हिन्दू धर्म में तीज त्यौहार का बड़ा महत्व होता है. इन्हीं त्यौहारों में से एक आता है, हरियाली तीज जिसे हम श्रावणी तीज या छोटी तीज के रूप में भी जानते हैं। आइये इसके बारे मे हम विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करते हैं।
तीज कितने प्रकार की होती है?
हरियाली तीज: यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में मनाया जाता है।महिलाएं आमतौर पर इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
कजरी तीज: कजरी तीज के दिन महिलाएं भक्ति गीत गाती हैं और नीम के पेड़ की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज: यह तीन दिनों तक चलती है। महिलाएं पूरे तीन दिनों तक उपवास रखती हैं, दूसरा दिन बिना पानी के निर्जला व्रत होता है। यह उनके पति की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। हरतालिका तीज यह तीनों में से सबसे महत्वपूर्ण है।
हरियाली तीज 2023: हरियाली तीज सही डेट
हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस साल 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज मनाई जायेगी, इस दिन महिलाएं, पति की लम्बी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए हरियाली तीज का निर्जन व्रत रखती हैं। यह दिन माँ पार्वती और भगवान शिव की आराधना करने का विशेष दिन माना जाता है।
हरियाली तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महिने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को रात 8 बजकर 1 मिनट से शुरू हो रही है। अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार 19 अगस्त को हरियाली तीज का व्रत रखा जायेगा.
हरियाली तीज शुभ मुहूर्त 2023
इस वर्ष हरियाली तीज के पूजा के तीन शुभ मुहूर्त योग बन रहे हैं।
पहला शुभ मूहूर्त: 19 अगस्त को सुबह 07 बजकर 30 मिनट से सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक,
दूसरा शुभ मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से शाम 05 बजकर 19 मिनट तक का है.
तीसरा शुभ मुहूर्त: शाम 06 बजकर 57 मिनट से रात 08 बजकर 19 मिनट तक का है।
हरियाली तीज पूजन सामाग्री
हरियाली तीज की पूजा के लिए हमें निम्न सामाग्री एक जगह इकट्ठी कर लेनी चाहिए ताकि हमें बार- बार ढूंढ़ना ना पड़े:
- बेल पत्र
- भांग
- धतूरा
- शमी पत्र
- दुर्वा
- मंदार के फूल
- फूल माला
- नारिय
- सुपारी
- अक्षत
- धूप
- कलावा
- दीपक
- घी
- चंदन
- सिंदूर
- गाय का दूध
- गंगाजल
- दही
- शहद
- मिश्री
- चीनी
- फल
- भोग के लिए मिठाई
- माँ पार्वती और भगवान शिव जी की मूर्ति (अगर आप के पास मूर्ति न हो तो भगवान शिव और माता पार्वती का एक साथ कोई चित्र हो तो उसे भी पूजा के लिए रख सकते है )
- पूजा के लिए चौकी
- पीला वस्त्र
- केले के पत्ते, आदि
माता के श्रृंगार का सामान
- लाल, पीली या हरी कोई भी एक साड़ी
- चूड़ी
- बिन्दी
- महावर
- सिंदूर
- बिछिया
- नेल पालिश
- कंघी
- कुमकुम
- मेंहदी
- दर्पण
- इत्र
- माता के लिए सोने या चाँदी के जो भी आप कर सके श्रद्धा अनुसार आभूषण, आदि
हरियाली तीज 2023 पूजन विधि
हरियाली तीज के दिन प्रातः काल उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर साफ कपड़े पहने और अच्छे से श्रृंगार करें. उसके बाद पूजा की तैयारी करें.
सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें. फिर भगवान शंकर व माता पार्वती की मिट्टी और गंगाजन मिलाकर मूर्तियां तैयार करें. शिव परिवार की भी मूर्तियां बनायें.
उसके बाद चौकी पर पीले या हरे रंग का कोई कपड़ा या आसन बिछाएँ. फिर चौकी पर आपने मिट्टी से जो भगवान शिव व माता पार्वती तथा शिव परिवार की जो मूर्तियां बनाई हैं उसे स्थापित करें.
इसके साथ ही भगवान शंकर और माता पार्वती का आवाहन करें.
एक कलश पर आम का पल्लव रखकर उसमें जल भरें. फिर उसके ऊपर एक कटोरी में चावल रखें. उसके ऊपर मिट्टे के दिये में घी या तिल का तेल डालकर दीपक जलाएं। फिर पूजा शुरू करें.
सबसे पहले भगवान शंकर और माँ पार्वती का दूध, घी,शहद, गंगाजल, इन सभी सामग्रियों से अभिषेक करें.
फिर उसके बाद भगवान को वस्त्र और माता को भी चुनरी उढ़ायें.
फिर उसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी, दूर्वा, मंदार ये सभी सामाग्री अर्पित करें.
फिर भगवान शंकर को नारियल सुपारी और कलावा भी अर्पित करें.
भगवान शिव को साथ ही भोग भी लगाएं.
भवन शंकर को चंदन व माता पार्वती को सिन्दूर लगाएं.
माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
भगवान शिव व माता पर्वती को प्रणाम कर अखण्ड सौभाग्य का वरदान मांगें ।
फिर आरती करे और पूजा के अन्त में हरियाली तीज व्रत कथा अवश्य सुनें।
कुवांरी लड़किया भी रखती है हरियाली तीज का व्रत
जहाँ सुहागिन महिलायें अपने पति की लम्बी आयु की कामना के साथ निर्जल व्रत रखती है वही कुंवारी लड़किया भी सुयोग्य वर पाने के लिए ये व्रत रखती है इस दिन महिलायें और लड़किया हरे रंग की साड़ी व सूट आदि पहनती है व हरे रंग की कांच की चूड़िया जरूर पहनती है।
हरियाली तीज की क्या है मान्यता
हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनायी जाती है इस दिन महिलायें निर्जला व्रत रखती है इस दिन की यह मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने देवी पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था इसी कारण हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियो के लिए अखण्ड सौभाग्य का वरदान देने वाला होता है हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।
हरियाली तीज परम्पराः- हरियाली तीज के एक दिन पहले सुहागिन लड़की के मायके से लड़की की सास और सुहागिन लड़की के लिए सिंजारा आता है सिंजारे के सामने में साड़ी श्रृंगार का सामान, मिठाइयाँ, फल आदि सामान आते है।
हरियाली तीज व्रत कथा
पुराणो के अनुसार भगवान शिव जी ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए यह कथा सुनायी थी. भगवान शिव जी कहते है कि, “हे पार्वती, तुम्हारे द्वारा बाल्यावस्था में बारह वर्षो तक गिरिराज हिमायल पर स्थित गंगा के तट पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. तुमने अन्न -जल का त्याग किया. सर्दी, गर्मी, बरसात में कष्ट सहे. तुम्हारे पिता यह देखकर बहुत दुखी थे. एक दिन देव ऋषि नारद जी तुम्हारे घर पधारे और कहा: “मै विष्णु जी के कहने पर यहाँ आया हूँ. वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर उनसे विवाह करना चाहते है. कृपया अपनी राय बतायें.” पर्वतराज यह समाचार सुनकर अत्यन्त प्रसन्न हो गये और तुम्हारा विवाह विष्णु जी से करने के लिए तैयार हो गये. और फिर नारद जी ने यह शुभ समाचार विष्णु जी को सुना दिया. और जब तुम्हे यह पता चला तो तुम्हे बहुत दु:ख हुआ क्योकि तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थी. जब तुम्हारी एक सखी ने तुम्हारी इस मानसिक दशा को समझ लिया और उसने तुमसे उस दुःख का कारण जानना चाहा फिर तुमने उसे बताया कि मैने सच्चे मन से भगवान शिव का वरण कर लिया है किन्तु मेरे पिता जी ने मेरा विवाह विष्णु जी से कराने का निश्चय किया है, जिस कारण से मै धर्म संकट में पड़ गई हूँ. अब मै क्या करूँ? मेरे पास अपने प्राण त्याग देने के अतिरिक्त कोई भी उपाय शेष नही बचा है. तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी. उसने कहा प्राण त्यागने का कारण ही क्या है? संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए. नारी जीवन की सार्थकता इसी मे है कि पति रूप में हृदय से जिसे एक बार स्वीकार कर लिया है जीवन भर उसी से निर्वाह करे. क्योकि सच्ची आस्था एवं सच्ची निष्ठा के समक्ष भगवान को भी सर्पपण करना पड़ता है. मै तुम्हे घनघोर जंगल में ले चलती हूँ. जहाँ साधना स्थली भी हो और जहाँ तुम्हारे पिता तुम्हे खोज भी न पाएं. उस जंगल में तुम साधना में लीन हो जाना. मुझे विश्वास है कि ईश्वर तुम्हारी सहायता अवश्य करेंगे. तुमने फिर अपनी सखी की बात मान ली और तुम घनघोर जंगल में चली गई. तुम्हे घर न पाकर तुम्हारे पिता बहुत चितित हुए. वह सोचने लगे कि मै उसका विवाह विष्णु जी के साथ् करने का प्रण ले चुका हूँ. यदि विष्णु जी बारात लेकर आये और उन्हे पता चला कि कन्या घर पर नही तो बड़ा अपमान होगा”
शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक कर दिया लेकिन तुम उन्हे कही नही मिली क्योकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी. तुम्हारी तपस्या से मै प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का तुम्हे वचन दिया. इस बीच तुम्हारे पिता भी ढूढ़ते हुए गुफा तक पहुचे. तुमने अपने पिता को सारी बातें बताई. तुमने पिता से कहा कि तुमने अपना जीवन शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप में बिताया है और आज वह तपस्या सफल हो गई. मै आपके साथ तभी चलूंगी तब आप मेरा विवाह शिव जी से कराएगे.
शिव जी ने कहा “पार्वती, तुम्हारी बात सुनकर तुम्हारे पिता पर्वतराज मान गए और उन्होने विधि-विधान से हमारा विवाह कराया. शिव जी ने कहा, “हे पर्वती, तुमने जो कठोर तप किया है उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हुआ. इसलिए जो स्त्री इस व्रत को निष्ठापूर्वक करती है उसे मै मनवांछित फल देता हूँ. इस व्रत को करने से हर स्त्री को तुम जैसे अचल सुहाग की प्राप्ति होती है।”