जैसा कि हाउसिंग सोसायटी साफ तौर ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं है, जिससे कोई इनकम होती हो. ऐसी धारणा है कि उन्हें किसी भी आयकर प्रावधानों को मानने की जरूरत नहीं है. यह धारणा इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि हाउसिंग सोसाइटीज को मानद पदाधिकारी प्रबंधित करते हैं, जो आमतौर पर कानूनों से अच्छी तरह से वाकिफ नहीं होते. एक हाउसिंग सोसायटी एक कानूनी इकाई है और इसलिए इसे अपने सदस्यों से अलग माना जाता है. इसमें आयकर सहित विभिन्न कानूनों का पालन करना होता है.
इनकम टैक्स के कानूनों के तहत हाउसिंग सोसाइटीज का स्टेटस
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2 (31) में आयकर के उद्देश्य के लिए संस्थाओं को व्यक्तियों के रूप में माना जाता है. कोई शख्स आयकर कानूनों के तहत मूल इकाई है, जिसे विभिन्न आयकर प्रावधानों का पालन करना पड़ता है, जिसमें रिटर्न दाखिल करना, करों का भुगतान, स्रोत पर टैक्स कटौती, आदि शामिल है. इसकी परिभाषा में, ‘लोगों का समूह या व्यक्तियों की संस्था है, चाहे वे शामिल हों या नहीं.’
अपने-अपने राज्यों में हाउसिंग सोसाइटीज कॉपरेटिव सोसाइटी के कानूनों के तहत रजिस्टर्ड हैं. महाराष्ट्र में हाउसिंग सोसाइटीज महाराष्ट्र कॉपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1960 के तहत रजिस्टर्ड है. कानून में बतौर लोगों की संस्था के तहत रजिस्टर्ड कॉपरेटिव हाउसिंग सोसायटी को जहां भी लागू हो, आयकर कानूनों का पालन करना होगा. चूंकि यह आयकर कानूनों के तहत एक टैक्स इकाई है, इसलिए बैंक खाता खोलने के लिए भी एक परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) होना आवश्यक है.
कॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के लिए उपलब्ध टैक्स फायदे
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80पी कॉपरेटिव सोसाइटी, जिसमें कॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज भी शामिल हैं, को कुछ कटौतियों की इजाजत देता है.
जबकि हाउसिंग सोसाइटी की कुल आय को कैलकुलेट करते वक्त, किसी भी अन्य कॉपरेटिव सोसाइटी से ब्याज या सूद के जरिए इसके द्वारा हासिल की गई इनकम को पूरी तरह से छूट के रूप में माना जाता है. हाउसिंग सोसाइटीज को अपनी जमा राशि कॉपरेटिव बैंक में रखने को कहा जाता है. इस कॉपरेटिव बैंक में जमा राशि पर जो भी ब्याज हासिल होता है, उसे हाउसिंग सोसाइटी की आय से पूरी तरह बाहर रखा जाएगा. हालांकि अगर हाउसिंग सोसाइटी अपना फंड किसी अन्य संस्था जैसे पब्लिश सेक्टर बैंक या प्राइवेट बैंक में निवेश करती है तो उससे हासिल होने वाली इनकम पर टैक्स लगेगा.
इनकम टैक्स रिटर्न्स दाखिल करने के लिए हाउसिंग सोसाइटीज की लायबिलिटी
एक शख्स और एचयूएफ के विपरीत, जिनके लिए कानून एक बुनियादी छूट सीमा देता है और उसके आगे उन्हें अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करना होता है, सहकारी समितियों के लिए ऐसी कोई बुनियादी छूट सीमा नहीं है.
लिहाजा, सारी हाउसिंग सोसाइटीज को अपना आईटीआर तय तारीख, जो वित्तीय वर्ष के बाद वर्ष का 30 सितंबर है, तक जमा कराना होता है. क्योंकि हाउसिंग सोसायटी के खातों का उनके संबंधित कॉपरेटिव हाउसिंग कानूनों के प्रावधानों के तहत ऑडिट किया जाना जरूरी है. देरी की अवधि के लिए ब्याज देयता के अलावा, टीडीएस और एडवांस टैक्स को समायोजित करने के बाद शेष टैक्स के भुगतान में कमी पर अगर तय तारीख तक हाउसिंग सोसाइटी अपना आईटीआर नहीं भरती है तो उसे बकाया टैक्स लायबिलिटी पर ब्याज भुगतान करना होगा, अगर लायबिलिटी टीडीएस या एडवांस टैक्स के जरिए चुकाई नहीं गई है.
अगर हाउसिंग सोसाइटी अपना आईटीआर तय तारीख कर चुकाने में नाकाम रहती है तो वह अभी भी उसी वर्ष के 31 मार्च तक उसी अवधि के लिए फाइल कर सकती है जिसके लिए आईटीआर संबंधित है. अगर देरी दिसंबर तक है तो सोसाइटी को 5000 रुपये की अनिवार्य फीस चुकानी होगी लेकिन अगर अगले साल दिसंबर तक की देरी होती है तो फीस 10 हजार देनी होगी.
अगर हाउसिंग सोसायटी का टैक्सेबल अमाउंटपांच लाख रुपये से अधिक नहीं है तो रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए अनिवार्य शुल्क 1,000 रुपये तक सीमित रहेगा. अगर एडवांस टैक्स लायबिलिटी एक साल में 10 हजार रुपये से ज्यादा होती है तो 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च को चार किश्तों में सोसाइटी को एडवांस टैक्स चुकाना होता है, वो भी कुल अग्रिम कर देयता के 15 प्रतिशत, 30 प्रतिशत, 30 प्रतिशत और 25 प्रतिशत के अनुपात में.
