यकीन हो न हो लेकिन हैदराबाद स्थित गोलकोंडा फोर्ट की कीमत करीब 15200 करोड़ रुपये या फिर 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और इसमें सिर्फ जमीन की कीमत पर ही विचार किया गया है. हैदराबाद शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित गोलकोंडा फोर्ट की वर्तमान भव्यता का श्रेय मोहम्मद कुली कुतुब शाह को जाता है, जिन्होंने बहमनी राजवंश से गोलकोंडा किले का अधिकार ले लिया. अपने साइज और लोकेशन के कारण यह एक ऐतिहासिक संरचना है. गोलकोंडा को अक्सर भारत के सबसे शानदार किलों में से एक माना जाता है. गोलकोंडा का इंटीरियर, आर्किटेक्चर और प्लानिंग कमाल का है. इसलिए यहां खूब पर्यटक आते हैं. इससे जुड़ा इतिहास भी कम असाधारण नहीं है.
आज हम आपको हैदराबाद के गोलकोंडा फोर्ट की वैल्यूएशन से लेकर उसकी ऐतिहासिक अहमियत की जानकारी दे रहे हैं.
गोलकोंडा फोर्ट की वैल्यूएशन
हालांकि ऐतिहासिक इमारतों के मूल्य समझ से परे हैं लेकिन फिर भी हैदराबाद की गोलकोंडा फोर्ट की अनुमानित लागत कुछ इस प्रकार होगी.
गोलकोंडा फोर्ट इलाके में प्रति स्क्वेयर कीमत- 4,178 रुपये
गोलकोंडा फोर्ट का कुल एरिया- 3 स्क्वेयर किलोमीटर
गोलकुंडा किले की कुल भूमि लागत: 152 बिलियन रुपये, जो लगभग वर्तमान एक्सचेंज रेट को देखते हुए $2 बिलियन हो जाती है. इस कीमत में कंस्ट्रक्शन की लागत या कोई अन्य प्रीमियम शामिल नहीं है, जो अकसर ऐतिहासिक इमारतों के साथ जुड़ा होता है.
ऐतिहासिक इमारतों की कीमत हम सबके लिए कौतुहल और दिलचस्पी का विषय रही है. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हमें बिक्री, खरीद या किराये इत्यादि के लिए प्रॉपर्टी की कीमत जानने की जरूरत पड़ती रहती है. जिस प्रॉपर्टी में आपको दिलचस्पी है, उसकी कीमत जानने के लिए हाउसिंग डॉट कॉम के प्रॉपर्टी वैल्यूएशन कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें.
गोलकोंडा फोर्ट का निर्माण
इसे 12वीं सदी में बनवाया गया था. यह मूल रूप से एक मिट्टी का किला था लेकिन बाद में 14 वीं और 17 वीं शताब्दी के बीच बहमनी सुल्तानों द्वारा मजबूत किया गया. वक्त बदला तो कुतुब शाही राजवंश ने इसे अपने राज्य की राजधानी बना लिया.
आंतरिक किले में अभी भी महलों, मस्जिदों और एक पहाड़ी मंडप के खंडहर हैं जो लगभग 130 मीटर ऊंचे हैं और यहां से अन्य इमारतों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है.
Source: Telangana Tourism official website
तेलुगू में गोलकोंडा का मतलब होता है ‘चरवाहे की पहाड़ी’ यानी गोल्ला कोंडा. कहा जाता है कि यहां एक स्थानीय शख्स को एक मूर्ति मिली थी. इसके बाद काकतीय राजा ने तब यहां एक मिट्टी के किले का निर्माण कराया था, जिसे बाद में बहमनी राजाओं ने अपने अधीन कर लिया.
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आज जो संरचना आप देख रहे हैं वह कुतुब शाही राजाओं द्वारा बनाई गई है क्योंकि उन्होंने मिट्टी के किले को परिधि में 5 किलोमीटर तक फैला एक विशाल ग्रेनाइट किले में बदल दिया था. वो साल 1687 का दौर था, जब मुगल सम्राट औरंगजेब ने गोलकोंडा पर अधिकार कर लिया और इसे बदहाली में छोड़ दिया.
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किले में अभी भी तोप, कलदार पुल, गेटवे और राजसी हॉल हैं. यह किला इंजीनियरिंग का एक चमत्कार भी है क्योंकि इसमें कई शानदार विशेषताएं हैं. उदाहरण के लिए, गुंबद के प्रवेश द्वार पर बात करने वाले व्यक्ति को पहाड़ी के मंडप से स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है, जो लगभग एक किलोमीटर दूर है.
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गोलकोंडा किला लोकगाथा
स्थानीय लोकसाहित्य के मुताबिक, गोलकोंडा कभी मशहूर हीरों का मार्केट हुआ करता था, जहां दुनिया भर के व्यापारी आया करते थे. इतना ही नहीं कोहिनूर और होप डायमंड यहीं रखे गए थे.

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ऐसा माना जाता है कि इसमें एक गुप्त भूमिगत सुरंग है जो मुख्य ‘दरबार हॉल’ और महल के एक द्वार को पहाड़ी के तल से जोड़ती है. अन्य लोक कथाएं यह भी बताती हैं कि इसमें चारमीनार के लिए भी एक गुप्त सुरंग है.
नया किला गोलकोंडा किले का विस्तार है और इसमें कई मीनारों और एक मस्जिद के साथ एक आवासीय क्षेत्र है. अमेरिका के एरिज़ोना में एक खनन शहर है, जिसका नाम गोलकोंडा के नाम पर रखा गया है, क्योंकि यहां किले के पास ही यहां की तरह खदानें थीं. अमेरिका में दो अन्य शहर हैं जिनका नाम खदानों के कारण गोलकोंडा के नाम पर रखा गया था. ये दोनों अब वीरान शहर हैं.