नाग पंचमी का त्यौहार हर साल पूरे भारत में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी का यह त्यौहार नाग देवता को समर्पित होता है।यूं तो श्रावण का महिना वैसे भी ख़ास होता है , क्योंकि यह महीना भगवान् शिव की पूजा अर्चना करने का ख़ास महीना होता है। क्योंकि श्रावण का यह महीना भगवान शिव का बहुत ही प्रिय महिना है , इसलिए नाग पंचमी का यह त्यौहार और भी ख़ास हो जाता है।
क्यों की जाती है नाग पंचमी की पूजा?
हिंदी पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी का त्यौहार हर साल श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है। सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है जिसके अंतर्गत ऐसा माना गया है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू-तल पर आ जाते हैं। नाग किसी के भी अहित का कारण न बने, इसके लिए ही नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए नागपंचमी की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी 2024 सही डेट
नाग पंचमी का त्यौहार हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 2024 में नाग पंचमी का त्यौहार 9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
नाग पंचमी 2024 सही तिथि
श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 9 अगस्त 2024 को सुबह 5 बजे से होकर अगले दिन यानी 10 अगस्त को सुबह 6 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि के के अनुसार नाग पंचमी का त्यौहार 9 अगस्त 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।
नाग पंचमी 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी 2024 में पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त दिन शुक्रवार की सुबह 5 बजे से शुरू होकर सुबह 8 बजे तक रहेगा। इस दिन पूजा के लिये आपको 3 घंटे का समय मिलेगा। नाग पंचमी के दिन अगर आप इन 3 घंटे में पूजा करते हैं तो वह विशेष फलदायी होगा।
नाग पंचमी में पूजा में प्रयोग की जाने वाली सामग्री
नाग पंचमी में प्रयोग की जाने वाली सामग्री की लिस्ट नीचे देखिये
लकड़ी का पाटा

हल्दी
रोली
अक्षत (चावल)
सफेद फूल
धूप
दीपक
दूध
घी
बेलपत्र
पान
काला चना भीगा हुआ
काला चना भुना हुआ
दूर्वा
फल
गाय का गोबर
कच्चा दूध
स्टील थाली
नाग पंचमी में पूजा मंत्र
नाग पंचमी पूजा के समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करने का विधान है
ऊँ सर्पाय नमः
ऊँ अनन्ताय नमः
ऊँ नागाय नमः
ऊँ पृथ्वीधराय नमः
इस मन्त्र का उच्चारण करते हुये सारी सामाग्री को नाग देवता को समर्पित करें।
•नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी के दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर सबसे पहले अपने घर की साफ सफाई करनी चाहिए।
- उसके बाद गाय के गोबर से सबसे पहले अपने घर चारों तरफ से गोठा जाता है ,उसके बाद उसी गोबर से अपने घर के मुख्य द्वार पर नाग के जोड़े की प्रतिमा बनाते है।
- उसके बाद पूजा की जगह पर गाय के गोबर से लीपकर फिर उस जगह पर एक लकड़ी का पाटा रखें
- उसके बाद पाटे पर एक थाली रखें और उसमें मिट्टी से बने नाग नागिन के जोड़े को स्थापित करें।
- उसके बाद नाग नागिन की पूजा शुरू करें।
- सबसे पहले उनका कच्चे दूध से अभिषेक करें,उसके बाद ऊँ सर्पाय नमः,ऊँ अनन्ताय नमः ,ऊँ नागाय नमः,ऊँ पृथ्वीधराय नमः इन मंत्रों का जप करते हुए हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल, फल, दूर्वा, पान, बेलपत्र आदि सभी चीजें समर्पित करें।
- उसके बाद धूप तथा घी का दीपक जलाएं।
- उसके बाद उन्हें भीगा हुआ या भुना हुआ चना , कच्चा दूध,धान का लावा अर्पित करें और नाग देवता की पूजा करें।
- उसके बाद नाग देवता से सच्चे मन से अपने परिवार विशेषकर अपने भाईयो के स्वास्थ और लम्बे जीवन के लिए प्रार्थना करें।
नाग पंचमी के दिन पूजे जानें वाले आठ नागों के नाम
नाग पंचमी के दिन इन आठ नागों की पूजा का विधान है जो क्रमशः अनन्त (शेष), वासुकि, पह्म, महापह्म, तक्षक, कुलीर, कर्कोटक और शंख हैं। पुराणों में वर्णित इस मंत्र का प्रयोग करके आप यदि शिवलिंग की पूजा करते हैं तो आप की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी के दिन पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. जिन लोगों के कुण्डली में काल सर्प दोष हो तो उन व्यक्तियों को नाग पंचमी के दिन रूद्राभिषेक करने से उन दोषो से मुक्ति पाई जा सकती है. हिन्दू धर्म में सांप को देवता के रूप में भी पूजा जाता है क्योकि भगवान शिव के गले का हार वासुकि और विष्णु की शैय्या शेषनाथ को माना गया है. श्रावण के महीने में भारी बारिश के कारण सांप जमीन के बाहर निकल आते है इस दिन कालसर्प दोष की पूजा का विशेष महत्व है।
नाग पंचमी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
