भारत में यदि कोई व्यक्ति कृषि भूमि में निवेश करता है तो उसे भू–राजस्व से जुड़े कुछ ऐसे शब्दों से दो–चार होना पड़ता है, जो वह पहली बार सुनता है। कृषि भूमि की खरीदी के समय एक ऐसा ही शब्द ‘खतौनी’ भी है, जो अक्सर सुनने में आता है। देश में कुछ राज्यों में इसे ‘खेतवनी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां इस लेख में हम खतौनी शब्द के बारे में विस्तार से जानेंगे।
जानें क्या है खतौनी
भारत के ग्रामीण क्षेत्र में खतौनी नंबर, दरअसल किसी भी भूमि के स्वामित्व की जांच करने का प्रमुख दस्तावेज है। देश में भूमि की खरीदी और बिक्री के मामले में खतौनी नंबर के अहम भूमिका होती है, क्योंकि खतौनी नंबर के जरिए ही भूमि से संबंधित संपूर्ण जानकारी हासिल की सकती है।
खतौनी दरअसल किसी भूमि का खाता नंबर होता है, जो किसी व्यक्ति या परिवार के द्वारा भूमि पर अधिकार प्राप्त करने की जानकारी रखता है। खतौनी के अंतर्गत भूमि के टुकड़े एक साथ या अलग–अलग स्थानों पर भी हो सकते हैं। दरअसल खतौनी एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके जरिए भूमि का खसरा नंबर, भूमि के कुल मालिकों की संख्या, भूमि का कुल क्षेत्रफल आदि पता किया जा सकता है। खतौनी नंबर के जरिए किसी भूमि स्वामी के तमाम खसरा संख्या का विस्तृत विवरण प्राप्त किया जा सकता है। अन्य शब्दों में कहें तो खतौनी एक ही परिवार के स्वामित्व वाले सभी खसरा संख्या का रिकॉर्ड है। खतौनी को संबंधित भूमि पर खेती करने या कब्जा करने वाले लोगों के रजिस्टर के रूप में भी देखा जा सकता है।
खसरा और खतौनी के बीच मुख्य अंतर क्या है?
किसी भूमि का खसरा नंबर किसी एक खास भूमि क्षेत्र या भूमि के टुकड़े की पहचान को दर्शाता है, वहीं दूसरी और खतौनी किसी व्यक्ति या परिवार के सभी खसरा संख्या को दिखाता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि खसरा नंबर सिर्फ एक भूमि इकाई है, जबकि खतौनी किसी व्यक्ति या परिवार की कई भूमि इकाइयों का रिकॉर्ड है।
खसरा और खतौनी में एक मुख्य अंतर यह भी है कि खसरा फॉर्म नंबर P-II में बनाया जाता है, जबकि खतौनी को फॉर्म नंबर B-I में तैयार किया जाता है। खसरा में 12 कॉलम होते हैं, जबकि खतौनी में कुल 23 कॉलम होते हैं।
क्या खतौनी और खेतवनी एक ही हैं?
हां, खतौनी और खेतवनी का एक ही हैं। देश में ज्यादातर प्रचलित शब्द ‘खतौनी’ है, वहीं देश के कुछ इलाकों में खेतवनी भी कहा जाता है। खतौनी और खेतवनी दोनों ही उन दस्तावेजों को कहा जाता है, जो देश के ग्रामीण क्षेत्र में किसी भूमि के खसरा नंबर के साथ भूमि के स्वामित्व और भूमि के क्षेत्रफल, जमीन मालिक की संख्या आदि का विवरण प्रदान करता है।
खतौनी और खेवट में क्या है अंतर
खतौनी और खेवट एक–दूसरे से संबंधित हैं, लेकिन दोनों को तैयार करने के उद्देश्य अलग–अलग हैं। जैसा कि हमने बताया कि खतौनी एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसमें किसी परिवार या व्यक्ति द्वारा स्वामित्व वाली खेती की भूमि के सभी सभी खसरा नंबरों (अलग–अलग भूखंडों) की लिस्ट होती है, जो भूमि मालिक और खेती का बारे में विस्तृत जानकारी देती है। वहीं दूसरी ओर खेवट एक भूमि खाता संख्या है, जो एक ही भूखंड के सह–मालिकों को आवंटित किया जाता है और इसमें एक ही भूखंड स्वामित्व के हिस्सों और अधिकारों का विवरण होता है। यहां खास बात ये है कि खतौनी जहां कई भूखंडों को कवर करती है और खेती पर केंद्रित होती है, वहीं दूसरी ओर खेवट खाता संख्या एक विशेष भूखंड के सह–मालिकों के स्वामित्व के बारे में जानकारी देता है।
इस बात का रखें ध्यान
खेवट और खाता संख्या मूल रूप से एक ही अवधारणा को संदर्भित करते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर उपयोग किए जाते हैं। खतौनी और खेवट दोनों ही भूमि मालिकों को आवंटित एक खाता संख्या है, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व विवरण को रिकॉर्ड रखने में सहायक होते हैं।
खतौनी/खेतवनी नंबर कैसे प्राप्त करें?
