हिन्दू धर्म में पूजा–पाठ का एक विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है की पूजा करने से घर में सुख–शांति व खुशहाली आती है और घर का वातावरण शुद्ध होता है। साथ ही पूजा–पाठ करने से घर में नकरात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी कम होता है और घर के लोगों में भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। पूजा करने से मन को भी शांति मिलती है और मन में सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति होती है।
हिंदू सनातन संस्कृति के अनुसार पूजा जब तक पूरी नहीं होती है जब तक की अग्नि को साक्षी मान कर पंडित द्वारा पढ़े गए मंत्रों को साक्ष नहीं मानते।
हिन्दू धर्म में करोड़ों देवी–देवता हैं, जिनकी अलग–अलग तरीकों से पूजा की जाती है। हर किसी देवी–देवता की पूजा के लिए वैसे तो अलग प्रकार की पूजन सामग्री की जरुरत पड़ती है लेकिन कुछ पूजन सामग्री ऐसी होती है जिसकी आवश्यता लगभग हर प्रकार की पूजा में पड़ती ही है। तथा मैं कुछ पूजन सामग्री लगती है जो हम आपको बता रहे हैं
पूजा की सामग्री की लिस्ट
- लकड़ी (wood logs)
- सिंदूर (Vermilion)
- लाल चुनरी (red stall)
- चावल (Rice)
- चंदन (Sandal wood)
- धूप (Incense sticks)
- दीपक (lamp)
- अगरबत्ती (Incense sticks)
- फुल (flover)
- फल व मिठाई (fruit & sweets)
- नारियल (coconut)
- पंचामृत (दूध, दही, शक्कर, घी, शहद / milk, curd, sugar, ghee, honey)
- पंचमेवा(काजू, बादाम, किशमिश, अखरूठ, पिस्ता)
- कपूर( Camhor)
- जनेऊ (Sacred thread)
- तुलसी (Holy basil)
- घांस (grass)
- सूती लाल धागा (Moly)
- गंगाजल (Holy Water)
- कलश (Ghat)
- मूर्ति (Idols)
- पान (paan)
- रुई (Scented cotton)
- दक्षिणा (Donation
पूजा के बाद बची पूजन सामग्री का क्या करें?
पूजा करने के बाद पूजन सामग्री को कभी भी कचरे में नहीं फेंकना चाहिए, इसके एक–एक सामान का सही से रख–रखाव करना चाहिए। देखा गया है की ज्यादातर लोग बची पूजन सामग्री को या तो किसी मंदिर में रख देते हैं या फिर नदी में प्रवाहित कर देते हैं।