पुराणों के अनुसार,सर्प के दो प्रकार बताए गए हैं: दिव्य और भौम। वासुकि और तक्षक को दिव्य सर्प माना गया हैं जिन्हे पृथ्वी का बोझ उठाने वाला तथा अग्नि के समान तेजस्वी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये अगर कुपित हो जाए तो अपनी फुफकार मात्र से सम्पूर्ण सृष्टि को हिला सकते हैं।
पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, सृष्टि रचियता ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थी। मान्यता है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी के गर्भ से दैत्य उत्पन्न हुए, लेकिन उनकी तीसरी पत्नी कद्रू का सम्बन्ध नाग वंश से था, इसलिए उनके गर्भ से नाग उत्पन्न हुए। सभी नागों में आठ नाग को श्रेष्ठ माना गया है और इन अष्ट नागों में से दो नाग ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वैश्य और दो शूद्र हैं।
नाग पंचमी की कथा
भारत के प्राचीन महाकाव्यो में से एक महाभारत में अर्जुन के पौत्र जन्मेजय नागो की पूरी प्रजाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ करते है। यह अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए था जो तक्षक सांप के काटने का शिकार हो गये थे. जब यह बात ऋषि आस्तिक को पता चली तो वे जन्मेजय को यज्ञ करने से रोकने और नागों के प्रजाति को बचाने की खोज में निकल पड़े. जिस दिन यह यज्ञ रोका गया उस दिन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. उस दिन से नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।
नाग पंचमी का त्यौहार उत्तर भारत गुड़िया के नाम से भी जाना जाता है
श्रावण माह की पंचमी तिथि को उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में गुड़िया के नाम से भी मनाया जाता है । इस दिन घरो में अच्छे-अच्छे पकवान भी बनाये जाते है और भगवान शंकर और नाग देवता को भोग भी लगाया जाता है.
इस दिन शाम में घर की सभी लड़कियाँ और औरतें अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं उसके बाद सब एक जगह इकठ्ठा होकर झूला झूलते हुये कजरी गीत भी गाती हैं, जो कि हमारे यहां का पारम्परिक लोकगीत भी है। इस दिन बहने भीगे हुए चने को निगल कर अपने भाई की लम्बी उम्र की कामना करती है. इस दिन दंगल में कुश्ती की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है और भाई लोग गुड़िया भी पीटते हैं साथ ही इस दिन मेले का पर्व भी आयोजित किया जाता है।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार गुड़िया के इस त्यौहार को विशेष रूप से मनाये जानें के के लिये इस दिन घर की महिलाएं घर में रखें उसकी बहन के पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाती हैं जिसे नाग पंचमी की शाम में भाई ले जाकर पीटते हैं। माना जाता है ऐसा करने से जो भी दोष उसकी बहन पर होता है वह समाप्त हो जाता है।
गुड़िया के इस त्यौहार पर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है जो इस प्रकार है. एक गांव में दो भाई बहन रहते थे। भाई को सांपो से बहुत लगाव था, भाई रोज मन्दिर के पीछे जाता और सारे सर्प इकठ्ठा होकर उसके पास आ जाते और उसके पांव से लिपट जाते थे। एक दिन जब बहन ये देखा तो उसनें उन सर्पों को डंडे से पीट पीटकर मार डाला, जब ये बात भाई को पता चली तो उसनें अपनी बहन को बताया की वे सर्प उसे नुकसान नहीं पहुचाते थे,तब बहन को बहुत पछतावा हुआ। मान्यता है की तभी से भाई अपनी बहन की सांपों से रक्षा के लिये नाग पंचमी के दिन गुड़िया बनाकर पीटते हैं ताकि उसकी बहन से जो अनजाने में गलती हुई है और जो सर्पों को मारने का दोष उसकी बहन पर लगा है उसका निवारण हो सके।
नाग पंचमी के दिन बरतें कुछ सावधानियां
•नाग पंचमी के दिन महिलाए सापों को दूध चढाती हैं और उनका पूजन करती हैं ,लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा की वे बेहद जहरीले व खतरनाक भी होते हैं, इसलिए आप रियल साँपों की पूजा के बजाय घर पर मिट्टी से बने नागों की पूजा करें या फिर आप अपने पास के किसी भी शिव मन्दिर में जाकर भगवन शिव की ही पूजा करें यह भी उतना ही फलदायी होता है।
• नाग पंचमी के दिन आप जो पूजन सामाग्री आप नाग देवता को चढ़ाते हैं उन्हें किसी भी तालाब, नदी या कहीं भी फेककर पर्यावरण को प्रदूषित करनें के बजाय आप जो सामाग्री चढ़ाते हैं उन्हें अपने घर गमलों में विसर्जित कर दें। इससे नदियों व तालाबों में गंदगी नहीं फ़ैलेगी और आप पर्यावरण को भी सुरक्षित रख पाएंगे।
• नाग पंचमी का त्यौहार सावन में पड़ता है और सावन के महीने बहुत ही अधिक बारिश होती है ख़ासकर हम देखते हैं की नाग पंचमी के दिन तो और ही अधिक बारिश होती है। ऐसे में उस दिन सभी सांप भू गर्भ से बाहर आये रहते हैं तो हमें ध्यान देना होगा की हम उस दिन कहीं भी नगें पांव न जाएं तथा अंधेरे में बिना किसी रोशनी के बाहर न निकलें।