यदि आपको भी अपनी कृषि भूमि के खतौनी या खेतवनी नंबर के बारे में जानकारी हासिल करना है तो इसके लिए आप गांव की तहसील या जन सुविधा केंद्र पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा राजस्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी कृषि भूमि के खतौनी या खेतवनी नंबर के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। देश के अधिकांश राज्यों में आजकल यह सेवा ऑनलाइन उपलब्ध है।
खतौनी/खेतवनी नंबर के बारे में जानकारी हर राज्य के राजस्व विभाग या भू–अभिलेख की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है। उदाहरण के लिए, यदि आपको उत्तर प्रदेश में किसी कृषि भूमि के बारे में खतौनी या खेतवनी नंबर जानना है तो राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट http://upbhulekh.gov.in/ पर जाना होगा। इस वेबसाइट पर आपको जिला, तहसील का नाम, गांव आदि के बारे में सामान्य जानकारी भरना होगा। इसके बाद आपको संबंधित भूमि का खतौनी या खेतवनी नंबर प्राप्त हो जाएगा।
भू–अभिलेख पोर्टल के जरिए ऑनलाइन खतौनी नंबर जानने की पूरी प्रोसेस
- स्टेप-1: अपने डेस्कटॉप या मोबाइल डिवाइस पर किसी भी वेब ब्राउजर को खोले और “भूलेख” सर्च करें।
- स्टेप-2: संबंधित राज्य की भू–अभिलेख वेबसाइट पर ‘खतौनी नकल’ का विकल्प खोजें।
- स्टेप-3: इसके बाद कैप्चा कोड भरें। यदि आपको कैप्चा कोड समझ में नहीं आ रहा है, तो नया कोड प्राप्त करने के लिए रिफ्रेश बटन पर क्लिक कर सकते हैं।
- स्टेप-4: इसके बाद आपको अपने जिले और जनपद आदि का विकल्प चुनना होगा।
- स्टेप-5: जिला चुनने के बाद उसी स्क्रीन पर आपको अपनी तहसील का चयन करना होगा। अपनी तहसील के नाम पर क्लिक करें।
- स्टेप-6: इस प्रोसेस के बाद आपको अपनी पंचायत या गांव का नाम चुनना होगा।
- स्टेप-7: अपने गांव का चयन करने के बाद आपको खसरा नंबर की जानकारी दर्ज करना होगी। क्लिक करके के बाद अगली स्क्रीन पर आपको अपना खसरा नंबर दर्ज करने के लिए कहा जाएगा। यहां आप अन्य ऑप्शन जैसे खाता संख्या, खातेदार के नाम या नामांतरण दिनांक आदि दर्ज करके भी खतौनी सर्च कर सकते हैं।
- स्टेप-8: उपरोक्त सभी आवश्यक विवरण जमा करने के बाद आपको एक नए पेज पर ले जाया जाएगा, जहां आपको स्क्रीन पर प्रदर्शित कैप्चा कोड को एक बार फिर से दर्ज करना होगा।
- स्टेप-9: कैप्चा कोड भरने के बाद आपकी भूमि से संबंधित खतौनी विवरण उपलब्ध हो जाएगा।
खतौनी (खेतवनी) विवरण में मिलती है ये जानकारी
खतौनी नकल के माध्यम से आप भूमि के संबंध में निम्नलिखित विवरण प्राप्त कर सकते हैं –
Village name ग्राम का नाम
District name जनपद
Sub-district name तहसील
Pargana परगना
Fasli year फसली वर्ष
Khata number खाता संख्या
Land type श्रेणी
Account holders name खातेदार का नाम
Father/Husband/Guardian Name पिता पति संरक्षक का नाम / निवास स्थान
Address निवास स्थान
Survey Number खसरा संख्या
Area क्षेत्रफल
Order आदेश
Remarks टिप्पणी
राज्य के अनुसार खतौनी विवरण कैसे प्राप्त करें
यदि आपको भी अपनी भूमि के खतौनी का विवरण जानना है तो इसकी जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। यहां कुछ राज्यों में भू–अभिलेख की वेबसाइट दी गई है, जहां से आप अपनी भूमि का खतौनी विवरण घर बैठे प्राप्त कर सकते है।
आंध्र प्रदेश: meebhoomi.ap.gov.in
बिहार: lrc.bih.nic.in
छत्तीसगढ़: bhuiyan.cg.nic.in
गुजरात: anyror.gujarat.gov.in
हरियाणा: http://jamabandi.nic.in
हिमाचल प्रदेश: lrc.hp.nic.in
कर्नाटक: landrecords.karnataka.gov.in
केरल: erekha.kerala.gov.in
मध्यप्रदेश: mpbhulekh.gov.in
