्ट डिलीवरी में देरी से और विक्रेताओं को भुगतान में देरी से बचाना है।
रियल एस्टेट क्षेत्र में एस्क्रो खाता क्या है?
एस्क्रो खाता एक तृतीय-पक्ष खाता है, जहां पूर्व निर्धारित शर्तों के तहत लेनदेन पूरा होने तक धनराशि को रोक कर रखा जाता है।
Escrow बैंक खाते के कुछ उदाहरण कौन से हैं?
Escrow बैंक खाते के कुछ उदाहरण हैं रियल एस्टेट, विलय और अधिग्रहण के लिए escrow account, किराए पर जमा के लिए escrow account , सॉफ्टवेयर के लिए Escrow अकाउंट, आदि।
एस्क्रो खाता कौन खोल सकता है?
भारत में एस्क्रो खाता कोई भी कर सकता है। इनमे शामिल हैं बैंक, निगम या रियल एस्टेट मालिक, आदि।