2024 में कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा ? जाने सही तारीख , शुभ मुहूर्त और गुरु का महत्व?

आईये 2024 में गुरु पूर्णिमा कब है, और हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है ।

हम सभी के जीवन में गुरु की अहम भूमिका होती है ।उनके मार्गदर्शन की सहायता से शिष्य को सफलता हासिल करने में आसानी होती है। जीवन को सही राह दिखाने में गुरु का बहुत बड़ा योगदान होता है , इसलिए हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए । सभी गुरुओं को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ होता है । इस दिन गुरु के साथ-साथ अपने बड़ों की भी पूजा करनी चाहिए  ,इससे जीवन में उनका आशीर्वाद बना रहता है ।

हर साल आषाढ़ माह में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर स्नान दान और गुरु पूजा करने से जातक को जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही स्नान – दान जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु और गुरु की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है । साथ ही जीवन में व्याप्त अंधकार भी दूर होता है ।

सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा के त्यौहार का अधिक महत्व है। हर साल यह पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इससे असर पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई दिन रविवार को है । धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर स्नान दान और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है ऐसे में आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी।

 

2024 में गुरु पूर्णिमा की सही डेट और शुभ मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार,  अषाण माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 05 बजाकर 59 से होगी और वही ,  इसका समापन अगले दिन यानी 21 जुलाई को दोपहर 0 3 बचकर  46 से होगा । सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है ।ऐसे में गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को पूरे भारत में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा  ।

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा  करने की विधि  

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरूआत भगवान के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्रों को धारण करें ।
इस दिन श्री कृष्णा और वेदव्यास जी के समक्ष दीपक जलाएं ।
इस दिन पिता, दादाजी और गुरु जी का आदर कर उनके पैर छुए और उन्हें कुछ उपहार दें।
गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल मे जल चढ़ाएं और वहां पर घी का एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान विष्णु जी का ध्यान करें।
सूर्य देव को जल अर्पित कर उन्हें प्रणाम करें ।
इस दिन कुछ विशेष मत्रों का करे जाप मत्रों का जाप करें –
गुरुब्रह्ममा गुरुविष्णु  गुरूदेवो महेश्वर:
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरुवे नमः
इसके बाद पूजा स्थल पर बैठकर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और वेद व्यास जी को फूल , धूप , दीप ,अक्षत  ,हल्दी आदि चीज अर्पित करें ,इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें।
सच्चे मन से गुरु चालीसा और गुरु कवच का पाठ करें ।
फल , मिठाई और खीर आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में प्रभु से जीवन में बुद्धि , विद्या और शांति की प्रार्थना करें । इस दिन गुरु की सेवा करना फलदायी होता है ।इस दिन अपनी श्रद्धा के अनुसार गरीबों को अन्न , धन और वस्त्रो का दान भी जरूर करें ।

इस दिन जरूर करें यह काम 

गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोगों को अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए ।यह दिन गुरु और शिष्य के बीच आस्था और पूजा का दिन होता है । ऐसे में शिष्य को अपने गुरु के चरणों को धोकर आशीर्वाद लेना चाहिए और चरण वंदना करनी चाहिए । इस दौरान गुरु के मंत्रों का जप भी करना चाहिए  ।

गुरु पूर्णिमा का महत्व 

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार महर्षि वेदव्यास को विष्णु जी ने चारों वेदों का ज्ञान दिया था । यही कारण है कि उन्हें इस संसार का पहला गुरु माना जाता है । गुरु पूर्णिमा का दिन अपने गुरुओं की पूजा करने के लिए बेहद शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन गुरु की सेवा और आशीर्वाद लेने से व्यक्ति के जीवन में सफलता के योग बनते हैं इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान है इस दौरान आप अन्य दान भी कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 

गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को उपहार स्वरूप क्या देना शुभ माना जाता है ?

गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को उपहार में सोने या चांदी के सिक्के भेंट स्वरूप देना शुभ माना जाता है ।

गुरु पूर्णिमा के दिन हमें किस रंग के वस्त्रों को पहनना चाहिए ?

गुरु पूर्णिमा के दिन हमें पीले रंग के वस्त्रों को पहनना चाहिए ।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए ?

इस दिन घर में मांस , मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न करें ।

सरल शब्दों में गुरु पूर्णिमा क्या है ?

गुरु पूर्णिमा , गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा , गुरु पूजा और कृतज्ञता का दिन है । इस दिन परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति के रूप में ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों को वेदों का ज्ञान प्रदान किया था और इसी दिन महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म दिवस भी है उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है ।

हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल या प्रतिक्रिया है? हम आपकी बात सुनना चाहेंगे। हमारे प्रधान संपादक झूमर घोष को jhumur.ghosh1@housing.com पर लिखें
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