शांति और समृद्धि के लिए काल भैरव पूजा

जानिए कैसे काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि आती है।

काल भैरव हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म में पूजे जाने वाले देवता हैं। हिंदू धर्म के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। अगर तस्वीरों और मूर्तियों में देखें तो काल भैरव को त्रिशूल, ड्रम और भगवान ब्रह्मा के 5वें सिर के साथ उनके उग्र रूप में दर्शाया गया है। कई भक्त कालभैरव अष्टमी मनाते हैं, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि आती है।

 

काल भैरव अष्टमी 2023 की तिथि एवं शुभ मुहूर्त

दिनांक: 5 दिसंबर, 2023, दिन मंगलवार

पूजा का शुभ मुहूर्त: रात्रि 9:59 बजे से रात्रि 12:37 बजे तक, 6 दिसंबर

 

काल भैरव पूजा सामग्री 

काल भैरव की मूर्ति या चित्र

धूप, दीपक, अगरबत्ती

पंचामृत (दूध, घी, दही, चीनी, शहद)

सिंदूर, केशर, जवित्री, चावल

फूल, पंचमृत से स्नान के लिए जल

पूजा कलश, कलश स्थापना सामग्री

कुश घास, दूर्वा

पूजा के लिए वस्त्र और वैभव वस्त्र

काल भैरव यंत्र (यदि आपके पास है)

एक विशेष पत्र और कलम

भोजन सामग्री

 

kaal bhairav puja

 

काल भैरव पूजा विधि और वास्तु टिप्स

भगवान काल भैरव की पूजा विशेष अनुष्ठान और श्रद्धा से करने से भगवान भैरव अपने भक्तों की सभी आशाएं पूरी करते हैं। यहां, आपको काल भैरव पूजा की विधि को विस्तार से समझाया गया है:

  • कालाष्टमी व्रत के दिन की शुरुआत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके करें।
  • पूजा स्थल का तय करें। शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए एक साफ और शुद्ध स्थान चुनें। अगर आप भैरव यंत्र उपयोग कर रहे हैं, तो उसे पूजा वाले स्थान के मध्य में रखें। स्थान को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए फूल, धूप और दीपक का प्रयोग करें।
  • काल भैरव की तस्वीर या मूर्ति के साथ आप अन्य देवी-देवताओं जैसे देवी पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां भी रख सकते हैं।
  • पूजा की शुरुआत में कलश स्थापित करें। इसके लिए एक लोटा या कलश को सजाकर उसमें गंगाजल और फूल भरकर उसके ऊपर कलश के ढक्कन को रखें। इसके ऊपर एक स्वस्तिक बनाएं।
  • पंचामृत की तैयारी के लिए दूध, घी, दही, चीनी और शहद को एक बर्तन में मिलाएं। इसमें केशर, जवित्री और चावल भी मिलाएं। फिर इसे काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर को चढ़ाएं।
  • मंदिर में दीपक और धूप जलाएं और भगवान के लिए प्रसाद रखें। शाम के समय सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं।
  • अब मंत्र जाप या कालभैरवाष्टक का पाठ करते हुए आरती करें।
  • विधि-विधान से भगवान की पूजा करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
  • काल भैरव को फल, बेलपत्र, लाल चंदन, फूल, पंचामृत, नारियल आदि चढ़ाएं। भगवान को उड़द की दाल और सरसों का तेल भी अर्पित करना चाहिए।
  • भैरव अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें। यह शतनामावली भगवान भैरव के 108 नामों को संबोधित करती है और भक्तों को उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करने में मदद करती है।
  • अब मंत्र जाप या कालभैरवाष्टक का पाठ करते हुए आरती करें।
  • भजन और कीर्तन गाकर भगवान भैरव को प्रसन्न करें। भक्ति भाव से भजन करने से भगवान की कृपा बढ़ती है और आपके जीवन में सुख-शांति का आनंद आता है।
  • पूजा के बाद, प्रसाद को वितरित करें।

काल भैरव पूजा करते समय वास्तु दिशानिर्देशों का पालन करें। सुनिश्चित करें कि पूजा करते समय पूजा करने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर हो। भगवान को हमेशा ऊंचे मंच पर रखें।

 

कालभैरव पूजा से लाभ

  • कहा जाता है कि भगवान काल भैरव अपनी अपार शक्तियों से अपने भक्तों की आत्मा को शुद्ध करते हैं और उनके लिए परिस्थितियों को अनुकूल बनाते हैं।
  • कथाओं में कहा जाता है कि भगवान काल भैरव पूजा करने से व्यवसाय और जीवन के अन्य पहलुओं में बाधाएं दूर होती हैं।
  • भगवान काल भैरव दुश्मनों से रक्षा करते हैं और अदालती मामलों में सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं।
  • काल भैरव पूजा करने से काला जादू या बुरी शक्तियों के प्रभाव भी नहीं होता।
  • हिंदुओं के अनुसार, काल भैरव अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • भगवान काल भैरव की पूजा करने से राहु और केतु ग्रह भी प्रसन्न होते हैं।

 

कालभैरव अष्टमी महत्व

कालभैरव अष्टमी पर ही भगवान कालभैरव पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। यह देवता विनाश से जुड़े हैं। काल भैरव के भक्तों द्वारा उनकी पूजा की जाती है। भगवान काल भैरव के भक्त उन्हें रक्षक मानते हैं। साथ ही यह भी मानते हैं कि काल भैरव की उपासना करने से भय निकट नहीं आता। कालभैरव अष्टमी पर लोग व्रत भी रखते हैं।

तांत्रिक प्रथाओं में, काल भैरव को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। उनका वाहन कुत्ता है। इसलिए कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ खिलाना सबसे अधिक फलदायक माना जाता है क्योंकि इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं।

 

काल भैरव मंत्र

ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं |

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों ह्रीं ह्रों क्षं क्षेत्रपालाय कालभैरवाय नमः ||

ॐ कालभैरवाय नमः

 

काल भैरव के प्रमुख मंदिर

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Source: Pinterest/psychicramnathji

 

  • काल भैरव मंदिर उज्जैन धाम
  • बटुक भैरवनाथ मंदिर
  • भैरव मंदिर या किलकारी बाबा भैरवनाथ मंदिर

यह सभी काल भैरव के मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

काल भैरव की पूजा में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन-कौन सी सावधानी रखनी चाहिए

काल भैरव की पूजा में या फिर कालाष्टमी व्रत के दिन हमें शुद्ध मन से पूजा करनी चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा से हमें दूर रहना चाहिए। इसका सेवन न करें। साथ ही घर परिवार में शांति बनाए रखना चाहिए। कालाष्टमी को काल भैरवाष्टमी भी कहते हैं। काल भैरवाष्टमी के दिन सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति के लिए’ॐ काल भैरवाय नमः ‘मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। और काल भैरवाष्टकम का पाठ करना चाहिए।

काल भैरव की पूजा में हमेशा ध्यान रखें 

सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

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इसके बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं

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वर्तमान में भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप प्रचलित है। लेकिन तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूप के बारे में बताया गया है।

काल भैरव की पूजा किस रंग के वस्त्रो में को धारण करना चाहिए

शनिवार के दिन शनि देव के साथ भैरव महाराज का भी दिन माना जाता है। इसलिए इनकी पूजा में आप गहरा काला, गहरा नीला ,गहरा भूरा या जामुनी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस की वृद्धि होती है। इसलिए इनकी पूजा में इन्हीं रंग के वस्तुओं को धारण करें। और शुद्ध मन से काल भैरव की उपासना करें। उनकी पूजा करें।

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