महाराष्ट्र: bhulekh.mahabhumi.gov.in
ओडिशा: bhulekh.ori.nic.in
पंजाब: http://jamabandi.punjab.gov.in/
राजस्थान: apnakhata.raj.nic.in
उत्तराखंड: BhuLekh.uk.gov.in
तमिलनाडु: eservices.tn.gov.in
खसरा नंबर, खाता नंबर और खतौनी नंबर में क्या है अंतर
खसरा नंबर
- देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के व्यक्तिगत भूखंडों को खसरा नंबर दिया जाता है।
- खसरा नंबर स्वामित्व अधिकारों के लिए आवश्यक होता है। भूमि के बिक्री, उपहार, या भूखंड के विभाजन के साथ खसरा नंबर बदल जाता है।
खाता नंबर
- खाता नंबर एक ही भूखंड के सह–मालिकों को आवंटित किया जाता है। खाता नंबर के जरिए किसी भूखंड के संयुक्त मालिकों के स्वामित्व और भूमि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- खाता नंबर के जरिए भूमि के संयुक्त भूमि धारकों वाले स्वामित्व की जानकारी शामिल होती है। भूखंड की बिक्री होने पर खाता नंबर में बदलाव हो सकता है।
खतौनी नंबर
- खतौनी नंबर ऐसे कृषकों को दिया जाता है, जो कई खसरा नंबरों पर भूमि की देखभाल करते हैं या कृषि कार्य करते हैं।
- खतौनी नंबर एक परिवार या व्यक्ति के लिए कई खसरा नंबरों का योग दर्शाता है। खतौनी नंबर खेती के रिकॉर्ड को ट्रैक करने के लिए सहायक होता है।
खतौनी का इंग्लिश में मतलब
इंग्लिश में ‘खतौनी’ का मतलब एक ऐसे भूमि रिकॉर्ड या दस्तावेज से है, जो भूमि स्वामित्व और कृषि भूखंडों का विवरण दर्शाता है। खतौनी का उपयोग भारत में मुख्य रूप से ग्रामीण भूमि के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए किया जाता है। खतौनी विवरण के तहत भूमि मालिकों के नाम, एक भूखंड में उनके हिस्से और स्वामित्व या खेती के अधिकारों में हुए बदलाव की जानकारी होती है।
Housing.com का पक्ष
भारत में कृषि भूमि में निवेश के लिए खतौनी जैसे शब्दों की समझ होने बेहद महत्वपूर्ण है। भू–राजस्व मामलों में खतौनी (या खेतवनी) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो भूमि स्वामित्व और कई भूखंडों पर भूमि के उपयोग के बारे में विस्तृत देता है। खतौनी के जरिए किसी व्यक्ति या परिवार के स्वामित्व वाली भूमि की पूरी तस्वीर मिलती है। खतौनी या खेतवनी भूमि उपयोग, भूमि मालिक या खेती को ट्रैक करने में मदद करती है, वहीं दूसरी ओर खसरा नंबर का उपयोग व्यक्तिगत भूखंडों के लिए किया जाता है। इसके अलावा खेवट नंबर एक भूखंड के कई मालिकों के स्वामित्व विवरण को दिखाता है। आप संबंधित राज्य के राजस्व विभाग की वेबसाइटों से खतौनी विवरण ऑनलाइन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। खतौनी, खेतवनी और खेवट जैसे शब्दों की जानकारी होने से निवेशकों को बेहतर निर्णय लेने और भूमि निवेश को प्रभावी ढंग से मैनेज करने में सहायता मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
खसरा और खतौनी में क्या अंतर है?
खसरा एक विशेष भूमि के टुकड़े को दिया गया नंबर होता है, वहीं दूसरी ओर खतौनी किसी परिवार के स्वामित्व वाली समस्त भूमि का विवरण है।
खतौनी और खेवट में क्या भिन्नता है?
खेवट नंबर एक खाता संख्या है, जो ऐसे भू-मालिकों को दी जाती है, जो संयुक्त रूप से एक भूमि का स्वामित्व रखते हैं, वहीं दूसरी ओर खतौनी किसी परिवार के स्वामित्व वाली सभी समस्त भूमि का विवरण है।
खतौनी नंबर कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
खतौनी नंबर पाने के लिए आप संबंधित राज्य के राजस्व विभाग की वेबसाइट देख सकते हैं। इसके अलावा आप जन-सुविधा केंद्र या गांव की तहसील में जाकर भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।