हाउसिंग सोसाइटीज पर कैसे लगता है टैक्स
टैक्स की जो दरें और स्लैब हाउसिंग सोसाइटीज पर लागू होते हैं वो व्यक्तियों और कंपनियों से अलग होते हैं. चूंकि यहां पर कोई बुनियादी कटौती नहीं है इसलिए हाउसिंग सोसायटी की टैक्सेबल इनकम के हर पैसे पर टैक्स लगता है.
टैक्सेबल इनकम के पहले 10,000 रुपये के लिए, ऊपर बताई गई चीजों को छोड़कर, सोसाइटी को 10 प्रतिशत की दर से इनकम टैक्स का भुगतान करना होता है. अगले 10 हजार पर 20 प्रतिशत की दर लागू होती है. 20 हजार से ज्यादा की आय पर सोसाइटी को आय का 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. इसके अलावा,
एक साल में इनकम एक करोड़ रुपये से ज्यादा होने पर सोसाइटी को टैक्स पर 12 प्रतिशत का सरचार्ज देना होगा. कैलकुलेट किए गए टैक्स पर 3 प्रतिशत का एजुकेशन सेस भी लगेगा.
टैक्स, डिपॉजिट और टीडीएस रिटर्न फाइल करने की लायबिलिटी
पैन रखने की लायबिलटी की तरह, एडवांस टैक्स का भुगतान करें और अपने आयकर रिटर्न दाखिल करें, हाउसिंग सोसाइटियों को कुछ भुगतानों पर टैक्स कटौती करनी होती है जैसे कि अपने कर्मचारियों के वेतन, ठेकेदारों को सोसायटी की इमारतों में किसी भी गतिविधि को करने के लिए भुगतान पर उधार लिए गए पैसे आदि पर ब्याज.
टीडीएस की जरूरतों का पूरी तरह से पालन करने के लिए, सोसाइटी को एक टैक्स डिडक्शन नंबर (टीएएन) हासिल करना होता है, ताकि वह केंद्र सरकार के क्रेडिट पर टीडीएस जमा कर सके और समय-समय पर टीडीएस रिटर्न भी दाखिल कर सके.
हाउसिंग सोसाइटी के लिए इनकम के स्रोत
हाउसिंग सोसाइटी के लिए इनकम के कई स्रोत हैं, इसमें:
-सदस्यों और गैर-सदस्यों से मिला योगदान
-डिफॉल्ट पर लगने वाला ब्याज
-निवेश पर ब्याज
-सूद
-फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज
-ओपन स्पेस से किराया
-नॉन ऑक्युपेंसी चार्ज
-पार्किंग चार्ज से आय
2020 में कॉपरेटिव सोसाइटी की टैक्स दरें
ध्यान दें कि सेक्शन 115BAD के मुताबिक, रिहायशी को-ऑपरेटिव सोसाइटी 2021-22 से 22% की दर से टैक्स का भुगतान कर सकती हैं. लेकिन, कुल इनकम की कैलकुलेशन कॉपरेटिव सोसाइटी को मिली छूट या कटौती के बिना की जाएगी.
इनकम स्लैब | टैक्स रेट |
10 हजार रुपये तक | 10% |
10 हजार रुपये से 20 हजार रुपये तक | 20% |
20 हजार रुपये से ज्यादा | 30% |
पूछे जाने वाले सवाल
पैन रखने की लायबिलटी की तरह, एडवांस टैक्स का भुगतान करें और अपने आयकर रिटर्न दाखिल करें, हाउसिंग सोसाइटियों को कुछ भुगतानों पर टैक्स कटौती करनी होती है जैसे कि अपने कर्मचारियों के वेतन, ठेकेदारों को सोसायटी की इमारतों में किसी भी गतिविधि को करने के लिए भुगतान पर उधार लिए गए पैसे आदि पर ब्याज.
सभी हाउसिंग सोसाइटीज को तय तारीख तक अपना आईटीआर दाखिल करना होता है, जो कि वित्त वर्ष के बाद वर्ष का 30 सितंबर है. वो इसलिए क्योंकि हाउसिंग सोसाइटी को अपने कॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के कानूनों के प्रावधानों के तहत खातों को ऑडिट कराना होता है.
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2 (31) में आयकर के उद्देश्य के लिए संस्थाओं को व्यक्तियों के रूप में माना जाता है. कोई शख्स आयकर कानूनों के तहत मूल इकाई है, जिसे विभिन्न आयकर प्रावधानों का पालन करना पड़ता है, जिसमें रिटर्न दाखिल करना, करों का भुगतान, स्रोत पर टैक्स कटौती, आदि शामिल है. इसकी परिभाषा में, 'लोगों का समूह या व्यक्तियों की संस्था है, चाहे वे शामिल हों या नहीं.'
अपने कॉपरेटिव हाउसिंग कानूनों के प्रावधानों के मुताबिक सभी हाउसिंग सोसाइटीज के लिए ऑडिट कराना अनिवार्य है.
चूंकि यह इनकम टैक्स कानूनों के तहत टैक्स इकाई है इसलिए उसके पास परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) होना चाहिए, यहां तक कि बैंक अकाउंट खोलने के लिए भी. क्या हाउसिंग सोसाइटीज पर टीडीएस लागू होता है?
मैं हाउसिंग सोसाइटी टैक्स रिटर्न कैसे दाखिल कर सकता हूं?
इनकम टैक्स में सोसाइटी का क्या स्टेटस होता है?
क्या सोसाइटी का ऑडिट कराना अनिवार्य है?
क्या हाउसिंग सोसाइटी के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है?